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मानवता पर निबंध | Essay On Humanity In Hindi
मानवता पर निबंध | Essay On Humanity In Hindi
समाज में रहते हुए ही मानव में करुणा, सहिष्णुता, भाई चारा, दया, प्रेम जैसे मानवीय गुणों का विकास होता हैं. मानवता के विकास में इन मानवीय गुणों की भूमिका अहम होती है.
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक हुए अनेक युद्धों ने अमानवीय प्रवृति को बढ़ावा दिया हैं. सत्ता एवं स्वार्थ की लालसा में मनुष्य इर्ष्या द्वेष जैसे अवगुणों से वशीभूत होकर अनेक प्रकार से अपराध कर बैठता हैं.
मानवता के विकास के लिए मानवाधिकारों की रक्षा अनिवार्य हैं. जीवन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, जीविकापार्जन का अधिकार, वैचारिक स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार जैसे मूलभूत अधिकार मानवाधिकार के अंतर्गत ही आते हैं.
विश्व के अधिकतर देशों में ये अधिकार संविधान द्वारा नागरिकों को दिए हैं. भारत में भी संविधान के भाग तीन के अनुच्छेद 14 से लेकर 35 के द्वारा नागरिकों को विभिन्न प्रकार के अधिकार दिए हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल मानवाधिकारों की रक्षा को विश्वभर में सुनिश्चित करने वाली एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था हैं, जिसका मुख्यालय लन्दन में हैं.
मानवतावादी दृष्टिकोण मनुष्य की गरिमा में विश्वास करता हैं. पश्चिम जगत में मानवतावाद सुकरात के चिंतनशील जीवन के महत्व की धारणा से उत्पन्न हुआ.
मानवतावादी सिद्धांत मनुष्य के मनोविज्ञान एवं विश्व में उसकी स्थिति पर आधारित हैं. शिक्षा में मानवतावादी मूल्यों को स्थान देने का उद्देश्य मनुष्य का सर्वांगीण विकास होता हैं.
मानवतावाद के अनुसार व्यक्ति व्यक्तिगत संतोष एवं निरंतर आत्मविश्वास के साथ महत्व पूर्ण कार्य और समुदाय के कल्याण की ओर योगदान देने वाली अन्य क्रियाओं के संयोजन से शुभ जीवन को प्राप्त कर सकता हैं.
मानवतावाद के प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार है परिवर्तनशील संसार में मनुष्य को सर्वाधिक शक्तिशाली हैं. मनुष्य न केवल यंत्र और न केवल जीव है बल्कि असीम सम्भावनाओं से भरा हुआ हैं.
मनुष्य अपनी संस्कृति का पुनरुद्धार करने के लिए जन्म लेता हैं. मनुष्य के जीवन में सत्यम शिवम सुन्दरम् को महत्ता दी जानी चाहिए.
मनुष्य जाति की समस्याओं का समाधान केवल वस्तुनिष्ठ रीती से ही नहीं वरन व्यक्तिनिष्ठ रीती से भी सम्भव हैं. मानवता को बढ़ावा देने के लिए मानवतावादी शिक्षा की आवश्यकता होती हैं.
इसके उद्देश्य होते हैं- मानवीय समस्याओं के प्रति संवेदनशील, ऐसे व्यक्तियों को तैयार करना, जो मानव कल्याण कर सके.
व्यक्ति के स्वतंत्र, विवेकपूर्ण तथा संतुलित व्यक्तित्व का विकास करना. व्यक्ति में पारस्परिक सृजनात्मकता, संघर्ष निवारण, विचार सम्प्रेष्ण, आदान प्रदान, राजनितिक एवं सामाजिक संवेदनशीलता तथा संगठनात्मक क्षमता के गुणों का विकास करना. मनुष्य की पूर्णता एवं श्रेष्ठता का विकास करना.
व्यक्ति में सामाजिक गुणों का विकास करना. निसंदेह मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं. अतः परस्पर सहयोग के अभाव में उसका जीवन कठिन हो जाएगा.
परस्पर सहयोग पर आधारित मनुष्य के सामाजिक जीवन में मानवता के गुणों की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं. इसके अभाव में अराजकता एवं खौफ का साम्राज्य व्याप्त हो जाता हैं.
मानवता के दृष्टिकोण से किसी भी व्यक्ति को दास बनाकर रखना अथवा शारीरिक यातना देना पाप हैं. किसी के भी प्रति निर्दय, अमानुषिक या अपमानजनक व्यवहार को भी अमानवीय ही कहा जाता हैं.
मानवता के दृष्टिकोण से देखा जाए तो सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकार के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त हैं.
उनके साथ जाति, वर्ण, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीति या अन्य विचार प्रणाली, किसी देश या समाज विशेष में जन्म, सम्पति या किसी प्रकार की अन्य मर्यादा आदि के कारण भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.
चाहे कोई देश या प्रदेश स्वतंत्र हो, संरक्षित हो, या स्वशासन रहित हो या परिमित प्रभुसत्ता वाला हो, उस देश या प्रदेश की राजनीतिक, क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहां के निवासियों के प्रति कोई फर्क नहीं रखा जाना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, स्वाधीनता और वैयक्तिक सुरक्षा का अधिकार हैं.
मानवीय गुणों के विकास के बाद मनुष्य सभी धर्मों का सम्मान करता हैं. उसमें धार्मिक कट्टरता जैसी भावना नहीं रहती. उसका जीवन सम्पूर्ण मानवता के लिए होता हैं. वह आवश्यकता पड़ने पर सबकी सहायता करने के लिए तैयार रहता हैं.
धार्मिक कट्टरता एवं सांप्रदायिकता मानवता के लिए खतरा हैं. कुछ लोग तो मानवता को ही धर्म मानते हैं. मानवता को धर्म मानने वाले लोगों में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही हैं.
किन्तु जो अमानवीय गुणों से युक्त हैं, वे मानवता के नाम पर कलंक हैं. ऐसे लोगों से मानवता शर्मसार होती हैं. अहिंसा, हत्या, अपराध, लूट पाट, मार पीट में संलग्न लोग इसी श्रेणी में आते हैं.
विश्व में आतंकवाद एवं नक्सलवाद अमानवीयता के उदहारण हैं. अपने निजी या अन्य स्वार्थ के लिए आतंकवादी एवं नक्सलवादी निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारने से कभी बाज नहीं आते. लोगों में आतंक और भय फ़ैलाने के लिए लोग बम विस्फोट एवं हिंसा का सहारा लेते हैं.
सच्चा मानव तो वही हैं जो मानव के काम आए, इसलिए कहा गया हैं.
जीना तो है उसी का, जिसने ये राज जाना
है काम आदमी का औरों के काम आना
मानवता बड़ी या छोटी नहीं होती, यह आत्मा और ह्रदय से प्रेरित होती हैं. इसका एक उदहारण रामायण की एक छोटी सी पात्र गिलहरी का भी हो सकता है,
जिसने समुद्र पर रामसेतु बनाते समय श्रीराम को सहयोग इस रूप में दिया कि रेत में लेट कर पानी में जाती, पुनः रेत में लेटती और पुनः पानी में जाती थी.
जिसे ऐसा करते देख श्रीराम की आँखे भी नम हो गयी थी और उन्होंने गिलहरी की पीठ पर सनेह से हाथ फिराया था. अतः विश्व में शांति की स्थापना के साथ ही मानवता को बढ़ावा देने की आवश्यकता हैं.
महात्मा बुद्ध, कबीर, रविन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गाँधी, लाल बहादुरशास्त्री, स्वामी विवेकानंद, दयानन्द सरस्वती, मार्टिन लूथर किंग, अब्राहम लिंकन, मदर टेरेसा इत्यादि ऐसे नाम हैं, जिन्होंने दुनियां में मानवता के विकास के लिए अपना सर्वोच्च न्यौछावर कर दिया.
प्रजातांत्रिक मूल्यों के विकास के लिए भी मानवता के मूल्यों को प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता हैं. बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत ही नहीं विश्व के अनेक देशों में लाखों लोग भुखमरी का जीवन जीने को मजबूर हैं. यदि इन लोगों के साथ मानवीय व्यवहार न किया गया, तो इनकी मौत निश्चित हैं.
इतिहास इस बात का साक्षी हैं. कि जब जब मानवीय गुणों की अवहेलना हुई हैं, युद्ध की स्थिति उत्पन्न हुई हैं. इसलिए इनके विकास के प्रयास किये जाने चाहिए. इसके बिना न तो व्यक्तित्व का विकास सम्भव है और न ही सुखी जीवन व्यतीत करना.
मानवता के विकास के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को विश्व मानवता दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. किन्तु मानवता की रक्षा एवं इसका विकास तब ही सम्भव है जब वर्तमान शिक्षा के पाठ्यक्रम में मानवीय एवं नैतिक मूल्यों को समुचित स्थान दिया जाए.
केवल भौतिक प्रगति के लिए व्यावसायिक शिक्षा पर जोर से आर्थिक प्रगति हासिल की जा सकती हैं. किन्तु भौतिक इससे वास्तविक खुशहाली सम्भव नहीं हैं.
चूँकि मानव परिवारों के सभी सदस्यों के जन्मजात गौरव और सम्मान एवं अविच्छिन्न अधिकार की स्वीकृति ही विश्व शान्ति, न्याय और स्वतंत्रता की बुनियाद हैं.
अतः सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए विश्व समुदाय को खुलकर मानवता एवं मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए.