Bबांकीदास आसिया का जीवन परिचय | Bankidas Asiya Biography In Hindi: इनका जन्म आसिया शाखा के चारण वंश में 1781 में हुआ. रामपुर के ठाकुर अर्जुनसिंह ने बांकीदास की शिक्षा का प्रबंध जोधपुर में किया.
यहाँ बांकीदास जोधपुर के महाराजा मानसिंह के गुरु देवनाथ के सम्पर्क में आए, जिन्होंने इनका परिचय मानसिंह से कराया.
मानसिंह ने इनकी विद्वता से प्रसन्न होकर प्रथम भेट में ही इन्हें लाख पसाव पुरस्कार से सम्मानित किया.
बांकीदास आसिया का जीवन परिचय | Bankidas Asiya Biography In Hindi
नाम | बाँकीदास आसिया |
जन्म | 1771 |
जन्मभूमि | भंडियावास, बाड़मेर |
मृत्यु | 1833 |
राष्ट्रीयता | मारवाड़ राज्य |
प्रसिद्धि कारण | राजस्थानी साहित्य एवं भाषा |
पद | मारवाड़ के राजकवि |
उपाधि | कविराजा |
बांकीदास डिंगल, पिंगल, संस्कृत, फारसी आदि भाषाओं के ज्ञाता थे. आशु कवि के रूप में इनकी प्रसिद्धि पुरे राजपूताना में थी.
बांकीदास में स्वाभिमान और निर्भीकता के गुण विद्यमान थे. उन्होंने राजकुमार छतरसिंह को शिक्षा देने में असमर्थता व्यक्त कर दी, क्योंकि वह अयोग्य था.
इसनें महाराजा मानसिंह के को नाथ सम्प्रदाय के बढ़ते हुए प्रभाव के प्रति आगाह किया, जिससे मानसिंह क्रोधित हो गया.
स्वाभिमानी बांकीदास ने जोधपुर छोड़ दिया, जिसे महाराजा ने ससम्मान वापस बुलवाया. बांकीदास इतिहास को वार्ता द्वारा व्यक्त करने में प्रवीण थे.
एक ईरानी सरदार ने अपनी जोधपुर यात्रा के दौरान किसी इतिहासवेत्ता से मिलने की इच्छा प्रकट की तो महाराजा मानसिंह ने उसे बांकीदास से मिलवाया.
बांकीदास से वार्ता के बाद उसने स्वीकार किया कि ईरान के इतिहास का ज्ञान मुझसे कहीं अधिक बांकीदास को हैं. 19 जुलाई 1933 को जोधपुर में बांकीदास की मृत्यु हो गई.
बांकीदास द्वारा लिखे गये 36 काव्य ग्रंथ प्राप्त हैं. जिनमें सूर छतीसी, गंगालहरी, वीर विनोद आदि महत्वपूर्ण हैं. किन्तु बांकीदास की महत्वपूर्ण कृति ख्यात है.
1956 ई में नरोत्तम दास स्वामी ने बांकीदास की ख्यात को प्रकाशित किया. ख्यात दो प्रकार से लिखी हुई प्राप्त होती हैं. संलग्न और फुटकर ख्यात.
प्रथम प्रकार की ख्यात में विषय क्रमबद्ध और निरंतर रहता हैं, जबकि द्वितीय प्रकार की ख्यात में विषय विश्रंखल अलग अलग और बातो के रूप में मिलता हैं.
बांकीदास की ख्यात में लिखी ऐतिहासिक बाते संक्षिप्त लिपि अथवा तार की संक्षिप्त भाषा के समान लिखी हुई वृहद विषय की सूचना स्रोत हैं.
जैसे बात संख्या 2774 जीवणसिंध पाहाड़ दिली राज कियो इनकी ख्याल में कुल बातों की संख्या 2776 हैं. इन बातों से राजस्थान के इतिहास के साथ पड़ौसी राज्यों के इतिहास सम्बन्धी तथा मराठा, सिक्ख, जोगी, मुसलमान, फिरंगी आदि की ऐतिहासिक सूचनाएं प्राप्त होती हैं.
सर्वाधिक विवरण मारवाड़ एवं देश के अन्य राठौड़ राज्यों के सम्बन्ध में हैं. मेवाड़ की राजनीतिक घटनाओं का वर्णन भी ख्यात में मिलता हैं.
गहलोतों के साथ ही यादवों की बात, कछवाहों की बात, पड़िहारों की बात, चौहानों की बात में अलग अलग राज्य के इतिहास वृतांतों की सूचनाएं संग्रहित हैं.
इसके अतिरिक्त विभिन्न जातियों, धार्मिक तथा फुटकर विषयक बातों के साथ साथ भौगोलिक बातों का समावेश ख्यात की मुख्य विशेषता हैं. वस्तुतः बांकीदास की ख्यात इतिहास का खजाना हैं.
देशभक्ति
कविराजा बाँकीदास जी की लोकप्रियता उनकी एक रचना बांकीदास री ख्यात के कारण हैं. उन्हें डिंगल का आधुनिक कवि माना जाता हैं. इनके दौर में हमारा देश ब्रिटिश शासन की जकड़ था मारवाड़ देशी रजवाड़ो और सामंतों के अधीन था.
भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम 1857 से 52 वर्ष पहले 1805 में आसिया जी ने चेतावनी रो गीत लिखकर अंग्रेजों को चेताया था. कविराजा ने भरतपुर के जाट शासकों की वीरता का बखान भी खुले दिल से किया था.
इन्होने महाराजा रणजीत सिंह की भी आलोचना की तथा ब्रिटिश शासन के प्रति उनकी नीतियों को उन्होंने सिख गुरुओं का नाम खराब करना माना.
कृतियाँ
चारण कवि बाँकीदास आसिया जी कई भाषाओं के जानकार थे इन्हें डिंगल, पिंगल, संस्कृत, फारसी आदि भाषाओं का ज्ञान था,
वार्ता द्वारा इतिहास कथन की लोकप्रिय शैली ये अत्यंत निपुण माने जाते थे. साल 1830 से 1833 की अवधि के मध्य इन्होने कई रचनाएं लिखी.
अब तक उनके द्वारा लिखे गये 36 काव्य ग्रन्थ उपलब्ध हैं. ख्यात उनकी सर्व प्रसिद्ध रचना हैं. वर्ष 1956 ई में नरोत्तम दास स्वामी जी ने उनकी ख्यात का प्रकाशन करवाया इनमें कुल 2776 बातों को लिखा गया हैं. बाँकीदास की लिखी मुख्य रचनाओं के नाम इस प्रकार हैं.
- मोहा मर्दाना
- अन्योक्ति पञ्चाशिका
- कृपण दर्पण
- मवादिया मिजाज
- चुगल मिखा चपेतिका
- वैश वार्ता — वेश्यावृत्ति की निन्दा में काव्य
- विदुर बतीसी
- दुहा अयासजी महाराज देवनाथ रा
- झमला ठाकुरन रूपसिंह जी रा
- सन्तोष बावनी
- धवल पचीसी
- नीति मञ्जरी
- गंगालहरी