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कामकाजी महिलाओं पर निबंध Essay on Problems of Working Women in India, Kamkaji Mahilao Par nibandh class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 Students.
कामकाजी महिलाओं पर निबंध Essay on Problems of Working Women in India in Hindi
प्रस्तावना– पुरुष और महिला सामाजिक संरचना के दो महत्वपूर्ण अंग हैं. समाज और सत्ता पुरुष संचालित रहे हैं. उसमें महिलाएं दोयम दर्जे की नागरिक रही हैं.
किन्तु आज उन्होंने इस धारणा को निर्मूल सिद्ध कर दिया है कि महिलाएं पुरुषों के समान काम नहीं कर सकतीं.
वर्तमान में महिलाओं की स्थिति– आज महिलाओं द्वारा उच्च शिक्षा ग्रहण कर पुरुष के बराबर अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया जा रहा हैं.
चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर, प्रोद्योगिकी तथा प्रशासनिक एवं पुलिस सेवाओं में उनका पुरुषों के समान ही सम्मानजनक स्थान हैं. पुलिस सेवा में किरण बेदी जैसी अनेक महिलाएँ अपनी कार्यकुशलता का लोहा मनवा चुकी हैं.
आज केन्द्रीय राजधानी दिल्ली और राज्यों की राजधानियों के उच्च पदस्थ स्थानों पर महिलाओं ने अपनी योग्यता सिद्ध की हैं.
यूरोप और अमेरिका ही नहीं आज इजरायल, मिस्र और छोटे छोटे अरब देशों एवं अफ्रीका जैसे पिछड़े महाद्वीपों के छोटे छोटे देशों तथा भारत की अनेक महिलाओं ने वायुयान संचालन, सेना, पुलिस और परिवहन के क्षेत्रों में भी कार्य करके पुरुषों की बराबरी करने का साहस दिखाया हैं.
सामाजिक प्रगति में योगदान– संसार के विकसित देशों और विकासशील देशों में नारी का अपने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान हैं. भारत में भी कुशल और उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं का प्रतिशत बढ़ता जा रहा हैं.
इस प्रकार कामकाजी महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं. राष्ट्र के निर्माण और विकास में उनका योगदान कम महत्व का नहीं हैं.
कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ– भारत में शिक्षण प्रशिक्षण और कामकाज करके योग्यता ग्रहण करने में तो महिलाओं का तेजी से योगदान बढ़ा हैं.
परन्तु पुरुष समाज का नारी के प्रति दृष्टिकोण अभी तक नहीं बदला हैं. आज भी पुरुष नारी को हेय दृष्टि से देखता हैं. अतः उनके विकास और स्वतंत्रता की राह में हर तरह के कांटे बिछाने का प्रयास किये जा रहे हैं.
परिणामस्वरूप महिलाएँ अपनी योग्यता के अनुसार खुलकर कार्य नहीं कर पाती हैं. भारतीय समाज तो अभी तक प्राचीन सामंती व्यवस्था की मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाया है. यहाँ कामकाजी महिलाएँ बड़ी कठिनाई से अपना जीवन यापन कर पा रही हैं.
हमारे देश में आज भी अकेली महिलाएँ देर रात तक घर से बाहर नहीं रह पाती हैं. यदि भूलवंश ऐसा हो भी जाए तो असभ्य दरिंदों की सामूहिक हवश का उन्हें शिकार होना पड़ता हैं. अतः भारत में आज भी महिलाएँ सुरक्षित नहीं कही जा सकती हैं.
समस्याओं का समाधान– सदियों से संघर्ष करते करते महिलाओं ने बड़ी कठिनाई से इस स्थिति को प्राप्त किया हैं. जिसमें वह पुरुष की क्रीतदासी न होकर उसकी सहयोगिनी बन पाई हैं.
वह पुरुष के समान ही राष्ट्र निर्माण एवं विकास में भाग ले रही हैं. अतः असभ्य आचरण करने वाले थोड़े से दरिंदों के भय से वह अपना लक्ष्य त्याग नहीं सकती.
सरकारी स्तर पर कामकाजी महिलाओं के लिए महिला हॉस्टल बनाए गये हैं. जहाँ वे सुरक्षित व् सुखपूर्वक रहकर राष्ट्र निर्माण के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर रही हैं.
बड़े शहरों में इस प्रकार के सामूहिक फ्लैट्स बनाए गये हैं जिनमें महिलाएँ सुख सुविधा सम्पन्न सुरक्षित जीवन यापन कर रही हैं. कामकाज के स्थान पर भी उन्हें हर प्रकार की सुरक्षा उपलब्ध हैं.
शिक्षा के प्रसार ने पुरुषों के दृष्टिकोण में भी अपेक्षित परिवर्तन किया हैं. अतः अब कामकाजी महिलाएँ निश्चिन्त होकर राष्ट्र के विकास में सहयो गिनी बनी हुई हैं.
उपसंहार– राष्ट्र और समाज की प्रगति में जब हम महिलाओं से योगदान की अपेक्षा रखते हैं. तो प्रायः यह भूल जाते हैं. कि एक कामकाजी महिला को दोहरी भूमिका निभानी पडती हैं. एक कार्यस्थल से और दूसरी परिवार से सम्बन्धित होती हैं.
प्रायः स्त्री से यह आशा की जाती हैं कि काम पर जाने से पूर्व और काम से लौटाने के बाद वह गृहिणी की भूमिका भी पूरी जिम्मेदारी से निभाए. यह अन्याय है पुरुषों को भी घर की जिम्मेदारी में बराबर का सहयोग करना चाहिए.