Jaisalmer Fort History In Hindi: बाहरवी सदी में राव जैसल द्वारा निर्मित जैसलमेर किले को विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है. इसे सोनारगढ़ भी कहा जाता हैं. पीले पत्थरों से निर्मित जैसलमेर किले ने कई लड़ाइयों को भी देखा हैं.
गोल्डन फोर्ट के नाम से जाने जाने वाला यह दुर्ग जैसलमेर के पर्यटन स्थलों में से एक हैं जो शहर के मध्य में स्थित हैं. आज हम जैसलमेर दुर्ग के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे और इसके इतिहास को समझने की कोशिश करेगे.
जैसलमेर के किले का इतिहास | Jaisalmer Fort History In Hindi
राव जैसल द्वारा 1155 ई में निर्मित जैसलमेर का किला सोनारगढ़ या सोनगढ़ कहलाता हैं. पीले पत्थरों से निर्मित होने के कारण सूर्य की किरणों में स्वर्णाभ प्रतीत होते है, इसे सोनारगढ़ कहा गया हैं. चारो ओर थार मरुस्थल से घिरा जैसलमेर का किला धान्वन दुर्ग की श्रेणी में आता हैं.
यह किला 1500*750 वर्ग के घेरे में निर्मित हैं. तथा इसकी ऊँचाई 250 फ़ीट हैं. किले में 99 बुर्ज है जिसमें अनेक छिद्र व मारक निशान बने हुए हैं. किले का दोहरा परकोटा कमरकोट कहलाता हैं.
त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित यह किला दूर से देखने पर अंगड़ाई लेते हुए सिंह के समान प्रतीत होता हैं. किले के निर्माण में गहरे पीले रंग के पत्थरों का प्रयोग किया गया हैं. लेकिन पत्थरों की जुड़ाई में कहीं भी चूने का प्रयोग देखने को नहीं मिलता हैं.
जैसलमेर किले का इतिहास Jaisalmer Fort History
जैसलमेर का किला ढ़ाई साके के लिए प्रसिद्ध हैं. जैसलमेर का प्रथम साका अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान हुआ. दूसरा साका फिरोजशाह तुगलक के आक्रमण के दौरान हुआ. जब रावल दूदा, त्रिलोकसी व अन्य भाटी वीरों के साथ लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए. तीसरा साका अर्द्ध साका कहलाता हैं.
कारण वीरों ने लड़ते हुए वीरगति तो पाई लेकिन जौहर नहीं हुआ. रावल लूणकरण 1550 ई में अमीर अली के साथ युद्ध में वीर गति को प्राप्त हुआ. मगर भाटियों की विजय होने से महिलाओं ने जौहर नहीं किया.
किले के भीतर बने भव्य महलों में महारावल अखैसिंह द्वारा निर्मित सर्वोत्तम विलास (शीशमहल ), मूलराज द्वितीय के बनवाये हुए रंगमहल और मोती महल भव्य जालियों एवं झरोखों तथा पुष्प लताओं के संजीव और सुंदर अलंकरण के कारण दर्शनीय हैं.
गजविलास व जवाहरविलास पत्थर के बारीक काम और जालियों की कटाई के लिए प्रसिद्ध हैं. बादल महल अपने प्राकृतिक परिवेश के लिए जाना जाता हैं. पार्श्वनाथ, सम्भवनाथ व ऋषभदेव के मन्दिर अपने शिल्प और सौन्दर्य के कारण आबू के देलवाड़ा मन्दिरों का एहसास करवाते हैं.
जैसलमेर के किले में हस्तलिखित ग्रंथों का एक दुर्लभ भंडार हैं, जिसमें अनेक ग्रन्थ ताड़पत्रों पर लिखे गये हैं. तथा वृहद आकार के हैं. इसे जिनभद्र सुरि ग्रन्थ कहा जाता हैं जैसलमेर का किला भाटियों के शौर्य और बलिदान का साक्षी हैं. जिसकी प्रशंसा में यह दोहा प्रसिद्ध हैं.
गढ़ दिल्ली गढ़ आगरो, अधगढ़ बीकानेर
भलो चिणायो भाटियां, सिरे तो जैसलमेर
भड किवाड़ उतराध रा, भाटी झालण भार
वचन राखो ब्रिजराज रा, समहर बांधों सार
Information about Jaisalmer Fort History in Hindi- हिंदी में जैसलमेर फोर्ट के इतिहास के बारे में जानकारी
राजस्थान के पर्यटन स्थलों में जैसलमेर का बड़ा महत्व हैं. यहाँ हर साल हजारों की संख्या में देशी विदेशी पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. पाकिस्तान की सीमा पर स्थित इस मरूस्थलीय जिले में रेत के टीले और प्राचीन ईमारते, ऊंट की सवारी तथा यहाँ आयोजित होने वाला मरु उत्सव विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं.
एयरवेज, रेलवे और सड़क मार्गों के माध्यम से यह शहर राज्य व देश के अन्य भागों से पूरी तरह जुड़ा हुआ हैं. यदि हम जैसलमेर पहुचने वाले रूट की बात करे तो यहाँ नजदीकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लगभग ३५० किमी दूर जोधपुर में स्थित हैं. इसके अलावा १०० किमी दूरी पर स्थित उत्तरलाई बाड़मेर के द्वारा भी हवाई मार्ग से आप जैसलमेर पहुच सकते हैं.
जोधपुर, दिल्ली मार्ग से जुड़ा होने के कारण आप रेलवे मार्ग से आसानी से जैसलमेर की यात्रा कर सकते हैं. यहाँ बहुत से गाड़ियाँ भारत तथा राजस्थान के विभिन्न जिलों से पहुचती हैं.
कम किराए में जैसलमेर की सैर का रेलवे सबसे अच्छा विकल्प हो सकता हैं. यदि सडक मार्ग से जैसलमेर आने की बात करे तो आप जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, बारमेर, माउंट आबू, जालोर, अहमदाबाद से शिव, पोकरण के रास्ते जैसलमेर की यात्रा कर सकते हैं.
जैसलमेर के अन्य पर्यटन स्थलों (places to visit in jaisalmer) में बाबा रामदेव जी का मन्दिर रुणिचा प्रमुख हैं. जो पोकरण के पास रामदेवरा में बाबा का विशाल मेला भरता हैं. यह राजस्थान का सबसे बड़ा साम्प्रदायिक मेला है जहाँ हिन्दू व मुस्लिम दोनों बड़े श्रद्धाभाव से माथा टेकने आते हैं.
यह एक विश्व धरोहर स्थल है – It’s a World Heritage Site
जैसलमेर के किले को यूनिस्को ने अपनी वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शुमार किया हैं. पीले बलुआ पत्थरों से निर्मित रेगिस्तान के इस प्राचीन दुर्ग का दृश्य बेहद आकर्षक लगता हैं.
खासकर लोग इसे सांयकाल के समय देखना पसंद करते हैं. डूबते सूरज की लाल सुर्ख किरणों के बीच किले की आभा को चार चाँद लग जाते हैं. इसकी सुनहरी खूबसूरती को देखते हुए स्वर्ण किला अथवा सोनार किला कहा जाता हैं.