Junagarh Fort History जूनागढ़ किला अथवा बीकानेर किला: यह राजस्थान का प्राचीन दुर्ग हैं जो बीकानेर जिले में स्थित है. बीकानेर को आजादी से पूर्व जांगलप्रदेश के नाम से जाना जाता था.
जूनागढ़ दुर्ग का एक अन्य नाम चिंतामणी दुर्ग भी है इसका निर्माण जोधपुर के शासक राव जोधा के पुत्र राव बीका ने करवाया था. बीसवी सदी में इसे जूनागढ़ नाम से बुलाया जाने लगा.
बीकानेर किले – Bikaner Fort का निर्माण राज्य के अन्य दुर्गों की तरह किसी पहाड़ी पर करने की बजाय बीकानेर शहर के पास ही बनाया गया. जूनागढ़ की निर्माण अवधि 1589- 1594 बताई जाती हैं.
अन्य किलों की तरह जूनागढ़ भी अपने दुश्मनों के दांत ही खट्टे करता रहा. बाबर के पुत्र कामरान मिर्ज़ा को 1534 के जूनागढ़ आक्रमण में आंशिक सफलता मिली थी. इसके अलावा कोई भी आक्रान्ता Junagarh Fort को विजित नहीं कर पाया था.
Junagarh Fort History In Hindi | जूनागढ़ किले का इतिहास
धान्वन दुर्ग जूनागढ़ का निर्माण महाराजा रायसिंह ने करवाया था. दयालदास की ख्यात के अनुसार महाराजा राजसिंह जब बुरहानपुर में थे, तब उसने अपने मंत्री करमचन्द को किला बनाने का आदेश दिया. दयालदास की ख्यात में लिखा गया हैं कि नये गढ़ की नीव मौजूदा पुराने गढ़ के स्थान पर ही भरी गई थी.
अतः इसी कारण से इसे जूनागढ़ कहा गया. जूनागढ़ की आकृति चतुर्भुजाकार है जो 1078 गज की परिधि में फैला हुआ हैं. किले की प्राचीर में 37 विशाल बुर्जे बनी हुई हैं को लगभग 40 फीट ऊँची हैं. किला चारों ओर एक गहरी खाई से घिरा हुआ हैं. किले के भीतर जाने के लिए दो प्रमुख प्रवेश द्वार हैं.
पूर्वी दरवाजा कर्णपोल तथा पश्चिमी दरवाजा चाँदपोल कहलाता हैं. किले में पांच आंतरिक द्वार है. जो दौलतपोल, फतेहपोल, रत्नपोल, सूरजपोल और धुर्वपोल कहलाते हैं. सूरजपोल पर रायसिंह प्रशस्ति उत्कीर्ण हैं. सूरजपोल के पार्श्व में गणेशजी का छोटा मंदिर हैं.
सूरजपोल के दोनों तरफ चित्तौड़ युद्ध के नायक जयमल और पत्ता की गजारूढ़ मूर्तियाँ स्थापित हैं.
History Of Junagarh Fort / Bikaner Fort जूनागढ़ किले का इतिहास
बीकानेर के शासकों द्वारा मुगल अधीनता स्वीकार करने और उनसे राजनीतिक मित्रता होने के कारण जूनागढ़ को किसी बड़े आक्रमण का सामना नहीं करना पड़ा.
1733 ई में सजातीय नागौर के शासक बख्तसिंह राठौड़ ने जूनागढ़ किले का घेरा डाला मगर सफलता नहीं मिली. 1740 ई में जोधपुर महाराजा अभयसिंह का बीकानेर पर आक्रमण भी सफल नहीं रहा.
जूनागढ़ में निर्मित भवनों में हिन्दू मुस्लिम कला शैलियों का सम्मिश्रण मिलता है. रायसिंह का चौबारा, फूलमहल, चन्द्रमहल, गज मंदिर, अनूप महल, रत्ननिवास, रंग महल, कर्ण महल, दलेल निवास, छत्र महल, लाल निवास, सरदार निवास, गंगा निवास, चीनी बुर्ज, सुनहरी बुर्ज, विक्रम विलास, सूरत निवास, मोटी महल, कुंवरपदा और जालीदार बारहदरियां अपने शिल्प और सौन्दर्य के कारण प्रसिद्ध हैं.
अनूप महल में सोने की कलम से काम किया हुआ है. यहाँ के शासकों का राजतिलक होता था. इसमें रखा कलात्मक हिंडोला उत्कृष्ट हैं.
फूलमहल और गजमंदिर शीशे की बारीक कटाई व फूल पत्तियों के सजीव चित्रांकन के लिए प्रसिद्ध हैं. गंगा निवास लाल रंग के पत्थरों के काम के लिए तथा छत्र निवास अपनी सुंदर लकड़ी की छत व कृष्ण की रासलीला के सजीव चित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं.
जूनागढ़ किला घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Junagarh Fort Bikaner In Hindi
यदि आप बीकानेर के लोकप्रिय जूनागढ़ किले को देखने की योजना बना रहे है. तो जरुर आपको सबसे अनुकूल समय में यहाँ जाना चाहिए. जूनागढ़ आने वाले पर्यटकों की अधिकतम संख्या की बात करे तो सर्दियों के मौसम में अक्टूबर से मार्च की अवधि में पर्यटकों का ताता लगा रहता हैं. आप भी किले को देखने के लिए इस समय को चुन सकते हैं.
Junagarh Fort, Bikaner History in Hindi Wikipedia
- जूनागढ़ का नामकरण यहाँ के एक प्राचीन दुर्ग के नाम पर हुआ था. यह किला गिरनार पहाड़ी के पास स्थित हैं.
- नौवी शताब्दी में बसे बीकानेर शहर के स्थलों की खुदाई में पूर्व हड़प्पा काल के साक्ष्य मिले हैं.
- राजाओं के काल में बीकानेर एक रियासत हुआ करती थी साथ ही यह चूड़ासमा राजपूतों की राजधानी भी थी.
- गिरनार पर्वत से मिली बेसाल्ट चट्टान पर बीकानेर के तीन राजवंशों के बारे में संक्षिप्त विवरण मिलता हैं.
- शहर के निकट मंदिर और मस्जिदें के साक्ष्य भी मिले हैं.
- जूनागढ़ किले के आस-पास की पहाडियों में अशोक, रुद्रदामन, स्कंदगुप्त के काल की गुफाएं एवं बौद्ध स्तूप के अवशेष प्राप्त हुए हैं.
- 1472 में गुजरात के महमूद बेगढ़ा ने बीकानेर पर अधिकार कर इसका नाम मुस्तफ़ाबाद कर यहाँ एक मस्जिद का निर्माण भी करवाया था, जो आज पूर्ण रूप से खंडहर के रूप में मिलती हैं.
- जूनागढ़ किले के अंदर बना संग्रहालय यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है इसमें संस्कृत और फारसी की पांडु लिपियां देखने को मिलती हैं.
- पहले विश्वयुद्ध के बाइप्लेन,दुर्लभ चित्र, गहने, हथियार आदि आपकों इस संग्रहालय में देखने को मिलेगे.
- बताया जाता है कि जूनागढ़ किले की नीव 30 जनवरी 1589, आधारशिला 17 फरवरी 1589 को तथा 17 जनवरी 1594 को इसका निर्माण पूरा किया गया था.
- इस किले के निर्माण में तुर्की स्थापत्य शैली का उपयोग किया गया हैं.