जैवमंडल का अर्थ व महत्व | Biosphere Meaning And Importance In Hindi: सरल शब्दों में जैव मंडल उस महीन सी परत का नाम हैं जिसमें समस्त जीवन हैं.
पृथ्वी के आवरण के रूप में विद्यमान यह 30 किमी की परत जल, वायु और मृदा युक्त हैं, इस कारण यहाँ पादप और जन्तु जीवन की सम्भावना हैं. इस आर्टिकल में हम बायोस्फेयर के तीनों मंडल के बारे में यहाँ जानेगे.
जैवमंडल का अर्थ महत्व Biosphere Meaning Importance In Hindi
हमारी पृथ्वी ही इकलौता ऐसा ग्रह हैं, जहाँ जीवन की सम्भावनाएं विद्यमान हैं. सौरमंडल के दुसरे सभी ग्रहों से भिन्न पृथ्वी पर आवश्यक मात्रा वे तत्व मौजूद हैं, जो जीवन के लिए बेहद जरूरी हैं., जैसे कि हवा पानी और स्थल इत्यादि.
थोड़ा चिन्तन कीजिए, अगर धरती पर पेड़ पौधे, जीव जन्तु न होते तो यहाँ का जीवन कैसा होता ? सौरमंडल के दुसरे ग्रहों की भांति जीवन की शुरुआत से पूर्व ये धरती भी चट्टानी पिण्ड थी, जिन पर जल और गैसें उपस्थित थी.
जैव मंडल के प्रकार (Types of Biosphere)
इस तरह धरती पर महज तीन मंडल स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल ही थे. यह पृथ्वी पूरी तरह निर्जीव अवस्था थी. ऐसा माना जाता हैं कि करोड़ो वर्ष पहले पृथ्वी पर पहला जीव पानी में विकसित हुआ.
उसके बाद धीरे धीरे अनेक जीवों का विकास हुआ और जो धरती पहले जीवन विहीन थी उस पर असंख्य जीव दिखने लगे. इस तरह भूमंडल पर आजकल दिखाई देने वाले जैवमंडल का विकास करोड़ो वर्षो के दौरान हुआ हैं.
जैवमंडल का अर्थ व परिभाषा (Biosphere Meaning And Definition In Hindi)
पृथ्वी के सभी भाग जहाँ जीवन मौजूद हैं, वह जैव मंडल कहलाता हैं. इसमें छोटे से छोटे बेक्टीरिया से लेकर विशालकाय जीव सम्मिलित हैं. इसके साथ साथ बड़े और तरह तरह वनस्पति जीव जन्तु और मनुष्य, इस जैव मंडल के अंग हैं.
- पृथ्वी की ठोस सतह को हम स्थलमंडल (Lithosphere) कहते हैं.
- जलीय भाग को जलमंडल (hydrosphere) और धरातल का ऊपरी भाग जहाँ गैसें विद्यमान हैं, वायुमंडल (Atmosphere) कहलाता हैं.
- जब ये तीनों मंडल एक दूसरे के कनेक्शन में आते हैं तो जैव मंडल (Biosphere) का निर्माण होता हैं.
जैवमंडल का महत्व (Biosphere importance In Hindi)
धुर्वों के बर्फीले प्रदेशों से भूमध्य रेखीय प्रदेशों की कडकडाती गर्मी तक, आसमान से लेकर समुद्र की गहराई तक, चाहे जिस स्वरूप में हो, धरती पर जीवन हैं.
छोटे से छोटे जीवाणु से लेकर बड़े से बड़े पौधों और वृहतर पशुओं तक न केवल आकार में बल्कि जीव जगत के प्रकार एवं पर्यावरण में भी विभिन्नताएं पाई जाती हैं.
क्या पूरी धरती पर जैव मंडल हैं? इसका उत्तर होगा, नही. हमारी धरती बहुत बड़ी हैं और इसके सारे भूभाग पर जीवन मौजूद नही हैं. हमारी पृथ्वी के विशाल भूभाग के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर अन्य सभी पर जीवन पाया जाता हैं. पृथ्वी के जैव मंडल को मुख्यतः तीन बाते विशेष बनाती हैं, जो इस तरह हैं.
- सूर्य से पृथ्वी को लगातार ऊर्जा प्राप्त होती रहती हैं.
- पृथ्वी पर विशाल मात्रा में जल उपलब्ध हैं.
- पृथ्वी पर तरल गैस और ठोस पदार्थ के तीनों स्वरूपों का अच्छा समन्वय हैं.
जैव मंडल, वायुमंडल के उस किनारे तक फैला हुआ हैं जहाँ पक्षी कीट आदि पाए जाते हैं, वही इसका विस्तार स्थल के नीचे गहरी गुफाओं तथा बिलों में और समुद्र की गहराइयों में भी हैं. यानी वो स्थान जहाँ किसी भी स्वरूप में जीवन के निशान हो जैव मंडल का अंग हैं.
जैवमंडल में पाए जाने वाले जीवों को हम दो भागों में विभाजित किया जा सकता हैं.
- वनस्पति जगत, जिसमें सभी प्रकार के पेड़ पौधे, घास और झाड़िया सम्मिलित हैं.
- जीव जगत, इसमें मनुष्य सहित स्थल, जल एवं वायु में रहने वाले सभी जीव जन्तु सम्मिलित हैं.
भारत विश्व में जैव विविधता (Biodiversity in India)
45,000 वन्य वनस्पतियों तथा 77,000 जन्तु प्रजातियाँ हमारे देश में पाई जाती हैं, भारत को संसार के 12 बड़े जैव विविधता वाले राष्ट्रों में गिना जाता हैं.
यहाँ की 2 प्रतिशत भूमि पर विश्व की कुल 5 प्रतिशत जैव विविधता पाई जाती हैं. विश्व की कुल वन्य जीव विविधता का साढ़े छ प्रतिशत अकेले भारत में ही हैं.
अलग अलग धरातलीय विषमताओं के कारण भारत में इतनी जैव विविधता हैं. भारत में अनाज आदि की 51 प्रजातियों, फलों की 104 , मसालों की 27, दालों की 55, रेशेदार पौधों की 24, तेल युक्त बीजों की 12, गाय बैल की 27, भैंसों की 8 जातियाँ पाई जाती हैं.
इस तरह से भारत में फसलों की 166 तथा वन्य जीवों की 320 जातियाँ अकेले इंडियन ओशियन में पाई जाती हैं.
भारत में 18 जैव मंडल भंडार (18 Biosphere Reserves In India In Hindi)
- पन्ना, मध्य प्रदेश
- देहांग-देबांग, अरुणाचल प्रदेश
- कच्छ, गुजरात
- अगस्त्यमाला, कर्नाटक-तमिलनाडु-केरल
- शेषाचलम, आंध्र प्रदेश
- नीलगिरी, तमिलनाडु-केरल
- सुंदरबन, पश्चिम बंगाल
- ग्रेट निकोबार, अंडमान और निकोबार द्वीप
- कोल्ड डेजर्ट, हिमाचल प्रदेश
- सिमिलीपाल, ओडिशा
- नंदा देवी, उत्तराखंड
- डिब्रू-साइखोवा, असम
- नोकरेक, मेघालय
- मन्नार की खाड़ी, तमिलनाडु
- कंचनजंगा, सिक्किम
- पचमढ़ी, मध्य प्रदेश
- मानस, असम
- अचनकमार-अमरकंटक, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़
जैवमंडल दिवस
विश्व जीवमंडल दिवस (बायोस्फीयर डे) मनाने का प्रस्ताव 21 सितंबर 1991 को निकोलस पॉलिन ने दुनियां के सामने रखा था.
यह तारीख भी विशेष महत्व की इसलिए है क्योंकि 21 सितम्बर के दिन उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु में और दक्षिणी गोलार्द्ध में वंसत ऋतु में दिन और रात की अवधि एक समान होती हैं.