स्वतंत्रता दिवस पर कविता 15 अगस्त 2024 Independence Day Poem In Hindi

स्वतंत्रता दिवस पर कविता 15 अगस्त 2024 Independence Day Poem In Hindi: आप सभी प्यारे देशवासियों को आजादी दिवस की हार्दिक शुभकामनाए, आज के इंडिपेंडेंस डे 15 अगस्त 2024 को हम भारत का 78 वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं.

ठीक आज से बहत्तर वर्ष पूर्व हमे गोरों की गुलामी से आजादी मिली थी. प्रत्येक भारतीय का इस दिन सीना चौड़ा हो जाता हैं, पूरा देश परेड और देश प्रेम पर कविताएं और भाषण से आसमान भी गुजायमान हो जाता हैं.

स्वतंत्रता दिवस पर देश के सभी शिक्षा संस्थानों पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता हैं. poem independence day in hindi में छोटे बच्चों के लिए 15 अगस्त पर बोलने के लिए छोटी देशभक्ति कविता यहाँ दी गई हैं.

स्वतंत्रता दिवस पर कविता 15 अगस्त 2024 Independence Day Poem In Hindi

स्वतंत्रता दिवस पर कविता 15 अगस्त 2024 Independence Day Poem In Hindi

इस दिन प्रत्येक विद्यार्थी का सपना होता हैं, कि वो सम्मानीय मंच पर जाकर स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या या 15 अगस्त के मुख्य समारोह में स्वतन्त्रता दिवस पर कविता, भाषण, निबंध, लेख, नारे या कोई देशभक्ति से पूर्ण भारत पर बाल कविता प्रस्तुत करे.

आपके लिए इस अवसर पर बोलने के लिए Independence Day Poem In Hindi | स्वतंत्रता दिवस पर कविता, लेख सभी सामग्री हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध करवाई जाएगी.

15 अगस्त 2024 Independence Day Poem In Hindi

यह स्वतंत्रता दिवस 2024 पर कविता बच्चों की कक्षा 1, 2, 3 की पाठ्यपुस्तक से ली गई हैं. बहुत से बच्चों को यह सरल देश भक्ति कविता याद भी होगी. पन्द्रह अगस्त के स्वतंत्रता दिवस समारोह में छोटी कक्षाओं के स्टूडेट्स इसे गीत के रूप में बड़ी आसानी से गायन कर सकते हैं.

भारत माँ का सदन सुहाना,
स्नेह प्रेम सम्मान यहाँ |
दुःख सुख में हैं गूंजा करते,
निशि दिन गौरव गान यहाँ |
नही भेद हैं, जाति धर्म का,

मानवता का मूल यहाँ |
इसका आंगन सुंदर उपवन,
भांति-भांति के फूल यहाँ |
राम रहीम और ईसा से,

मिला श्रेष्टतम ज्ञान यहाँ |
मंदिर-मस्जिद और गिरिजा में,
सुलभ एक सा ज्ञान यहाँ |
सदा मित्र बन हाथ बढाते,
नही बैर का नाम यहाँ |

अपने हित से पहले करते,
हम परहित के काम यहाँ |

Short Poem On Independence Day 2024 In Hindi

फर-फर करता शुभ्र गगन में,सदा तिरंगा लहरे|
मुक्त धरा हैं, मुक्त गगन हैं,
ये मुक्त हमारा हिन्द वतन हैं,
मुक्त हमारा जनजीवन हैं,
मुक्त हमारे लाल किले पर,राष्ट्र पताका फहरे|
फर-फर करता शुभ्र गगन में, सदा तिरंगा लहरे||

अधिक स्वर्ग से ही यह प्यारा,
शान हमारी प्राण हमारा,
अर्पण तन मन जीवन सारा,
और ध्वजा यह अपने गगन में भाव भरे हैं गहरे |
फर-फर करता शुभ्र गगन में, सदा तिरंगा लहरे ||
केसरिया शुभ त्याग लिए हैं,
श्वेत शुद्ध अनुराग लिए हैं,
हरे-हरे वन बाग़ लिए हैं,

उन्नति पथ पर चक्र अनवरत,चलता हुआ न ठहरे |
फर-फर करता शुभ्र गगन में, सदा तिरंगा लहरे ||

15 अगस्त पर कविता

आधी रात को स्वतंत्रता;
भोर पर जाएं;
एक छोटी सी गति से कम;
एक छोटी सी बहुत ज्यादा और प्रतिबंधों;
लेकिन कभी नहीं उदास;
नहीं खड़े करने के लिए झिझक;
यात्रा के लिए जारी;
भोर जीतने करते हैं।

पोएम ओंन इंडिपेंडेंस डे 2024

बच्चा-बच्चा बन जाए सैनिक, गर बुरी नजर दुश्मन डाले
हस्ती उसकी मिलाएं खाक में, करे कभी जो हमला वे
भाईचारा रखें परस्पर, अमन चैन का नारा हो
सद्भावना, शांति रखें दिलों में, जाति, धर्म का न बंटवारा..
बनें पहिए प्रगति के रथ के,सबसे आगे बढ़ते जाएं
कर दें रौशन नाम जहां में, देश का अपने मान बढ़ाएं
आजादी की वर्षगांठ की ,छटा निराली बढ़ती जाए
खुशहाली के फूल हों बिखरे,खुश्बू से चमन महकाएं
आओ आज़ादी दिवस मनाएं, आओ आज़ादी दिवस मनाएं...

15 August Independence Day Poem in Hindi For Class 5 To 12

बच्चों के लिए स्वतंत्रता दिवस पर कविता

हम बच्चे हँसते गाते हैं,
हम आगे बढ़ते जाते हैं।

पथ पर बिखरे कंकड़ काँटे,
हम चुन चुन दूर हटाते हैं।

आयें कितनी भी बाधाएँ,
हम कभी नही घबराते हैं।

धन दौलत से ऊपर उठ कर,
सपनों के महल बनाते हैं।

हम खुशी बाँटते दुनिया को,
हम हँसते और हँसाते हैं।

सारे जग में सबसे अच्छे,
हम भारतीय कहलाते हैं।

Hindi Poem on Independence Day of India

Inspiring Poem on 15th August in Hindi

लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव उद्घोष पे,
सबने वीरो की गाथा गायी,

गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,
ध्वनि चारो और है छायी,
भगत , राजगुरु और , सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई,

ऐ भारत माता तुझसे अनोखी
और अद्भुत माँ न हमने पाय ,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक एक बूँद समायी

माथे पर है बांधे कफ़न
और तेरी रक्षा की कसम है खायी,
सरहद पे खड़े रहकर
आजादी की रीत निभाई !

Best Poem on Independence Day in Hindi For Kids

Independence Day Poem In Hindi 2024 स्वतंत्रता दिवस पर कविता: दोस्तों यदि आप गूगल पर अपने बच्चों के लिए छोटी बड़ी हिंदी कविताएँ 15 अगस्त पर बोलने के लिए खोज रहे हैं तो आप सही जगह पर हैं.

हमारी टीम आपके लिए सरल से सरल और देश भक्ति भावों से लबरेज हिंदी कविताओं का संग्रह लेकर आए हैं. हम उम्मीद करते हैं आपकों हमारा यह संग्रह पसंद भी आएगा.

Poem on Independence Day 2024 in Hindi

आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।

हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।

लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।

विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

Short Desh Bhakti Poem in Hindi For Class 1 To 12

Desh Bhakti Kavita in Hindi For Class 6

जब भारत आज़ाद हुआ था|
आजादी का राज हुआ था||

वीरों ने क़ुरबानी दी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||

भगत सिंह ने फांसी ली थी|
इंदिरा का जनाज़ा उठा था||

इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी
तब खून की आँधी बहती थी||

वतन का ज़ज्बा ऐसा था|
जो सबसे लड़ता जा रहा था||

लड़ते लड़ते जाने गयी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||

फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा था|
इस देश के रिश्तों को तोडा था||

फिर भारत दो भागो में बाटा था|
एक हिस्सा हिन्दुस्तान था||

दूसरा पाकिस्तान कहलाया था|
सरहद नाम की रेखा खींची थी||

जिसे कोई पार ना कर पाया था|
ना जाने कितनी माये रोइ थी,
ना जाने कितने बच्चे भूके सोए थे,
हम सब ने साथ रहकर
एक ऐसा समय भी काटा था||

विरो ने क़ुरबानी दी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था||
Independence Day 2024 Easy Poem Download

देश की लाज बचाने को, अपनी जान गवाई है
खा कर गोली सीने में, अपनी कसम निभाई है
जिनको ये भारतवर्ष, अपने लहू से ज्यादा प्यारा है
ऐसे उन वीर सपूतों को, शत-शत नमन हमारा है

भारत माँ की रक्षा के लिए, अपना कर्तव्य निभाया है
मातृभूमि के गौरव पर, न्यौछावर उनकी काया है
जिनको परिवार से ज्यादा, ये देश ,तिरँगा प्यारा है
ऐसे उन वीर सपूतों को, शत-शत नमन हमारा है

लथपथ पड़े जमीं पर, भारत माँ की जय बोली हैं
जिनके सिंहनाद से सहमी, धरती फिर से डोली हैं
जिनके जज्बे को करता सलाम, देखो ये भारत सारा है
ऐसे उन वीर सपूतों को, शत-शत नमन हमारा है

स्वतंत्रता दिवस 2024 पर छोटी कविता

Best Indian Patriotic Poems in Hindi Fonts

लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव उद्घोष पे,
सबने वीरो की गाथा गायी,
गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,
ध्वनि चारो और है छायी,
भगत , राजगुरु और , सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई ||

ऐ भारत माता तुझसे अनोखी,
और अद्भुत माँ न हमने पाय ,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक एक बूँद समायी .
माथे पर है बांधे कफ़न ,
और तेरी रक्षा की कसम है खायी,
सरहद पे खड़े रहकर,
आजादी की रीत निभाई...

Happy Independence Day Poem in Hindi for Kids

Independence Day Poem Special For Kids They Want To Speak On Independence Day Programme. You Can Use This Independence Day Poem, poem on nationalism in Hindi,

Desh bhakti poem in Hindi for class 1 for Short Poem Kavita On 15 August Poem on 78th Independence day 2024 In Hindi For Students And Kids They Read In Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12.

हम बच्चे हँसते गाते हैं।
हम आगे बढ़ते जाते हैं।
पथ पर बिखरे कंकड़ काँटे,
हम चुन चुन दूर हटाते हैं।

आयें कितनी भी बाधाएँ,
हम कभी नही घबराते हैं।
धन दौलत से ऊपर उठ कर,
सपनों के महल बनाते हैं।

हम खुशी बाँटते दुनिया को,
हम हँसते और हँसाते हैं।
सारे जग में सबसे अच्छे,
हम भारतीय कहलाते हैं।

15 अगस्त पर कविता, स्वतंत्रता दिवस पर कविता

हम भारत की नी ींव बने..
मानवता की एक इमारत हो,
हर मानव को गलेलगाए…
इतना प्यारा भारत हो ।।
सागर सेजिसके पैर धुले…
जसर पर जहम-जहमालय हो,
हाथ मेंजिसके स्वाधीनता…
ज्ञान का जिसमेआलय हो ।।
साहस का तुम जवमल पताका…
खुशबूपुष्प की तुम ही हो,
‘जहन्द’ तूम ही हो सीनेमें..
हर रक्त के कण मेंतूम ही हो,
जसींधुकी तुम हो ताल-तरींगे…
उज्जवल जवकास भी तुम ही हो,
तुम पर ही हो जनभभर नजिया…
नील आकाश भी तुम ही हो ।।
-आलौक चौरे

15 August Kavita in Hindi, Independence Day Poem in Hindi 2024

विश्व का सबसे अच्छा देश
भेदभाव ना होगा शेष
हर घर में उजियाला होगा
अंधकार ना होगा शेष।
इंसानियत सबसे बड़ा धर्म होगा
कर्म हमारे अच्छे होंगे
हरियाली ऐसी होगी कि
पेड़ पौधे छू लेंगे गगन
सब होंगे भक्ति में मग्न।
स्त्री होगी दुर्गा के समान
कभी न हो उसका अपमान।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में सब भाई भाई।
भारत में लहराए यह नारा
कभी न तोड़ो भाईचारा।
प्रफुल्लित हो जाए जग सारा
चमके भारत जैसे एक तारा।
लहराए तिरंगा प्यारा प्यारा
ऐसा हो भारत देश हमारा
यही हमारा सपना है
भारत हमारा अपना है।
– अनामिका भारती

हैप्पी इंडिपेंडेंस डे 2024 पोयम्स इन हिंदी

लाल रक्त से धरा नहाई
श्वेत नभ पर ललिमा छायी
आजादी के नव उद्घोष पे
सबने वीरों की गाथा गाई
गांधी नेहरू पटेल सुभाष की
ध्वनि चारों ओर है छायी
भगत राजगुरु और सुखदेव की
कुर्बानी से आँखे भर आई
ए भारत माता तुझसे अनोखी
और अद्भुत माँ न हमने पायी
हमारे रगों में तेरे कर्ज की
एक एक बूंद समायी
माथे पर है बांधे कफन
और तेरी रक्षा की कसम है खायी
सरहद पर खड़े रहकर
आजादी की रीत निभाई
-परीशा शर्मा

15 अगस्त की कविता हिंदी में

यह पुष्प अर्पित हैं उन्हे ।
त्याग अनुराग प्राण का सुदीप’ से जले रहे
कंटकों पर चले जो सुमन बन खिले रहे ।
समय की आग से लड़े,निर्मल नीर से बहे सदा
स्वतंत्रता सृजक हुए,स्वराज पर अटल रहे सद।
है नमन गांधी के समुज्ज्वल सुदीर्घ संकल्प को
सत्य के उपवन को अहिंसा के प्रकल्प को ..
शौर्य की भूमि पर जल जल रे स्वतंत्रता के दीप, अक्षुण्ण अतुल्य ।
गुढ़ गगन के सुर्य अनेकों अभिलाषी! चुका न सकते तेरा मूल्य ।
भगत सिंह के सस्नेही ! नवदीप पंक्ति प्रज्जवलित कर दे !
वह ज्ञान दर्शन प्रेम संयम नवभारत के प्राणों
– मासूम राजपूत

स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति कविता

Class 1, Class 2, Class 3, Class 4, Class 5, Class 6, Class 7, Class 8, Class 9, Class 10, Class 11, Class 12.

जब गोरों का गुलाम था भारत
अत्याचारों से परेशान था भारत
गोरों की नीतियों से हैरान था भारत
अपमानों से आहत था महान भारत

तब रक्त इनका खौला था
सीने में ज्वाला का गोला था
तब इन शेरो ने ठाना था
गोरों को खदेड़ भगाना था

सजा जेल फांसी भी हुई
फांसी तो पुष्पमाला ही लगी
गोली भी वो खूब रोई
सीने में आकर जो लगी

तोपों के गोले क्या करते
छाती फैलादी अड़ा दी
तलवारों के वारों पे शेरो ने
शीशों की बलि चढ़ा दी

अपमान किया जब गोरों ने
तब रणदेवी हुंकार उठीं
अब चूड़ी वाले हाथों में
शमशीरें ललकार उठी

गोरों ने घुटने टेक दिए
जब देवी दुर्गा का रूप हुई
मर्दों के रण में मर्दानी
रणचंडी सी प्रतीत हुई

आसमां भी थर्राया होगा
धरती माँ भी रोई होगी
सूर्य चन्द्र भी नतमस्तक हुए होंगे
जब शहीदों की देह को
ज्वाला दी गई होगी

विरासत में न हमें मिली है आजादी
अमर बलिदानों की बदौलत है आजादी
शेर शहीदों के रक्त से सिंचित
हिन्द की अनमोल धरोहर है आजादी

आँख उठाकर भी गर कोई देखे
तो छलनी कर देना हथियारों से
गर इस खून में गर्मी बाकी हो तो
सर बिछा देना तलवारों से

नमन शत शत नमन तुझको ये वतन
शहीदों को कोटि कोटि नमन ये वतन
रखेगा युग युग याद बलिदान ये वतन
शेरो के शौर्य को सहसों नमन ये वतन
– सचिन प्रजापति

15 अगस्त के लिए कविताएँ

वो गांधी याद आता है वो चरखा याद आता है
भगत सिंह का जो रुतबा था जमीन से आसमां तक था
वो नेहरू याद आता है वो गांधी याद ..

वो झाँसी की जो रानी थी जवानी में रवानी थी
वो गुलामी का जो दरिया था समुन्द्र से नहीं कम था
वो मंगल याद आता है वो गांधी याद…..
अंग्रेजों से लड़ने में बही थी खून की नदियाँ
सहस्त्रों जान देकर भी लाये आज आजादियाँ
वो खुदीराम बोस याद आता है वो सुभाष याद आता है
उधम सिंह का जो वादा था, अंग्रेजों को भगाना था
वो आजाद को न जकड़ा, गुलामी की जंजीरों ने
भगत सुख राज ने चूमा फांसी का हंसकर वो फंदा
वो सरदार याद आता है वो गाँधी याद…
– रोहित प्रजापति

इंडिपेंडेंस डे हिंदी कविता

जय उनकी जो समरों में सो कर
चिर जाग्रत हो गये
जय उनकी, जो यमपाश में बंधकर
भारती को मुक्त बंधन कर गये
जिनकी गिरते ही धरा पर
वह हुई ऊंची आकाश भर
जय उनकी जिनके वीरत्व की
थाह वीरता पा ना पाई

जय उनकी जो हिय चीर धरा का
धान का है बीज बोते
जो सींचते नित निज लहू से फसलें
देश को है अन्न देते
जय उनकी जिनका ही उद्यम
चलता है कल खानों में भी
उनकी परिश्रमशीलता ही
मिट्टी से सोना उगाती है.
– पलकेश सोनी

15 अगस्त पर दिल को छु लेने वाली देशभक्ति कविता

हो तीन रंग वाला झंडा उसके नीचे आसमान रहे
देवलोक के देव मनुज झुक झुक कर उसे सलाम करे
जब तक चमके सूरज चंदा इसका अजेय अभिमान रहे
हर जर्रे में खुशबू आए हर शख्स में हिंदुस्तान रहे

हे जननी तेरे वैभव की रक्षा के हित सौ लाल मरे
हे माता तेरी बलिवेदी पर लाखों सिर तैयार खड़े
तेरी अमर ज्योति का मैं बस एक महज परवाना हूँ
आरुष मांगे है मिट्टी भी मेरी तो तेरे नाम रहे

माँ तेरी चौखट झुककर ये मस्तक ऊंचा रहता
है जननी तू माता मैं बालक तेरा बेटा गर्व से कहता
है जननी तेरी माटी में वो तेज त्याग बलिदान रहे
जननी तेरे जायों में तो पौरुष का भंडार रहे तू
आद्य शक्ति तू ज्ञान पुंज तू ही जग का उजियारा है
दुनिया से ठुकराएं हर मानव का तू ही सहारा है
तूने सिखलाएँ दुनिया भर को आदमता के पाठ नये
तेरे शिक्षा के ही बल ये प्रतिपल गढ़ते इतिहास नए

हो तीन रंग वाला झंडा उसके नीचे आसमान रहे
– आरुष शुक्ला

देश के प्रति प्यार बढ़ाने वाली कविताएँ

हम विश्वविजय हो जाएंगे।
हम स्वर्ण राष्ट्र बनाएंगे।
विदेशी बेड़िया तोड़कर।
जब हम आत्मनिर्भर हो जाएंगे।
वीरो का संघर्ष है,उनका ही बलिदान है।
मातृभूमि पर किये न्यौछावर,जिन्होंने अपने प्राण है।
यह गौरव है,यह शान है।
युगों-युगों की उनकी गाथा,हम सब का अभिमान है।
स्वतन्त्रता के लिए लड़े वो,स्वतंत्रता के लिए मरे वो।
अपने रक्त से लिख गए वो,गौरवमयी एक इतिहास है।
अब की बार,हमारी बारी।
मातृभूमि है सबसे प्यारी।
हम भी एक इतिहास रचेंगे।
श्रेष्ठ,सबल,सहयोगी बनेंगे।
– दीपक यादव

देशभक्ति का जुनून पैदा करने वाली कविता

अविरल विफलता पाकर भी,असंख्य चोटें खाकर भी,
खड़ा रक्तरंजित निर्भय हो!भारत अक्षय, अमर, अभय हो!
सुंदर सुर सजाने को,साज़ बाकी है।
मेरे वतन में आज भी,लिहाज़ बाकी है।
लहलहाते खेतों में,पीपल की छांव देखी है।
एक देश में कई बोलियों,की मिठास देखी है।
विविधता में एकता,की पहचान बाकी है।
सब के दिलों में देशभक्ति,की झनकार बाकी है।
संकल्पों की इस पुण्यवेदी को,अपनी शान कहते हैं।
बलिदान की इस मिट्टी को,हिन्दुस्तान कहते हैं।
~अक्षिता मिश्रा

स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में कविता

उठो भाइयों ह्रदय में रख लो जैसे हो अरमान आज
बढ़े चलो कि आया है आजादी का फरमान आज
डरो नहीं चलते चलो है राहों में तूफ़ान आज
सोये हुए जागो अभी आया है उषा काल आज
भूलो अधेरे बेड़ियाँ दुःख दर्द की चीत्कार आज

हंटर गोली, कोड़ो से हो लथपथ लहू लुहान आज
है तेरी मर्जी आज तो सारा जहान है साथ
कहने को शीश एक है पर सैकड़ों सर साथ है
वीरता है दिल में तो जीतना तेरे हाथ है

अब लाख नाचें फिरंगी उसे नचाना तेरे हाथ हैं
सब रिश्ते नाते तोड़ कर कुर्बान हो जा देश पर
भयभीत कर दे गीदड़ों को मांस नोचते गिद्धों को
सेनानी हो संग्राम के आजादी का संग्राम कर

अब जान ही लिया है सबने रहेगे आजाद हम
जियेगे तो आजाद हम मरेगे तो आजाद हम
आजाद देश है आजाद हर इंसान है
आजादी की कीमत है क्या हर एक को आभास है
स्वतंत्रता दिवस अब सबसे बड़ा त्यौहार है
विकसित होना संसार में सबसे बड़ा अरमान है
– समरजीत श्रीवास्तव

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस 2024 कविता कलेक्शन हिंदी में

हुआ देश स्वाधीन मगर, पराधीन हम अब भी है
सत्तर वर्ष का हुआ देश मगर सोच पुरानी अब भी है
लुप्त हो चुकी है खुशबू अब तो देश प्रेम का निधन हुआ
भारत माता की जय सुनने देश आग में सुलग रहा

देशभक्ति के गीत चलाकर राष्ट्र पर्व हम मना रहे
मुहं में राम बगल में छुरी का प्रत्यक्ष उदहारण हम दिखा रहे

असली नायक वही है जो सीमा पर है तैनात खड़े
हम तो बैठे बैठे देश को राग द्वेष में चला रहे
धर्म अधर्म का पाठ पढाकर अपने अपनों को लूट रहे
मित्र बने मित्र शत्रु के मानवता का गला घोट रहे

देख तिरंगा गिरा देश में बापू के सपने टूट रहे
देख तिरंगा गिरा देश में बापू के सपने टूट रहे.
-Dharmendra Vishvkarma

Happy independence day 2024 poems in Hindi for Girls students

भारत माता के वीरों की
मैं बात बताने आई हूँ
आजाद नगर की बेटी हूँ
मैं शौर्य जगाने आई हूँ

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के
महानायक जो कहलाते है
उस वीर को नमन करो
जो अपना नाम आजाद बताते है

हर कोड़ों के साथ वो
वंदेमातरम् गाते है
महात्मा गांधी की जय का
स्वर बुलंद कर अंग्रेजों से लड़ जाते है

आजाद की कविता सुनकर तो
वीर रस में भी रस भर जाता है
ऐसे वीरों को नमन है
जो भारत का पुत्र कहलाता है

जिन्दा न पकड़े जाने की
कसम को आजाद निभाते है
अपनी पिस्टल से ही गोली खाकर
आजाद ही रहे आजाद ही रहेगे कह जाते है
आजाद ही रहे है आजाद ही रहेगे कह जाते है
– गनेशी गुप्ता

Desh Bhakti Poem in Hindi Language

आसान नहीं है
दुश्मनों से देश की हिफाजत करना
क्या होती है ख़ुशी देश का गर्व बढ़ने पर
कभी तुम भी देश के लिए कुछ करके देख लेना
क्या होती है मदद देश के लिए
कभी तुम भी समय से ज्यादा काम करके देख लेना
कभी ठंड में ठिठुरकर देख लेना
कभी तपती धुप में चलकर देख लेना
कैसे होती है हिफाजत देश की
कभी सरहद पर चलकर देख लेना
क्या होती है ख़ुशी देश के लिए मर मिटने
पर तिरंगे पर लिपटकर देख लेना
आओ देश का सम्मान करे
शहीदों की शहादत याद करें.
– मासूम गुप्ता

Desh Bhakti Poem on Aazadi Diwas

स्वतंत्रता की उम्रः जैसे जैसे बढ़ती जा रही है
कौमार्य यौवन सी और निखरती जा रही है
ओढ़कर प्रकृति की घानी चुनर
बादलों का घूँघट काढती है
सनसनाती हवाओं के साथ
नये नये गीत वह गाती है

अनुभवों से उसने अपने
देश का स्वरूप बदल दिया है
देकर टक्कर दूसरे देशों को
अपना परचम लहरा दिया है

भले ही बीमार हो गया है वक्त आज
जज्बातों की दवा बनकर
वक्त का फिर रुख मोड़ लेगे
थे स्वतंत्र है स्वतंत्र रहेगे स्वतंत्र
अब किसी और को ना हम
आजादी अपनी छिनने देगे
– आरजू कुदेसिया

Mera Pyara Desh Poem on Independence Day in Hindi

आओ सुनाता हूँ मैं तुमको गाथा आजादी की
गाथा वीरों की शौर्य की बलिदानों की
स्वाधीनता के इस पावन पर्व के इतिहास की
आओ सुनाता हूँ मैं तुमको गाथा खुली सांस की

सोने की चिड़ियाँ जब माटी मेरी कहलाती थी
खुशियाँ देख इस भूमि की जीभ अफकानो की ललचाई थी
सिकन्दर, गजनी, खुरीद, खिलजी ने आक्रमकता यहाँ फैलाई थी
चन्द्रगुप्त, पृथ्वीराज, राणा प्रताप अनेकों सम्राटों ने धूल उन्हें चटाई थी

औरंगजेब की अगुवाई में जब इस भूमि को मुल्क की चादर ओढ़ाई गई
तब जीजा के लाल शिवाजी ने विजयी लहर दौड़ाई

कमजोर होते भारत को देख फिर अंग्रेजी सेना
आपस में हमको लड़ा लड़ा फिर हुकुमत उसने जमाई
चारो और चीख पुकार गुलामी कण कण में छाई
स्वतंत्रता संग्राम के लड़ाके अलगमुथु ने तब अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई थी

याद आती है वो रानी शिव गंगा की मातृभूमि की
जिसने नारी में आजादी की भूख जगा, अंग्रेजों को उनकी प्रथम पराजय दिखाई

मंगल पांडे ने जब 57 में अंग्रेजी गुलामी ठुकराई थी
ताकत एकता की तब भारत ने अंग्रेजों को बतलाई थी

लूट लुटाई जबरन कब्जे की नीति जब फरमाई थी
रानी झांसी की लक्ष्मी तब कमर कस मैदान में आई थी
दौड़ा दौड़ा अंग्रेजों को वह मार मार भगाई
झांसी से उठी ललकार हर नारी का आदर्श कहलाई

समझ गई अंग्रेजी सेना यहाँ राज आसान नहीं
तब फिर और कढ़ी पाबंदी उसने हम पर लगाई
आजाद भारत की आवाज फिर नीचे दबाई गई
अंग्रेजी हुकुमत दुबारा अपने चरम पर आई

इसी बीच मोहन बन बापू ने जन्म पाया था
बिना हथियार लिए हाथों में जिसने अंग्रेजों को भगाया था
सत्य अहिंसा और निष्ठां का पाठ जिसनें हमें पढाया था
इन्ही आदर्शों से वह मोहन महात्मा राष्ट्रपिता कहलाया था.

20 वीं सदी का दौर आंदोलनों का दौर कहलाया
लाल बाल पाल पटेल ने युवाओं को जगाया था
युवा शक्ति जब जागी थी तब अंग्रेजी सेना घबराई थी
और भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को फांसी उसने दिलवाई

बंगाल का शेर सुभाष नेताजी बन सम्मान पाया था
इंडियन नेशनल आर्मी बना अंग्रेजों को उसने डराया था
15 अगस्त 1947 को आजादी हमने पाई थी
खुशहाली दोबारा इस माटी पर लौट आई थी

पूर्वजों ने हमारे आजादी हमे दिलाई, जिम्मेदारी उन्होंने अपनी निभाई
अब आजादी की रक्षा की बारी हमारी आई
– RAGHVENDRA GUPTA

Independence Day Kavita in Hindi

भारत : गौरवशाली संस्कृति

मेरे भारत की महिमा तो,सभी देवों ने मानी है
तभी तो जन्म लेने की, इसी भूमीं पर ठानी है
यहां श्री राम की मर्यादा , महाभारत की कहानी है
तो आयें साथ मिलकर सब, हमें संस्कृति बढ़ानी है
महात्मा बुद्ध से त्यागी, महावीर से ज्ञानी है
यशोधरा का विरह है तो,पन्ना की कुर्बानी है
करु वर्णन मैं भारत का तो कम लगती कई सदियां
यहां पुरुषों में नारायण,नारी में भवानी है …. मेरे भारत की महिमा

Bharat Desh Ki Aazadi Ki Kavita

मैं एक सैनिक हूँ
गुमान है मुझे एक सैनिक होने पर
शेर के साहस सा साहस है मुझमें
हिमालय से भी अटल विश्वास है मेरा
हूँ मैं तैयार हर परिस्थिति से लड़ने को
मिलने को मिट्टी में एवं दुश्मन को मिलाने
कभी न झुकने दूंगा मैं सर अपने देश का
सर देश का ये यूं ही गर्व से ऊंचा रहेगा
न मैं टूटा कभी और न कभी टूटूगा
न मैं गिरा कभी न कभी गिरूंगा
गिरे है पर लाखों मुझे गिराने में
और मैं भी फिर दुगुनी रफ्तार से निखरा हूँ
क्योंकि मैं एक सैनिक हूँ
सारी यादें छोड़कर बस एक तस्वीर साथ लाया हूँ
मैं उन तरसती निगाहों को छोड़कर आया हूँ
मैं उन गलियों को छोड़कर आया हूँ
लौटकर फिर से आने का वादा किया नहीं मैंने किसी से
क्योंकि मेरे प्राण बढ़कर नहीं है देश से मेरे लिए
मैं 140 करोड़ भारतीयों का विश्वास हूँ
क्योंकि मैं एक सैनिक हूँ
कर्ज है इस भूमि का मुझ पर जो चुकाना है मुझे
देकर चाहे अपने प्राण या लेकर प्राण दुश्मन के
झुके न कभी सर मेरे देश का
यही कोशिश रहेगी मेरी आखिरी सांस तक
क्योंकि मैं एक सैनिक हूँ
क्योंकि मैं एक सैनिक हूँ.

-संजय यादव

15 august par kavita hindi mein

युद्ध का शंखनाद सुन
काँप रहा यह संसार यूँ
सिहासन की चाह में
बहा रहे अपनों का रक्त यूं

धम धम करते आ गये
भारत वर्ष की पावन माटी पर
गौलियो की बौछार कर
सुला दिया कई मासूमों को

छलनी कर भारत माता का सीना
लौट गये यह घुसपैठिये यूँ
घायल माता की संतानों ने
फिर अब यह ठाना
जय जननी, तेरे दुश्मनों को है हराना

क्रांति लहर उठ चली
जीत का परचम लहराने
सैनिक रण की और चल पड़े
माता का ऋण चुकाने

रक्त की धारां बही
बलिदान चक्र चल पड़ा
देश प्रेम की अग्नि बढ़ चली
विकट विकराल भीषण जंग छिड़ गई

जननी को किया आजाद
दुश्मनों के अत्याचारों से
अपने प्राणों को त्याग कर
हमारे जवान हो गये अमर यूँ

जय हुई भारत माता के संतानों की
पराजय का मुख दिखाया शत्रुओं को
मानवता का वर्चस्व स्थापित कर
गौरवान्वित किया इस पावन माटी को यूँ
– वाणी गुरु

Swatantrata diwas par kavita

आजादी के लिए मैं हर पल इन्तजार किया करती थी
अपने भारतीयों से मैं फिर भी प्यार किया करती थी
दे चुके थे जो धोखा अपना बनकर मुझे
मैं उन दगाबाजों पर भी एतबार किया करती थी
जंजीरों से जकड़े गुजारे हैं कई साल मैंने
मैं तो दुश्मनों का कफन पहनाने वाले सरफरोशों को निहारा करती थी
देखो आज आजादी कदम चूमती है मेरे
मैं तो जान न्यौछावर करने वालों पर अपना तिरंगा वार किया करती थी
उस लहू को कौन भूलेगा जिसने तोड़ी है मेरी जंजीरे
मैं ऐसे वीरों को हर दम झुककर सलाम किया करती थी
– Jyoti Jain

Short Poem Of Independence Day 2024 In Hindi

अटूट विश्वास इतना कि
नापाक इरादे दुश्मन के
नेस्तानाबूत कर देंगे
अटूट है विश्वास इतना कि

गर जो हैं नजरे गड़ाई
हिम मरुधर या हो समन्दर
सरहदी उल्लंघन के इरादे त्वरित
विफल ही कर देंगे

फिर चाहे लेह गलवान हो
या फिर कारगिल ही हो
औकात दुश्मन की दिखाकर
धुल हिन्द की चटा देंगे

देश रक्षा में न्यौछावर
अमिट बलिदान वीरों का
स्वर्णाक्षर अंकित कर पटल पर
ऐतिहासिक अध्याय जोड़ देंगे

माँ तुझे सलाम जहाँ रग रग में बसता है
हर जवान की शौर्यगाथा में वंदेमातरम् ही गूंजता है
तपस्वी भूमि पर जब जब आतंकी उत्पात होता है
राष्ट्र प्रहरी का लहू तब तब उबाल पे होता है

हिन्द की जागीर है सद्भावना और शांति
ये पैगाम देश दुनियां में चहुओर पहुचाएगे
जाबाज रणबांकुरों को नमन कर
स्मृतियों को चिरस्थायी बनाएगें
स्मृतियों को चिरस्थायी बनाएंगे
– श्रेया पाण्डेय

Short poem on 15 august in hindi for kids

आजादी की रूत आई है हर और खुशाली छाई है
दिल में उम्मीद जगाई है नित नए सवेरे लाई है
एक आजादी आई थी सन 1947 में जब वीरो ने खून बहाया देश की आन बचाने को
अब आजादी आई है इन वीर निर्भीक जवानो से जो करते है जान न्यौछावर देश की आन बचाने को
जान हथेली पर रखते है शूरवीर जवान हमारे
कायम रखते शान देश की अपने प्राण गवा के
है नमन शहीदों को जिनकी वजह से हम स्वतंत्र है
है नमन जवानों को जिनकी वजह से हम जीवित है.
– प्रियंका सारस्वत

15 august ke liye kavita

मैं भारत देश पर लिखूं मेरी औकात नहीं है कुछ
वीर जवानों और भारत माँ की संतानों ने न्यौछावर किया है सब कुछ

लिप्ट कर बदन कई आज भी इस तिरंगे में आते है हम यूँ ही नहीं ये पर्व मनाते है

उन आँखों की दो बूंदों से सातो सागर हारे है
जब मेहँदी वाले नाजुक हाथों ने अपने मंगल सूत्र उतारे है

उनके त्याग समर्पण के बलबूते ही हम
आकाश में तिरंगा लहरा रहे
और अपने भाग्य पर इठला रहे

उद्देश्य यही भारत को विकसित समर्थ बनाना है
बलिदान की वो गाथा सुनाकर
युवाओं को देशहित में कर्मरत बनाना है

संदेश यही पथ की कठिनाइयों को तुम पार करो
वीरों की प्राण आहुति की तुम लाज रखो
नवभारत का तुम निर्माण करो
नव भारत का तुम उत्थान करो

महान भारत की फिजाओं को मैं हमेशा याद रखूंगा
मैं आजाद हूँ और आजाद रहूँगा
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
– पंकज गवली

Heart touching poem on independence day funny poems in hindi

जा रहा हूँ माँ के पास कहकर वह चल दिए
वापस कब आओगे इसका ना हल दिए
हंसते मुस्कराते गम की बारिश में भीग गये
वक्त के साथ आपकी याद में रहना सीख गये

अब उनकी याद आए तो उनकी तस्वीर देख लेती हूँ
चिट्टियों के सहारे बात कर लेती हूँ
आज दसवां खत है पर उसमें भी जवाब नहीं दिया
घर लौट कर कब आओगे पिया?

इस 11 वे खत में
मैं धमकी दे रही हूँ
कि यह मैं आखिरी खत लिख रही हूँ
इसके बाद आपसे सीधे मुलाकात होगी

और आपके पास बैठकर आपसे सब बात होगी
अगले दिन मेरी धमकी उन तक पहुचे उससे पहले ही वह लौट आए
अपने चार साथियों के कंधों पर तीन रंगों वाली माँ की चुन्नी लपेट आए
उनसे मुलाक़ात हुई पर बात नहीं
वह पास मेरे थे पर साथ नहीं

वह लाल सिंदूर और मेरी लाल चूड़ियाँ आपके साथ मुझसे दूर हो गई
मुन्ना की पापा के साथ चोर पुलिस खेलने की तमन्ना चूर हो गई
वह मम्मी के बनाए लड्डू अब कौन खाएगा
और पापा के साथ रोज सुभ गार्डन टहलने कौन जाएगा
कौन प्रीत से राखी बंधवाएगा
और कौन उसकी रक्षा के वचन खाएगा

आज मम्मी पापा ने बेटे को
मुन्ना ने पापा को
प्रीत ने भाई को
और मैंने मेरे प्यार को खोकर भी पा लिया
आपके इस त्याग को हमने दिल से अपना लिया

आज पूरे 20 साल हो गये है
और मैंने फिरसे खत लिखना शुरू कर दिया है
आखिर आपके बेटे ने भी भारत माँ की सेवा का प्रण लिया है
आज भी जब उसे वर्दी में देखती हूँ आपको ही पास पाती हूँ
और गर्व से सीना चौड़ा कर आपकी याद में मुस्कराती हूँ
– पुनीत लालवानी

15 अगस्त के उपलक्ष्य में कविता

स्वाधीनता, तू सिर्फ एक शब्द नहीं,
एक अर्थ है।
आधीन नहीं हम किसी के,
हम स्वयं में समर्थ हैं।

स्वाधीनता, तू सिर्फ एक शब्द नहीं,
एक भाव है।
दूसरों के विचारों में फंसे मन को
बाहर खेने वाली नाव है।

स्वाधीनता, तू सिर्फ एक शब्द नहीं,
एक जिम्मेदारी है।
ये देश नहीं होगा अकेला
इसके विकास में मेरी भी भागेदारी है।

स्वाधीनता, तू सिर्फ एक शब्द नहीं,
तू एक भाईचारे की भावना है।
नहीं है सिर्फ तू मेरे लिए,
सब साथ हो तभी तेरी संभावना है।

स्वतंत्रता दिवस 2024 का पावन अवसर पर शहीद भगतसिंह की कविता

उत्साह और नारे लिए हुए न कम थे
बीच दोपहर होने को आई थी
पनवारी जब तक पान बनाता
नजरे मैंने मंजर पर दौडती थी

बीच चौराहे फैरा था तिरंगा
जिसने हवा से लय मिलाया था
नजर पड़ी एक नन्हे बालक पर
भगत सिंह के भेष में आया था

कल की ही तो बात है
पढाया पाठ याद आ गया
असहाय जेल में बंद था मगर
गोरो में दहशत फैला गया

पंजाबी खेतों में पला बढ़ा
हटी साहसी क्रोधित मन
एक माँ की रोटी खाता था
तो दूजी की खाता सौगंध

मन में उठी प्रतिशोध की लपटे
उसने घर में ही सुलगाई थी
बलिदान और क्रांतिकारी सोच उसके
बाप दादाओं ने कमाई थी

देख जलियांवाला का नरसंहार
आँखे नम गला भर आया था
रक्त युक्त माटी बोतल में भर कर
उसने सिरहाने तले दबाया था

भाग गया वो अपने घर से
सुन विवाह ब्याह के प्रसंग
कहता देश ही दुल्हन मेरी
और राष्ट्र आजादी मिलन

देख स्वाधीनता की भूख व हौसला
आजादी को प्यासा आजाद भी दंग
वो चलता रहा लोग जुड़ते गये
सुखदेव राजगुरु मिलाते कदम से कदम

कभी कालापानी तो कही चौरा चौरी
कब तक तकता गौरों के सितम
सुनाने बहरों को आवाम की आवाज
गोरो की सभा में फोड़ा बम

जेल में रहा भूखा साथी संग
खाया न अन्न जो ठाना था
कितने ही दिन पानी पर जिया
हे भगवान ये कैसा दीवाना था

जिस क्रांति के वह सपने बुनता
सपना वही देश को दिखाना था
वो जाने ये बलिदान आगाज करेगा
क्रांति के दिए को मशाल बनाना था

टूटा मेरा स्वप्न जो लगे नारे
इंकलाब जिंदाबाद
लिए पान शाळा को दौड़ा
करने वीर को इस स्वतंत्र दिवस धन्यवाद
– निशा परते

 हाँ! भारत ने दुश्मन को हरा दिया था

1857 की जंग लड़ी जिसमें हम सब हारे थे
हार गये थे जंग हम पर हौसले रखे बुलंद थे
रानी लक्ष्मीबाई ने सबसे युद्ध किया था
तात्या टोपे ने फिर खूब उन्हें छकाया था
हाँ भारत ने दुश्मन को हरा दिया था

आगे समय बढ़ा तो ऊर्जा साथ बढ़ी थी
फिर युवाओं की टोली हथियार संग लिए थी
गांधी पटेल के साथ उत्साही सभी हुए थे
दुश्मन को समझाया था सामने कौन खड़े थे
हाँ भारत ने दुश्मन को हरा दिया था

लड़कर हमने आजादी को फिर पाया था
मिलकर सबने जन गण मन गाया था
नई दिवाली नई होली नया वसंत था आया
जो चाहा था सुभाष भगत ने वह सपना पाया
हाँ भारत ने दुश्मन को हरा दिया था

आजादी मिलने पर भी कई बार हुये थे
65-71 के घावों कारगिल संग मिले थे
चीनी पाकी सबको सबक हमने दिया था
नये उभरते भारत का चेहरा साफ़ किया था
हाँ भारत ने दुश्मन को हरा दिया था

देश स्वच्छ स्वस्थ हो वादा खुद से किया था
राष्ट्र आत्मनिर्भर होगा जज्बा साथ लिया था
हाँ भारत ने इतिहास रचा था.
– Rakhi Gotam

शत शत नमन तुम्हे मेरा

ए भारत के वीर शहीदों
शत शत नमन तुम्हें मेरा
फूल तुम्हें क्या भेट करूं मैं
है दिल से अर्पित चमन मेरा
रहा देश की मर्यादा का
भार तुम्हारे सीने पर
रहे अडिग न घबराएं
संकट में भी जीने पर
ना रुके कभी ना झुके कभी
दुश्मन की ललकारों से
एक गिना दस दस को मारा
भारत गूंज उठा जयकारों से
अपनी धड्कन रोक के तुमने
दिया देश को जीवन है
तुम जैसे वीर शहीदों से ही
देश हमारा पावन है
ना भूल सकेगी यह धरती
प्राणों का बलिदान तुम्हारा
ऐ भारत के वीर शहीदों
शत शत नमन तुम्हें मेरा
शत शत नमन तुम्हे मेरा
– अक्षत गुप्ता

Short Poem In Hindi For Independence Day

सुनो बंधुओं तुम्हें बताऊं, एक बात पुरानी
स्वतंत्रता की है, भाकी कष्टों भरी कहानी
इसमें राष्ट्र भक्तों ने, दी अपनी बलिदानी
याद हमें सताती, जलिया बाग की परेशानी
बेकसूर लोगों बच्चों, तक की हुई कुर्बानी
खून खौल उठा जब, भगत चंद्रशेखर का
उन्होंने रात दिन, अंग्रेजों से लड़ाई ठानी
सुन लो भारत के नौजवानों, मुश्किल से
हमें मिली अंग्रेजों से, स्वतंत्रता की खुशहाली
मत व्यर्थ जाने दो, उन रणबाकुरों की कुर्बानी
अब छीन ना पाए कोई, यह स्वतंत्रता
कर संकल्प यह , बोलो अब जय मां भवानी।
– Gopal Sen

Independence Day Ki Kavita

आसमान से काले बादल छटने लगे है
भारत को कमजोर सम्झने वाले अब डरने लगे है
लाख कोशिश की हमें हराने की दुश्मनों की फौज ने
लेकिन भूल गये वो कैसे कि जंग में पाला पड़ा है
उनका इस बार शेरों की फौज से

अपना बनकर देश को तोड़ने वाले कुछ
भेषधारी भी है हम बताते चले उनको कि
उनकी हर साजिश का मुहंतोड़ जवाब देने
देश पर मरने वाले जाबाज वर्दीधारी भी हैं

माँ तेरी बेटियों को समझते कमजोर कुछ लोग है
याद क्यों नहीं उनको लक्ष्मी बाई, कल्पना जैसे लोग है
क्रांतिकारियों के बलिदान को हम व्यर्थ न जाने देगे
कसम है भारत माँ तेरे देश के बच्चे बच्चे को
सर कटा लेगे अपना पर तेरा शीश नहीं झुकने देगे

हर धर्म के लोगों ने अपने खून से सींचा हिंदुस्तान है
तभी तो एकता भाईचारा निभाने में सबसे
आगे हिंदुस्तान है
इस देश के युवाओं ने हर क्षेत्र में हासिल की महारथ है
ऐसे ही हम नहीं कहते कि इस देश की मिट्टी में
कुछ ख़ास बात है

डोक्टर पुलिस वैज्ञानिक सैनिक
का योगदान महान है
इन्ही से तो बढ़ती मेरे भारत की शान है

अब तक लड़े है आगे भी लड़ेगे
अमन चैन से रहोगे तो शांति देगे
आँख उठाकर देखोगे
तो विश्व का इतिहास बना दिए जाओगे.

Dimpy Rawte

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