मेरे देश की माटी पर निबंध

मेरे देश की माटी पर निबंध : जीवन के लिए आवश्यक पंचतत्वों में से एक धरती हमेशा जीवन को पल्लवित और प्रफुल्लित करती हैं. शरीर और रग रग और रक्त की एक एक बूंद में उस मिटटी का अंश अवश्य होता है. यही जीवन और वतन की माटी का रिश्ता है जो अटूट अनवरत यूँ ही स्वाभाविक रूप से जुड़ा रहता है. यह सम्बन्ध भावनाओं का जुड़ाव भी है और भौतिक आवश्यकताओं का भी.

इंसान का अपनी धरती जहाँ वह पैदा हुआ पला बढ़ा और जीवन यापन किया उसके साथ एक भावनात्मक बंधन जुड़ ही जाता है. भले ही कालान्तर में वह अपनी कर्म स्थली में सैकड़ों बदलाव करे मगर मातृभूमि उसकी महक, उसका नाता सदा सदा के लिए चिरंजीव बना रहता हैं.

मेरे देश भारत की माटी का कहना ही क्या जिसकी पैदावार, उसका प्यार, अपनापन सबसे इतर हैं. व्यक्ति भूखे पेट और बिना जल के भी उस माँ की गोद में सुकून और शान्ति का अहसास करेगा जो उसे सोने के महलों में नहीं मिल सकता है. यही वजह है कि कई लोग पीढियों तक प्रदेश में काम करने के बाद भी अपने पैतृक घर, जमीन और गाँव की यादें, लौटकर आ जाने की चाहत को कभी भुला नहीं पाते हैं.

अपना देश सदियों तक गुणी, तपी और सत्यनिष्ठ लोगों को जन्म देता रहे. देश की माटी उसी प्यार, अपनेपन और संस्कृति से सबकी परवरिश करे. इस मिट्टी का अन्न जल पाने वाला सौभाग्यशाली मानव इसके कल्याण, कीर्ति के लिए अपना सर्वस्व त्याग करने के लिए सदैव तत्पर रहे यही कामना है यही आशा है यही भरोसा है. जय माँ भारती

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