lord vishnu avatars stories in hindi matsya jayanti 2019 in hindi: इस वर्ष मत्स्य जयंती 2019 डेट 8 अप्रैल को हैं. मत्स्यावतार Matsyavatar भगवान् विष्णु के दस अवतारों में से एक माने जाते हैं. जब जब पृथ्वी पर पाप बढ़ता हैं तब तब जगत पालक विष्णु जी विविध अवतारों में जन्म लेते हैं. matsya avatar in hindi language आपकों मत्स्य अवतार की कथा मत्स्य जयंती के बारे में बता रहे हैं.
मत्स्य जयंती 2019 डेट हिन्दुओं के मत्स्य अवतार की कथा महत्व पूजा विधि
मत्स्य अवतार का अर्थ मछली के रूप में अवतरित होता हैं श्रीहरि में वेदों तथा ज्ञान की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार के रूप में जन्म लिया था, पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व जल से हैं किसी भी काल में जल की बड़ी महत्ता रही हैं. इस दिन मत्स्य अर्थात विष्णु जी की पूजा करने से साधक के समस्त संकट दूर हो जाते हैं.
मत्स्य जयंती वह दिन माना जाता है जब भगवान विष्णु मत्स्य अवतार (मछली अवतार) के रूप में प्रकट हुए। मत्स्य जयंती 2019 की तारीख 8 अप्रैल है। श्री हरि विष्णु वेदों को बचाने के लिए एक सींग वाली मछली के रूप में दिखाई दिए। कुछ शास्त्रों से यह भी संकेत मिलता है कि मत्स्य महान प्रलय या महाप्रलय के बारे में चेतावनी देता है जो ब्रह्मांड को नष्ट कर देगा और इसे पुनर्जनन के लिए तैयार करेगा.
मत्स्य अवतार की कथा
भगवान विष्णु जी के मत्स्य अवतार की कई कथाएँ प्रचलित हैं. जिसके अनुसार जब ब्रह्माजी ने वेदों का ज्ञान दिया तो उस समय एक राक्षस भी वहां उपस्थित था, हयग्रीव नामक उस दैत्य ने वेदों के ज्ञान की चोरी कर उसे निगल गया. जिसके बाद पूरी दुनिया अज्ञानी हो गयी,
ऐसी स्थिति में स्वयं भगवान विष्णु को राजा सत्यव्रत के समक्ष एक मछली के रूप में अवतरित होना पड़ा. यह सुबह का वक्त था जब राजा सूर्य को जल चढ़ा रहे थे. तभी मत्स्य रुपी मछली ने उनसे निवेदन किया कि वे उन्हें अपने कमंडल में रख ले.
राजा दयालु था उसने मच्छली के निवेदन को स्वीकार किया तथा उसे अपने कमंडल में रख लिया. राजा घर गये तो उस कमंडल का आकार मत्स्य के आकार का हो गया, राजा ने उसे किसी पात्र में रखा तो उसने पात्र का आकार भी मत्स्य का कर दिया. अंत में राजा ने उसे समुद्र में फेक दिया.
तो पुरे समुद्र ने उसका आकार लिया तथा वे अपने वास्तविक रूप में राजा से प्रकट होकर कहने लगे- राजन आज के ठीक सात दिन बाद प्रलय आएगा तथा इससे पूरी सृष्टि समाप्त होकर फिर से नई पृथ्वी का स्रजन होगा.
आप जड़ी-भूति, बीज और पशुओं, सप्त ऋषि आदि को एक नाव में इकट्ठा करे ताकि इसकी नस्ल को बचाया जा सके. इसके बाद मछली का आकार लिए मत्स्य अवतार ने हयग्रीव राक्षस का वध कर वेदों को समाप्त होने से बचा लिया तथा वापिस स्वर्ग लोक जाकर इसे ब्रह्माजी को सौप दिया.
उस समय ब्रह्माजी प्रलय की गहरी निद्रा में सो रहे थे जब वे जगे तो वह ब्रह्म मुहूर्त या वेला कहलाई. सृष्टि के प्रलय से पूर्व सर्पराज वासुकि को डोर बनाकर सभी मूल्यवान जीवों को नाव में चढाकर सुमेरु पर्वत की और रवाना किया था, इसी राह में मत्स्य भगवान् ने मत्स्य पुराण की कथा सत्यव्रत (मनु) को सुनाई.
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