Long Essay On Rainy Season In Hindi वर्षा ऋतु पर निबंध: प्रिय विद्यार्थियों आज हम यहाँ पर varsha ritu par nibandh आपके साथ साझा कर रहे हैं.
कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए वर्षा पर छोटा बड़ा निबंध यहाँ विभिन्न शब्द सीमा जैसे 100, 200, 300, 400 और 500 शब्दों में पढेगे.
वर्षा ऋतु पर निबंध Essay On Rainy Season In Hindi
गर्मी के मौसम की तपन की झुलस के बाद समूची पृथ्वी और उस पर बसने वाले प्राणी बेहाल हो उठते हैं. मानव समेत समस्त जीव प्रजाति सूर्य की इस तपिश और लू से बेहद व्याकुल हो जाती हैं.
जल के स्रोत सूख जाते हैं वनस्पति झुलस जाती हैं और कई भागों में लोग दो बूंद जल के लिए तरस जाते हैं. जीवन में नीरसता घर कर जाती हैं.
जीवन के लिए एक गम्भीर संकट की स्थिति में कुदरत ने ऋतु चक्र को इस प्रकार बनाया हैं कि मेघा की ठंडी बौछारों के साथ सम्पूर्ण प्रकृति में नवजीवन का संचार हो जाता हैं.
वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शीत, शिशिर और हेमंत ये छः ऋतुएँ भारत में बारी बारी से आकर जीवन में परिवर्तन को बनाए रखती हैं.
जेठ आषाढ़ की तेज तपन के बाद मन भावन सावन से ही वर्षा ऋतु का आरम्भ हो जाता हैं जो भादों की घनघौर घटाओं तक समस्त जगत की प्यास को तृप्त कर देता हैं. अंग्रेजी माह के अनुसार जून से लेकर सितम्बर तक इन चार महीनों में वर्षा ऋतु होती हैं.
हम सभी जानते हैं कि हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर साढ़े छियासठ डिग्री के झुकाव पर घुमती हैं वह सूर्य के चारों और परिक्रमा करती हैं जिनसे ऋतु परिवर्तन होता हैं.
जब सूर्य और पृथ्वी के मध्य की दूरी सबसे अधिक हो एवं किरने सीधी पड़े तब ग्रीष्म ऋतु होती हैं, जबकि पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य की दूरी मध्यम हो और किरने सीधी न पड़कर तिरछी पड़े तब वर्षा ऋतु का आग-मन होता हैं.
प्रकृति के नियम इस प्रकार बने है कि जिन पर एक दूसरी ऋतुएँ पूर्ण रूप से निर्भर करती हैं. गर्मी के मौसम में नदी, समुद्र, झील सभी जल स्रोतों का पानी तेज गर्मी के कारण भाप बनकर उड़ जाता हैं.
यह जलवाष्प उपर जाकर ठंडी होने के बाद बादलों का रूप धारण कर लेती हैं ये ही जल की बुँदे गिरकर वर्षा के रूप में हमारे नवीन जीवन का संचार करती हैं.
जून के अंतिम सप्ताह तक भारत में अरब सागर व हिन्दी महासागर से मानसूनी पवनें आनी आरम्भ हो जाती हैं, जिन्हें हम मानसून भी कहते हैं. भारतीय उपमहाद्वीप के सभी देशों में इन्ही पश्चिमी विक्षोभ से वर्षा होती हैं.
तेज गर्मी के बाद मानसून की वर्षा से वातावरण की गर्मी पूर्ण रूप से खत्म हो जाती हैं खाली पड़े जलाशय लबालब भर जाते है. चारों ओर मनभावन हरियाली का नजारा सभी के मन को प्रफुल्लित करता हैं.
हमारे देश में अधिकतर कृषि वर्षा ऋतु के आगमन पर ही बोई जाती हैंकिसानों को नई फसल बोने के लिए वर्षा का सबसे अधिक इंतजार होता हैं.
इंद्र देव भी प्राणियों की पुकार पर खूब आशीष रुपी वर्षा जल बहाते हैं. बारिश से पुरे जीव जगत में खुशहाली और हरियाली के गीत हर ओर गूंजते हैं.
सभी ऋतुओं की रानी की संज्ञा वर्षा ऋतु को दी जाती हैं. क्योंकि वर्षा के आगमन से प्रकृति दुल्हन की तरह सज संवर जाती हैं तथा अपने प्राकृतिक सौन्दर्य में बेजोड़ नजर आती हैं.
पृथ्वी की सतह मानों हरी चादर ने ढक ली हैं. बच्चें गलियों में कीचड़ सने पैरों से खुशियों से झूम रहे हैं बरसात के जमा पानी में उनके सपनों की नावें कुचाले मार रही होती हैं. एक तरह से वर्षा से सभी को ख़ुशी मिलती हैं.
दुनियां के सभी भाषाओं के कवियों ने वर्षा ऋतु, बादल और प्राकृतिक छटा को अपनी लेखनी में अलग अलग ढंग से प्रस्तुत किया हैं.
हमारे संस्कृत के महान कवि कालिदास ने तो बादलों पर मेघदूत नामक पूरा ग्रंथ लिख डाला हैं. इस ऋतु में मोर पपैया, मेढक की टर्र टर्र दिलो को सुकून देने वाली होती हैं.
वर्षा हमारे लिए पीने का स्वच्छ जल उपलब्ध करवाती हैं जिन्हें साल भर उपयोग करने के लिए हम विभिन्न स्रोतों में जमा कर रख लेते हैं इन्हें जल संग्रहण भी कहते हैं.
हमारी कृषि तथा भूतल के जल भराव इसी मौसम में होता हैं. तेज घनघौर वर्षा न केवल जल संकट को दूर करती हैं बल्कि हमारे वातावरण में व्याप्त कूड़े करकट व गंदगी को भी बहाकर स्वच्छ माहौल हमें दे देती हैं.
इस लिहाज से वर्षा ऋतु के अनेक फायदे है जिस कारण यह मेरी प्रिय ऋतु भी हैं. वही दूसरी तरह यह अपने साथ कई समस्याएँ भी लेकर आती हैं. तेज वर्षा से अतिवृष्टि जिनमें हजारों लोगों के घर बह जाते हैं जान माल की हानि हो जाती है.
वर्षा जल के भराव के कारण मलेरिया व डेंगू के मच्छर भी पैदा हो जाते हैं. आकाशीय बिजली तथा नदियों की बाढ़ कई बार व्यापक नुकसान का कारण भी बनती हैं. आवश्यकता इस बात की है कि हम वर्षा ऋतु के दौरान कुछ सावधानियाँ बरते तो इस मौसम का पूर्ण लुफ्त उठा सकते हैं.