मानवीय मूल्यों पर सुविचार | Human Values Quotes In Hindi

Human Values Quotes In Hindi (मानवीय मूल्य सुविचार ) : मानव (Being Human) होने के नाते मानवता / Humanity हमारा पहला धर्म है सुख दुःख में लोगों की मदद करनी चाहियें, ताकि हमें भी विपत्ति में सहारा मिल सके.

अक्सर मानव का व्यवहार जानना बेहद कठिन है समान परिस्थितियों में कई बार आश्चर्यजनक रूप से वो खुद में बदलाव कर  जाता हैं.

आज के लेख में हम मानवीय मूल्यों पर सुविचार (Human Values Quotes Hindi) में नर पशु, मानव स्वभाव, मानव सम्बन्ध, मनुष्य जाति से प्रेम, मानवता और विनय, विनम्रता पर हिंदी थोट्स जानेगे.

Human Values Quotes In Hindi | मानवीय मूल्यों पर सुविचार

मानवीय मूल्यों पर सुविचार Human Values Quotes In Hindi

1#. बिना प्यास के पानी पीना तथा हर मौसम में प्रेम करना ये लक्षण है हमकों अन्य जानवरों से भेद करने के.


2#. प्राकृतिक द्रश्य सुंदर होता है, परन्तु मानव स्वभाव सुन्दरतर होता हैं.


3#. मानव स्वभाव को समझना अधिक आसान हो जाए, यदि हम अपने दिमाग में यह बात रखें कि प्रत्येक व्यक्ति यह सोचता है कि वह अधिकांश नियमों का अपवाद हैं.


4#. अर्थात उसके ऊपर अधिकांश नियम लागू नही होते हैं.


मानव सम्बन्ध पर सुविचार (human relations quotes in hindi)

5#. अपने को साधने के लिए दिमाग से काम लो, दूसरों को साधने के लिए दिल से काम लो.


6#. अपने विषय में सोचो क्या ठीक है, दूसरों से व्यवहार करते समय सोचों उन्हें क्या अच्छा लगेगा.


मनुष्य जाति से प्रेम पर सुविचार (humanitarianism quotes in hindi)

7#. अपने पड़ोसी की अपेक्षा सम्पूर्ण मानव जाति से प्रेम करना अधिक सरल हैं.


8#. जो व्यक्ति प्राथमिक रूप से मानव जाति का प्रेमी नही हैं, वह लेखक नही बन सकता हैं.


9#. स्वार्थ केवल हमारे भीतर पशु को जीवित रखता है. मनुष्य में मानवता का आरम्भ आत्मसमर्पण से होता हैं.


10#. मानवता के अतिरिक्त पृथ्वी पर ईश्वरीय कुछ नही हैं.


11#. वास्तविक शिक्षा का अर्थ है कि आपके भीतर से सर्वोत्तम का कर्षण कर दे. मानवता से अधिक उत्तम कौनसी पुस्तक हो सकती हैं.


12#. सुसज्जित बौद्धिकता तथा आत्म ज्ञान द्वारा पोषित नैतिक उत्कर्ष ही मानवता की सच्ची विशालता हैं.


मानव स्वभाव पर सुविचार (Human Nature Quotes In Hindi)

13#. स्वभाव का एक स्पर्श सम्पूर्ण विश्व को परिजन बना देता हैं.


14#. किसी कार्य को अतिशीघ्र प्रारम्भ करने के लिए मनुष्य के स्वभाव को जितनी पूर्णता से बदला जा सकता है, उतनी पूर्णता से किसी अन्य वस्तु को नही.,


15#. अपने स्वभाव के प्रति मनुष्य का कर्तव्य वही है जो अन्य व्यक्तियों के स्वभाव के प्रति हैं. उसका अनुसरण न करके उसमें सुधार करना.


16#. स्वभाव प्रायः छिपाकर रखा जाता हैं, कभी कभी उस पर विजय प्राप्त कर ली जाती हैं. और उसकों बहुत कम बुझाया अथवा शमन कर दिया जाता हैं.

मानवीय मूल्यों पर सुविचार

मनुष्य जीवन में मानवीय मूल्यों के द्वारा ही जीवन की वास्तविक खुशी एवं सुख समृद्धि का संचार किया जा सकता है, जो मनुष्य के व्यक्तित्व के संस्कारों की अच्छी रीत से जुड़ते हैं जिसका असर मनुष्य के जीवन के विभिन्न पड़ावों में पड़ता है।


बचपन से जो संस्कार घर के माहौल और माँ-बाप द्वारा दिए जाते हैं उनका असर हर उम्र में पड़ता है। बच्चे की नींव बचपन से ही दृढ़ की जाती है।


समाज अपने लोगों द्वारा पहचाना जाता है और लोगों की पहचान उनके द्वारा अपनाये गए मानवीय मूल्यों से होती है जिसका स्वरूप समाज में दर्शित होता है।


मनुष्य भले अकेले कई कारनामे कर सकता है लेकिन आपसी एकता की भावना ही समाज में सुख, शांति, प्रगति का मार्ग बनाती है अन्यथा समाज भी टुकड़ों में बटा दिखाई पड़ता है।


मनुष्य जीवन में हिंसा जितना बड़ा दुष्कर्म है उससे अधिक अहिंसा परम धर्म है।


मनुष्य में त्याग भावना उसके व्यक्तित्व में महानता के गुण को अपना लेती है और जीवन की कई उपलब्धियाँ वो अपने गुणों से प्राप्त कर लेता है।


मनुष्य अगर अपने जीवन में मानवीय मूल्यों का पालन करे तो उसका जीवन महान बन जाता है क्योंकि अच्छे कर्म ही मनुष्य को महानता की श्रेणी में लाते हैं।


परिवार में अगर बड़ों का आदर और छोटों का मान होगा, आपसी सच्ची प्रेम भावना एक दूसरे के प्रति महसूस होगी तभी परिवार सुख शांति से पूर्ण रहेगा अन्यथा परिवार वास्तविक रूप से परिवार नहीं कहा जा सकता है।


मनुष्य में विद्यमान प्रेम भावना ही उसे दूसरे मनुष्य और पशु पक्षियों के साथ प्रेम से जीना सिखाती है।


मानवीय मूल्यों के तहत मनुष्य को एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए पुण्य फल की प्राप्ति होती है।


प्रकृति की सुंदरता अलौकिक होती है लेकिन मनुष्य की जो वास्तविक सुन्दरता उसके स्वभाव से उसे सुंदर बनाती है वह अकथनीय होती है। सुंदर चेहरे का स्वभाव अच्छा हो ना हो लेकिन स्वभाव की सुंदरता अच्छी ही होती है।


मनुष्य का व्यक्तित्व उसके बाहरी ज्ञान के साथ-साथ अंतर्मन के विचारों की सकारात्मकता को लाना एवं व्यवहारिक रूप से पालन करने से उभरता है।


मनुष्य की मानवता का मूल उद्देश्य मानवीय मूल्यों के संदर्भ अनुसार स्वयं की त्याग भावना से निहित होता है जिसका स्वार्थ से कोई मेल नहीं होता है। मनुष्य स्वार्थी न बनकर अपने अंदर मानवता के गुणों का संचार करे तो जीवन का उद्धार होता है।


आपसी प्रेम भावना का संचार मनुष्य में मानवता के भाव को जिंदा रखती है।


मनुष्य जीवन में अगर ज्ञान प्राप्त कर लेता है विज्ञान की बड़ी-बड़ी बातें करता है लेकिन उसका पालन नहीं करता है व मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में नहीं उतारता है तो यह ज्ञान से जुड़ी बातें व विज्ञान के संदर्भ सिर्फ सुने जाते हैं माने नहीं जाते हैं।


मनुष्य का जीवन अगर मानवीय मूल्यों को निभाता है तो जीवन का मोल दर्शनीय होता है।


मानवीय मूल्यों का अनुसरण कर अपना जीवन आदर्श स्वरूप बनाया जा सकता है।


समाज में मानवीय मूल्यों को अगर सभी लोग अपनाएंँ तो देश महान बन जाएगा।


मानवीय मूल्य जीवन आदर्श होते हैं इनकी मूल्यता इनके पालन करने में निहित होती है। सिर्फ पठन तक मानवीय मूल्यों को सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि असीमित रूप से पालन होना चाहिए।


मानव का सर्वोपरि स्वभाव उसकी विनम्रता में लक्षित होता है और शालीन पूर्ण व्यवहार हो तो जीवन में स्वत: अनेक गुणों का आविर्भाव होता है और सभी के समावेश से जीवन खुशहाल हो जाता है।


मनुष्य की सफलता मनुष्य के कर्म, लगन, मेहनत, कोशिश, सौभाग्य, समय, पैसा निर्धारित करते हैं लेकिन मानवीय मूल्यों को अपनाकर मनुष्य अपने व्यक्तित्व को समर्थ व महान बनाता है।


जीवन में अच्छाईयाँ एवं बुराईयाँ आती जाती रहती हैं यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह किसको मूल रूप से अपनाये, यह शंका आत्मज्ञान से दूर की जा सकती है। मनुष्य को अगर अच्छे बुरे का ज्ञान होगा मानवीय मूल्यों का मान होगा तो बुराईयों से दूर अच्छाईयों को अपनाया जाएगा।


मनुष्य कठिन से कठिन परिस्थितियों को पार कर लेता है। अनेक असफलताओं का सामना करता है, कितनी बार हारता है लेकिन तब उसकी वास्तव में हार नहीं होती है बल्कि मनुष्य अगर अंतर्मन से टूट जाता है अपनी हार मान लेता है तो जीतना असंभव हो जाता है क्योंकि जागरूकता मन से उत्पन्न होती है तभी बाहरी व्यक्तित्व से कार्य संचालित होता है।


मनुष्य अपने जीवन में सफलता चाहता है अपना जीवन सुख, समृद्धि, नाम, शोहरत से पूर्ण चाहता है जिसके लिए संघर्ष ज़रूरी होता है बिना मेहनत के बिना कोशिश, लगन, आत्मसमर्पण, रुचि के सफलता संभव नहीं हो पाती है। 


अपने ध्येय की प्राप्ति के लिए जीवन में संघर्ष ज़रूरी होता है।


मनुष्य की असली पहचान दूसरे मनुष्य के समक्ष उसकी इंसानियत में दिखती है। दुनिया में मनुष्य की संख्या असीमित है लेकिन इंसानियत का गुण कम ही नज़र आता है।


मनुष्य अगर मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में पालन करता है तो अपनी खुशियों को निकट पाता है और दुख दर्द से धीरे धीरे छुटकारा पा लेता है।


मानवीय मूल्यों को मनुष्य अपने जीवन में उतार कर दुनिया में अपने सम्मान स्वरूप व्यक्तित्व का निर्माण करता है।


मानवीय मूल्य जीवन का मूल सार हैं। जीवन पथ पर अपने मानवीय मूल्यों के ज़रिए अपने जीवन की यात्रा को अंजाम दें, आगे बढ़े।


हमारे पूर्वजों के द्वारा मार्ग प्रशस्त आदर्शों को बीते कल की सीख स्वरूप अनुसरण कर व्यक्त करना चाहिए।


मनुष्य द्वारा कमाई संपत्ति टिक कर नहीं रहती है लेकिन मनुष्य के कर्मों का परिणाम मनुष्य स्वयं प्राप्त करता है।


मानवीय मूल्यों को अपनाने वाला मनुष्य इस काबिल हो जाता है कि वह अपने साथ साथ सबका हित करता है।


देश को ऐसे लोगों की आवश्यकता होती है जो मानवीय मूल्यों को अपनाने वाले हों, जिनके चरित्र व व्यक्तित्व में मानवीय मूल्यों का व्यावहारिक रूप दिखाई पड़ता है ऐसे लोग देश का गौरव बन जाते हैं।


मनुष्य होने के नाते जिंदगी में भूले होती हैं लेकिन उन्हें छिपाने की भूल जो मनुष्य करता है उससे अनर्थ ही होता है।


मनुष्य मानवीय मूल्यों को अपनाकर का सही और गलत में फर्क करना जान भी जाता है और समझ भी जाता है।


मनुष्य जीवन में विश्वास की अहम् भूमिका होती है। रिश्तों में विश्वास रिश्ते की नींव होती है जहाँ रिश्ते विश्वास की डोर से बँधे होते हैं वो मज़बूत होते हैं और जहाँ विश्वास की नींव कमज़ोर होती है वहाँ रिश्तों में अपनापन नहीं रहता है।


विश्वास मनुष्य जीवन की वो मूल्य निधि है जिसे प्राप्त करना मुश्किल होता है और विश्वास खो देना बड़ा आसान होता है लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किल होता है विश्वास की नींव को कायम रखना जो मानवीय मूल्य की एक विशिष्ट भावना है।


मानवीय मूल्यों को अपनाने वाला व्यक्ति अपने जीवन की अनेक समस्याओं से छुटकारा पा लेता है। वह अपनी परेशानियों से परेशान होने ‌की बजाये समाधान ढूँढ़ लेता है।


मानवीय मूल्यों को अगर मनुष्य अपनाए और समाज में रहते हुए अपने व्यवहार में लाए तो समाज के लिए बेहतरीन साबित होता है।


मानवीय मूल्यों से आन बान शान में बढ़ोत्तरी होती है। मानवीय मूल्यों को अपना कर मनुष्य समाज के साथ साथ परिवार में भी सम्मान का अधिकारी बन जाता है।


झूठ की धरा पर कभी मनुष्य का उद्धार नहीं हो सकता है लेकिन मानवीय मूल्यों के तहत सत्यता को अपनाकर जीवन अनमोल बन जाता है।


मानवीय मूल्यों में खुशी का सागर है जिससे मनुष्य का तन – मन स्वस्थ और धन समृद्ध व जीवन  खुशहाल रहता है।

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