संस्कृत भाषा पर निबंध Essay On Sanskrit Language In Hindi: विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक तथा दक्षिण एशियाई भाषाओं की जगत जननी संस्कृत (संस्कृतम्) को माना जाता हैं.
ये महज भारतीय भूभाग तक सिमित न होकर इस पूरे उपमहाद्वीप की भाषा हुआ करती थी. हिन्द आर्य वर्ग की इस भाषा को देव वाणी और सुर भारती उपनामों से भी जाना जाता हैं.
भारत के इतिहास संस्कृति धर्म (हिन्दू, बौद्ध, जैन ) आदि में संस्कृत का बड़ा महत्व हैं. हिन्दूधर्म के अधिकाँश वेद सहित ग्रंथ इसी भाषा में रचे गये हैं.
आज निबंध भाषण स्पीच अनुच्छेद पैराग्राफ में हम संस्कृत इसका जीवन में महत्व Importance In Our Life संस्कृत दिवस डे पर निबंध बता रहे हैं.
संस्कृत भाषा पर निबंध Essay On Sanskrit Language In Hindi
Hello Friends Here IS Short Essay On Importance Of Sanskrit Language. Few Lines Like 5,10 Short Essay For School Kids On Importance Of Tongue Of Sanskrit That’ Also Mother Tounge Of Indian Modern Languages.
Essay On Importance Of Sanskrit Language In Sanskrit संस्कृत भाषाया महत्त्वम् निबंध
संस्कृतभाषा अस्माकं देशस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति. प्राचीनकाले सर्वे भारतीयाः संस्कृतभाषायाः व्यवहारं कुर्वन्ति स्म. कालान्तरे विविधा: प्रांतीया: भाषा: प्रचलिता: अभवन.
किन्तु संस्कृतस्य महत्वम अद्यापि अक्षुण्ण वर्तते. सर्वे प्राचीनग्रन्था: चत्वारो वेदाश्च संस्कृतभाषायामेव सन्ति. संस्कृतभाषा भारतराष्ट्रस्य एकताया आधार: अस्ति. संस्कृतं सर्वत्र देशे समानरूपेण आद्रियते.
संस्कृतभाषाया: यत स्वरूपं अद्य प्राप्यते तदेव अद्यत: सहस्त्रवर्षपूर्वमेव आसीत्. संस्कृतभाषाया: स्वरूपं पूर्णरूपेण वैज्ञानिकम अस्ति. अस्य व्याकरण पुर्णतः तर्कसम्मतं च. आचार्य दण्डीना सम्यगेवोक्तं
“भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती”
संस्कृत भाषा हमारे देश की सबसे प्राचीन भाषा हैं. आदिकाल में सभी भारतीय संस्कृत भाषा में ही समस्त क्रियाकलाप करते थे. धीरे धीरे विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं का जन्म होता गया.
मगर संस्कृत भाषा का महत्व आज भी उतना ही हैं. हमारे प्राचीन ग्रंथ जिनमें चारों वेद संस्कृत भाषा में ही लिखे गये हैं. संस्कृत भारत को एकता के सूत्र में बांधती हैं. सम्पूर्ण देश भर में संस्कृत भाषा का आदर सम्मान किया जाता हैं.
आज हमें संस्कृत का जो स्वरूप मिलता है वह हजारों वर्षों के उपरान्त बना हैं संस्कृत पूर्ण रूप से एक वैज्ञानिक भाषा हैं जो व्याकरण की दृष्टि से तर्क सम्मत भी हैं. इसके बारे में आचार्य दण्डी ने कहा हैं.
“सर्व भाषाओंमें संस्कृतका अपना महत्व है, संस्कृत सबसे मधुर और दिव्य है | उसमें भी संस्कृतके काव्य अत्यधिक मधुर हैं”
Essay On Importance Of Sanskrit Language In Hindi
जिस समय विश्व के अन्य देशों में लोग सांकेतिक भाषा से काम चला रहे थे उस समय भारत में संस्कृत भाषा द्वारा ब्रह्म ज्ञान का प्रसार किया जा रहा था. इसके प्रयोग का क्षेत्र अत्यधिक विशाल था. इसका स्पष्ट वर्णन पतंजलि के महाभाष्य में मिलता है.
धीरे धीरे देशकाल एवं वातावरण के प्रभाव के कारण संस्कृत भाषा प्राकृत अपभ्रंश एवं आधुनिक बोलियों जैसे खड़ी बोली का रूप धारण करती हुई भी अपने निज स्वरूप से विचलित नहीं हुई, किन्तु स्थिति यहाँ तक पहुंची कि इसे कतिपय लोगों द्वारा मातृ भाषा के रूप में सम्बोधित किया जाने लगा.
प्राचीन काल में कंठस्थीकरण पर बल था तथा सूत्र प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा था. संस्कृत अव्याकृत थी अर्थात प्रकृति प्रत्यय आदि के विभाग रहित होने के कारण इसका उपदेश प्रतिपद पाठ विधि से किया जाता था. अर्थात एक एक करके शब्द पढ़े जाते थे. गौ, अश्व, हस्ती आदि.
इस विधि से शिक्षण में अधिक समय लगता था. इस कठिनाई के निवारण हेतु उसके प्रत्येक शब्द को विभक्त कर अध्ययन की सुगमता के लिए वैज्ञानिक विधि का निर्माण किया गया
और उसमें प्रकृति प्रत्यय आदि की कल्पना की गई. इसी प्रकार प्राचीन व्याकरण ग्रंथों हमें निगमन विधि का रूप भी दृष्टिगत होता हैं. शास्त्रार्थ तर्क वितर्क प्रश्नोत्तर द्वारा भी शिक्षण को रोचक बनाया जाता था.
धीरे धीरे शिक्षा पद्धति में परिवर्तन आया. ब्रिटिश काल से अब तक संस्कृत शिक्षण के क्षेत्र में पाठ्यवस्तु विधि, प्रत्यक्ष विधि विश्लेषणात्मक विधि, व्याख्या विधि एवं व्याकरण विधि का प्रचलन रहा. हम कई वर्षों से पाठ योजना के निर्माण हेतु हरबर्ट की पंचपदी का अनुकरण करते आए हैं.
संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि विश्व की विभिन्न भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा कंप्यूटर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त भाषा है, अतः संस्कृत को रोचक बनाने के प्रयास किये जाने चाहिए, ताकि यह अपने अस्तित्व को पुनः प्राप्त कर सके.
संस्कृत भाषा या संस्कृत दिवस 2023 का महत्व ( Sanskrit Language Day , Sanskrit Diwas Date in hindi)
नेपाल तथा भारत के दस लाख से अधिक लोग आज भी संस्कृत को बोलते एवं समझते हैं. हिन्दू धर्म के समस्त तरह के पूजा पाठ एवं यज्ञ हवन आदि के मंत्र व जाप इसी भाषा में पढ़े जाते हैं.
संस्कृत के महत्व के बारे में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था, “संस्कृत पूरे भारत को भाषाई एकता के सूत्र में बांध सकने वाली इकलौती भाषा हो सकती है” इन्होंने संस्कृत को भारत की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रस्ताव भी दिया था.
विगत कई दशकों से डी डी न्यूज द्वारा संस्कृत आधारित एक कार्यक्रम भी प्रसारित किया जाता हैं. देश के कई राज्यों में तृतीय भाषा के रूप में इसका अध्यापन कार्य करवाया जाता हैं.
कई संस्कृत महाविद्यालय एवं शिक्षण संस्थान भी हमारे देश में हैं. देश के एक राज्य उत्तराखंड में संस्कृत को राज्य की द्वितीय राज भाषा के रूप में भी मान्यता प्राप्त हैं.
आपकों जानकारी हो कि हमारे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित 22 भाषाओं में संस्कृत भी हैं.
संस्कृत दिवस कब मनाया जाता है (Sanskrit Day Date 20223)
अन्य भाषाओं के दिवस की भांति संस्कृत दिवस मनाया जाता हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक़ हर साल सावन महीने की पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस मनाया जाता हैं.
वर्ष 1969 से भारत में हर साल संस्कृत दिवस मनाया जाता रहा है, आपको जानकारी होगी इस दिन हिन्दुओं द्वारा भाई बहिन का पवित्र पर्व राखी भी मनाया जाता हैं. दोनों भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए उत्सव वर्ष 2023 में 22 अगस्त के दिन मनाएं जाएगे.
संस्कृत भाषा का महत्व (Sanskrit Language Importance in hindi)
हमारी जड़ो से जुडी एक ही भाषा है वह है संस्कृत जो बेहद मधुर सरल एवं सुंदर भाषा भी हैं. हमारे समाज व संस्कृति के निर्माण में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं.
जब हम दस हजार साल पुरानी भारतीय सभ्यता की बात करते है संस्कृत उसका प्रमाण हैं. हमारे अतीत के ज्ञान चाहे वह धर्म ग्रंथों आयुर्वेद चाणक्य की अर्थशास्त्र या चिकित्सा खगोल नक्षत्र विद्या का स्त्रोत संस्कृत ही है. इस भाषा की सहायता के बिना हम अपने अमृत रुपी उस कैवल्य ज्ञान को कभी नहीं पा सकते हैं.
आधुनिक युग मे संस्कृत की महत्ता (Importance of Sanskrit Language in modern world)
संस्कृत विश्व की सब भाषाओं की जननी है. इसके बाद भी यह अपने ही घर भारत में उपेक्षित हो रही है. संस्कृत के कई पक्षधर ही इसे देव वाणी बनाकर सामान्य जन से दूर कर देते है.
वास्तविकता यह है कि यह जन वाणी रही है और आज भी बड़ी सरलता से यह जनवाणी बन सकती थी. सामान्य व्यक्ति को प्रेरणा देने और उसे संस्कारित करने की तो इस भाषा की विलक्षण क्षमता है.
देश जब स्वतंत्र हुआ तो उस समय देश के नेतृत्व में संस्कृत के प्रति अनुराग था. इसलिए सरकारी संस्थानों के ध्येय वाक्य संस्कृत में ही चुने गये.
बाद में सेकुलरवाद ने संस्कृत को प्रष्ठभूमि में धकेल दिया. यहाँ संस्कृत के कुछ ध्येय वाक्य दिए जा रहे है. जो बताते है कि संस्कृत भारत का मन और मस्तिष्क है.
विभिन्न संस्थाओं के संस्कृत ध्येय वाक्य (Sanskrit logos of various institutions)
- भारत सरकार- सत्यमेव जयते
- लोकसभा- धर्मचक्र प्रवर्तनाय
- उच्चतम न्यायालय- यतो धर्मस्ततो जयः
- दूरदर्शन- सत्यं शिवम सुनदरम
- भारतीय जीवन बीमा निगम- योगक्षेमं वहाम्यहम
- आल इंडिया रेडियों- सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय
- भारतीय सांख्यिकी संस्थान- भित्रेष्वेक्स्य दर्शनम्
- भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी- हव्याभि भर्ग सवितुर्वरेण्यं
- भारतीय प्रशासनिक सेवा अकादमी- योगः कर्मसु कौशलं
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई- सिद्धिभर्वति कर्मजा
- भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद- विद्या विन्योगाद्विकास
- भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान खडगपुर- योगः कर्मसु कौशलम
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई- ज्ञानं परमं ध्येयम
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग- ज्ञान विज्ञानं विमुक्तये
- आंध्र विश्वविद्यालय- तेजस्विनावधितमस्तु
- दिल्ली विश्वविद्यालय- निष्ठां धृति: सत्यम
- केरल विश्वविद्यालय- कर्मणि व्यजयते प्रज्ञा
- राजस्थान विश्वविद्यालय- धर्मों विश्वस्यजगत: प्रतिष्ठा
- हिंदी अकादमी- अहम् राष्ट्री संगमनी वसूनाम
- श्रम मंत्रालय- श्रम मेव जयते
- गुजरात रा. विधि विश्वविद्यालय- आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः
- राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम- शुभास्ते पंथान: सन्तु
- बिरला प्रौद्योगिकी विज्ञान संस्थान, पिलानी- ज्ञानं परमबलम
भारतीय सेना में संस्कृत के लोगो (आदर्श वाक्य) (Sanskrit logo in the Indian Army)
- थल सेना- सेवा अस्माकं धर्मः
- वायु सेना- नभः स्पर्शः दीप्तम
- जल सेना- शं नो वरुणः
- सेना ई एम ई कोर- कर्मः हि धर्मः
- सेना राजपूताना रायफल- वीर भोग्या वसुंधरा
- सेना मेडिकल कोर- सर्वे सन्तु निरामयाः
- सेना ग्रेनेडियर रेजीमेंट- सर्वदा शक्तिशालिम
- सेना राजपूत बटालियन- सर्वत्र विजये
- सेना डोगरा रेजीमेंट- कर्तव्यम अन्वात्मा
- सेना गढ़वाल रायफल- युद्धाय कृत निश्चय
- सेना कुमायु रेजीमेंट- पराक्रमों विजयते
- सेना कश्मीर लाइट इफैन्ट्री- बलिदानं वीर लक्ष्यं
- भारतीय तट रक्षक- वयम रक्षामः
अन्य देशों में भी संस्कृत के प्रति गहरा सम्मान है, तनिक देखिये (Importance of Sanskrit language in the world)
- नेपाल सरकार- जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपिगरीयसी
- कोलम्बों विश्वविद्यालय (श्रीलंका)- बुद्धि: सर्वत्र भ्राजते
- पेरादेनिया विश्वविद्यालय (श्रीलंका)- सर्वस्य लोचनशास्त्रम्
- इंडोनेशिया थल सेना- ज्लेष्वेव जयामहेस्नेह
- राष्ट्रीय पुलिस इंडोनेशिया- राष्ट्र सेवकोतम
- मोराटुवा विश्वविद्यालय (श्रीलंका) विद्यैव सर्वधनम
जब हम आज के युग में संस्कृत भाषा के महत्व की बात करते हैं तो इसे समझने के लिए हमें विभिन्न पहलुओं की ओर देखना होगा. हमें यह समझना होगा कि हमारे जीवन में संस्कृत का महत्व कितना हैं.
शायद आप जानते होंगे संस्कृत के प्रसार प्रचार में भारतीयों से अधिक योगदान विदेशी लेखकों एवं यात्रियों का रहा हैं. अंग्रेज विद्वान् सर विलियम जॉन, सर चार्ल्स विल्किंस, मैक्स मुलर आदि का नाम प्रमुखता से लिया जाता हैं.
सर विलियम जेम्स ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में कलकत्ता में जज थे. उन्होंने संस्कृत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
उन्होंने कलकत्ता में एशियाई सोसायटी की स्थापना की तथा संस्कृत के आदिकवि कालिदास जी के दो ग्रन्थ अभिज्नना शकुंतला’ एवं ‘रितु संहार’ का अंग्रेजी अनुवाद भी किया था.
उन्होंने गीता गोविंदा तथा मनुस्मृति को भी अंग्रेजी में अनुवादित किया था, सर विल्किंस ने भी श्रीमद् भागवत गीता को अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया था.
भारत में मौजूद संस्कृत यूनिवर्सिटी (List of sanskrit university in India)
अब हम आपकों भारत में संचालित संस्कृत महाविद्यालयों एवं विश्व विद्यालयों की सूची बता रहे हैं, जहाँ आधुनिक समय के मुताबिक़ संस्कृत के पाठ्यक्रम का शिक्षण करवाया जाता हैं.
मौसम विज्ञान, अंतरिक्ष, खगोल विज्ञानं चिकित्सा स्वास्थ्य योग तथा धर्म के गहरे ज्ञान को भारतीय स्वरूप में तभी पाया जा सकता है जब हम संस्कृत जानते हो तथा अपने प्राचीन ग्रंथों का स्व अध्ययन कर पाए हो.
क्रमांक | यूनिवर्सिटी का नाम | सन | जगह |
1. | सम्पूर्ण आनंद संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1791 | वाराणसी |
2. | सद्विद्या पाठशाला | 1876 | मैसूर |
3. | कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1961 | दरभंगा |
4. | राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ | 1962 | तिरुपति |
5. | श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ | 1962 | नई दिल्ली |
6. | राष्ट्रीय संस्कृत संसथान | 1970 | नई दिल्ली |
7. | श्री जगन्नाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1981 | पूरी, उड़ीसा |
8. | नेपाल संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1986 | नेपाल |
9. | श्री शंकराचार्य यूनिवर्सिटी ऑफ़ संस्कृत | 1993 | कलादी, केरल |
10. | कविकुलागुरु कालिदास संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1997 | रामटेक |
11. | जगद्गुरु रामानंदचार्य राजस्थान संस्कृत यूनिवर्सिटी | 2001 | जयपुर |
12. | श्री सोमनाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी | 2005 | सोमनाथ, गुजरात |
13. | महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय | 2008 | उज्जैन |
14. | कर्नाटक संस्कृत यूनिवर्सिटी | 2011 | बैंग्लोर |
My Name Mr Cheese