अंत भला तो सब भला पर निबंध Essay on ant bhala to sab bhala in hindi: अक्सर हम लोगों से एक कहावत या सूक्ति अवश्य सुनते हैं कर भला तो हो भला अथवा अंत भला तो सब भला. यानि किसी कार्य का समापन अच्छे ढंग से किया जाए तो परिणाम अच्छा ही मिलेगा.
जीवन में हम कार्य को कितने ही अच्छे ढंग से प्रारम्भ क्यों न कर दे, जब तक अंत अच्छा नहीं होगा हमें उसका इच्छित फल प्राप्त नहीं हो सकता. आज हम अंत भला तो सब भला की कहावत पर निबंध कविता भाषण स्पीच कहानी स्टोरी यहाँ बता रहे हैं.
Essay on ant bhala to sab bhala in hindi
हमारे जीवन में क्या भला है तथा क्या बुरा हैं. जीवन का सत्य या जुआ क्या हैं इसके सम्बन्ध में हम कोई अंतिम विचार नहीं कह सकते हैं. वक्त के साथ ही साथ हमारी सोच भी बदल जाया करती हैं.
कई बार हम स्वयं पूर्व में कहीं अपनी बात को भी गलत मान लेते हैं. बहुत से कार्य अथवा वस्तुएं ऐसी हो सकती हैं जो मेरे लिए फायदेमंद हो तथा समाज के अन्य व्यक्ति के लिए हानिकारक सिद्ध हो.
किसी कार्य की शुरुआत में हमारा मन उब सकता हैं तथा वह काज बुरा भी लगने लगता हैं. मगर निरंतर अभ्यास और उस कार्य के आरम्भिक परिणामों के बाद भी वह अच्छा लग सकता हैं. अर्थात हमें आरंभ में बुरी या बेकार लगने वाली वस्तु या कार्य अंत में भी अच्छे लग सकते हैं.
अंत भला तो सब भले की कहावत का अर्थ यही हैं कि किसी की समाप्ति से पूर्व के अनुभव खट्टे मीठे जैसे भी रहे हो यदि उसका अंत भला हो तो हम पुरे काम को भला ही समझते हैं.
अंत भला तो सब भला की कहावत को हम दैनिक जीवन के उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं. करेला, नीम, आँवला या दवाई खाना किसी को अच्छा नहीं लगता हैं.
शुरुआत में हम में से कोई भी इनके स्वाद का लुप्त लेना नहीं चाहेगा, मगर जब कभी हम बीमार पड़ते हैं. ये इन्ही आंवले या अन्य कड़वे फलों या दवाइयों का सेवन हमारे स्वास्थ्य में सुधार लाता हैं. ठीक वैसा ही हमारे जीवन में ही होता हैं.
जीवन में कई ऐसे कार्य या नौकरी होती हैं जिन्हें करने में हमारी कोई दिली ख्वाइश या रूचि नहीं होती हैं. मगर प्रतिकूल हालातों के बीच उसे शुरू करने के बाद आगे जाकर यह हमारी रूचि भी बन सकती हैं हमारी पहली पसंद भी हो सकती हैं. तथा हमारे जीवन को निखार भी सकती हैं.
अक्सर हम लोग ईश्वर से सभी के भले के साथ अपने भले की भी कामना करते हैं. भला वही होता हैं जो हमें अंत में परिणाम या फल के रूप में प्राप्त होता हैं. स्कूल का एक विद्यार्थी साल भर कड़ी मेहनत करने के बाद अंत में सफलता पाता हैं वैसे भी हमें अपने कर्मों का फल त्वरित मिलने की बजाय एक समय ही मिलता हैं.
अतः जीवन में हम जो भी कार्य करे उसे पूरी निष्ठा तथा ईमानदारी के साथ करे तो निश्चय ही उसका अंत भला होगा तथा हमें उस कार्य के लिए पछताना नहीं पड़ेगा.
कोई भी वस्तु या इन्सान जन्मजात न तो अच्छे या बुरे होते हैं. व्यक्ति का अच्छा या बुरा होना उसके कर्मों पर तथा वस्तु का उसके उपयोग पर निर्भर करता हैं.
एक आदमी शुरुआत से गलत कामों की ओर प्रवृत्त हो जाता हैं तो निश्चय ही उसका अंत बुरा तथा दर्दनाक होना ही हैं. इसलिए हम जो भी करे उसके त्वरित लाभ को छोड़कर उसके अंजाम के विषय को ध्यान रखते कर्म करे तो निश्चय ही अंत भी भला ही होगा.
अंत भला तो सब भला की कहावत का एक अच्छा उदाहरण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम हैं. जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था उनकी मनमानी नीतियों से भारतीयों का जीवन नरक बन चूका था. अतः देश के क्रांतिकारी उठ खड़े हुए तथा अपने देश की आजादी के लिए उन्होंने जंग लड़ी.
उन्हे इस बात का एहसास था कि वे एक विश्व शक्ति से टकराने जा रहे है. उसके प्राण जाने के उपरान्त भी देश आजाद न हो मगर उनका यह विश्वास भी था कि हमारे मरने से अंत अच्छा होगा, लोग जागेगे तथा अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करेंगे.
आजादी के इस अभियान में न जाने कितने लोगों ने शहादत दी, मगर उनका अंत 15 अगस्त 1947 के रूप में दुनिया के समक्ष था जब भारत का नागरिक स्वतंत्र रूप से जी सकता था. आज हम जिस आजादी का दम्भ भरते हैं यह उसी कठिन संघर्षों को भला अंत था.
अंत भला तो सब भला
इस दुनिया में अगर कोई भी इंसान किसी काम को करता है तो वह यही चाहता है कि वह जो भी मेहनत उस काम के पीछे कर रहा है, उसे अंत में उसका अच्छा परिणाम मिले या फिर सफलता मिले।
एक प्रकार से वह चाहता है कि अपनी मंजिल को प्राप्त करने में या फिर अपने काम को पूरा करने में उसे पहले चाहे जितनी भी कठिनाइयां आए परंतु उस कार्य का परिणाम अच्छा रहे।
आप जानते होंगे कि हमारा भारत देश काफी सालों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा था और अंग्रेजों की गुलामी से आजादी प्राप्त करने के लिए भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसे बहुत से क्रांतिकारियों ने अपनी जान की बाजी लगाई और अंग्रेजों का पुरजोर तरीके से विरोध किया और उन्होंने अंग्रेजों की गोलियों को अपने सीने पर झेला ताकि हमारा भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो सके।
इसके अलावा भी अन्य कई क्रांतिकारियों ने जेल में भूख हड़ताल की और अंग्रेजों का सामना किया क्योंकि वह सभी जानते थे कि अंग्रेज कभी भी भारत की भलाई के लिए सही नहीं है इसलिए अंग्रेजों से आजादी पानी ही पड़ेगी।
सभी क्रांतिकारी यह बात अच्छे तरीके से जानते थे कि अगर उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी का विरोध नहीं किया तो उनकी आने वाली पीढ़ी भी अंग्रेजों की गुलामी करेंगी और हमारा भारत देश इस प्रकार से कभी भी आजाद नहीं हो पाएगा।
इस प्रकार सभी क्रांतिकारियों ने एक सुर में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ने का ऐलान किया और इस प्रकार लंबे प्रयास के फल स्वरूप हमारे भारत देश को साल 1947 में 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता प्राप्त हुई और सभी क्रांतिकारियों का बलिदान सफल हुआ।
इसलिए मैं तो इसी बात को कहूंगा कि अंत भला हो तो सब भला हो क्योंकि सभी की मेहनत के परिणाम के तौर पर ही आज हम आजाद भारत में सांस ले पा रहे हैं और अपने अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर पा रहे हैं।
यह सभी उन क्रांतिकारियों की ही देन है जिन्होंने हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी और हमारे भारत देश को अंग्रेजों की कैद से आजाद कराया।
कहने का मतलब यह है कि सबसे आखरी में हमें जो आजादी मिली, तो इससे बड़ी और कोई भी बात नहीं हो सकती है या फिर हम यह भी कह सकते हैं कि क्रांतिकारियों ने भले ही अपने जीवन काल के दरमियान कितनी ही कठिनाइयों को झेला परंतु आखिर में उन्होंने देश को आजाद कर के ही माना।
इस प्रकार लंबे संघर्ष के परिणाम स्वरूप अंत में हमारा भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो ही गया। इसीलिए कहा जाता है कि अंत भला तो सब भला।