Office Farewell Speech In Hindi : नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज हम ऑफिस के लिए विदाई भाषण आपके साथ शेयर कर रहे हैं.
इस तरह के विदाई भाषण, निबंध, अनुच्छेद अक्सर छात्रों को स्कूल विदाई, ऑफिस विदाई, बॉस विदाई, शिक्षक विदाई और सहकर्मी विदाई कार्यक्रमों पर पूछे जाते हैं.
आप सरल भाषा में लिखे इन भाषणों को कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए याद कर सकते हैं.
ऑफिस के लिए विदाई भाषण | Office Farewell Speech In Hindi
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आदरणीय प्रबन्धक एवं समस्त सहकर्मी साथियों आप सभी को सादर नमस्कार एवं इस ऑफिस विदाई कार्यक्रम के आयोजकों को हार्दिक आभार.
आज इस प्रतिष्ठान परिवार के एक सदस्य एवं दोस्त के रूप में मेरा यह अंतिम दिन हैं. आपके साथ ऑफिस में काम करते हुए दस वर्ष बीत गये.
एक जीवन में दस वर्ष की अवधी काफी बड़ी होती हैं. फिर भी ऐसा लगता है मानों बस कल ही यहाँ आया था और आज के विदाई स्पीच को पढ़ने के बाद यहाँ से विदा हो जाउगा.
किसी ने ठीक ही कहा है कि जो चाहे वो मिल जाए तो जिन्दगी का मजा ही क्या. विगत दस वर्ष मैंने यहाँ एक परिवार के सदस्य के रूप में व्यतीत किये, आपके प्यार, स्नेह और अपनेपन के बीच कभी नहीं लगा कि मैं एक नौकरी करने वाला कर्मचारी हूँ,
मगर जीवन में तरक्की हर कोई चाहता है इसीलिए मुझे आपसे विदा होना पड़ रहा हैं. भविष्य में उच्च शिक्षा की प्राप्ति के लिए मेरा एडमिशन दिल्ली में हुआ है जिसके चलते आज मैं इस कंपनी एवं प्यारे सभी साथियों को अलविदा कहने के लिए विवश हूँ.
आज से दस वर्ष पूर्व मैं जिस उद्देश्य से इस कंपनी से जुड़ा, आज मुझे लगता है मेरा प्रत्येक दिन पूर्ण सार्थक रहा. आप सभी साथियों एवं प्रबन्धक महोदय से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला तथा आपके प्यार को प्रणाम करता हूँ.
कंपनी के प्रबन्धक, स्टाफ, सहायक सदस्यों, तकनीकी टीम, लेखक एवं परामर्श दाताओं सभी के साथ घुल मिलकर मैंने काम किया. आपने भी मुझे इच्छित मदद की तथा अपने अनुभव का फायदा दिया.
भले ही आज मैं औपचारिक रूप से विदाई ले रहा हूँ मगर आपकी बहुत सी बाते, मधुर व्यवहार, यादें हमेशा मेरे साथ रहेगी.
यहाँ रहते हुए मैंने आपकी कार्यकुशलता, नेतृत्व, योजना निर्माण एवं समय पर काम करने की आदतों को अपने जीवन में भी उपयोग करना सीखा हैं.
ऑफिस में जब मेरा पहला दिन था तो स्कूल की पढ़ाई के बाद यह मेरे लिए कार्यस्थल का पहला अनुभव था. मैं बेहद शरारती हुआ करता था.
मगर आप जैसे विद्वान् साथियो के बीच रहते हुए न केवल एक कुशल क्रमिक बनने के प्रयास जारी रखे बल्कि एक अच्छा इंसान बनने की भी भरसक कोशिश की.
आप लोगों के स्वभाव का असर है कि अब मैं शरारती की बजाय एवं धैर्यवान श्रोता, आज्ञापालक कर्मचारी बनकर नई मंजिल की ओर प्रस्थान कर रहा हूँ.
फेयरवेल विदाई शब्द अपने आप में गमगीन करने वाला हैं. यह हमेशा लोगों को जुदा करता आया है इसका शिकार आज हम बने हैं.
कुछ ही साल पहले जब मैं बॉस के साथ इस परिसर में आया तो परिचय के बाद आप सभी ने तालियाँ बजाकर मेरा स्वागत किया.
हम एक दुसरे के जन्म दिवस, त्यौहार, पार्टी आदि में कितने मस्त रहा करते थे. कई बार आप मेरे घर आए तो मैं भी आपके घर खाने पर आया करता था. इन दस सालों में हमारे बीच का रिश्ता कलीग्स से परिवार के सदस्यों जैसा हो गया था.
विदाई भाषण की समाप्ति से पूर्व आज मैं हमारे बॉस का विशेष रूप से धन्यवाद करना चाहता हूँ. इन्होने पहले दिन से आज तक मुझे हर काम में एक दोस्त की तरह मदद की हैं.
एक बॉस के रूप में उनका व्यवहार विनम्र, सहयोगी, विद्वान् सा हैं. मैं उनके सहयोग एवं सभी को साथ लेकर चलने के हुनर का कायल हूँ. आप लोगों के साथ बिताया गया प्रत्येक पल मेरे लिए यादगार है और हमेशा बना रहेगा.
मैं उम्मीद करता हूँ आज से हमारे सम्बन्ध समाप्त न होकर एक नयें आयाम के रूप में सामने आएगे. हम आप सभी साथियों की प्रगति एवं उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ.
आपने मेरी हर समय सहायता की है मुझे ख़ुशी होगी, भविष्य में मैं जहाँ भी रहूँ यदि आप मुझे याद करेगे या सेवा का अवसर देगे तो मैं स्वयं को भाग्यवान मानूंगा.
ऑफिस में फेयरवेल के लिए भाषण Farewell Speech for Office
समस्त सहकर्मी साथियों एवं शाखा प्रमुख महोदय, जब मुझे आज माला पहनाकर विदाई भाषण के लिए आमंत्रित किया तो मन में अजीबोगरीब भाव निकले.
एक तरफ ख़ुशी का पल है कि आपके एक साथी को पदोन्नति के चलते जिला मुख्यालय की ब्रांच में सेवाओं के लिए जाना होगा, वही दुःख होना वाजिब हो, क्योंकि विगत 6 सालों तक एक परिवार की तरह घुल मिलकर रहने वाले साथियों से आज विदाई लेनी पड़ रही हैं.
आप सभी साथियों का मैं तहे दिल से धन्यवाद अर्पित करता हूँ कि आप कार्य की व्यस्तता के बीच मेरे सम्मान में यहाँ आए तथा उन कार्यक्रम आयोजकों को भी दिल की गहराई से धन्यवाद जिन्होनें मुझे इस सम्मान के काबिल समझा और इस अवसर पर बोलने के लिए आमंत्रित किया.
घर हो या ऑफिस, दूकान हो या स्कूल सभी के समुचित संचालन में बॉस की अहम भूमिका होती हैं. बॉस ही कार्यशाला को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए दिन रात मेहनत करने के साथ ही सभी सदस्यों को साथ लेकर चलते हैं.
उनका अधिकतर समय इसी कार्यशाला में व्यतीत होता है वे इसे ख़ास बनाने के लिए पूरा जीवन लगा देते हैं. मैंने उन्हें इन वर्षों में बड़े करीब से देखा है
जीवन के कठिन हालातों में जब पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ ऑफिस के कर्तव्यों को पूरा करना हो तो किस तरह जीवन में सामजस्य बिठाया जाए यह इनसे सीखा जा सकता हैं.
एक बड़े भाई की तरह बॉस ने मुझे पहले दिन से ही गाइड किया और अपनी कमजोरी को ताकत कैसे बनाते है इसका फार्मूला दिया, निश्चय ही उनके सिखाएं गुर न केवल मेरे लिए बल्कि हम सभी के जीवन में उपयोगी सिद्ध होंगे. इस अवसर पर मैं उन पलों को भी अपने साथ अमानत के तौर पर लेकर जाउगा, जिन्हें हमने इन वर्षों के दौरान पाया हैं.
हम एक कार्यालय में काम करने वाले साथी न होकर एक दूसरे के सच्चे मित्र के रूप में हमेशा रहे हैं. यहाँ काम करते हुए मुझे 6 साल बित गये. ये आप लोगों के स्नेह और अपनेपन के कारण ही सम्भव था कि इतने लम्बे अरसे को हम दिन के एक पहर के रूप में व्यतीत कर पाए.
ऑफिस में बिताया गया हरेक पल, साथ साथ दोपहर का खाना खाना, एक दुसरे के साथ घर को जाना और हॉलिडे के दिन पिकनिक पर जाना, वे दिन हम सभी को याद ही होंगे जब हमारी ऑफिस इस शहर में बनकर ही तैयार हुई थी तब हम सभी एक ही कार में सवार होकर आते थे तथा सायं को वापिस चले जाते थे.
लोग जीवन के हरेक पडाव के बाद नफे नुक्सान का आंकलन करते हैं. जब मुझे इस विदाई कार्यक्रम के बारे में बताया गया तो मेरे मस्तिष्क ने एक केलकुलेशन दी, इन 6 सालों में मैंने क्या पाया और क्या खोया.
मैं दिल से कहना चाहूँगा मैंने खोने के नाम पर कुछ भी न खोकर बस पाया ही पाया हैं. स्कूल की पढ़ाई के बाद रोजगार के लिए इस ऑफिस को अपनी कार्यशाला चुना तो मुझे रोजगार मिला, जीवन की चिंताओं से राहत पाई, परिवार में खुशियों का सवेरा हुआ.
शुरू शुरू के कुछ दिनों तक अकेलेपन के बाद पता नहीं मैं कब घुल मिल गया कि मुझे आप जैसे भाइयों का एक परिवार मिल गया जिसनें मेरे हरेक दुःख को कम किया तथा सुख के पलों में खुशियों को चार चांद लगाए.
जीवन में सफल होने के कई उपयोगी मंत्र मैंने आप ही साथियों से सीखे हैं. लग्न, निष्ठां, मेहनत, कर्तव्यनिष्ठां, ईमानदारी जैसे गोल गोल अर्थ देने वाले शब्दों को असल जिन्दगी में जीते देखकर इसे जीवन में अपनाया.
मैंने भी इन वर्षों में अपने कर्म को पूजा एवं ऑफिस को मंदिर मानकर पूर्ण निष्ठां और ईमानदारी से कार्य करने की कोशिश की, सभी साथियों के साथ अच्छा व्यवहार रखने व हमारी कंपनी की छवि को हमेशा ध्यान में रखते हुए कार्य किया.
हमारी तकनीक टीम से भी मैंने बहुत कुछ नया सीखा, मैनेजर सर से जीवन की मुश्किलों, तालमेल तथा प्रबन्धन के गूढ़ रहस्यों को समझने का हमेशा प्रयास किया.
यकीनन ऑफिस के शुरूआती दिनों के संघर्ष के अनुभव जीवन में बहुत कुछ सीखाने वाले होते हैं. जब मैं नया ही था तब अक्सर हर दिन कोई न कोई गलती अवश्य करता था.
मेरे कारण कंपनी ने कई बार नुकसान भी उठाया. मगर आप सभी साथियों ने निरंतर मुझे निपुण बनने के लिए प्रेरित किया, जिसका नतीजा आज हमारे सामने हैं.
अपने भाषण के अंत में एक बार फिर से सभी ऑफिस के बन्धुओं का तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ. उन सभी व्यक्तियों को धन्यवाद जिन्होंने मेरी सेवाओं को बेहतर बनाने में मेरी मदद की तथा मेरी विदाई को ख़ास बनाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया.