यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता पर निबंध | Essay on If I were the Prime Minister in Hindi

Essay on If I were the Prime Minister in Hindi प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत है आज हम आपके साथ यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता पर निबंध अर्थात देश का पीएम बनता तो क्या होता अथवा क्या करता.

इस विषय पर आपके साथ हिंदी एस्से कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए सरल भाषा में अगर / काश मैं प्रधानमंत्री होता का निबंध 100, 200, 250, 300, 400 और 500 शब्दों में साझा कर रहे हैं.

यदि मैं प्रधानमंत्री होता पर निबंध Essay on If I were Prime Minister in Hindi

यदि मैं प्रधानमंत्री होता पर निबंध Essay on If I were Prime Minister in Hindi

300 शब्द

भारत के लोकतांत्रिक देश है, जिसमें प्रधानमंत्री राष्ट्र का वास्तविक मुखिया होता है। प्रधानमंत्री का पद हमारे देश में एक सबसे महत्वपूर्ण पद होता है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 में प्रधानमंत्री का उल्लेख है। अगर भविष्य मैं मुझे भारत का प्रधानमंत्री बनने का शौभाग्य प्राप्त होता है, तो मेरे प्राथमिकता में निम्न कार्य रहेंगे –

  • भारत में एक मजबूत लोकतंत्र की स्थापना करना। भारत की समस्त सरकारी संस्थाओं के मजबूत बनाना।
  • भारत की राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना और देश में से जाति, धर्म के आदर पर होने वाले भेदभाव को रोकना।
  • भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना मेरी पहली प्राथमिकता रहेगी। भारत में उत्पादन को बढ़ावा देना।
  • भारत में एक सुशाशन की स्थापना करना।
  • देश में बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई को न्यूनतम स्तर पर लाना। 
  • अमीरी और गरीबी के बीच की खाई को कम करना।
  • देश में भष्टाचार को बिलकुल समाप्त करना।
  • देश की सैन्य ताकत को मजबूत करना और देश बाहरी और आंतरिक सुरक्षा को अत्यधिक मजबूत बनाना।
  • देश में महिलाओं को सुरक्षा को पुरुषों के समान अवसर देना।
  • महिलाओं के साथ होने वाले अपराधो के लिए सख्त कानून बनाना और उनका क्रियान्वन करना।
  • देश में पुलिस सिस्टम को मजबूत बनना, पुलिस की कार्य शैली में सुधार लाना।
  • अगर मैं भारत का प्रधान मंत्री बनता हूं तो भारत की शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार लाने का पूरा प्रयास करूंगा। उच्च शिक्षा को गरीब व्यक्ति की पहुंच में लाया जाएगा। 
  • देश में नवाचार और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना।
  • देश को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकसित बनाना।
  • देश में हर व्यक्ति को आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध करवाना और कानूनी दांव पेज को सरल बनाना।
  • देश में न्याय व्यवस्था को मजबूत और तेज बनाना।
  • देश के युवाओं को रोजगार के भरपूर अवसर उपलब्ध करवाना।
  • भारत को खेल के क्षेत्र में विश्व में शिखर पर पहुंचना, खेलों को प्रोहत्सान देना।
  • देश में किसानों को मजबूत बनना।

600 शब्द : यदि मैं प्रधानमंत्री होता

प्रस्तावना- भारत में प्रधानमंत्री का पद अति महत्वपूर्ण हैं. इसलिए प्रधानमंत्री बनना किसी भी भारतीय नागरिक के लिए गौरव की बात हैं. प्रधानमंत्री का पद जितना महत्वपूर्ण हैं उतना ही अधिक जिम्मेदारी भरा भी,

इसके बावजूद लगभग हर भारतीय का सपना प्रधानमंत्री बनने का होता हैं. यदि मैं भी जीवन में किसी पद पर पहुचने में कामयाब रहा तो यह मेरे लिए गौरव की बात होगी, यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता तो अपनी समस्त क्षमताओं का उपयोग राष्ट्र की उन्नति के लिए करता.

राष्ट्र के प्रति कर्तव्य– भारत के प्रधानमंत्री के रूप में मेरी राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों में निम्नलिखित प्राथमिकताएं होती-

शिक्षा का उचित प्रसार- देश के प्रधानमंत्री के रूप में सबसे पहले मैं भारत में शिक्षा के उचित प्रसार पर ध्यान देता. किसी भी देश का आर्थिक विकास इस बात पर निर्भर करता हैं कि उसके नागरिक कितने शिक्षित हैं.

मैं शिक्षा द्वारा उत्पादकता बढ़ाने के लिए विज्ञान की शिक्षा, कार्यानुभव एवं व्यवसायिक शिक्षा पर जोर देता.

आंतरिक सुरक्षा सुद्रढ़ करना- एक देश तब ही प्रगति की राह पर अग्रसर रह सकता हैं, जब उसके नागरिक अपने देश में सुरक्षित हो. असुरक्षा की भावना न केवल नागरिकों का जीना दूभर कर देती हैं. बल्कि इससे देश की शांति एवं सुव्यवस्था के साथ साथ इसकी प्रगति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं.

साम्प्रदायिकता, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, अलगाववाद, भाषावाद, नक्सलवाद इत्यादि भारत की आंतरिक सुरक्षा को सुद्रढ़ करने का प्रयास करता और देश की अखंडता सुरक्षित रखता.

राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा- राष्ट्र की आंतरिक शांति तथा सुव्यवस्था और बाहरी दुश्मनों से रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक हैं.

यदि हम भारतवासी आपसी मतभेदों में ही उलझे रहे तो अन्य देश हमारी स्वतंत्रता को हड़पने का प्रयास करेगे इसलिए मैं भारत की सबसे बड़ी विशेषता विविधता में एकता को महत्व देते हुए भारत की राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने का प्रयास करता.

आर्थिक चुनौतियों का समाधान– जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विषमता, भ्रष्टाचार, गरीबी, सामाजिक शोषण, बेरोजगारी अशिक्षा, औद्योगिकीकरण की मंद प्रक्रिया इत्यादि भारत की आर्थिक विकास की कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं.

प्रधानमंत्री के रूप में मैं इन आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने की कोशिश करता.

भारतीय विदेश नीति में सुधार– अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में किसी भी देश की स्थिति तभी सुद्रढ़ हो सकती हैं, जब उसकी विदेश नीति सही हो.

भारत एक शांतिप्रिय देश हैं. दुनियाभर में शांति को बढ़ावा देने एवं परस्पर सहयोग के लिए मैं भारतीय विदेश नीति में सुधार करता.

युवा पीढ़ी के प्रति कर्तव्य- किसी भी देश की शक्ति उसकी युवा पीढ़ी ही होती हैं. आज भारत की युवा पीढ़ी को बेरोजगारी का दंश बहुत बुरी तरह से झेलना पड़ रहा हैं.

जिसके कारण युवा वर्ग हताशा से भरकर नशा, चोरी तथा आपराधिक कृत्यों को करने लगा हैं. मैं प्रधानमंत्री के रूप में रोजगार के अनेकों अवसर पैदा करता. जिससे युवा शक्ति का सुनियोजन भली प्रकार हो पाता.

बुजुर्गों के प्रति कर्तव्य– बुजुर्ग राष्ट्र का अनुभव होते हैं. उनके अनुभवों का लाभ देश को मिलता रहे, ऐसी व्यवस्था करता. साथ ही वृद्धावस्था की कुछ चुनौतियों जैसे स्वास्थ्य, सुरक्षा, पेंशन आदि की भली प्रकार व्यवस्था करके बुजुर्गों के जीवन को खुशहाल बनाने का प्रयास करता.

उपसंहार– स्पष्ट है कि यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता तो देश एवं देश की जनता को सामाजिक, राजनीतिक आर्थिक एवं शैक्षिक स्तर पर सुद्रढ़ कर भारत को पुर्णतः विकसित ही नहीं खुशहाल देश बनाने का अपना सपना साकार करता.

अगर मैं प्रधानमंत्री होता essay in hindi

व्यक्ति कल्पनाशील प्राणी है– व्यक्ति कल्पनाशील प्राणी हैं. वह प्रत्येक व्यक्ति मन में अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना करता हैं. वर्तमान में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश में लोकसभा के चुनावों में सत्तापक्ष के नेताओं में प्रधानमंत्री बनने की स्पर्धा दिखाई देती हैं.

यदि मैं भी चुनाव में जीत कर लोकसभा का सदस्य बन जाता और सभी प्रतिनिधि मुझे देश का प्रधानमंत्री चुन लेते, तो कितना अच्छा होता, मैं प्रायः इसी प्रकार की कल्पनाएँ करता रहता हूँ.

देश का प्रधानमंत्री बनना– यदि मैं देश का प्रधानमंत्री होता तो यह मेरे लिए सौभाग्य का विषय होता. मैं अपने पक्ष के सदस्यों का पूरा समर्थन प्राप्त कर प्रधानमंत्री का पद स्वीकार करता.

मैं योग्य व्यक्तियों को अपने मंत्रीमंडल में उचित पद देकर देश का शासन सही ढंग से चलाने की चेष्टा करता. प्रधानमंत्री बनने पर मैं ऐसे लोगों को शासन का कार्यभार सौपता,

जो जनता की सम स्याओं और आकांक्षाओं को समझते हो तथा उन्हें दूर करने में निष्पक्षता से कार्य करने में रूचि रखते हो.

प्रधानमंत्री बनने पर मेरे कर्तव्य– यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो निम्न कर्तव्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने की चेष्टा करता.

  • मैं देश की विदेश नीति को प्रभावशाली बनाता तथा रक्षा सेनाओं पर अधिक धन व्यय करता
  • मैं देश की आर्थिक उन्नति के लिए अनेक प्रयास करता, इसके लिए विदेशों से ऋण लेने की अपेक्षा स्वावलम्बी भारत का निर्माण करता
  • मैं लघु उद्योगों तथा ग्रामीण उद्योग धंधों को बढ़ावा देने की नीति बनवाता तथा इस निमित्त एक ऐसा कोष स्थापित करता, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध हो सके.
  • मैं देश में शिक्षा के स्तर में सुधार करता, रोजगारपरक तथा तकनीकी शिक्षा पर अधिक जोर देता ताकि नवयुवक पढ़ लिखकर स्वरोजगार चला सकें.
  • मैं आवागमन के साधनों का विकास करता, कृषि उत्पादन पर अधिक बल देता और सिंचाई साधनों को सुव्यवस्थित बनाये रखने का प्रयास करता.
  • देश में साम्प्रदायिकता और जातिवाद की जो समस्या विद्यमान है मैं उसे समाप्त करने की चेष्टा करता. इस प्रकार मैं धर्मनिरपेक्ष संविधान का पालन करता.
  • इसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार कुशासन गरीबी आर्थिक पिछडापन शोषण आदि सभी बुराइयों को जड़ से समाप्त करने की चेष्टा करता.

देश की उन्नति के लिए प्रयास– इस प्रकार मैं अनेक उपायों एवं विकासोन्मुख विविध योजनाओं को प्रारम्भ कर देश के शासन तंत्र को सुव्यवस्थित एवं गतिशील बनाता

यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो देश को इतना शक्तिशाली बनाता कि उसकी गणना विश्व के सम्रद्ध एवं शक्तिशाली देशों में हो सके. मैं अपने देश को भौतिक प्रगति के साथ खगोलीय और नाभिकीय प्रगति पर भी विशेष ध्यान देता

तथा ऐसे आविष्कारों को प्रधानता देता जिनसे देश का चहुंमुखी विकास हो सके. मैं आणविक आयुधों तथा विशाल बिजलीघरों का निर्माण करवाता, परन्तु पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने की चेष्टा करता.

उपसंहार– इस प्रकार यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो स्वतंत्र भारत के अभ्युदय में अपना तन, मन और जीवन समर्पित करता. परंतु मेरे सपने और प्रधानमंत्री बनने की कल्पनाएँ कब पूरी होगी यह कहा नहीं जा सकता.

ईश्वर से प्रार्थना है   वह मेरी इस कल्पना को भविष्य में अवश्य ही साकार करे.

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