विकिरण रेडियोधर्मी प्रदूषण पर निबंध | Essay on Radioactive Pollution in Hindi

नमस्कार आज का निबंध, विकिरण रेडियोधर्मी प्रदूषण पर निबंध Essay on Radioactive Pollution in Hindi पर दिया गया हैं.

आसान भाषा में स्टूडेंट्स के लिए विकिरण पोल्यूशन क्या है इसके कारण प्रभाव आदि पर सरल हिंदी निबंध यहाँ दिया गया हैं.

उम्मीद करते है रेडियोधर्मी प्रदूषण का यह निबंध आपको पसंद आएगा.

रेडियोधर्मी प्रदूषण पर निबंध Essay on Radioactive Pollution in Hindi

विकिरण रेडियोधर्मी प्रदूषण पर निबंध | Essay on Radioactive Pollution in Hindi

रेडियोधर्मी यह एक विकिरण जनित प्रदूषण का प्रकार हैं. इसे रेडियोलॉजिकल प्रदूषण के नाम से भी जाना जाता हैं. इस प्रकार के प्रदूषण से मानव, जीव, जंतु, पौधे, मृदा तथा वातावरण सभी प्रभावित होते हैं.

अधिक मात्रा में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति पर्यावरण के लिए बेहद घातक हैं तथा यह अपने उच्चतम स्तर पर प्रदूषण का रूप धारण कर लेती हैं.

रेडियोएक्टिव पदार्थों के विकिरणों से होना वाला प्रदूषण विकिरण प्रदूषण कहलाता हैं. इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण भी कहते हैं. इनसे होने वाला विकिरण प्रदूषण अन्य प्रदूषणों की तुलना में अधिक हानिकारक हैं.

इसका महाघातक प्रभाव सर्वप्रथम अमेरिका द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर डाले परमाणु बम के समय देखा गया.

इसके प्रदूषण का नुकसान मानव की कई पीढ़ियों को सहन करना पड़ता हैं. इससे आनुवंशिक रोग व विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं, कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियाँ हो जाती हैं.

मार्च 2011 में जापान में आई सुनामी के कारण वहां के परमाणु ऊर्जा संयंत्र में विस्फोट होने से रेडियोएक्टिव विकिरण हुआ जिससे संस्थान में काम करने वाले कुछ कर्मचारी मारे गये.

रेडियोधर्मी प्रदूषण को रोन्टजेन से मापते हैं. इसे रैम भी कहते हैं. 20 मिली रैम तक का विकिरण जीवधारियों के लिए हानि कारक नहीं होता हैं, परन्तु इससे अधिक का विकिरण हानिकारक होता हैं.

विकिरण रेडियोधर्मी प्रदूषण के स्रोत (sources of radioactive pollution in points)

रेडियोधर्मी प्रदूषण प्राकृतिक व मानवीय कृत्रिम दोनों स्रोतों से होता हैं.

प्राकृतिक स्रोत (Natural source)

  • बाह्य वातावरणीय– ये किरणें सूर्य के प्रकाश से आती है तथा ओजोन परत को भेदकर पृथ्वी पर आती हैं इन किरणों से मानव शरीर को अधिक नुकसान पहुँचता हैं.
  • स्थलीय स्रोत– पृथ्वी पर चट्टानों में रेडियोधर्मी तत्वों का भंडार पाया जाता हैं. ये तत्व यूरेनियम, थोरियम, रेडियम निरंतर रेडियोधर्मी विकिरण छोड़ते रहते हैं जो धीरे धीरे निकटवर्ती लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं.

मानवीय स्रोत (Human source)

  • नाभिकीय विस्फोट- नाभिकीय विस्फोटों से एक बड़े नाभिक पर छोटे छोटे नाभिकों की बमबारी की जाती हैं. बड़े नाभिक के विखंडन पर घातक विकिरणों निकलती हैं.
  • नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र- प्रायः नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों को मनुष्य गहन आवरणों में रखता हैं. फिर भी कभी कभी दुर्घटना होने पर भयंकर क्षति होती हैं. जैसे 1979 में अमेरिका तथा 1986 में चेनोबिल में रेडियोबिल में रेडियोधर्मी रिसाव से अपार क्षति हुई थी.
  • चिकित्सा क्षेत्र– शरीर की भीतरी संरचना को जानने के लिए विभिन्न प्रकार की विकिरणों का का प्रयोग किया जाता हैं एक्सरे, सोनोग्राफी, रेडियोग्राफी, केट स्केनिंग, रेडियोथैरेपी आदि में रेडियोधर्मी विकिरणों का प्रयोग किया जाता हैं. ये किरणें उपयोगी होने के साथ ही घातक भी हैं. अतः इनका बार बार अनावश्यक प्रयोग नहीं करना चाहिए.

रेडियोधर्मी प्रदूषण के दुष्प्रभाव (Side effects of radioactive pollution)

  • इससे त्वचा का कैंसर और आँख में कैरेरेक्ट हो जाता हैं.
  • यह कोशिकाओं में उत्परिवर्तन पैदा करता हैं.
  • यह डीएनए के एक पक्ष या दोनों सूत्रों को खंडित कर देता हैं.
  • जैव अणुओं में होने वाले परिवर्तन कोशिकाओं को परावर्तित कर देते हैं. जो या तो मर जाती है या फिर अन्तः असामान्य रूप से कार्य करने लगती हैं.

रेडियोधर्मी प्रदूषण पर नियन्त्रण के उपाय (control measures of radioactive pollution)

रेडियोधर्मी प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु निम्न उपाय किये जा सकते हैं.

  • परमाणु अस्त्रों के प्रयोग व परीक्षण पर रोक लगाकर
  • परमाणु अपशिष्टों के निस्तारण की निरापद व्यवस्था करना
  • परमाणु संयंत्रों के निर्माण में बेहतर तकनीक का प्रयोग जिससे रिसाव न हो
  • मानव प्रयोगों उपकरणों को रेडियोधर्मिता से मुक्त किया जाना चाहिए.
  • चश्मे आदि लगाकर UV विकिरणों से बचना चाहिए.

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