राजस्थान के भौतिक प्रदेश | Geography Of Rajasthan In Hindi राजस्थान भौगोलिक ऐतिहासिक और सामाजिक व सांस्कृतिक दृष्टि से विभिन्नता वाला राज्य है.
यह भारत के उत्तर पश्चिम में पतंगाकार रूप में 23 डिग्री 3 उत्तरी अक्षांश से 30 डिग्री 12 उत्तरी अक्षांश 69 डिग्री 30 पूर्वी देशांतर से 78 डिग्री 17 पूर्वी देशांतर के मध्य है.
राजस्थान के भौतिक प्रदेश में सभी भौतिक विभागों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी जा रही है.
राजस्थान के भौतिक प्रदेश | Geography Of Rajasthan In Hindi
कर्क रेखा (23 डिग्री उतरी अक्षांश) इसके दक्षिण से गुजरती है. राजस्थान की पूर्व से पश्चिम तक अधिकतम लंबाई 869 किलोमीटर है.
तथा उत्तर से दक्षिण तक अधिकतम चौड़ाई 826 किलोमीटर है. राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 2,42,339 वर्ग किलोमीटर है.
जो कि भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.43 प्रतिशत है. क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का भारत में पहला स्थान है.
राज्य की पश्चिमी सीमा का 1070 किलोमीटर भाग पाकिस्तान से अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाता है. इसके पूर्व में उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब व हरियाणा तथा दक्षिण में गुजरात व मध्यप्रदेश के जिले स्थित है.
सन 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 6,85, 48,437 व्यक्ति निवास करते है. राजस्थान का औसत जनसंख्या धनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है.
स्वतंत्रता के बाद 1956 तक राजस्थान का गठन पूरा हुआ था. वर्तमान दृष्टि से यह 7 संभागों, 33 जिलों व 244 तहसीलों में बंटा हुआ है.
इसके संभाग जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा तथा भरतपुर है. क्षेत्रफल की दृष्टि से जैसलमेर सबसे बड़ा व धौलपुर सबसे छोटा जिला है.
राजस्थान के 33 जिलों के नाम (names of 33 districts of rajasthan)
अजमेर, अलवर, बारां, बाँसवाड़ा, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तोड़, चुरू, धोलपुर, दौसा, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुझुनू, जोधपुर, करौली, कोटा, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमन्द, सीकर, सिरोही, टोंक व उदयपुर.
राजस्थान का भौतिक स्वरूप (geography of rajasthan in hindi)
राजस्थान में पर्वत, पठारी, मैदानी व रेगिस्तानी भू द्रश्य मिलते है. राजस्थान का अधिकांश पश्चिमी एवं उत्तरी पश्चिमी भाग टेथिस महासागर का अवशेष था.
जो कालांतर में हिमालय की नदियों द्वारा लाइ गई मिट्टी से पाट दिया गया. टेथिस सागर के अवशेष के रूप में राजस्थान में आज भी सांभर, डीडवाना, पचपदरा, लूणकरणसर आदि में खारे पानी की झीलें मौजूद है.
राजस्थान की अरावली पर्वतमाला तथा दक्षिणी पठारी भाग गौडवानालैण्ड के भू भाग है. अरावली पर्वतमाला विश्व की प्राचीनतम पर्वतमालाओं में से एक मानी जाती है. अरावली पर्वतमाला राज्य की मुख्य जल विभाजक है तथा उसे दो भागों में बांटती है.
राजस्थान का भौतिक स्वरूप भूगर्भिक हलचलों, भूगर्भिक सरंचना, अनाच्छादन एवं जल प्रवाह प्रणाली के मिले जुले प्रभाव का परिणाम है.
राजस्थान के धरातलीय स्वरूप में पर्वत, पठार, मैदान व मरुस्थल पाए जाते है, जो प्राचीनतम शैल समूह से लेकर नवीनतम जलोढ़ से बने हुए है.
राज्य में मिलने वाली भौतिक विविधताओं की दृष्टि से इसकों भौगोलिक स्थति के अनुसार निम्न पांच भागों में बांटा गया है.
- पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
- अर्द्ध शुष्क प्रदेश
- अरावली प्रदेश
- पूर्वी मैदानी प्रदेश
- दक्षिणी पूर्वी पठारी प्रदेश
पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
यह आकार में सबसे बड़ा प्रदेश है. इसे समानांतर तीन पेटियों मरुस्थली, बांगर व राही के रूप में बाँट सकते है. जो पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है.
मरुस्थली में बालूका स्तूपों की अधिकता, बांगर विस्तृत रेतीली मिट्टी के मैदान व राही बाढ़ के मैदान है. जो कि छोटी नदियों से बने है.
इसकी औसत उंचाई 300 मीटर है. पूर्वी सीमा 25 सेंटीमीटर की रेखा बनाती है. यहाँ बालू की पहाड़िया पाई जाती है. जिन्हें स्थानीय भाषा में धोरे कहते है. इंदिरा गांधी नहर के आने से यहाँ की परिस्थियों में बदलाव आया है.
अर्द्ध शुष्क प्रदेश
यह अरावली पर्वतमाला के पश्चिम में उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम तक विस्तृत है. औसत उंचाई 450 मीटर है. पश्चिमी सीमा 450 मीटर है.
पश्चिमी सीमा 25 सेंटीमीटर वर्षा रेखा बनाती है. इसके अंतर्गत पाली जालौर, सीकर, जोधपुर, झुंझुनू, चुरू व हनुमानगढ़ के भाग आते है.
इसका कुछ आंतरिक अपवाह ((प्रवाह मार्ग) का क्षेत्र है. इसे राजस्थानी में बांगड़ कहा जाता है. इसके उप प्रदेश लूनी बेसिन, शेखावटी भाग, नागौरी उच्च भूमि व घग्घर मैदान है.
अरावली प्रदेश
अरावली की अड़ावाला पहाड़ भी कहा जाता है. यह दिल्ली से गुजरात के पालनपुर कस्बे में खेड़ ब्रह्मा तक 692 किलोमीटर लम्बाई तक फैला हुआ है.
यह विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रेणियों में से एक है. इसकी ऊँचाई दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर कम होती जाती है. सिरोही जिले में माउंट आबू के पास गुरुशिखर सर्वोच्च 1722 मीटर ऊँची चोटी है.
कर्नल जेम्स टॉड ने संतो का शिखर कहा है. यह हिमालय व निलगिरी के मध्य सबसे ऊँची चोटी है. इसे उत्तरी पूर्वी पहाड़ी, मध्य अरावली, मेवाड़ की पहाड़ियाँ या भोराठ का पहाड़ तथा आबू पर्वत उपविभागों में बांटा गया है.
पूर्वी मैदानी प्रदेश
यह राज्य के पूर्वी भाग में फैला हुआ है. इसमें प्रमुखतः चम्बल बेसिन की निम्न भूमि, बनास व माही का बेसिन शामिल है. चम्बल
बेसिन बाढ़ के मैदान, नदी कगार, बीहड़ व अंत सरितायें पाई जाती है. बनास बेसिन दो भागों में मालपुरा करौली मैदान व मेवाड़ मैदान में बंटा हुआ है. इसके मध्य माही मैदान को छप्पन का मैदान कहा जाता है. माही व बनास मुख्य नदियाँ है.
दक्षिण पूर्वी पठारी प्रदेश
यह हाडौती पठार के नाम से भी जाना जाता है. यह बारां, बूंदी, कोटा, झालावाड़ जिलों में विस्तृत है. यहाँ काली उपजाऊ मिट्टी की अधिकता पाई जाती है. इस क्षेत्र में चम्बल प्रमुख नदी है.
चम्बल पर भैसरोड़गढ़ के निकट प्रसिद्ध चूलिया जल प्रपात है. भैसरोड़गढ़ व बिजौलिया के बिच पठारी भाग को ऊपरमाल कहा जाता है. चम्बल व इसकी सहायक नदियों यथा सिंध व पार्वती से बारां व कोटा में कांपीय बेसिन का निर्माण हुआ है. इस भाग में मुकन्दरा व बूंदी की पहाड़ियां स्थित है.
FAQ
क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का भारत में कौनसा स्थान हैं?
प्रथम
राजस्थान का क्षेत्रफल कितना हैं?
3,42,239.74 किमी²
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