माँ भ्रामरी देवी की पौराणिक कथा । Bhramari Devi Story In Hindi भ्रामरी देवी के अवतार से जुड़ीं कई कथाएँ प्रचलित हैं।
माँ दुर्गा ने अरुण नामक अनाचारी को मिटाने के लिए भ्रामरी देवी का रूप धारण किया था। इससे जुड़ी प्रसंग कथा इस प्रकार हैं।
माँ भ्रामरी देवी की पौराणिक कथा । Bhramari Devi Story In Hindi
उपनाम | भंवरों की देवी |
संबंध | पार्वती की अवतार |
निवास | मणिद्वीप और कैलाश |
मंत्र | ॐ भ्रामरीाय: पार्वतीाय: नमः |
अस्त्र | त्रिशूल, तलवार, ढाल और गदा |
जीवनसाथी | शिव |
शास्त्र | देवी भागवत |
संहारक | दैत्य अरुण |
एक बार महा अत्याचारी अरुण नाम का एक दैत्य पैदा हुआ। उसने स्वर्ग में जाकर उपद्रव करना शुरू कर दिया। देवताओं की पत्नियों का सतीत्व नष्ट करने की कुचेष्टा करने लगा।
अपने सतीत्व की रक्षा के लिए देव पत्नियों ने भौरों का रूप धारण कर लिया। और दुर्गा देवी की प्रार्थना करने लगी।
देव पत्नियों को दुखी जानकर माँ दुर्गा ने भ्रामरी का रूप धारण कर उस असुर को सेना सहित मार डाला और देव पत्नियों के सतीत्व की रक्षा की।
एक अन्य कथा के अनुसार अरुण नामक दैत्य ने भगवान् ब्रह्माजी जी की कठोर तपस्या की. ब्रह्माजी ने प्रसन्न होकर अरुण दैत्य से जब वर मांगने को कहा तो उसने ब्रह्माजी से कहा कि मुझे वर दीजिए कि कोई युद्ध में मुझे नहीं मार सके न किसी अस्त्र-शस्त्र से मेरी मृत्यु हो,
स्त्री-पुरुष के लिए मैं अवध्य रहूं और न ही दो व चार पैर वाला मनुष्य मुझे न मार सके, और ना ही देवता मुझे परास्त कर सके. ब्रह्माजी ने तथास्तु कहा और अंतरध्यान हो गए.
इस तरह ब्रह्माजी से सारे वरदान प्राप्त कर अरुण बेहद शक्तिशाली हो गया सबसे पहले उसने देवताओं को पराजित किया तथा स्वर्ग पर अधिकार कर लिया.
सभी देवताओं ने मिलकर माँ दुर्गा की उपासना की, माँ ने दर्शन देकर देवताओं की व्यथा सुनी। देवी ने जिस समय दर्शन दिया वह चारों और से भर्मरों से घिरी हुई थी इस कारन उन्हें भ्रमर देवी के नाम से सम्बोधित किया.
देवी ने भर्मरों को अरुण को मारने भेजा. इस तरह भर्मरों की विशाल संख्या से अरुण अपनी सेना सहित तड़प तड़प कर मारा गया.
मां भ्रामरी का अवतार
भंवरों से घिरी होने के कारण इस देवी को माँ भ्रामरी के नाम से जाना जाता हैं. मुख्य रूप से मधुमक्खियों के हमले से बचने के लिए माँ की पूजा की जाती हैं.
इसके अलावा विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज और मन की शान्ति तथा पवित्रता के लिए इनकी आराधना की जाती हैं.
माँ भ्रामरी देवी जगदम्बा भवानी शाकम्भरी का ही एक अवतार मानी जाती हैं, हरियाणा में देवी को बनभौरी के नाम से जाना जाता हैं. आंध्रप्रदेश के कुर्नूल ज़िले मे पर्वत पर देवी भ्रमराम्बा शक्तिपीठ और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में स्थित हैं.
श्रीशेलम पर ‘माँ भ्रमराम्बा मंदिर हैं. ये देवी सती की 51 शक्तिपीठों में से एक हैं. देवी के साथ भगवान शिव शम्बरानंद भैरव के स्वरूप में विराजित है इन्हें मल्लिकार्जुन भी कहा गया हैं.
भारत में देवी भ्रामरी की शक्तिपीठ और मन्दिरों की बात करे तो इनका एक धाम त्रिस्रोता, पश्चिम बंगाल में दूसरा बड़ा मन्दिर जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल और तीसरा बड़ा मन्दिर नाशिक, महाराष्ट्र में हैं. इन्ही के एक स्वरूप शाकम्भरी देवी के राजस्थान में कई मन्दिर हैं.