बाल गंगाधर तिलक जयंती 2023 पर भाषण – Speech on Bal Gangadhar Tilak Jayanti in Hindi : 23 जुलाई 2023 के दिन भारत के दो सपूतों ने जन्म लिया था, एक थे चंद्रशेखर आजाद एवं दुसरे थे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक.
आज हमारा लेख Bal Gangadhar Tilak Jayanti in Hindi लोकमान्य तिलक पर स्पीच भाषण निबंध और उनकी बर्थ एनिवर्सरी जन्म दिन जयंती पर Bal Gangadhar Tilak Jayanti Par Bhashan यहाँ दिया गया हैं. सबसे पहले एक भारतीय नागरिक होने के नाते इस महान स्वतंत्रता सेनानी को हम श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं.
बाल गंगाधर तिलक जयंती 2023 पर भाषण निबंध
नमस्कार दोस्तों आप सभी को बाल गंगाधर तिलक जयंती 2021 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. आज के लेख में हम क्लास 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 और 10 STD के स्टूडेंट्स और किड्स के लिए सरल भाषा में गंगाधर जयंती भाषण स्पीच लेकर आए हैं.
आप इस लेख की मदद से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर एक मौलिक सुंदर व सरल स्पीच भी बना सकते हैं. इस आर्टिकल में आपके लिए कुछ स्पीच दिए गये हैं.
इन्हें हमने शोर्ट और लॉन्ग स्पीच के रूप में आपके लिए प्रस्तुत किया हैं, आप इन्हें अपनी आवश्यकता के अनुसार बढ़ा घटाकर उपयोग कर सकते हैं. छोटे भाषण से इसकी शुरुआत करते हैं.
बाल गंगाधर तिलक जयंती 2023 पर छोटा भाषण
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एक अद्वितीय स्वतंत्रता सेनानी थे. 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिक्कन गांव में जन्में तिलक जी ने अपने विचारों से आजादी की खातिर के लिए संघर्ष कर रहे राष्ट्र को एक नई राह प्रदान की.
उन्होंने स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा का नारा देकर आमजन को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा जो धीरे धीरे पूरा भारत तिलक की आवाज बन गया.
इन्होने ने स्वदेशी का उपयोग शिक्षा और स्वराज जैसे अहम विषयों को आधार बनाकर अंग्रेज विरोध सोच को जन्म दिया. तिलक का जीवन आदर्शपूर्ण संघर्ष और देशप्रेम से लबरेज था,
जो आज भी सभी राष्ट्रवादियों के मन में देशप्रेम की भावना जागृत करता हैं. ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक जी जयंती पर उन्हें सत सत नमन करते हैं.
Bal Gangadhar Tilak Jayanti 2023 Speech in Hindi
1990 और 20 वीं सदी के प्रथम दशक भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन को वैचारिक मजबूती तथा ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध व्यापक जन आन्दोलन की प्रष्टभूमि तैयार करने वाले देशभक्त थे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक.
हिन्दू राष्ट्रवाद के जनक सच्चे समाज सुधारक, अधिवक्ता एवं गीता सार जैसी आध्यात्म ज्ञान के धनी तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक छोटे ब्राह्मण परिवार में हुआ था.
23 जुलाई, 1856 को पिता गंगाधर रामचन्द्र तिलक के यहाँ इनका जन्म हुआ था बचपन में इन्हें बाल तिलक अथवा केशव गंगाधर तिलक के नाम से जाना जाता था.
बालपन में तिलक के दादाजी इन्हें 1857 की क्रांति की वीर कहानियां सुनाया करते थे, आठ साल के होते होते तिलक ने संस्कृत भाषा में प्रवीणता पा ली.
कानून में करियर बनाने के उद्देश्य से इन्होने 1879 में कानून की पढ़ाई पूरी की, मगर अंग्रेजी हुकुमत द्वारा भारत पर ढहाए जा रहे अत्याचारों को सहन करना उनके स्वभाव में नहीं था.
90 के दशक में वे कांग्रेस में शामिल हुए तथा महासचिव भी रहे, उनके विचारों का पार्टी पर व्यापक असर पड़ा, परिणामस्वरूप 1907 को सूरत में कांग्रेस गरम दल व नरम दल में विभाजित हो गई, तिलक गरम दल के मुख्य नेता था.
इनके साथ विपिनचंद्र पाल और लाला लाजपत राय भी थे. स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा नारे के आव्हान के साथ ही बाल गंगाधर तिलक अंग्रेजी हुकुमत के समक्ष विरोधी बनकर प्रस्तुत हुए,
उन्होंने समाज संगठित करने के लिए शिवाजी व गणेश उत्सव शुरू किये तथा मराठा व केसरी नामक पत्रों के जरिये समाज को जागृत करते रहे.
उन्होंने हिन्दू समाज में शिक्षा के प्रचार के लिए दक्कन शिक्षा सोसायटी की नींव रखी, पाश्चात्य विचारों एवं अंग्रेजी के प्रबल विरोधी बाल गंगाधर तिलक ने बाल विवाह को रोकने तथा विधवा विवाह को सामाजिक स्वीकृति की दिशा में काम किया,
वर्ष 1908 में राजद्रोह के केस में तिलक को मांडले जेल में बंद कर दिया, जहाँ उन्होंने गीता सार पुस्तक लिखी, 1 अगस्त, 1920 के दिन इस वीरात्मा का देहावसान हो गया, उनके विचार आज भी हमारे देश के लिए प्रेरक हैं तिलक राष्ट्रवादी के दिलों में जिन्दा हैं.
Speech on Bal Gangadhar Tilak in Hindi बाल गंगाधर तिलक पर भाषण स्पीच
लोकमान्य तिलक यह नाम कौन नहीं जानता, स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार हैं. इसे मैं लेकर रहूँगा जैसे उत्साह भरने वाले नारे को तिलक ने ही दिया था. 23 जुलाई को तिलक जयंती मनाई जाती हैं. इस अवसर पर समस्त भारत उन्हें सच्चे दिल से नमन करता हैं. हमेशा तिलक हमारे प्रेरक रहेंगे.
तिलक जयंती 2021 के अवसर पर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के बारे में भाषण निबंध और तिलक के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं. तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था.
इनका पूरा नाम बलवंतराय बाल गंगाधर तिलक था, बचपन में इन्हें बाल कहकर पुकारते थे, इनका यही नाम भारत भर में प्रचलित हो गया.
जब तिलक आठ साल थे तभी इन्होने संस्कृत भाषा में विद्वता प्राप्त कर ली. वर्ष 1872 में इन्होने पूना सिटी कॉलेज से मेट्रिक की परीक्षा पास की.
आगे की पढाई के लिए इन्होने पूना के डेक्कन कॉलेज में प्रवेश लिया, तिलक का यही से ह्रदय परिवर्तित हुआ और देश तथा समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय कार्य करने लगे.
वर्ष 1876 में बीए ओनर्स को क्लियर कर तिलक कानून की पढाई करने में लग गये. जब उन्होंने वकालत की पढाई पूरी कर ली, तो हिन्दू समाज के लडके लडकियों के लिए इन्होने न्यू इंग्लिश स्कूल की स्थापना भी की, जिसमें वे स्वयं पढाते थे.
डेक्कन एड्यूकेशन सोसायटी की स्थापना लोकमान्य तिलक ने की, इस संस्था ने देशभर में कई स्कूल व कॉलेज खोले. अपने दोस्त आगरकर के साथ मिलकर बाल गंगाधर तिलक ने मराठा और केसरी पत्रिकाओं का सम्पादन भी शुरू किया. इन पत्रों में जनजागरण के लिए ओजस्वी भाषण छापते थे.
इस तरह मात्र कुछ ही महीनों में तिलक व आगरकर की कलम की ताकत से ब्रिटिश हुकुमत घबरा गई और उन्होंने दोनों को छः छः माह की करावास की सजा सुना दी, मगर जेल से छूटने के बाद ये फिर से केसरी के सम्पादन में जुट गये. जनता ने उनके साहस को देखकर ह्रदय सम्राट की उपमा दी.
जन संगठन के लिए लोकमान्य तिलक ने गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव आरंभ किये. इन में राजनितिक भाषण वाद विवाद और विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जाता हैं.
ये उत्सव इतने लोकप्रिय हुए कि महाराष्ट्र में आज भी इन्हें मनाया जाता हैं. तिलक अब लोकप्रिय नेता बन चुके थे. 1895 में वे बम्बई की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य चुने गये. वहां भाषणों द्वारा ब्रिटिश सरकार की पोल खोलने लगे, उन्होंने सरकारी नीतियों की धज्जियां उड़ा दी.
1896 में महाराष्ट्र में अकाल फैला, उस समय तिलक ने पीड़ितों की सहायता का बीड़ा उठाया और सरकार की उदासीनता की आलोचना की. 1897 में प्लेग फैलने पर सरकार ने जनता की कोई सहायता मदद नहीं की, बल्कि गोर सिपाही जनता को लूटते और सताते थे, तिलक ने गोरे सिपाहियों की कटु निंदा की.
इसी समय रैंड नामक अंग्रेज की हत्या हो गई. तिलक पर जनता को भड़काने का आरोप लगाया गया और मुकदमा चलाकर उन्हें डेढ़ वर्ष की कैद की सजा दी गई. इससे अग्रेजों के प्रति सारे भारत में नाराजगी फैल गई.
90 के दशक में ही तिलक सक्रिय राजनीति में आ गये. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में इनका प्रभुत्व था. गरमपंथी विचारधारा के प्रबल समर्थक तिलक नरमपंथी विचारधारा के घोर विरोधी भी थे.
वर्ष 1895 में इन्हें पूना अधिवेशन में कांग्रेस के सेक्रेटरी का पद दिया गया. बाद में कांग्रेस के विभाजन पर बाल गंगाधर तिलक ने गरमपन्थ समूह का नेतृत्व किया.
वर्ष 1905 में कर्जन की बंगाल विभाजन योजना के विरोध में तिलक ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया. वर्ष 1907 के कांग्रेस सूरत अधिवेशन में पार्टी गरम दल और नरम दल दो भागों में बंट गई.
लाल पाल और बाल गरम दल के शीर्ष में थे. १९०८ में ही इनके भाषणों को आधार बनाकर तिलक को छः वर्ष के लिए मांडले जेल में बंद कर दिया गया.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जयंती पर निबंध 2023 – Essay On Tilak Jayanti In Hindi
भारत मां के अमर सपूत जिन्होंने वतन की आजादी के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया था, ऐसे ही वीर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की आज जयंती हैं.
उग्रवादी चेतना, विचारधारा, साहस, बुद्धि और अपनी अटूट देशभक्ति के कारण ये जनप्रिय नेता थे, तिलक ही पहले भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे.
जिन्होंने प्रथम बार ब्रिटिश हुकुमत से भारत के पूर्ण स्वराज्य की मांग उठाई थी. इनका जन्म 23 जुय 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था. इन्हें बचपन से मराठा वीरों की कहानियां सुनने का शौक था.
तिलक के दादाजी उन्हें भारत के स्वतंत्रता सेनानी व 1857 क्रांति के नायक तांत्या टोपे, नाना साहब और झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की गाथाएं सुनाते तो इनका रोम रोम खड़ा हो जाता था.
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूंगा का नारा लोकमान्य तिलक ने दिया, यह मात्र जन उद्देलन नहीं था बल्कि तिलक के विचार उनके जोश व जूनून तथा आजादी की खातिर कुर्बान होने वाले वीरों के उदगार बन गये थे.
समाज सुधारक, राष्ट्रीय नेता, भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिन्दू धर्म, गणित और खगोल विज्ञान पर इनकी गहरी पकड़ थी, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के जनक के रूप में तिलक के व्यक्तित्व को हर देशवासी आज स्मरण कर रहा हैं.
Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Jayanti Essay In Hindi
तिलक की आरम्भिक शिक्षा रत्नागिरी में हुई इसके पश्चात पिताजी के स्थानान्तरण के साथ ही ये पूना चले गये. सोलह साल की आयु में जब ये मेट्रिक में थे.
इनका विवाह सत्यभामा के साथ हुआ, तिलक के बचपन का नाम बलवंत राव था संगे सम्बन्धी व मित्र इन्हें बाल के नाम से ही पुकारते थे,
इनके पिताजी का नाम गंगाधर था, इसलिए ये बाल गंगाधर तिलक कहलाएं. इन्होने अंग्रेजी हुकुमत के कच्चे चिट्टों को अपनी दो पत्रिकाएँ केसरी व मराठा से प्रकाशित करने लगे.
वर्ष 1890 से 1897 तक इनके कार्यों की ख्याति देशभर में फ़ैल गई, वकालत करने वाले तिलक अब छात्रों के मार्गदर्शन व समाज सुधार के कार्यों में लग गये. इन्होने बाल विवाह रोकने तथा विधवा विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए जन जागृति के कार्यक्रम भी चलाये.
वर्ष 1906 में तिलक को रेंड मामले में ब्रिटिश सरकार ने 6 वर्ष की कारावास की सजा सुनाई. तिलक ने जेल की कालकोठरी में गीता रहस्य नामक पुस्तक की रचना की, इससे इनकी धर्म के प्रति समझ व विद्वता का परिचय मिलता हैं. तिलक ने हिन्दू समाज को जोड़ने के लिए उत्सवो का सहारा लिया.
इन्होने गणेश व् शिवाजी इन उत्सवों की शुरुआत की, 1 अगस्त 1920 खराब स्वास्थ्य के चलते भारत का यह अमूल्य रत्न परलोक को सिधार गया. तिलक जयंती 2023 के अवसर पर ऐसे राष्ट्र भक्त स्वतंत्रता सेनानी को हम भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.