Nagaur Fort History In Hindi: पधारों म्हारे देश और रंगीले राजस्थान के गौरवशाली इतिहास की निशानियों के रूप में राज्य के कई भागों में किले और ऐतिहासिक ईमारते हमेशा लोगों के मन में उत्कंठा पैदा करती रही हैं.
आज हम राजस्थान के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल एवं नागौर के ऐतिहासिक किले के बारे में जानकारी बताएगे. किले के इतिहास तथा इसके रहस्यों को आपके सामने रखेगे. मध्य राजस्थान में बसे नागौर के किले को नागणा दुर्ग, नाग दुर्ग व अहिछत्रपुर दुर्ग के नाम से भी जाना जाता हैं.
नागौर के किले का इतिहास | Nagaur Fort History In Hindi
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लगभग चौथी शताब्दी में नागौर का इतिहास शुरू होता हैं, राजस्थान के मध्य में स्थित यह किला राजधानी जयपुर से 140 किमी की दूरी पर स्थित हैं. रेतीले प्रदेश नागौर शहर के पास की पहाड़ी पर इस किले का निर्माण किया गया था.
नागौर के आकर्षण का केंद्र यहाँ के प्राचीन महल दुर्ग एवं राजे महाराजाओं की छतरियां हैं. नागौर के किले में तीन बड़े प्रवेशद्वार हैं देहली द्वार, त्रिपोलिया द्वार तथा नाकाश द्वार के जरिये किले में प्रवेश किया जा सकता हैं.
नागौर किले में स्थित अन्य पर्यटक स्थलों में नागौर का किला, तारकिन की दरगाह, वीर अमर सिंह राठौड़ की छतरी के अलावा इस जिले के आस पास मीरा बाई की जन्मस्थली मेड़ता, खींवसर किला, कुचामन किला को देखने के लिए लोग आते हैं.
नागौर किले में सम्राट अकबर द्वारा निर्मित मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भी हैं. इसके अतिरिक्त यहाँ कई महल जैसे हाडी रानी महल, शीश महल और बादल महल देखने के लायक हैं. इन महलों की स्थापत्य कला राजपूती शैली तथा इनके भित्तिचित्र बड़े ही लोकप्रिय रहे हैं. किले में कई महारथियों एवं वीरों की छतरियां भी बनी हुई हैं.
नागौर में तेजाजी पशुमेला और परबतसर पशु मेला काफी प्रसिद्ध हैं जो हर साल आयोजित किये जाते हैं. इन मेलों में मुर्गों की लड़ाई, ऊँट की दौड़, कठपुतली का खेल, राजस्थानी नृत्य देखने लायक हैं. यहाँ पशुओं की खरीद फरोख्त बड़े स्तर पर होती हैं. इस कारण आमदनी के लिहाज से यह राज्य का सबसे बड़ा पशु मेला भी हैं.
राजस्थान का नागौर जिला कई बहुमूल्य रत्नों की भूमि रहा हैं. यहाँ कई विभूतियों ने जन्म लिया और अपनी मातृभूमि का मान बढाया. कवि वृंद की जन्म स्थली नागौर का मेड़ता शहर रहा हैं.
जब मेड़ता का नाम आता है तो एक नाम जबान पर आना स्वाभाविक हैं वो है मीरा बाई का. कृष्ण भक्ति की इस कवयित्री की जन्म भूमि मेड़ता नागौर ही रही हैं.
इसके अलावा यहाँ पर अकबर के नवरत्नों में से एक और प्राचीन भारतीय इतिहास के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बीरबल का जन्म भी नागौर में हुआ था, नागौर के सपूतों में अकबर के दो अन्य रत्न अबुल फैज और अबुल फजल भी थे.
राजस्थानी संस्कृति की कर्मभूमि नागौर को देखने की तमन्ना जगी हो तो आप जयपुर अथवा दिल्ली से बस के द्वारा मेड़ता रोड़ से नागौर आ सकते हैं. जो ९० किमी दूरी का रास्ता हैं. इसके अलावा आप राज्य के किसी जिले से नागौर की सीधी बस पकड सकते हैं.
Nagaur Fort History नागौर किले का इतिहास
धान्वन दुर्ग नागौर का निर्माता चौहान शासक सोमेश्वर के सामंत कैमास को माना जाता है. किले की नीव 1154 ई में रखी गयी. किले का परकोटा लगभग ५ हजार फीट लम्बा हैं.
तथा इसकी प्राचीर में २८ विशाल बुर्जे बनी हुई हैं. किले के चारो ओर दोहरी प्राचीर निर्मित हैं. किले में ६ विशाल दरवाजे, सिराईपोल, बिचली पोल, कचहरी पोल, सूरजपोल, धूपीपोल और राजपोल हैं.
नागौर का किला 2100 गज के घेरे में बना हुआ हैं. किले में 1570 ई में अकबर ने प्रसिद्ध नागौर दरबार का आयोजन किया था. जहाँ अनेक राजपूत शासकों ने मुगल आधिपत्य स्वीकार किया. महाराजा गजसिंह के अनुरोध पर मुगल सम्राट शाहजहाँ ने नागौर का किला अमरसिंह को दे दिया.
अमरसिंह की शूरवीरता के कारण नागौर प्रसिद्ध हो गया. जोधपुर के महाराजा अभयसिंह ने इसे अपने भाई बख्तसिंह को जागीर में दे दिया. इसके बाद नागौर पर अधिकांशतः राठौड़ों का ही अधिकार रहा.
नागौर के किले के भीतर सुंदर भित्तिचित्र बने हुए है. इनमें बादल महल और शीश महल के चित्र दर्शनीय है. इन चित्रों में राजसी वैभव और लोक जीवन का सुंदर समन्वय दिखाई देता हैं.
पेड़ के नीचे संगीत सुनते प्रेमी युगल, उद्यान में हास परिहास करती रमणियाँ, राजदरबार के दृश्य विविध नस्लों के चुस्त घोड़े, बेलबुन्टों और पुष्पलताओं का चित्रण नृत्य और गायन में तल्लीन एवं उद्यान में विहार करती नायिकाओं का चित्रं सुंदर और कलापूर्ण हैं.
मुगल बादशाह अकबर ने किले के भीतर एक सुंदर फव्वारा बनाया. नागौर का किला इतिहास और संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर संजोयें हुए हैं.
नागौर किला घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Nagaur Fort In Hindi
पर्यटक सालभर राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित ऐतिहासिक स्थलों जैसे मन्दिरों एवं किलों का भ्रमण करते रहते हैं. राज्य की जलवायु सभी मौसम में एक आदर्श अनुकूल परिस्थितियाँ देती हैं. मगर एक विशिष्ट और खुश्नुमे माहौल में यात्रा करना इसके आनन्द को दुगुना कर देता हैं.
यदि आप राजस्थान के नागौर किले के भ्रमण का प्लान बना रहे है तो आपको जुलाई से सितम्बर माह में यहाँ आना चाहिए. यह वर्षा ऋतु का सीजन होता है जहाँ 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान होता हैं और इस दौरान पीक टूरिस्ट सीज़न होती हैं.
आपके द्वारा दी गई जानकारी पढ़ने में बहुत अच्छी लगी और काफी सरलता से बताया गया है उम्मीद है आगे भी आप राजस्थान की जानकारी देते रहोगे आपका आभार धन्यवाद