बेहरामजी मलबारी की जीवनी Behramji Malabari Biography In Hindi: बेहरामजी मेरवानजी मालाबारी एक महान समाज सुधारक, कवि एवं लेखक थे.
भारत में स्त्री शिक्षा की शुरुआत में अहम भूमिका निभाने वाले मालाबारी दादाभाई नौरोजी के राईट हैण्ड की तरह थे. स्वार्थरहित थे और जो शांत तथा मौन तरीके जिस तरह से बेहरामजी ने देश सेवा का जो कार्य किया वह अद्वितीय हैं.
behramji malabari in hindi में आज हम उनके बारे में विस्तार से जानेगे.
बेहरामजी मलबारी की जीवनी Behramji Malabari Biography In Hindi
पूरा नाम | बेहरामजी मेरवानजी मालाबारी |
जन्म | 18 मई 1853 बड़ौदा |
मृत्यु | 12 जुलाई 1912 (उम्र 59) शिमला |
पेशा | कवि, प्रचारक, लेखक और समाज सुधारक |
भाषा | गुजराती , अंग्रेजी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
प्रारंभिक जीवन
बेहरामजी मेरवानजी मालाबारी का जन्म गुजरात के बडौदा में 18 मई 1853 को हुआ था. इनकी माँ का नाम भीखिबाई और पिता का नाम धनजी भाई मेहता थे जब ये छः वर्ष के थे तभी इनका परिवार सूरत जाकर बस गया.
यही आयरिश प्रेस्बिटेरियन मिशन स्कूल में इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण हुई. यही के एक केमिस्ट मेरवानजी नानाभाई मालाबारी ने निसंतान होने के कारण बेहरामजी को गोद ले लिया. ये चन्दन और मसालों का व्यापार भी करते थे, इस कारण इनके नाम के साथ मालाबारी जुड़ गया.
योगदान
बेहरामजी मालाबारी का नाम भारत के महान समाज सुधारकों के बीच एक परिचित व प्रसिद्ध व्यक्तित्व के रूप में अंकित हैं. अपने बचपन के दिनों में इन्होने बहुत कष्ट झेला.
गरीबी और माता पिता का देहांत हो जाने के कारण उन्होंने सामाजिक ढांचे में परिवर्तन हेतु कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता अनुभव की इसलिए,
इन्होने जाति प्रथा तथा बाल विवाह का जमकर विरोध किया तथा विधवाओं के पुनर्विवाह की वकालत की सभी के लिए बिना इन्होने भेदभाव के समानता की श्रेणी एक तुल्य होने पर बल दिया.
उन्होंने अनुशासन के साथ अन्य दूसरे समाज सुधारकों जैसे दादाभाई नौरोजी, एम जी रानाडे तथा दिनशा वाचा आदि के साथ कार्य किया ताकि वैधानिक नियम व कानूनों को समाज में उचित तरीके से लागू किया जा सकेउनके सतत प्रयासों का परिणाम रहा कि वैधानिक नियम बना रहा,
जैसे वैवाहिक आयु अधिनियम जिसके अंतर्गत 12 वर्ष के नीचे के लड़की की शादी की मनाही की. शिशु विवाह तथा विधवा उत्पीड़न को एक शक्तिशाली दंड विधान घोषित किया गया, जिसके अंतर्गत बाल विवाह व विधवाओं पर अत्याचार को सहन नहीं किया जायेगा.
उन्होंने सेवा सदन नामक एक सामाजिक सेवा संस्था की स्थापना की. सामाजिक सेवा के उपरांत बेहरामजी की महान उपलब्धि एक श्रेष्ठ साहित्यकार के रूप में रही, उनकी साहित्यिक प्रतिभा उसी समय दृष्टिगत हो गई थी. जब वह विश्व विद्यालय में अध्ययनरत थे.
नीति विनोद एक गुजराती कविताओं का संग्रह हैं, द इंडियन म्यूज इन इंग्लिश गैब एक अंग्रेजी कविताओं का संग्रह हैं. गुजरात और गुजराती अपने ही प्रान्त के कुछ प्रसिद्ध कार्यों का द्रष्टातीकरण हैं सबके अतिरिक्त उनका लगातार योगदान पत्र पत्रिकाओं के लिए भी था. उदहारणस्वरूप बाम्बे गजट, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, इंडियन स्पेक्टेटर तथा वाइज ऑफ इंडिया आदि.
क्षय रोगियों के लिए आश्रम
समाज सेवा महिलाओं की शिक्षा व चिकित्सा के लिए बेहराम जी ने कई उत्कृष्ट कार्य किये. इस दिशा में उन्होंने सेवा सदन नाम संस्था की शुरुआत भी की.
सेवा को समर्पित उनकी दूसरी संस्था शिमला के धर्मपुर में कंजंपटिव होम सोसायटी थी. 1909 में खोली गई इस संस्था के लिए बहराम जी ने अपनी सम्पूर्ण दौलत दान कर दी.
बेहरामजी मलबारी की मृत्यु
मानवता के मसीहा होने के साथ साथ एक विद्वान कवि, पत्रकार और समाज सुधारक के रूप में विख्यात रहे बहराम जी का देहावसान 12 जुलाई 1912 को शिमला में हो गया था.
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