आसाराम बापू का जीवन परिचय Asaram Bapu Biography In Hindi आज हमारे देश में विवादास्पद संत आसाराम गुरु किसी परिचय के मोहताज नहीं है।
क्योंकि आसाराम गुरु एक ऐसा नाम है, जिससे हर वर्ग और तबके के लोग परिचित है। शुरुवाती दौर में एक संत के तौर पर प्रसिद्ध होने के बाद वर्तमान में एक बलात्कारी के तौर पर जेल में सजा काट रहे आसाराम की लाइफ काफी रहस्यमई है।
आसाराम बापू का जीवन परिचय Asaram Bapu Biography In Hindi
कैसे आसाराम एक संत से अपराधी बना इसकी कहानी भी जानने लायक है। आसाराम को अपने आध्यात्मिक जीवन के दरमियान संत श्री आसाराम जी बापू की उपाधि मिली थी।
कई लोग इन्हें पूज्य बापू आसाराम जी कहते थे और लोग उन्हें भगवान की तरह मानते थे, परंतु इनके कांडों का खुलासा होने के बाद कई लोगों ने इनसे मुंह मोड़ लिया, तो कई लोग अब भी इनका समर्थन करते हैं।
कुछ लोगों के अनुसार आसाराम बापू जी को हिंदू विरोधी ताकतों ने फंसाया है क्योंकि यह हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करते थे।
आसाराम बापू का व्यक्तिगत परिचय
नाम: | आसाराम |
पिता: | थाउमल सिरुमलानी |
माता: | मेहानगिबा |
पेशा: | संत और बहुत सी संस्थाओं का संचालन |
जाति: | सिंधी |
जन्मदिन: | 17 अप्रैल 1941 |
जन्मस्थान: | नवाब-शाह सिंध पाकिस्तान |
संपत्ति: | ट्रस्ट की कमाई लगभग 400 करोड़ |
लम्बाई: | 165 सेमी (1.65 मीटर) |
वजन: | 70 किलो |
पत्नी: | लक्ष्मी देवी |
पुत्र: | साईं नारायण |
पुत्री: | भारती देवी |
गुरु: | लीलाधर शाह |
विवाद: | हत्या,जमीन गबन,घी में मिलावट,बलात्कार जैसे कई गम्भीर आरोप |
सजा: | 77 वर्ष की आयु में उम्र कैद |
आसाराम बापू का प्रारंभिक जीवन
कभी लोगों को ज्ञान देने वाले और वर्तमान में जेल की सजा काटने वाले आसाराम बापू का जन्म साल 1941 में 17 अप्रैल के दिन सिंध पाकिस्तान में हुआ था।
इनका संक्षिप्त नाम आसुमल सिरुमलानी हरपलानी है। आसाराम जी के पिताजी का नाम थाउमल सिरुमलानी और इनकी माता जी का नाम मेहानगिबा था।
आसा राम को बचपन से ही सत्संग के प्रति काफी ज्यादा लगाव था, क्योंकि इन्हें बचपन से ही रामायण, भागवत, गीता और दूसरी पौराणिक कहानियां सुनना अच्छा लगता था। यह कहानियां इनकी माता जी इन्हें सुनाती थी।
जब हमारा देश आजाद हुआ, तत्पश्चात देश का विभाजन हुआ और देश के विभाजन के टाइम ही आसाराम बापू जी की फैमिली ने पाकिस्तान के सिंध शहर को छोड़ दिया और वह इंडिया में गुजरात राज्य के मणिनगर में आकर रहने लगे और यहीं पर आसाराम बापू ने स्कूल जाना आरम्भ किया।
जब बापू जी ने 23 साल की उम्र पार की, तो उनकी शादी लक्ष्मी देवी नाम की महिला से हो गई और शादी के बाद आसा राम बापू से कुल दो संतानें पैदा हुई, जिनमें एक बेटा और बेटी है, उन्होंने बेटे का नाम नारायण प्रेम साईं और बेटी का नाम भारती देवी रखा।
फिलहाल नारायण साईं अभी गुजरात राज्य के सूरत की जेल में सजा काट रहे हैं, क्योंकि उनके ऊपर गंभीर क्रिमिनल केस चल रहे हैं।
शिक्षा
स्कूल जाने के समय जब अन्य बच्चे रिसेस में खेल खेलते थे, तब रिसेस के दरमियान आसाराम बापू जी पढ़ाई करते थे और पढ़ाई करने के लिए वह स्कूल में ही मौजूद एक पेड़ के नीचे बैठते थे।
आसाराम बापू जी के टीचर भी इन्हें मासूम बच्चा समझकर इन्हें पढ़ाई के लिए मोटिवेशन देते थे। जब आसाराम बापू जी स्कूल जाते थे, तब उनके पिताजी इन्हें काजू, पिस्ता और बादाम देते थे, जिसे यह स्कूल में अपने दोस्तों के साथ मिल बाटकर खाते थे।
आसाराम बचपन में अपने पिताजी के पैर दबाते थे, उनकी सेवा करते थे इसीलिए इनकी छवि समाज में एक अच्छे इंसान के तौर पर उभरकर सामने आई।
युवावस्था
आसाराम के पिताजी की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी। इनके पिताजी लकड़ी और कोयले का बिजनेस करते थे और पिता की मृत्यु हो जाने के बाद आसाराम जी ने भी कुछ टाइम के लिए अपने पिता के बिजनेस को संभाला और उसके बाद आसा राम आध्यात्मिक मार्ग की और आगे बढ़ने लगे।
ध्यान लगाते लगाते जब आसाराम जवानी की दहलीज पर पहुंचे, तब तक इन्होंने अपनी आध्यात्मिक शक्तियों को विस्तृत कर लिया था और इनकी शक्तियों का और इनकी वाणी का प्रभाव इनके आसपास रहने वाले लोगों के ऊपर भी होने लगा था।
आसा राम जी के बढ़ते आध्यात्मिक लगाव को देखते हुए उनकी फैमिली वालों को यह चिंता होने लगी कि कहीं आसाराम बापू जी सन्यासी ना बन जाए और इसीलिए इनके परिवार वालों ने लड़की की तलाश करके इनकी सगाई फिक्स कर कर दी।
परंतु शादी के सिर्फ 8 दिन पहले ही अपने घर से आसा राम भाग निकले और भागने के बाद यह भरूच पहुंचे, परंतु इनकी फैमिली वालों ने इन्हें भरूच के अशोक नाम के आश्रम से ढूंढ निकाला और फिर इन्हें वापस अपने घर लेकर आए और इनकी शादी लक्ष्मीदेवी से करा दी गई।
आसाराम जी की आध्यात्मिक यात्रा
अपने घर को छोड़ने के बाद आसा राम जी घने जंगलों, गुफाओं और पहाड़ों में घूम-घूम कर आध्यात्म की प्रैक्टिस करते थे और इस दरमियान इनकी मुलाकात कई बड़े-बड़े साधु संतों से हुई, साथ ही इन्होंने कई बड़े-बड़े मंदिरों की यात्रा भी की।
एक बार जब आसा राम केदारनाथ में घूम रहे थे, तो वे एक संत मिले और उन संत ने आसाराम बापू को करोड़पति बनने का आशीर्वाद भी दिया। इसके बाद आसाराम बापू मथुरा के वृंदावन चले गए, जहां पर उनकी मुलाकात स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज से हुई।
इनसे मिलने के लिए तकरीबन 40 दिनों तक आसाराम को वेटिंग करनी पड़ी थी। बापू ने इनकी कुछ दिनों तक सेवा की और कुछ दिन यही बिताए।
आसाराम कैसे बने पूजनीय बापूजी आसाराम
लीलाशाह गुरु जी ने साल 1964 में 7 अक्टूबर को आसा राम को आसाराम बापू बना दिया। इनका जो नारायण साईं नाम का बेटा है, वह भी एक धार्मिक गुरु है, परंतु किसी मामले में वह फिलहाल जेल की सजा काट रहा है।
बापू बनने के बाद आसा राम ने कई सत्संग आयोजित करने शुरू कर दिए और लोगों को भगवान की भक्ति के साथ जोड़ना भी प्रारंभ कर दिया।
आसाराम बापू सिर्फ एक ही भगवान की साधना करने पर विश्वास करते थे।साल 1972 में 29 जनवरी को बापू जी ने साबरमती के किनारे पर मोटेरा मठ को स्थापित किया था।
विवाद
आसा राम और इनकी संस्था पर अब तक कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। आसा राम जी का विवादों से भी पुराना नाता रहा है, हालांकि जितने इनके विरोधी हैं, उतना ही इनके समर्थक आज भी मौजूद है। जेल में रहने के बावजूद आज भी कई लोग आसाराम जी के विचारों का प्रचार कर रहे हैं।
साल 2008 में बापू एक विवाद में उलझ गए थे। जब इनके बाल केंद्र से भागे हुए दो वाघेला सरनेम के कजिन भाइयों की मौत की बात सामने आई थी। इनमें से एक बच्चे के पिता जी ने बताया कि उन्होंने तकरीबन ₹15000 की फीस दोनों बच्चों की जमा करवाई थी,
परंतु उन्हें फीस जमा करने की पक्की रसीद नहीं दी गई और थोड़े दिनों के बाद उन्हें उनके बच्चों के गायब होने की सूचना प्राप्त हुई और जब वह आश्रम गए, तो वहां पर मौजूद आश्रम के कर्मचारियों ने उन्हें पीपल के पेड़ की 11 बार प्रदक्षिणा करने के लिए कहा, परंतु इससे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ।
इसके बाद उन्होंने पुलिस को भी बताने की कोशिश की, परंतु आश्रम के द्वारा उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने आश्रम के खिलाफ अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
साल 2008 में आसाराम बापू जी के मध्य प्रदेश राज्य के छिंदवाड़ा में स्थित आश्रम के हॉस्टल में से 31 जुलाई को 2 विद्यार्थी मृत पाए गए थे,जिसके बाद वहां के निवासियों ने आश्रम को बंद करने की डिमांड की थी।
आसा राम के आश्रम के द्वारा बनाई जा रही घी पर भी काफी विवाद हुआ था, जिसमें यह कहा गया था कि उनके आश्रम में जो घी बनाई जाती है, वह शुद्ध नहीं होती है और उसमें मिलावट होती है।
गुजरात गवर्नमेंट ने साल 2009 में फरवरी के महीने में इस बात को स्वीकार किया था कि आसाराम के आश्रम के लिए तकरीबन 67,099 स्क्वायर फीट की जो जमीन है वह अतिक्रमण में आती है।
एक बार आसाराम जी ने गाजियाबाद में एक सत्संग के दरमियान हिंदी न्यूज़ चैनल के एक रिपोर्टर को थप्पड़ मार दिया था।
साल 2012 में हुए दिल्ली के निर्भया कांड पर अपनी राय व्यक्त करते हुए आसा राम बापू जी ने कहा था कि गलती कभी भी एक साइड से नहीं होती है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि अपराधी सिर्फ छह सात लोग ही नहीं है बल्कि विक्टिम भी बलात्कार के लिए जिम्मेदार है।
निर्भया को बलात्कारियों को भैया कहकर बुलाना चाहिए था और उनसे रेप ना करने की भीख मांगी चाहिए थी। साल 2013 में नाबालिक बच्ची के यौन शोषण के आरोप में आसाराम को जेल में डाला गया।
आसाराम का बापू से अपराधी बनने तक का सफर-
साल 2013 में आसाराम बापू पर एक 16 साल की लड़की के रेप के मामले में दिल्ली में 15 अगस्त को केस दर्ज हुआ, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि आसाराम ने उसे जोधपुर से तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी पर ले जाकर के एक आश्रम में उसके साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया।
इसमें यह भी आरोप था कि इस कांड को करने में आसाराम का साथ शिल्पी और केशव नाम के दो व्यक्तियों ने दिया था।
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