नमस्कार मित्रों आज हम मातृ दिवस पर निबंध 2024 । Essay On Mother’s Day In Hindi लेकर आए हैं। सबसे पहले आप सभी को मातृ दिवस 2024 मदर्स डे की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हैं।
हमारे जीवन मे किसी एक इंसान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान है तो वह हमारी माँ है उन्ही को समर्पित यह दिन हैं। मातृ दिवस का निबंध, भाषण, स्पीच विचार, अनुच्छेद, पैराग्राफ यहाँ शार्ट में हिंदी लैंग्वेज में स्टूडेंट्स के लिए दिया गया हैं।
मातृ दिवस पर निबंध 2024 । Essay On Mother’s Day In Hindi
माँ जीवन की वो सख्सियत होती है, जिसके लिए एक दिन नहीं पूरी जिन्दगी उनके नाम कर दी जाए तो भी अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगी. माँ यानी अपनी जननी जो जीवन रूपी इस सागर में हमें जन्म देने के साथ ही इस संसार में रहना जीना खाना-पीना सिखाती है.
माँ अपने आप से हमें सींचती है. अपने आप से ज्यादा अपनी संतान का ख्याल रखती है. जीवन की विभिन्न स्टेज पर भी उदासीन लवण की तरह हमेशा परिवार हित के लिए अपने आप को झोंक देती है.
माँ की ममता का इस दुनिया में कोई मोल नहीं है. माँ से इस संसार में कोई नहीं होता है. माँ वो इन्सान है, जो दुनिया के हर व्यक्ति की जगह को भर सकती है, पर माँ का स्थान माँ के आलावा कोई पूर्ण नहीं कर सकता है.
निबंध 1 (300 शब्द)
अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस माँ के लिए एक ख़ास दिन होता हैं. दुनिया भर समेत भारत में भी विगत कई दशकों से मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता हैं.
इस दिन विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता हैं. माताओं को स्कूल आदि में आमंत्रित कर सम्मान किया जाता हैं. बच्चे इस दिन अपनी माँ को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ करते हैं.
ममता का भंडार माँ जीवन भर अपने बच्चें का पालन पोषण करती है उन्हें लाड प्यार देती हैं. एक दिन बच्चे भी अपनी प्यारी माँ के सम्मान में उस प्यार का अंश लौटाने के लिए इस परम्परा का पालन करते है तथा विश्व मातृ दिवस को मनाते हैं.
इस अवसर पर स्कूलों में माँ पर आधारित भाषण, कविताओं और निबंध की प्रतियोगिताओं एवं कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं.
हमारे जीवन में माँ का बहुमूल्य योगदान हैं, उसके बलिदान और त्याग का ऋण कभी भी अदा नहीं किया जा सकता, परन्तु इस परम्परा में एक दिन ही सही माँ के लिए अच्छा पुत्र पुत्री बनकर मातृ दिवस सेलिब्रेट किया जाता हैं.
एक बच्चें के जन्म से उनके भविष्य के निर्धारण, चरित्र व आदतों के निर्माण में माँ की भूमिका सबसे बड़ी होती हैं. बालक की जरूरत से लेकर उसके लिए अच्छी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना माँ ही सिखाती हैं.
सवेरे सबसे पहले उठकर देर रात सबसे बाद में सोने वाली माँ का पूरा जीवन अपने बच्चों पर समर्पित रहता हैं. बच्चें को सुबह उठाना, ब्रश करवाकर, नहलाना, नाश्ता करवाना, टिफिन बनाकर स्कूल छोड़ना, फिर वापिस लाना, डिनर करवाना, गृह कार्य में मदद करना बीमार होने पर बच्चें का ख्याल रखना इस तरह अपने एक दिन में माँ पूरी तरह बालक के पालन पोषण उनकी केयर में बिता देती हैं.
यह हकीकत है, हम माँ के एहसानों की गणना नहीं कर सकते हैं. वह चौबीस घंटे और सातों वार अपने परिवार व बच्चों के लिए काम में बिना तनख्वाह के लगी रहती हैं. संतान कल्याण के भावों से परिपूर्ण माँ की शक्ति प्रेरकीय हैं.
उसका महत्व हमें जब एहसास होता है जब वो हमसे दूर हो जाती हैं. उसके लाड दुलार बराबरी कोई नहीं कर पाएगा. मातृ दिवस जैसे अवसरों पर कम से कम वह माँ एक बार गले मिलने की हकदार तो है जिन्होंने वर्षों तक हमारे बोझ को ढोया हैं.
निबंध 2 ( 700 शब्द)
आज मातृ दिवस है मातृदिवस संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है माँ का दिन, अंग्रेजी में इसे मदर्स डे कहा जाता है जो प्रचलित नाम भी हैं। प्रत्येक साल मई के दूसरे रविवार को माँ का दिन संसार भर में मनाया जाता हैं। मातृ दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य अपनी माँ के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति हैं।
भारत पर्वों एवं त्योहारों का देश है मगर मातृ और पितृ दिवस की परिपाटी हमारे लिए नवीन है। इसकी एक वजह भी है ये पर्व मूलतः पश्चिमी देशों की संस्कृति से जुड़े हुए हैं।
जहां वर्ष में एक बार संताने अपनी माँ के प्रति सम्मान दर्शाते हैं। जबकि भारतीय संस्कृति में माँ को जगतजननी का स्वरूप मानकर उन्हें नित्य वन्दनीय माना हैं। हमारे जीवन का प्रत्येक पल और सम्पूर्ण जीवन उन्ही के चरणो की सेवा में अर्पित है।
मातृ दिवस भले ही दुनिया भर में अलग अलग तरीकों से मनाया जाए , मगर इसका उद्देश्य अपनी जननी के प्रति इस दिन सर्वस्व त्याग का रहता हैं।
संसार के अन्य रिश्ते नाते हमारे जन्म के बाद समझ विकसित होने के बाद शुरू होते है, जबकि माँ और बच्चे का नाता जन्म पूर्व से ही होता है। माँ अपनी संतान को जन्म देने से पूर्व 9 माह तक अपनी कोख में जगह देती है ततपश्चात उसे दुनिया मे लाती हैं।
आज हम जो कुछ भी है वह अपनी माँ की बदौलत ही है। यही वजह है माँ के प्रति सन्तान का स्नेहिल रिश्ता होता है। जो जन्म के पहले से आरम्भ होकर आजीवन बना रहता है। मातृ दिवस वह खास दिन है, जब सन्तान विशेष तौर पर अपनी माँ के लिए कुछ करते हैं।
माँ और सन्तान के बीच के रिश्ते को शब्दों में अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता हैं। प्रगाढ़ प्रेम से लबरेज इस रिलेशन में सदैव एक दुसरे के प्रति फिक्र बनी रहती है।
जब बच्चा किसी कठिनाई में होता है तो उसे माँ की ही याद आती है माँ भी विपदा के समय सर्वाधिक याद अपनी सन्तान को ही करती हैं।
माँ का लालन पोषण तथा उसकी प्यार भरी पुचकार बच्चे के शारीरिक मानसिक और बौद्धिक विकास को परिपक्वता की ओर ले जाती हैं। जबकि माँ के वात्सल्य से वंचित बालक बड़े होने के बाद भी स्वयं को हीन तथा आत्मविश्वास से कमजोर पाते हैं।
माँ की ममता ही माँ पुत्र पुत्री के रिश्ते को खूबसूरत स्वरूप प्रदान करती हैं। यही कारण है कि संसार के समस्त रिलेशन स्वार्थों से बंधे होते है मगर माँ और बच्चे का रिश्ता निस्वार्थ प्रेम का बंधन होता हैं।
सबसे पहले मातृ दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत ग्रीस देश मे आरम्भ हुई थी। एक त्योहार की तरह लोग देवी देवताओं की माँ का पूजन किया करते थे। कालांतर में यह अपनी जननी के पूजन का त्योहार बनकर समूचे विश्व मे मनाया जाने लगा।
हमारे प्रति माँ के उपकार अनगिनत हैं, उनके ऋणों को एक जीवन में अदा कर पाना सम्भव नहीं है। मगर मातृ दिवस जैसे अवसरों पर उनका सम्मान कर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता अवश्य प्रकट करें।
माँ के प्रति पूर्ण समर्पण के भावों को जगाने के लिए मातृ दिवस मनाया जाता हैं। वर्ष के 365 दिनों में से एक दिन विशेष रूप से माँ के लिए आवंटित किया गया हैं।
इसे लोग अपने अपने तरीकों से सेलिब्रेट करते हैं। कुछ पार्टी पिकनिक आदि कार्यक्रमो का आयोजन करते है तो कुछ अपनी माँ को उपहार और शुभकामनाएं देते हैं। भारत मे इस दिन मातृ पितृ पूजन किया जाता हैं। भिन्न भिन्न तरीकों से बच्चे युवा अपनी माँ के प्रति भावनाओं को प्रदर्शित करते हैं।
पंच तत्वों से बने हमारे मानव शरीर को जामा माँ ही पहनाती है तभी हम एक स्वरूप लेकर इस दुनिया में है। हमारे आतित्व का सबसे अधिक जुड़ाव और हम पर सबसे अधिक हक हमारी माँ का ही हैं। वह हमें जन्म देकर स्नेह दुलार से जीवन जीने का ढंग सिखाती हैं।
माँ के संस्कार रूपी बीज फलित होकर ही हमें एक चरित्र एवं विचार प्रदान करते हैं। यदि हम सफल और नेक इंसान बन पाते है तो इसकी वजह और ऐसा बनने की सबसे अधिक खुशी हमारी माँ को ही होगी। व्यस्त जीवन के बीच मातृ दिवस के अवसर पर अपनी माँ को समर्पित एक दिन निकालकर उनके उत्सव के रूप में मनाना हमारा कर्तव्य है ।
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