प्रधानमंत्री की नियुक्ति कार्य शक्तियां मंत्रिमंडल गठन व अधिकार | Council of Ministers Appointment, Work, Powers, Rights Of Prime Minister in Hindi

प्रधानमंत्री की नियुक्ति कार्य शक्तियां मंत्रिमंडल गठन व अधिकार | Council of Ministers Appointment, Work, Powers, Rights Of Prime Minister in Hindi : भारत में भले ही सभी संवैधानिक अधिकार राष्ट्रपति को प्रदान किये गये हैं, मगर प्रधानमंत्री को ही कार्यपालिका का वास्तविक मुखिया माना गया है.

प्रधानमंत्री के पास सबसे अधिक अधिकार एवं जिम्मेदारियां होती है. वर्तमान में नरेंद्र मोदी भारत के प्राइम मिनिस्टर है आज  हम इस लेख में हम प्रधानमंत्री की नियुक्ति प्रक्रिया कार्य व शक्तियाँ बता रहे हैं.

प्रधानमंत्री की नियुक्ति कार्य शक्तियां मंत्रिमंडल गठन व अधिकार

प्रधानमंत्री की नियुक्ति कार्य शक्तियां मंत्रिमंडल गठन व अधिकार | Council of Ministers Appointment, Work, Powers, Rights Of Prime Minister in Hindi

हमारे भारत में प्रधानमंत्री सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक हैं. भारत में संसदीय शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई हैं संसदीय शासन प्रणाली में दो स्वरूप होते हैं. एक नाममात्र की कार्यपालिका और दूसरी वास्तविक कार्यपालिका.

संविधान के अनुच्छेद 53 में कहा गया है कि संघ की कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होगी जिनका प्रयोग वह स्वयं प्रत्यक्ष रूप में या अपने अधीन अधिकारियों के माध्यम से संविधान के अनुसार करेगा.

संविधान के अनुच्छेद 74 में यह प्रावधान हैं कि एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा और राष्ट्रपति उस मंत्री परिषद की सलाह के अनुसार कार्य करेगा.

इस प्रकार अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति की स्वतंत्र कार्यपालिका शक्ति नहीं होगी और वह अपनी शक्तियों का प्रयोग भी स्वतंत्र रूप से नहीं कर सकता. वह प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य होता हैं.

हमारी भारतीय संसदीय प्रणाली वेस्ट मिनिस्टर प्रणाली के मॉडल पर आधारित हैं और इसी आधार पर समस्त कार्यपालिका शक्तियों का वास्तविक प्रयोग भी वहीँ करता हैं. वह राष्ट्रपति के सलाहकार के रूप में कार्य करता हैं. और मंत्रिपरिषद का नेता भी होता हैं.

भारत के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरु थे और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जो भारत के 15 वें प्रधानमंत्री हैं. प्रधानमंत्री के पद की शक्तियाँ व प्रतिस्ठा काफी हद तक उस पद को धारण करने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व, कार्यशैली व उसके दल के लोकसभा में बहुमत पर निर्भर करती हैं.

प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है (Appointment Of Prime Minister in Hindi)

जब भारत आजाद हुआ तो 1946 में ही चुनी गई अंतरिम सरकार से ही प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु बनाए गये, जो आजादी के बाद पहले भारत के प्रधानमंत्री थे.

इनकी बेटी इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी तथा वर्तमान में 17 वें प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी जी का कार्यकाल है, इन्होने 2014 में सत्ता संभाली थी. ये आजाद भारत में जन्मे पहले पीएम भी हैं.

भारत में पं नेहरु, इंदिरा गांधी व नरेंद्र मोदी जैसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री भी हुए हैं. तो मिली जुली सरकार के दौर में एच डी देवगौड़ा व इंद्रकुमार गुजराल जैसे कम शक्तिशाली नेताओं ने भी प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया हैं.

प्रधानमंत्री का लोकसभा या राज्यसभा में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य होता हैं. यदि प्रधानमंत्री नियुक्त होते समय किसी सदन का सदस्य नहीं हैं तो.

प्रधानमंत्री की नियुक्ति प्रक्रिया (Prime Minister’s Appointment Process)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 में प्रधानमंत्री के पद की व्यवस्था हैं. संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल अथवा समूह के नेता को प्रधानमंत्री पद के लिए नियुक्त करता है.

यदि लोकसभा में किसी भी एक दल को या चुनाव पूर्व गठबंधन किये हुए दलों के किसी समूह को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति लोकतांत्रिक अपेक्षाओं एवं संविधान की भावना के अनुरूप अपने स्वविवेक से निर्णय कर प्रधानमंत्री नियुक्त करता हैं.

प्रधानमंत्री की नियुक्ति की परम्परा: संसदीय प्रणाली के वेस्ट मिनिस्टर मॉडल की परम्परा के अनुसार राष्ट्रपति अनुच्छेद 75 के तहत उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करता हैं.

जो लोकसभा में बहुमत दल का नेता होता हैं. तथा जिसे लोकसभा में स्पष्ट समर्थन प्राप्त होता हैं. यदि किसी पार्टी को लोकसभा में बहुमत प्राप्त नहीं होता है तो राष्ट्रपति सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता हैं. यह एक निश्चित सीमा में उसे बहुमत सिद्ध करने का आदेश देता हैं.

प्रधानमंत्री के कार्य, शक्तियाँ एवं अधिकार (Work, Powers, Rights Of PM Prime Minister in Hindi)

भारत के संविधान में वर्णित भारत के प्रधानमंत्री कार्य शक्तियां व अधिकार निम्नलिखित हैं.

  • मंत्रिपरिषद का निर्माण- संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श से मंत्रिपरिषद के सदस्यों की नियुक्ति करता है. मंत्रिपरिषद के सदस्यों के चयन का प्रधानमंत्री को विशेषाधिकार है. वह मंत्रिपरिषद में सम्मिलित किये गये मंत्रियों का स्तर को कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री, उपमंत्री निर्धारित करता है. मंत्रिपरिषद में मंत्रियों को बनाए रखने अथवा हटाने के विषय में भी प्रधानमंत्री का निर्णय अंतिम होता है.
  • मंत्रियों के मध्य विभागों का वितरण एवं परिवर्तनप्रधानमंत्री अपने विवेक से मंत्रियों में विभागों के वितरण का कार्य करता हैं. लेकिन मंत्रियो के मध्य विभागों के वितरण में प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद से सम्बन्धित सदस्य की योग्यता, राजनीतिक कौशल और दल में उसके महत्व आदि के आधार पर निर्णय लेता है. प्रधानमंत्री जिस प्रकार चाहे और जब चाहे मंत्रियों के विभागों में परिवर्तन कर सकता है.
  • मंत्रिपरिषद का कार्य संचालन- प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठकों का सभापतित्व और मंत्रिमंडल की समस्त कार्यवाही का संचालन करता है. मंत्रिपरिषद की बैठक में इन्ही विषयों पर विचार किया जाता है, जिन्हें प्रधानमंत्री कार्यसूची अथवा एजेंडा में रखे.
  • शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय प्रधानमंत्री शासन के समस्त विभागों में समन्वय स्थापित करता है जिससे कि समस्त शासन एक इकाई के रूप में कार्य कर सके.
  • लोकसभा का नेता प्रधानमंत्री संसद का मुख्यतया लोकसभा का नेता होता है और कानून निर्माण के समस्त कार्य को प्रधानमंत्री ही नेतृत्व प्रदान करता हैं. वार्षिक बजट सहित सभी सरकारी विधेयक उसके निर्देशानुसार ही तैयार किये जाते हैं.
  • राष्ट्रपति एवं मंत्रिपरिषद के बीच कड़ी का कार्य प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच सम्पर्क कड़ी का कार्य करता है. यथा प्रधानमंत्री शासन सम्बन्धी व अन्य सूचनाएं राष्ट्रपति को देता है. वह राष्ट्रपति के सुझावों डर मंत्रिपरिषद को अवगत कराता है, कोई भी मंत्री, प्रधानमंत्री की अनुमति पर ही राष्ट्रपति से मिल सकता हैं.
  • विभिन्न पद प्रदान करना संविधान द्वारा राष्ट्रपति को जिन उच्चाधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया है, व्यवहार में उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति स्वविवेक से नही वरन प्रधानमंत्री के परामर्श से ही करता हैं.
  • नीतियों का निर्माता- प्रधानमंत्री शासन का वास्तविक प्रधान होता है. वह समस्त नीतियों का निर्माता होता है. वह मंत्रिपरिषद के समस्त महत्वपूर्ण निर्णयों से अगवत कराता है एवं मंत्री उसकी सलाह से ही कार्य करते हैं.
  • लोकसभा को भंग करने की शक्ति– लोकसभा को समय से पूर्व भंग करने की शक्ति प्रधानमंत्री के हाथों में एक महत्वपूर्ण अस्त्र है, जिसके माध्यम से वह अपने दल के सदस्यों पर नियंत्रण रखता है एवं विपक्षी सदस्यों पर भी दवाब बनाए रखता हैं.
  • दल का नेता– लोकसभा का नेता होने के साथ साथ प्रधानमंत्री दल का नेता भी होता है. लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होना प्रधानमंत्री की शक्ति का आधार है. लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होने पर ही वह शासन का प्रधान हो जाता हैं. उसके साथ दल का भविष्य जुड़ा होता है, चुनाव उसके नाम पर ही लड़े जाते हैं.
  • अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के निर्धारण सम्बन्धी शक्ति अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में देश की विदेश नीति के निर्धारण में प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं. विदेश नीति को अंतिम रूप प्रधानमंत्री ही देता हैं. इस सम्बन्ध में उनके शब्द ही अंतिम और अधिकृत माने जाते हैं.

मंत्रियों की नियुक्ति व विभागों का आवंटन (Appointment Of Ministers & Allocation of Portfolios)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 के अंतर्गत प्रधान मंत्री की सलाह पर वह मंत्री मंडल के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता हैं. वह मंत्रियों के विभागों का आवंटन भी स्वयं करता हैं.

प्रधानमंत्री अपने साथी मंत्रियों की सूची राष्ट्रपति को भेजता हैं जिसे राष्ट्रपति मंजूरी दे देता है व उन्हें शपथ ग्रहण की रस्म भी अदा करवाता हैं.

वर्तमान सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 78 मंत्रियों की विशाल मंत्रिपरिषद हैं.

मंत्रियों के प्रकार (Types Of Ministers)

  • केबिनेट स्तर के मंत्री– यह किसी विभाग विशेष के सर्वोच्च मंत्री होते है जो स्वतंत्र रूप से उस विभाग के प्रभारी होते हैं.
  • राज्य स्तर के मंत्री– ये मंत्री दुसरे दर्जे के मंत्री होते हैं ये केबिनेट की बैठक में भाग नहीं लेते हैं. इनमें कुछ को स्वतंत्र प्रभार भी दिया जा सकता हैं और वे किसी विभाग के मुखिया भी हो सकते हैं. सामान्यतया इनको कैबिनेट मंत्री के साथ सम्बद्ध किया जाता हैं.
  • उपमंत्री- ये तीसरे दर्जे के मंत्री होते हैं. ये किसी विभाग के स्वतंत्र प्रभारी नहीं होते तथा मंत्रिमंडल की बैठक में भाग नहीं लेते हैं. ये कैबिनेट मंत्री व राज्य मंत्री की सहायता करते हैं.

हाल ही के वर्षों में संसदीय सचिव नियुक्त करने की परम्परा पनपी हैं. हालांकि संवैधानिक रूप में उन्हें कोई शक्ति नहीं दी जाती हैं और न ही कोई प्रशासनिक कार्यभार सौपा जाता हैं.

इनकी नियुक्ति भी प्राइम मिनिस्टर ही करता हैं तथा उन्हें पद की शपथ दिलवाता हैं. इनका काम विभागों के मंत्रियों की संसद में सहायता करना हैं.

केन्द्रीय मंत्रिमंडल के गठन की प्रक्रिया | Formation of the Union Council of Ministers of India In Hindi

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 में उपबंधित है कि राष्ट्रपति को उसके कार्यों के सम्पादन में सहायता तथा परामर्श के लिए मंत्री परिषद् होगी, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा.

सैद्धांतिक रूप से भारतीय संविधान द्वारा समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित मानी जाती है. तथा राष्ट्रपति की सहायता एवं परामर्श देने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रीपरिषद् की व्यवस्था की गई है,

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होगी एवं अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री के परामर्श से की जायेगी. संविधान के अनुसार राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियक्ति करता है.

भारतीय संविधान में अन्य मंत्रियों की नियुक्ति के बारे में यह प्रावधान किया गया है कि भारत का राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य केबिनेट मंत्रियों की नियुक्ति करेगा लेकिन आम तौर पर राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की परामर्श को मानने के लिए बाध्य होता है, वह अपने स्वविवेक से कोई निर्णय नहीं ले सकता है.

मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या के बारे में भारत के संविधान में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं किया गया है. मगर संविधान के 91 वें संशोधन के द्वारा मंत्रिपरिषद के आकार को लोकसभा की सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत तक सिमित कर दिया गया है.

सामान्य तौर पर प्रधानमंत्री सरकार की प्रशासन सम्बन्धी जरूरतों, राजनीतिक स्थितियों और मंत्रिपरिषद में जाति तथा क्षेत्र के आधार पर प्रतिनिधित्व की आवश्यकताओं का आंकलन करके मंत्रिपरिषद के सदस्यों का निर्धारण अपने स्तर पर करता हैं.

मंत्रिपरिषद के गठन के बाद प्रधान मंत्री के लिए इससे अधिक कठिन कार्य उनके मंत्रियों के मध्य विभागों का बंटवारा करना है. वैज्ञानिक दृष्टि से इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री को पूर्ण शक्ति प्राप्त है, लेकिन व्यवहार में विभागों का वितरण प्रतिनिधित्व की आवश्यकताओं का आंकलन करने के बाद विभागों का वितरण करते हुए प्रधानमंत्री को कई अन्य बातों का भी ध्यान रखना पड़ता है.

किसी भी व्यक्ति द्वारा मंत्री का पद धारण करने के लिए संसद का सदस्य होना आवश्यक है. लेकिन संविधान में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त कोई भी मंत्री के रूप में नियुक्ति के पश्चात संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं रहे, तो उसे ६ माह कि अवधि में संसद के किसी सदन की सदस्यता प्राप्त करनी होगी.

यदि वह 6 माह की अवधि के अंदर संसद के किसी सदन की सदस्यता प्राप्त नहीं कर पाता है तो उस अवधि की समाप्ति पर वह मंत्री बनने के लिए पात्र नहीं रहता है.

प्रधान मंत्री सहित मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य पद ग्रहण करने से पूर्व, संविधान में दिए गये प्रारूप के अनुसार राष्ट्रपति के समक्ष पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण करते हैं.

मंत्रिपरिषद का कार्यकाल निश्चित नहीं होता, मंत्रिपरिषद तभी तक अपने पद पर रहती है, जब तक उसे संसद का विश्वास प्राप्त हो. मंत्रिपरिषद अधिक से अधिक लोकसभा के कार्यकाल तक, जो कि सामान्यतया 5 वर्ष का होता है, अपने पद पर बनी रहती हैं.

मंत्रियों की श्रेणियां- मंत्रियों की तीन श्रेणियां होती है- मंत्रिमंडल या कैबिनेट के सदस्य, राज्यमंत्री एवं उपमंत्री.

  • कैबिनेट मंत्री– कैबिनेट स्तर के मंत्री मंत्रिमंडल के सदस्य होते हैं. ये मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण सदस्य होते है. प्राय सत्ताधारी या दलीय गठबंधन के विरिष्ठ एवं महत्वपूर्ण सांसदों को कैबिनेट मंत्री का स्तर प्रदान किया जाता है, ये इन्हें सौपे जाने वाले विभागों के स्वतंत्र प्रभारी होते है, नीति निर्माण में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं.
  • राज्यमंत्री- राज्यमंत्री प्रायः कैबिनेट मंत्रियों के अधीन कार्य करते है. लेकिन कई बार राज्य मंत्रियों को उनके विभागों का स्वतंत्र प्रभार भी प्रदान कर दिया जाता हैं. अनेक बार स्वयं प्रधानमंत्री सम्बन्धित विभाग के कैबिनेट मंत्री एवं राज्यमंत्री के मध्य विभागों के कार्यों का बंटवारा भी कर देते है. ऐसी स्थिति में वे राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार मंत्री के रूप में भी कार्य करते हैं.
  • उपमंत्री– ये प्रायः विभाग के प्रभारी कैबिनेट मंत्री एवं राज्यमंत्री के कार्यों में सहायता करते है एवं उनके अधीन अपने कार्यों को सम्पन्न करते है.

प्रधान मंत्री, कैबिनेट के सदस्यों, राज्यमंत्रियों एवं उप मंत्रियों को मासिक वेतन एवं निर्धारित भत्ते दिए जाने का प्रावधान किया गया हैं.

जिनका निर्धारण समय समय पर संसद द्वारा ही तय किया जाता हैं इसके अलावा इन सभी को निशुल्क निवास स्थल, वाहन एवं अन्य सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं.

Leave a Comment