ऊर्जा संरक्षण पर निबंध भाषण Essay on Energy Conservation in Hindi: ऊर्जा मानव जीवन की सभी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति का महत्वपूर्ण साधन हैं.
जीवन में गति का कारण ऊर्जा ही हैं चाहे वह हमारे चलने के लिए हो या यंत्रों के परिचालन के लिए, जीवन के हर क्षेत्र में एनर्जी की जरूरत हैं.
ऊर्जा के सिमित भंडार हैं इसलिए हमे ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation) की तरफ जाना होगा ताकि हमारी आने वाली पीढियां ऊर्जा संकट का सामना न करें. आज का निबंध (Essay) भाषण (Speech) अनुच्छेद (Paragraph) इसी विषय पर दिया गया हैं.
ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi
आज का युग विज्ञान और तकनीक का युग कहा जाता हैं, जिसमें विभिन्न तरह के यंत्रों के माध्यम से मानव ने विकास की राह को बहुत तीव्र कर दिया हैं. अपने लौकिक सुख के लिए उसने तमाम साधन जुटा लिए हैं.
सब कुछ पा लेने के बावजूद भी अधिक सुखी जीवन बिताने की यह लालचा कही खत्म होती नजर नहीं आती, बल्कि दिनोंदिन इसमें वृद्धि ही नजर आ रही हैं.
वर्तमान के सुख से कमी के भाव ने असंतोष को जन्म दिया हैं, उसका यही असंतोष और कुछ और अर्जित करने की जिद्द ने मोटर गाड़ी, हवाई, रेल, मोबाइल, इन्टरनेट, रोबोट, परमाणु सब कुछ पाया हैं.
प्रकृति प्रदत्त संसाधनों से निर्मित होने के कारण दिनोदिन प्राकृतिक संसाधनों की कमी गहराती जा रही हैं. तथा इसके विपुल भंडार खत्म होते जा रहे हैं.
हमारी पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधन के सिमित भंडार ही उपलब्ध हैं, ऊर्जा भी उन्ही में से एक हैं. जिस तीव्र गति से विश्व की आबादी बढ़ रही हैं उनकी आवश्यकताएं भी दिनोंदिन बढ़ रही हैं.
आए दिन यातायात के साधनों में ताबड़तोड़ वृद्धि हो रही हैं. हमारा जीवन पूरी तरह से मशीनों पर आश्रित सा हो चूका हैं.
इन मशीनों को चलाने के लिए विविध प्रकार के ईधन यानी ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती हैं. जिस गति से आज हम ऊर्जा को डीजल, पेंट्रोल, विद्युत् आदि रूपों में व्यय करते हैं एक दिन इनके भंडार समाप्त हो जाएगा और हम एक भयानक ऊर्जा संकट से गुजर रहे होंगे.
हमारे घरों में खाना पकाने के लिए एलपीजी वाहनों में प्रयुक्त CNG व अन्य पेट्रोलियम यदि समाप्त हो गये तो इनका पुनः निर्माण नहीं किया जा सकता. अतः हमें सिमित मात्रा में उपलब्ध इन संसाधनों का कम से कम दोहन करना चाहिए.
एक दिन के लिए कल्पना करे यदि पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस न हो तो हमारा जीवन कैसा होगा. जैसा कि पूर्व में कहा गया ऊर्जा का प्रथम उद्देश्य गति हैं इसके अभाव में संसार रूक जाएगा.
यदि हम इसी गति से प्रकृति के साधनों का उपयोग करते चले तो यह परिकल्पना या भय एक दिन यथार्थ बनकर हमारे समक्ष होगा, जब हमारी धरती से ये प्राकृतिक संसाधन पूरी तरह समाप्त हो जाएगे.
अभी भी हमें सम्भलने का वक्त है ऊर्जा संरक्षण के उपायों को अपनाएं तथा ऊर्जा के ऐसे विकल्पों को अपनाएं जो नवीकरण योग्य हो ऊर्जा के साधन जैसे सूर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा बायोगैस का अधिकतम उपयोग करें.
यदि हमने समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए तो निश्चय ही एक दिन समूची मानव जाति के समक्ष ऊर्जा का एक भयानक संकट उपस्थित हो जाएगा.
जिस गति से हमारे देश की जनसंख्या बढ़ रही हैं उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तीव्र विकास की जरूरत पड़ती हैं यह ऊर्जा के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देती हैं. आगामी दशक में ऊर्जा की कुल खपत कई गुणा अधिक हो जाएगी.
इसलिए अभी केंद्र और राज्य सरकारों को इस बारे में सोचकर कठोर कानून बनाने होंगे. हालांकि इस दिशा में कुछ सराहनीय कार्य भी हुए हैं जिनमें आंशिक सफलता भी मिली हैं वे है बायोगैस, LED लाइट्स के उपयोग, सौर संयंत्र को बढ़ावा तथा वृक्षारोपण.
हमारी धरती पर ऐसे संसाधनों के विपुल भंडार या उनकी सम्भावनाएं हैं जो पर्यावरण का प्रदूषण नहीं बढाते हैं. आज पूरी दुनिया में ऊर्जा संरक्षण के महत्व को समझा जाने लगा हैं तथा ऊर्जा के नवीन विकल्पों पर काम किया जा रहा हैं.
सौर तथा पवन ऊर्जा को अपनाने पर बल दिया जा रहा हैं. साथ ही इस तरह के नवीकरणीय साधनों को अधिक से अधिक विकसित करने की दिशा में भी रिसर्च हो रही हैं.
भारत दुनिया के बड़े ऊर्जा आयातक देशों में से एक हैं. हमारा अधिकतर पेट्रोलियम खाड़ी देशों से आयात होता हैं. हमारा देश ऊर्जा के इन साधनों को पाने के लिए न केवल बड़ी मात्रा में धन खर्च करता हैं.
बल्कि अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार के दामों में कई बार आने वाले उफान के कारण यह भारतीय व्यापारियों के लिए खरीद पाना भी मुश्किल हो जाता हैं.
ऐसे में सरकारे कर कम करके अथवा उनके घाटे की भरपाई करके आपूर्ति को नियमित बनाने का प्रयत्न करती हैं. किसी भी तरह से ये समस्त बोझ देश की आम जनता पर ही हैं.
हमें आश्वस्त रहना चाहिए, जिस तेजी से हम विज्ञान के नये नये आविष्कार कर रहे हैं उसी दिशा में हम ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देनी वाली तकनीक या ऊर्जा के नये विकल्पों की खोज कर लेगे जो हमारे पर्यावरण के लिए भी घातक न हो तथा कभी खत्म न हो.
प्रत्येक नागरिक को ऊर्जा के प्रति जागरुक बनने की आवश्यकता हैं. इसके व्यर्थ अपव्यय से बचते हुए संरक्षण की ओर कदम उठाने की आवश्यकता हैं.