यदि मैं विद्यालय का प्रधानाचार्य होता निबंध | If I Were Principal Of My School Essay In Hindi And English

आज का निबंध यदि मैं विद्यालय का प्रधानाचार्य होता निबंध | If I Were Principal Of My School Essay In Hindi And English पर दिया गया हैं.

उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में सर्वोच्च पदाधिकारी प्रिंसिपल ही होता हैं, इस लघु काल्पनिक निबंध में इस विषय के बारे में बताया गया है कि अगर मैं प्रधानाचार्य होता तो क्या करता, स्कूल में किन सुधारों और विकास कार्यों को प्राथमिकता देता आदि आदि.

यदि मैं विद्यालय का प्रधानाचार्य होता निबंध

Hindi Essay On If I Were Principal Of My School: wishes risen and down in every man’s life. when I saw first time my school Principal, and their impression and control of all staff.

It attracts my heart to become a one-day school Principal. in these dreams up pick when I see our Principal sir every time.

in this “If I Were Principal Of My School Essay In Hindi”I shared my dreams point and thought which come to my mind.

this short essay will help these students who want to write a paragraph on Principal Of My School Essay. let’s start if I were my school headmaster essay.

If I Were the Principal of My School in English

A man, by nature, keeps high hopes to become a man of status. it I am asked about the choice of profession, I shall neither like to become a doctor, nor an engineer. but I shall like to become a principal.

as principal, I shall be able to introduce social reforms. since students are future hopes of India, they should be made good and useful citizens.

a school is the best training center for molding character, patriotism and national character can be instilled in boys at school.

if I were principal, I would ask students to be regular and punctual, I shall take care of the health of my students. I shall make games compulsory.

also, I shall make my students disciplined. they will be taught to be quite obedient to parents and respectful to teachers. I shall be strict with naughty boys. I shall prove equal to my task.

यदि मैं प्रधानाचार्य होता हिंदी निबंध

एक व्यक्ति, प्रकृति से, स्थिति की एक आदमी बनने की उच्च आशा रखता है। मुझे पेशे की पसंद के बारे में पूछा गया तो, मैं न तो डॉक्टर बनना चाहूंगा, न ही एक इंजीनियर। लेकिन मैं एक प्रिंसिपल बनना चाहूंगा।

प्रिंसिपल के रूप में, मैं सामाजिक सुधारों को पेश करने में सक्षम हो जाऊंगा। चूंकि छात्र ही भारत के भविष्य ही माने जाते  हैं, इसलिए उन्हें अच्छे और उपयोगी नागरिक बनाए जाना चाहिए।

स्कूल विद्यार्थियों में चरित्र निर्माण, देशभक्ति और राष्ट्रीय चरित्र के लिए सबसे अच्छा प्रशिक्षण केंद्र है।

अगर मैं प्रिंसिपल होता, तो मैं छात्रों से नियमित और समयबद्ध होने के लिए कहूंगा, मैं अपने छात्रों के स्वास्थ्य का ख्याल रखूंगा। मैं विद्यालय में नियमित खेल अनिवार्य कर दूंगा।

इसके अतिरिक्त मै छात्रों को अनुशासित जीवन जीने की आदत डालने का प्रयत्न करता। उन्हें माता-पिता और शिक्षकों के प्रति सम्मान करने के लिए काफी आज्ञाकारी होना सिखाने की कोशिश करता।

मैं शरारती लड़कों के साथ सख्त होकर उन्हें ऐसा न करने के लिए प्रोत्साहित करता तथा एक प्रधानाचार्य के रूप में मेरे कर्तव्यों का भली भाँती निर्वहन करता

Essay On If I Were The Principal Of My School in English

Mr. Shadi lal Jain m.a,b.t is the principal/headmaster of our school. he is a good personality. the parents, teachers, and students respect him.

he encourages students to devote to studies. he helps to poor students. he supervises and controls school activities. he holds extra classes for the weak students.

he aims at achieving good results. he is an able officer. he loves students. he asks students to put on school uniform. he keeps good discipline in the school.

he has made games compulsory for students in the evening. he believes in the all-round development of students. he inspires students to make good use of school library.

we are proud of him. may our school progress under his charge. he is both gentle and smart. he is really a popular headmaster/principal of our school.

If I Were Principal Of My School Essay In Hindi

श्री शादी लाल जैन एमए, बीटी हमारे स्कूल के प्रिंसिपल / हेडमास्टर हैं। उनका व्यक्तित्व बहुत अच्छा है। माता-पिता, शिक्षक, और छात्र सभी उनका सम्मान करते हैं।

वह छात्रों को अध्ययन के लिए समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित करते है। वह कमजोर छात्रों को मदद करते है। वह स्कूल गतिविधियों की निगरानी और नियंत्रण बहुत अच्छे तरीकें से करते है। तथा कमजोर छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं का प्रबंध भी करते है।

वह अच्छे परीक्षा परिणाम हासिल करने का लक्ष्य रखते है। वह एक सक्षम अधिकारी है। वह छात्रों से प्यार करते है। वह छात्रों को स्कूल वर्दी पहनने के लिए कहते है तथा विद्यालय में अच्छा अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रेरित करते है.

हमारे विद्यालय में छात्रों के लिए अब सायंकालीन खेल अनिवार्य कर दिया है। वे छात्रों के सर्वांगीण विकास में विश्वास करते है। तथा छात्रों को स्कूल पुस्तकालय का अच्छा उपयोग करने के लिए प्रेरित करने का कार्य भी करते है.

हमें अपने प्रधानाचार्य जी पर गर्व  है। वे जिंतने सह्रदय है उतने स्मार्ट भी. उनके मार्गदर्शन में हमारा विद्यालय बड़ी प्रगति कर रहा है. वास्तव में वह हमारे लोकप्रिय हेडमास्टर / प्रिंसिपल हैं।


Essay on Headmistress/lady Principal

I am a student in class 11. I read in Laxmi Jain sr. sec. school. it is one of the best schools in Delhi. its fame is due to its lady principal. her name is Dr. kamla. she is m.a., PH.D. She is dutiful.

dr. kamla jain is very hard working. she is punctual in her duties. she is a good disciplinarian. she keeps good control in the school.

no girls come out of the classroom with a pass-system. lady teachers are helpful to girl students. they treat girls as their own daughters. results are very good.

our principal loves us very much. she does not rebuke us. she mends us by love. her voice is sweet and clear. she grants fee concessions to poor students.

she is an ideal lady. all of us respect her. she is the soul of the school. she is kind and loving. she is an ideal teacher and able principal.

लेडी स्कूल प्रिंसीपल पर निबंध 

मैं कक्षा 11 का छात्र हूं। मैं लक्ष्मी जैन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ा. यह दिल्ली शहर की सबसे अच्छी स्कूल में गिनी जाती है, जिसकी वजह है हमारी महिला प्रिंसिपल. उसका नाम डॉ कमला है। वह एमए, पीएच.डी है.

वह अपने कर्तव्य का अच्छी तरह से पालन करती है. मेहनत व लग्न के अतिरिक्त सख्त अनुशासन प्रिय इनकी सबसे बड़ी विशेषता है. यही वजह है कि हमारी स्कूल पर इनका कड़ा नियंत्रण है.

पास-सिस्टम के साथ कक्षा के कमरे से कोई भी लड़कियां बाहर नहीं आती हैं। महिला शिक्षक लड़कियों के लिए सहायक शिक्षक हैं। वे अपनी बेटियों की तरह लड़कियों के साथ व्यवहार करते हैं। जिसकें परिणाम बहुत अच्छे हैं।

हमारी प्रिंसिपल दंड देने की बजाय प्यार से समझाती है तथा गलती दुबारा न करने का प्रण दिलाती है। वह हमें प्यार से जोड़ती है। उसकी आवाज़ मीठी एवं स्पष्ट है। वह गरीब छात्रों को शुल्क रियायत भी देती है।

वह एक आदर्श महिला है। हम सभी उसका सम्मान करते हैं। प्रिंसीपल मेम हमारी स्कूल की आत्मा है। वह दयालु ह्रदय की महिला होने के साथ साथ एक आदर्श शिक्षक और सक्षम प्रिंसिपल भी है।

If I Were Principal Of My School Essay In Hindi In 400 Words

विद्यालय वस्तुतः शिक्षा के केंद्र हैं. यदि विद्यालयों में पठन पाठन का वातावरण ठीक नही हैं तो निश्चय ही वहां शिक्षक पढ़ाई के कार्य को प्रभावशाली ढंग से नही कर पायेगे.

विद्यालयों में शिक्षण का स्तर गिर रहा हैं. राजनेताओं का हस्तक्षेप होने लगा हैं तथा अध्यापक उदासीन रहने लगे हैं.

यदि मैं प्रधानाचार्य होता- प्रधानाचार्य का पद विद्यालय में सबसे महत्वपूर्ण एवं उत्तरदायित्व पूर्ण होता हैं. प्रधानाचार्य ही शिक्षण की योजना बनाता हैं.

विद्यालय को सफलता के साथ संचालित करना प्रधानाचार्य का दायित्व हैं. यदि मैं प्रधानाचार्य होता तो अपने कर्तव्यों का पूर्ण निष्ठां के साथ पालन करता.

मैं अपने विद्यालय में अनुशासन पर ध्यान देता, छात्रों के साथ साथ शिक्षकों व कर्मचारियों को ठीक समय पर विद्यालय आने के लिए कहता.

मैं स्वयं अनुशासित रहता था सभी के लिए आदर्श प्रस्तुत करता. ठीक समय पर विद्यार्थियों एवं शिक्षकों का आना जाना सुनिश्चित करता.

मैं शिक्षा के स्तर में सुधार करता, विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान देता तथा शिक्षकों के पढ़ने के लिए ज्ञानवर्धक पुस्तकें एवं पत्रिकाएँ मंगवाता तथा उन्हें पढ़ने के लिए देता.

शिक्षकों को कहता कि वे पूरी तैयारी के साथ कक्षा में पढाने जाए, मैं स्वयं पढ़ाता, समय समय पर छात्रों के अभिभावकों से भी मिलता.

मैं विद्यालय में खेलकूद, स्काउटिंग, एनसीसी, रेड्क्रोस आदि को संचालित करता. विद्यार्थियों को बोलने का पूर्ण अवसर देता.

समय समय पर महापुरुषों के जीवन पर गोष्ठियाँ करवाता. बालकों के सर्वागीण विकास के लिए मैं यथासंभव प्रयास करता.

विद्यालय की पत्रिका प्रतिवर्ष प्रकाशित करवाता, जिनमें छात्रों की स्वरचित रचनाएं ही प्रकाशित होती. मैं विद्यार्थियों में एकता राष्ट्रप्रेम एवं सर्वधर्म सद्भाव की भावना का विकास करता.

उपसंहार- विद्यालय का प्रधानाचार्य यदि शिक्षाविद् हैं तथा वह बाल मनोविज्ञान को समझता हैं तो विद्यालय में शिक्षा का स्तर ऊँचा रहेगा. अच्छा प्रधानाचार्य विद्यालय को आदर्श विद्यालय बनाता हैं.

यदि मैं प्रधानाचार्य होता तो शैक्षणिक स्तर में सुधार करता तथा अपने अध्ययन त्याग एवं कठोर परिश्रम से विद्यालय को शिक्षा का वास्तविक केंद्र बनाने का प्रयास करता.

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