स्वतंत्रता सेनानी के नाम और फोटो | Indian Freedom Fighters List In Hindi

स्वतंत्रता सेनानी के नाम और फोटो Indian Freedom Fighters List In Hindi: दो सौ साल की दासता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ भारत अतः 15 अगस्त 1947 को गोरी चमड़ी के चंगुल से मुक्त हुआ.

आज हम स्वतंत्र हैं, स्वतंत्रता सेनानियों के नाम तक नही जानते उन असंख्य लोगों के त्याग और बलिदान के कारण हमे ये आजादी नसीब हो पाई.

हमारे इन स्वतंत्रता सेनानीओ ने अपना परिवार निजी जीवन और सब कुछ त्यागकर देश के स्वतन्त्रता संग्राम में शामिल होकर, बिना अपनी जान जाने की चिंता किये निरंतर अत्याचारी शासन से लोहा लेते रहे.

स्वतंत्रता सेनानी के नाम फोटो Indian Freedom Fighters List In Hindi

स्वतंत्रता सेनानी के नाम और फोटो | Indian Freedom Fighters List In Hindi

भारत माता के इन सपूतों ने अपने घर परिवार की चिंता किये बजाय अपनी आने वाली पीढ़ियों की खातिर प्राणों की हंसते-हँसते आहुति दे दी.

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में किसी एक जाति मजहब वर्ग क्षेत्र के लोग न होकर सभी समाज के लोगों ने मिलकर सयुक्त लड़ाई की जिनमे महिलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान था.

आज का यह स्वतंत्र भारत उन वीर सपूतों का कर्जदार हैं, जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़-छाड़ के अपना पूरा जीवन स्वतंत्रता प्राप्ति के इस पावन संघर्ष में दाव पर लगा दिया था. ये वीर सपूत आज प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं आदर्श हैं.

जिनकी जीवनयात्रा हमे बार-बार अपने उन दिनों की याद दिलाता हैं. जब क्रूर और दमनकारी शासन ने सदियों तक हमे दबाकर शासन किया.

मगर बेखौफ उनसे लोहा लेने में इसी भारतीय समाज का कोई भी वर्ग पीछे नही हटा, हार मानकर बैठने की बजाय उन्होंने क्रांति के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की ज्योति जलाई जिसके उजाले में आज इक्कीसवी सदी में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा हैं.

भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी के नाम और फोटो

दादा भाई नौरोजी : grand old man of india

दादा भाई नौरोजी

दादा भाई नौरोजी अग्रगामी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका जन्म 4 सितम्बर 1825 को मुंबई में हुआ था. सम्पन्न परिवार में जन्मे नौरोजी ने मुंबई विश्वविद्यालय, एलिफिंस्टोन कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीय समाज के अध्ययन और इसके सुधार में कई महत्वपूर्ण कार्य किये.

इन्होने Poverty of India, Dadabhai Naoroji: Selected, Dadabhai Naoroji Correspondence और Essays, Speeches, Addresse पुस्तकों की रचना भी की.

नौरोजी को भारत का भव्य बूढ़ा आदमी के उपनाम से भी जाना जाता हैं. नौरोजी उच्च शिक्षित होने के कारण उन्हें कई फ़्रांसिसी और पारसी कम्पनियों ने उचे पद पर कार्य करने के लिए आमंत्रित किया. मगर इन्होने साफ़ इनकार करते हुए.

उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाकर पढने वाले भारतीय छात्रों के मार्गदर्शन और उन्हें बढ़ावा देना, अंग्रेजी शासन के अत्याचार के आकड़े और जानकारी एकत्रित कर आम लोगों व विश्व समुदाय तक पहुचाने से साथ ही ब्रिटिश शासन में अधिक से अधिक भारतीयकरण की दिशा में अहम कार्य किया.

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स्वतंत्रता सेनानी दादा भाई नौरोजी ने अंग्रेजो के अत्याचार पर निबंध एवं तथ्य एकत्रित कर न सिर्फ समितियों के सामने प्रस्तुत किये बल्कि इन्हे ब्रिटिश पार्लियामेंट में भी जाकर प्रस्तुत कर भारत पर किये जाने वाले अत्याचार और बुराइयों पर रोकथाम की वकालत की.

वे अंग्रेजी सरकार को सही सुझाव देने के साथ बराबर चेतावनी भी देते रहे, यदि उनकी इन मांगो पर अंग्रेज सरकार सुधार कार्य नही लाती हैं. तो भारत में ब्रिटिश शासन का पूर्ण रूपेण बहिष्कार कर दिया जाएगा.

दादा भाई नौरोजी जीवन पर्यन्त भारत की आजादी के लिए अपने स्तर पर सघर्ष करते रहे. 1906 के कलकता में आयोजित राष्ट्रिय कांग्रेस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी ने कहा था.

हमे पूर्ण स्वराज चाहिए. हम किसी के आगे याचना नही कर रहे हैं. यह हमारा न्याय और अधिकार हैं. ऐसे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी दादा भाई नौरोजी का निधन 30 जून 1917 को मुंबई में  हो गया था.

चंद्रशेखर आजाद ; जीवनी

चंद्रशेखर आजाद

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा गाँव में 23 जुलाई 1906 को हुआ था. आज उनका पैतृक गावं भाबरा आजादनगर के रूप में भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना हुआ हैं.

चंद्रशेखर आजाद अपने वचन के पक्के स्वभाव से ईमानदार और हिम्मतवर इंसान थे. अपने अपने कर्मो के बदले पुरातन को बदलने में यकीन करते थे.

आजाद को ये गुण उनके पिता श्री सीताराम जी तिवारी से मिले थे. आजाद की माता का नाम जगदानी देवी था. ब्राह्मण परिवार में जन्मे चंद्रशेखर आजाद को बचपन से ही अंग्रेजो के प्रति गहरा आक्रोश था, जो धीरे-धीरे ज्वाला में बदल गया.

महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने 14 वर्ष की आयु तक संस्कृत भाषा की एक पाठशाला में अध्ययन किया, इसके बाद ये धीरे-धीरे महात्मा गाँधी और उनके आंदोलनों की तरफ आकर्षित होने लगे. जब वे 19 वर्ष के थे.

महात्मा गाँधी के आवहान पर चंद्रशेखर आजाद ने स्कुल न जाकर धारना प्रदर्शन और हड़ताल कार्यक्रमों में शामिल होने लगे.

इसी दौरान इन्हे पुलिस ने गिरफ्तार कर दिया और शांति भंग के आरोप में 15 कोड़े खाने की सजा दी गईं. प्रत्येक उस लोहे के कोड़े के वार के बाद आक्रोश स्वर में एक ही शब्द निकलता था वो था. भारत माता की जय महात्मा गाँधी की जय.. इसके बाद इन्हे लोग आजाद के नाम पुकारने लगे.

इसके बाद आजाद अन्य भारतीय स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह और राजगुरु के सम्पर्क में आए, काकोरी षड्यंत्र को अंजाम देकर पुलिस की नजरों से बच निकले,

लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए इन तीनो ने जे.पी. साण्डर्स और इसके कई साथियो को मारने के बाद अलफ्रेड पार्क में पुलिस से भिड़ते हुए 27 फरवरी, 1931 को अंतिम गोली स्वय को मारकर अपना बलिदान दे दिया.

सुभाष चन्द्र बोस : Indian Freedom Fighters

सुभाष चन्द्र बोस

23 जनवरी 1897 को कटक उड़ीसा में जन्मे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चन्द्र बोस को नेताजी के नाम से जाना जाता हैं.

उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होने गुलामी की नौकरी करने की बजाय अपने विवेक से भारत को स्वतंत्र करवाने की विस्तृत योजना बनाई, आरम्भ में बोस महात्मा गाँधी के अनुयायी थे.

ये भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके थे. गांधीजी की ढुलमुल रैवेये से नाराज सुभाष ने स्वय अपने स्तर पर भारत को आजाद करवाने का निश्चय किया.

इन्हे कई बार अंग्रेज सरकार ने पकड़ा और जेल में कठोर यातनाएं दी गयी. मगर जेल में रहकर भी वे पत्राचार और अपने साथियो को गुप्त संदेश द्वारा आजादी का जूनून जगाए रखा. लम्बी कारावास से उनकी तबियत बिगड़ जाने के बाद इन्हे जेल से रिहा कर घर में पूरी सुरक्षा से कैद कर दिया गया.

सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजो की आँखों में धुल झोककर अफगानिस्तान होते हुए जापान जापान चले गये. कई वर्ष जापान रहते हुए इन्होने विदेशो में रह रहे भारतीयों के सहयोग से बहुत बड़ी सेना का निर्माण किया, जिन्हें आजाद हिन्द फौज कहा जाता था.

इस दौरान वे नाजी तानाशाह हिटलर से भी मिले. आजाद भारत फौज के साथ 1945-46 में बोस भारत पहुचे और अंग्रेजो के साथ सीधा सशस्त्र युद्ध कई दिनों तक किया.

इसी बिच वे 18 अगस्त 1945 को हवाई जहाज में सवार होकर रूस गये. मगर आकशवाणी रेडियों ने बोस की मौत की खबर दी. बोस की मृत्यु हवाई दुर्घटना में बताई जाती हैं. सच्चाई क्या हैं, अभी भी संदेह की स्थति में हैं.

सुखदेव : स्वतंत्रता सेनानी

सुखदेव

सुखदेव महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. इनका जन्म 15 मई 1907 को हुआ था, इनका पूरा नाम सुखदेव था. सुखदेव और भगतसिंह बचपन से ही परम मित्र थे. इन दोनों का जन्म एक ही वर्ष हुआ तथा एक ही साथ फांसी दी गईं.

मात्र 24 वर्ष की आयु में भारतमाता के लिए अपना बलिदान देने वाले सुखदेव थापर का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता हैं.

पंजाब के लुधियाना शहर के एक छोटे से गाँव में जन्मे सुखदेव के पिताजी मथुरादास थापर का निधन इनके बचपन में ही हो गया था. इनका लालन पोषण माता रल्ली देवी और ताऊ अचिंतराम जी ने किया था.

लाहौर नेशनल के कॉलेज में पढने वाले सुखदेव ने अपने परिवार या पढ़ाई पर ध्यान देने की बजाय इन्होने चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह के साथ हर मौर्चे पर सहयोग किया और अंग्रेजो से लोहा लेते रहे.

इस तिगड़ी ने पंजाब में अंग्रेज अधिकारियों में मन डर पैदा करने सफल हुए थे. ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानी को 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और सुखदेव एवं राजगुरु को फांसी दे दी गईं थी. आज हम इन हमारे तीन स्वतंत्रता सेनानियों की याद में प्रतिवर्ष 23 जुलाई को शहीद दिवस मनाते हैं.

महात्मा गांधी की जीवनी

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी जिन्हें बापू अथवा राष्ट्रपिता भी कहा जाता हैं. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर जिले में हुआ था.

सत्य और अहिंसा के पुजारी बापू ने हिसा के मार्ग को त्यागकर सरकार पर दवाब बनाकर उनसे हार कबूल करवाना चाहते थे. उनके इन्ही सिद्दांतो के फलस्वरूप वे भारत को आजाद करवाने में सफल हुए.

आज महात्मा गांधी को पूरा देश ही नही सम्पूर्ण विश्व विश्व के बड़े महापुरुष और शांति के दूत मानते हैं. इंग्लैंड से बेरिस्टर की पढ़ाई के बाद गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गये. उस समय दक्षिण अफ्रीका भी अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था.

वहां रंगभेद और भारतीय के साथ अत्याचार का कुछ समय तक विरोध करने के पश्चात 1915 में महात्मा गांधी भारत लौट आए, और अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में आन्दोलन शुरू कर दिए.

इन्होने अपने जीवनकाल में कई हड़ताले व आन्दोलन की जिनमे खेड़ा, नमक सत्याग्रह, असहयोग और भारत छोड़ो आन्दोलन प्रमुख थे. भारत को स्वतंत्रता दिलाने में इनका बड़ा योगदान रहा.

भारत की स्वतंत्रता के बाद 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर इनकी हत्या कर दी थी. आज सम्पूर्ण विश्व में अहिंसा के पुजारी और महान स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी की जयंती (2 अक्टूबर) को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

भगत सिंह

भगत सिंह

भगत सिंह भारतीय महान स्वतंत्रता सेनानी थे, इनका जन्म 28 सितम्बर 1907 को पंजाब के बावली गाँव में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित हैं. इनके साहस और बलिदान को याद भी बड़े सम्मान से याद किया जाता हैं.

तक़रीबन आज से 100 वर्ष पहले के राष्ट्रिय हीरो को आज भी करोड़ो लोग अपना आदर्श मानते हैं. अंग्रेजो के दिल में डर पैदा करने का प्रत्यक्षा काम भगत सिंह, सुख देव, राजगुरु और चन्द्रशेखर आजाद की मित्र मंडली ने दिया.

जेपी सोल्र्ड्स को गोली मारने के साथ ही दिल्ली असेम्बली में बम फेकने वाले भगत सिंह भागे नही वे अंग्रेजी न्याय पद्दति की परीक्षा के लिए गिरफ्तार हुए. मगर 23 मार्च 1931 के दिन इन्हे लाहौर जेल में सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी दे दी गईं.

इसके साथ ही भले ही भगत सिंह का जीवन सफल हो गया, उनके बुलंद हौसले देशभर के युवाओं में विरोध और बदले की भावना का स्वर भर गये. जिनका नतीजा 2 दशक बाद भारत की स्वतंत्रता के साथ पूरा पूरा.

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