Jaimal And Patta History In Hindi | जयमल और पत्ता कौन थे: जयमल मेड़ता के राव वीरमदेव का ज्येष्ठ पुत्र था. जब मालदेव ने मेड़ता पर अधिकार कर लिया, तब वह मेवाड़ महाराणा उदयसिंह की सेवा में चला गया. महाराणा ने उसे बदनौर की जागीर प्रदान की. 1562 ई में उसने मेड़ता पर पुनः अधिकार कर लिया.
Jaimal And Patta History In Hindi
मगर मुगल सम्राट अकबर द्वारा मेड़ता पर अधिकार के लिए सेना भेजे जाने पर जयमल पुनः मेवाड़ महाराणा की सेवा में चला गया. जहाँ उसे बदनौर व कोठारिया की जागीर दी गई. 1567 ई में अकबर के चित्तौड आक्रमण के समय महाराणा उदयसिंह ने इसे चित्तौड़ दुर्ग की रक्षा का भार सौपा.
जयमल ने बहादुरी से किले की रक्षा की. 1568 ई के प्रारम्भ में रात को किले की दीवार की मरम्मत कराते समय जयमल अकबर की बंदूक की गोली से मारा गया. अकबर जयमल की वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने आगरा के किले के द्वार पर जयमल की गजारूढ़ पाषाण प्रतिमा स्थापित करवाई.
बीकानेर के जूनागढ़ किले के द्वार पर भी महाराजा रायसिंह ने जयमल एवं फत्ता की मूर्ति लगवाई.
फत्ता मेवाड़ के आमेट ठिकाने का सामंत था. अकबर के चित्तौड़ आक्रमण के दौरान महाराणा उदयसिंह ने जयमल के साथ किले की रक्षा का भार सौपा था. जयमल के मारे जाने पर भी इसने सेना का नेतृत्व किया और फरवरी 1568 ई में लड़ता हुआ मारा गया. अकबर ने इसी वीरता से प्रसन्न होकर आगरा के किले के द्वार पर इसकी गजारूढ़ प्रतिमा लगवाई.
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