Alwar fort History In Hindi: अलवर किला या बाला किला यह राजस्थान के अलवर शहर की पहाड़ी पर स्थित हैं. 1550 में हसन खान मेवाती ने इस बाला किले का निर्माण करवाया था. यह भव्य किला अपनी आकर्षक स्थापत्य कला और सुंदर डिजाइन के लिए देश भर में विख्यात हैं.
जय पोल, लक्ष्मण पोल, सूरत पोल, चाँद पोल, अंधेरी द्वार और कृष्णा द्वार ये बाला किले के सभी ६ प्रवेश द्वारों के नाम है जिनसे होकर किले के अंदर प्रवेश किया जा सकता हैं. बाला किले का इतिहास रहस्य और इसके बारे में उपलब्ध जानकारी आपकों बता रहे हैं.
बाला किला अलवर का इतिहास | Alwar fort History In Hindi
किले के आकार व लम्बाई की बात की जाए तो अलवर का यह किला ५ किमी लम्बा तथा २ किमी की चौड़ाई में बना हुआ हैं. इस किले को सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था.
मुगल काल में बने इस किले पर कछवाहा राजपूतों के अधीन रहा. किले के ४४६ दीवार में छेद है जिनसे गोलिया चलाकर दुश्मन का सामना किया जाता था. किले में 15 बड़े टॉवर और 51 छोटे टॉवर इस भव्य स्मारक भी बने हुए हैं.
राजा प्रतापसिंह ने 25 नवम्बर 1775 को बाला किला पर झंडा फहरा कर अलवर राज्य की स्थापना की थी. आज बाला किला जर्जर अवस्था में अपने इतिहास पर आंसू बहाने की हालत में हैं.
पर्यटन विभाग ने इस किले के रखरखाव पर विशेष ध्यान न दिए जाने के कारण यह अब बुरे हालातों से गुजर रहा हैं.
यदि एक बड़ा हवा का झौका या छोटा सा तूफ़ान भी आया तो यह अलवर का किला खंडहर का रूप ले लेगा. एक समय दुश्मनों के तोप गोलों के सामने अटल खड़ा रहने वाला किला अब लाचारी के हालात में पहुच गया है.
अलवर प्रशासन को अपनी ऐतिहासिक धरोहर की तरफ झाकना चाहिए तथा किले को इतिहास से गवारा करने की बजाय इसकी मरम्मत कर इसे पुनः खड़ा करने में योगदान देना चाहिए.
Alwar fort History In Hindi
अलवर का बाला किला अरावली पर्वतमाला की 1000 फीट ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ हैं. जनश्रुति के अनुसार आमेर नरेश कांकिलदेव के पुत्र अलघुराय ने १०४९ ई में पहाड़ी पर किला बनाकर उसके निचे एक नहर बसाया जिसका नाम अलपुर रखा गया था.
किले की प्राचीर ६ मील की परिधि में हैं. जिनमें 15 बड़ी बुर्जे तथा ५२ छोटी बुर्जे बनी हुई हैं. प्राचीर में शत्रु के गोले बरसाने के लिए छिद्र बने हुए हैं. किले की दूसरी रक्षापंक्ति के रूप में आठ बुर्ज हैं. जिनमें काबुल, खुर्द और नौगुजा बुर्ज प्रमुख हैं.
किले के प्रमुख प्रवेश द्वार पश्चिम में चांदपोल, पूर्व में सूरजपोल, दक्षिण में लक्ष्मणपोल और जयपोल है. उत्तर की ओर अँधेरी दरवाजा हैं. जहाँ दो पहाड़ियाँ होंने के कारण सूर्य का प्रकाश नहीं पहुचने के कारण अँधेरा रहता हैं.
खानवा के युद्ध में राणा सांगा की ओर से लड़ने वाला हंसन खां मेवाती यही का शासक बना था. खानवा विजय के बाद यह किला बाबर ने अपने पुत्र हिंदाल को दे दिया. 1775 ई से भारत की स्वाधीनता तक इस किले पर कछवाहों की नरुका शाखा का अधिकार रहा.
बाला किले के भीतर निकुम्भ शासकों द्वारा निर्मित महल परम्परागत हिन्दू स्थापत्य के उत्कृष्ट उदाहरण हैं. इनके निर्माण में सामरिक सुरक्षा और रिहायशी सुविधाओं का समन्वय दिखलाई पड़ता हैं. सलीम सागर तालाब और सूरजकुंड किले के प्रमुख जल स्रोत हैं. किले में सीतारामजी का मन्दिर दर्शनीय हैं.
बाला किला हिस्ट्री इन हिंदी (alwar tourist place in hindi)
सिटी पैलैस परिसर अलवर के पूर्वी छोर की शान के रूप में अलवर किला खड़ा हैं. किले की प्राचीरे हरे भरे मैदानों से होकर गुजरती हुई गगनचुंबी पहाडियों से जा मिलती हैं.
यह अलवर जिले का सबसे प्राचीन दर्शनीय स्थान हैं. अब इस किले में विशेष आकर्षण का केंद्र बनने के लिहाज से ज्यादा कुछ शेष नहीं बचा हैं.
अलवर पुलिस का वायरलेस केंद्र बन चुके इस किले को देखने के लिए बस स्टेंड अलवर से आसानी से पहुचा जा सकता हैं. हरियाली एवं हरे भरे पेड़ों की वादियों से निकलते मार्ग के द्वारा किले तक का सफर तय किया जा सकता हैं.
जयपोल से दुर्ग के भीतर प्रवेश किया जा सकता हैं. यह किला सवेरे ७ बजे तक खुला रहता हैं. पहाड़ी पर स्थित करणी माता के मन्दिर का रास्ता भी बाला किले से होकर ही जाता हैं.
मंगलवार तथा शनिवार को रात को ९ बजे तक यह दुर्ग खुला रहता हैं. पर्यटकों को किले के संतरी के पास रखे रजिस्टर में अपना नाम दर्ज करवाने के बॉस आसानी से किले तथा अन्य दर्शनीय स्थलों को देखा जा सकता हैं.
किले के दर्शनीय स्थलों में कुंभ निकुंभों की कुलदेवी, करणी माता मंदिर, तोप वाले हनुमान जी, चक्रधारी हनुमान मंदिर, सीताराम मंदिर सहित अन्य मंदिर, जय आश्रम, सलीम सागर, सलीम बारादरी मुख्य रूप से आते है.