पत्रकारिता का इतिहास | History Of Journalism In India In Hindi

पत्रकारिता का इतिहास History Of Journalism In India In Hindi: आज के लेख में आपका स्वागत है,

भारत में पत्रकारिता के इतिहास के बारे में इस आर्टिकल में हम जानेंगे. हमारे देश में जनर्लिज्म की हिस्ट्री कितनी पुरानी है और अब तक की यात्रा को संक्षिप्त में जानेंगे.

पत्रकारिता का इतिहास History Of Journalism In India In Hindi

पत्रकारिता का इतिहास | History Of Journalism In India In Hindi

पत्रकारिता का जन्म और विकास बेहद रोचक रहा है. हमारे दैनिक जीवन में ऐसा कोई अंश नही है, जो बिलकुल पत्रकारिता से अछूता हो. पत्रकारिता के इतिहास पर नजर डाले तो इसके विकास में यूरोप अग्रणी रहा है.

ब्रिटेन, फ़्रांस, होलेन्ड, जर्मनी जैसे कई देशों में पत्रकारिता के विकास से समूचे विश्व की जर्नलिज्म प्रभावित हई है.  भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता का योगदान अविस्मरनीय था.

40 के दशक में भारत में प्रचलित अनेक कुरीतियों की रोकथाम के लिए पत्रकारों की भूमिका को नकारा नही जा सकता है.

पत्रकारिता का विश्व इतिहास (World history of journalism)-

दुनिया में पत्रकारिता का उद्भव सहज जिज्ञासा और खोज की प्रवृति का नतीजा है. अपनी निष्पक्षता तथा निर्भीकता के कारण ही पत्रकारिता लोकतंत्र के सशक्त माध्यम के रूप में उभरकर जनता के सामने उपस्थित हुई है.

अंग्रेजी के महत्वपूर्ण साहित्यकार एडिसन ने जर्नलिज्म के बारे में लिखते हुए कहा था कि पत्रकारिता से अधिक मनोरंजक अधिक चुनौतीपूर्ण अधिक रसमयी अधिक जनहितकारी कोई दूसरी बात मुझे दिखाई नही देती है.

एक स्थान पर बैठकर प्रतिदिन हजारों लाखों लोगों तक पहुच जाना, उनसे अपने मन की बात कह जाना, उन्हें सलाह देना, शिक्षा परामर्श देना, उन्हें विचार देना, उनका मनोरंजन करना उन्हें मनोरंजक बनाना सचमुच बेहद आश्चर्यजनक होता है.

वस्तुतः कागज और कागज का मुद्रण का आविष्कार सर्वप्रथम चीन में हुआ फिर यह कला पुरे यूरोप तक पहुची. ऐसा माना जाता है, कि चीन ने सबसे पहले अपना समाचार पत्र निकाला जिसका नाम पेकिंग गजट अथवा तिचाओं था.

यूरोप में पहली प्रेस की स्थापना सन 1440 में हुई थी. जर्मनी के गुटेनबर्ग नामक व्यक्ति ने इस प्रेस को स्थापित किया था. यह माना जाता है कि इंग्लैंड में कैक्सटन ने 1477 में प्रेस की स्थापना की.

इंग्लैंड का पहला समाचार पत्र 1603 में प्रकाशित हुआ था. और इसका आकार बहुत छोटा था. सन 1666 में लन्दन गजट प्रकाशित हुआ था. यह सप्ताह में दो बार छपता था.

विश्व में सबसे पहला समाचार पत्र यूरोप से निकला. होलेन्ड में 1526 में पहला समाचार प्रकाशित हुआ था. इसके बाद 1610 में जर्मनी में, 1622 में इंग्लैंड में, 1660 में अमेरिका में, 1703 में रूस में और 1737 में फ़्रांस में पहला पत्र निकला था.

आधुनिक विश्व की तमाम जनक्रांतियो में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा था. चाहे अमेरिका की आजादी की लड़ाई हो या भारत का स्वाधीनता संग्राम, अफ्रीका में जातीय स्वतंत्रता का मौर्चा हो या एशियाई देशों के आंतरिक मसले, हर जगह पत्रकारिता ने राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर वैश्विक द्रष्टिकोण को सामने रखा और जन अभिव्यक्त का साथ दिया.

लंदन के दी टाइम्स पत्र की स्थापना 1785 में हुई. 1881 में गार्जियन की शुरुआत हुई थी. जो मैनचेस्टर गार्जियन के नाम से विख्यात था.

डेली टेलीग्राफ की स्थापना 1855 में इवनिंग न्यूज 1881 में फाइनेशियल टाइम्स 1888 में, डेली मेल 1896 में, डेली एक्सप्रेस 1900 में डेली मिरर 1903 में प्रारम्भ हुए. रविवारीय पत्रों में आब्जर्वर 1791 में न्यूज ऑफ दी वर्ल्ड 1853 में सन्डे टाइम्स 1822 में, संडे पीपल 1881 में शुरू हुए.

पत्रकारिता के एक रूप को रोमन गणराज्य के जन्म के साथ विकसित हुआ माना जा सकता है. रोमन सम्राज्य में संवाद लेखको की व्यवस्था के प्रमाण मिलते है.

ईसा से पांचवी शताब्दी पूर्व ये संवाद लेखक हाथ से लिख कर समाचारों को एक स्थान से दुसरे स्थान पर पहुचाया करते थे.

इसके उपरांत जुलियस सीजर ने 60 ईसा पूर्व एकटा दोएना नाम से दैनिक बुलेटिन निकाला जो राज्य की जरुरी सूचनाओं का हस्तलिखित पोस्टर हुआ करता था.

भारतीय इतिहास में अशोक ने सुद्रढ़ शासन व्यवस्था को कायम रखने के लिए विशेष प्रयत्न किये. राजकार्य के कुशल संचालन के लिए उपयोगी सूचनाएँ विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त करने हेतु स्थापना की थी साथ ही शिलालेखों की परम्परा ने भी इसे आगे बढ़ाया.

आज से करीब 1350 वर्ष पूर्व चीन में विश्व का पहला पत्र तिचाओं शुरू हुआ था. यह हस्तलिखित पत्र था. विश्व का सबसे पुराना नियमित समाचार पत्र स्वीडन का पोस्ट ओच इनरिक्स ट्रिडनियर था. जिसे रॉयल स्वीडिश अकादमी ने 1644 में छापना शुरू किया था.

विश्व का सबसे पुराना व्यवसायिक समाचार पत्र 8 जनवरी 1656 को होलेन्ड में बिकेलिक कुरंत बात यूरोप नाम से शुरू हुआ था. आज इसका नाम हार्लेक्स दोग्ब्लेडे हारल्मेशे कुरंत है.

छापेखाने के आविष्कार के बाद प्रारम्भिक मुद्रक के एक कागज पर समाचार छाप कर फेरी वालों को मुफ्त में दे दिए थे. विश्व का पहला दैनिक समाचार पत्र मोर्निग पोस्ट था.

जो 1772 में लंदन से प्रकाशित होना शुरू हुआ था. इसके कुछ ही दिनों बाद लंदन से ही प्रकाशित होना शुरू हो गया था.

भारत में पत्रकारिता का इतिहास (History of Journalism in India)

भारत में हिंदी पत्रकारिता जिस प्रकार विभिन्न चरणों में विकसित हुई, उसी तरह विद्देशों में भी प्रवासी भारतीयों द्वारा इसके विकास के लिए महत्वपूर्ण कार्य किये. विदेशों में हिंदी पत्रकारिता का जन्म सन 1883 में माना जाता है.

कहा जाता है कि लंदन से हिंदुस्तान नामक त्रिमासिक पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ था. इसके संस्थापक राजा रामपाल सिंह थे. यह त्रिभाषी रूप में प्रकाशित होता था.

इसमे हिंदी के साथ उर्दू तथा अंग्रेजी का भी अंश रहता था. दो वर्ष तक वहां से प्रकाशित होने के बाद 1885 में यह अवध के कालाकांकर से प्रकाशित होना प्रारम्भ हुआ.

1887 में इसका स्वरूप दैनिक हो गया. अमृतलाल चक्रव्रती, शशिभूषण, चक्रव्रती, प्रतापनारायण मिश्र, बालमुन्द गुप्त, गोपालराम गहमरी, लाल बहादूर, गुलाब चंद चौबे, शीतल प्रसाद उपाध्याय, रामप्रसाद सिंह तथा शिव नारायण सिंह इसके सम्पादक रहे.

1857 के गदर का प्रभाव अप्रवासी भारतीयों पर भी पड़ा. ओरोगन राज्य के पोर्टलैंड में भारतीयों ने हिंदी एसोसिएशन नाम की एक संस्था बनाई. प्रसिद्ध क्रांतिकारी लाला हरदयाल ने इस संकल्प की पहल की थी.

1857 की क्रांति को जीवित रखने के लिए अमेरिका से विभिन्न भारतीय भाषाओं का एक अखबार गदर नाम से 1 नवम्बर 1913 को प्रकाशित हुआ. इस पत्र ने ब्रिटिश राज्य के शोषण का कच्चा चिट्टा खोलते हुए सशस्त्र क्रांति का आव्हान किया था.

गदर के प्रकाशन से पूर्व से ही एक छात्र तारकनाथ दास ने 1908 में फ्री हिंदुस्तान, 1909 में गुरुदत कुमार ने पंजाबी में स्वदेश सेवक नामक पत्रों का प्रकाशन करवाया. कालांतर में लंदन से शांता सोनी द्वारा नवीन भी उल्लेखनीय है.

पत्रकारिता के विकास की भारत में कहानी बड़ी रोचक है. क्युकि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष और स्वाधीनता और समाजोत्थान के लिए समाचार पत्रों का प्रकाशन निश्चय ही दुरूह कार्य था.

एक मिशन के साथ समाचार पत्रों का प्रकाशन करना तथा ध्येय में सिर्फ आजादी को रखना अपने आप में गौरवशाली है.

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