जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

जनसंख्या नियंत्रण निबंध Essay on Population Control In Hindi विगत कई वर्षों से भारत में जनसंख्या नियंत्रण Population Control एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा रहा हैं.

देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा हैं. आज के निबंध, भाषण, अनुच्छेद का हमारा विषय जनसंख्या नियंत्रण एक्ट हैं इसकी आवश्यकता, उद्देश्य, महत्व, इतिहास आदि को समझने का प्रयत्न करेंगे.

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

इन दिनों जनसंख्या नियंत्रण एक्ट चर्चा का विषय बना हुआ है आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि जनसंख्या नियंत्रण क्या है यह क्यों आवश्यक है.

भारत की जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन करने के साथ यह भी जानेंगे कि अधिनियम के अलावा कौन से कदम उठाए जा सकते हैं.

जिनसे जनसंख्या नियंत्रित हो तथा जनसंख्या का इतिहास तथा भारत के संदर्भ में  जनसंख्या नीति भारत में जनगणना इत्यादि का समावेश करने का प्रयास किया गया है.

जनसंख्या मानव संसाधन है क्योंकि मनुष्य उत्पादन करने के साथ ही जीवन की गुणवत्ता को भी संसाधनों के बेहतर उपयोग द्वारा बढ़ाता है.

वास्तविक अर्थों में विकास मानव संसाधन तथा अन्य संसाधनों के परस्पर संतुलित सामंजस्य के द्वारा ही किया जा सकता है. किसी भी देश में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि विकास में बाधक भी साबित हो सकती है.

क्योंकि संसाधनों पर दवाब बढ़ता है जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आती है. जनसंख्या नियंत्रण का अर्थ सीधे तौर पर कृत्रिम तरीकों के द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है, जिससे संसाधनों के साथ सामंजस्य बना रहे.

पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था.

उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न संगठनों तथा प्रबुद्ध लोगों ने इससे संबंधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की.

वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है, कि वे इससे संबंधित अधिनियम पारित करें.इसके अलावा 2002 में सविधान समीक्षा आयोग ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया, कि वह जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाएं वर्तमान में दर्ज याचिका में सविधान समीक्षा योग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई.

यहां हम आपको कुछ आंकड़े बताते हैं, जो यह साबित करते हैं कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा क्यों गरमाया हुआ है. विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2% भूभाग भारत है, तथा यहां पर विश्व की 20% आबादी निवास करती है.

कुल पीने योग्य जल का 4% भारत के पास है. तथा इसी प्रकार जनसंख्या विस्फोट होता है. तो आने वाले समय में भारत अनेक समस्याओं का सामना करेगा.

भारतीय जनसंख्या वृद्धि को समझने के लिए कुछ रोचक तथ्यों का विश्लेषण करना आवश्यक है. भारत में प्रत्येक दिन 70000 बच्चे जन्म लेते हैं.

अर्थात प्रत्येक मिनट में 51 बच्चों का जन्म होता है इस बार न्यू ईयर यानी 1 जनवरी 2020 को भारत में 67385 बच्चे पैदा हुए. दूसरे स्थान पर चीन रहा जहां इस दिन 46299 बच्चों ने जन्म लिया. भारत की जनसंख्या वर्तमान में 135 करोड़ है,

तथा यह इसी तरह बढ़ती है तो 2024 तक 140 करोड़ को पार कर जाएगी.  यूएनओ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए जनसंख्या के मामले में पहले स्थान पर आ जाएगा.

भारत में कृषि उत्पाद की अधिकांश खपत हमारे देश में ही हो जाती है. हम हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ईंधन का आयात करते हैं.

इसके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के चलते मूलभूत आवश्यकताओं यथा शिक्षा चिकित्सा तथा रोजगार की आपूर्ति देश के लिए चुनौती पेश कर रहे है. जिससे जीवन स्तर में कमी तथा और असमान आय वितरण मे दिनोंदिन वृद्धि देखी जा सकती है.

इनके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कुपोषण गरीबी बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निजात पाने में कठिनाई पैदा हुई है. बड़े-बड़े शहरों में लंबे-लंबे यातायात जाम कोलाहल युक्त वातावरण बढ़ता प्रदूषण जनसंख्या विस्फोट के ई परिणाम है.

जनसंख्या नियंत्रण के प्रमुख उपायों में तर्क दिया जाता है, कि विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ा दिया जाना चाहिए क्योंकि एक विशेष आयु तक प्रजनन की क्षमता अधिक होती है.

दूसरा सुझाव दिया जाता है, कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाया जाए तथा महिला शिक्षा पर जोर दिया जाए. जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा जनसंख्या वृद्धि तथा ऐसी ही अन्य समस्याओं से निजात पाने में सुलभता होगी.

समाज की रूढ़ीवादी परंपराओं से ऊपर उठने में भी शिक्षा अहम योगदान देगी जनसंख्या वृद्धि एक प्रमुख कारण पुत्र प्राप्ति की लालसा भी है. अक्सर यह माना जाता है कि पुत्र वंश को आगे बढ़ाता है तथा बुढ़ापे में सहारा बनता है.

इस संदर्भ में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं तथा कार्यक्रमों के द्वारा लोगों को अधिकाधिक जागरुक करने की आवश्यकता है.

देश के प्रबुद्ध लोगों का तर्क है की जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर किया जाना अनुचित है. इनका तर्क हैं कि भारत में ऐसे प्रयास पहले भी किए गए जो और सफल रहे. यहां उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का पहला देश है.

जिसने जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम चलाएं आजादी के बाद 1951 में इसका आरंभ हुआ. 1975 मे जनसंख्या नियंत्रण संबंधी सरकार के प्रयास आलोचनाओं से घिरे रहे उस समय किए गए अमानवीय बर्ताव से ना केवल सरकार की जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम व सफल हुए, साथ ही साथ आम जनता को विरोधी बना दिया.

सरकार कानून के अलावा अन्य उपायों में प्रोत्साहन के द्वारा लोगों को प्रेरित किया जा सकता है. साथ ही जागरूकता को बढ़ावा देकर जनसंख्या बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा सकता है.

जनसंख्या नियंत्रण संबंधी अवधारणा पुरानी नहीं है बीसवीं सदी के अंत में विश्व के कुछ देशों में यह महसूस किया गया कि जनसंख्या की अनियंत्रित बढ़ोतरी विकास में बाधक है. तथा इसे रोका जाना चाहिए जनसंख्या किसी भी देश के लिए संसाधन है.

आइए एक नजर डालते हैं जनसंख्या के इतिहास पर जनसंख्या का इतिहास पुराना है. तथा इसके प्रमाण रोमन साम्राज्य से प्राप्त हुए हैं. इजराइल में 1500 इस्सा पूर्व हजरत मूसा ने जनगणना करवाई थी.

चाणक्य के द्वारा रचित अर्थशास्त्र में भी आर्थिक गतिविधियों के लिए जनगणना को महत्वपूर्ण बताया गया है. अबुल फजल ने अपने ग्रंथ आईने अकबरी में जनगणना का वर्णन किया है.

आधुनिक जनगणना सर्वप्रथम स्वीडन में 1749 में शुरु हुई तथा ब्रिटेन में पहली जनगणना 1801 में हुई दशकीय जनगणना की शुरुआत अमेरिका से 1881 में होती है.

भारत में सर्वप्रथम 1872 में लॉर्ड मेयो के निर्देशन में पहली जनगणना हुई परंतु क्रमबद्ध प्रथम जनगणना 1881 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में हुई थी.

2011 में संपन्न हुई जनगणना भारत की 15वीं जनगणना थी. 16वी जनगणना का कार्य वर्तमान में जारी है. यह स्वतंत्र भारत की आठवीं जनगणना होगी. 1901 में भारत की जनसंख्या 23.83 करोड़ थी.

जो 1951 तक बढ़कर 36.10 करोड़ तक पहुंच गई. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनसंख्या वृद्धि में अचानक उछाल आया, तथा 1981 की जनगणना में भारत की जनसंख्या 84.86 करोड़ हो गई जो 2001 में 102 करोड तथा वर्तमान में 135 करोड़ तक पहुंच गई है.

संयुक्त राज्य अमेरिका इंडोनेशिया ब्राजील पाकिस्तान बांग्लादेश व जापान की संयुक्त जनसंख्या लगभग भारत के बराबर है. भारत की पहली जनसंख्या नीति 1976 में घोषित की गई.

इसके द्वारा विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ाकर लड़कियों की 15 से 18 तथा लड़कों की 18 से 21 वर्ष कर दी गई. इससे पहले भारत ने 1952 में परिवार नियोजन संबंधी राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत की थी.

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के अनुसार परिवार नियोजन अपनाकर कुल प्रजनन दर को 2.1 प्रतिशत 2010 तक लाना शिशु मृत्यु दर को 30 से कम करना तथा मातृ मृत्यु दर को 100 से कम करने का लक्ष्य रखा गया.

इसके साथ ही इस नीति में प्रावधान किया गया, कि सभी जन्म मृत्यु तथा विवाह संबंधी पंजीकरण एवं टीकाकरण को बढ़ावा देना तथा परिवार नियोजन एवं परिवार कल्याण से संबंधित सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों पर बल देने की बात कही गई.

संपूर्ण प्रजनन दर का अर्थ किसी भी महिला की संपूर्ण प्रजनन काल सामान्य 15 से उम्र 49 वर्ष की आयु तक के दौरान पैदा हुए. बच्चों की संख्या को व्यक्त करती है भारतीयों की प्रजनन दर 1975 में जहां 4.7% थी जो वर्तमान में कम हो रही है.

2015 से 20 के बीच यह घटकर 2.3% तक पहुंची है. तथा 2040 के बाद इसका 1.7% रहने का अनुमान है. प्रजनन डर कम होना जनसंख्या नियंत्रण को दर्शाता है. 2050 तक भारत में प्रजनन दर 1.6% तक आती है, तो जनसंख्या की असामान्य बढ़ोतरी नियंत्रण मे होगी.

सरकार को चाहिए कि वह जनसंख्या नियंत्रण के मानवोचित प्रयास करें तथा इस परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने जरूरी है. जिससे संसाधनों का कुशलतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके.

तथा जनसंख्या की असामान्य वृद्धि से उत्पन्न अनेक समस्याओं को अनियंत्रित होने से रोका जा सके. पिछले तीन-चार दशकों से सरकार ने योजनाएं तथा कार्यक्रमों के द्वारा इस दिशा में प्रयास तो किए लेकिन सफल नहीं रहे.

इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता महसूस की गई. हालांकि भारत के 21 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों की प्रजनन दर 2.1% है. वही उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की में प्रजनन दर उच्च स्तर पर बनी हुई है. उसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है.

अब यह देखना दिलचस्प होगा न्यायालय ने सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है, तो आगामी सुनवाई में सरकार अपना क्या पक्ष रखती है. तथा उसके बाद कौन कौन से कदम उठाए जाएंगे.

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