दिवाली पर कविता 2024 Poem On Diwali In Hindi

दिवाली पर कविता 2024 Poem On Diwali In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज के लेख में हम दीपावली पर बच्चों के लिए कविता आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं.

हिन्दुओं के महत्वपूर्ण पर्व दिवाली पर पॉएम कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,10 के बच्चों के लिए यहाँ दस से अधिक सुंदर और सरल कविताएँ दी गई हैं. हम उम्मीद करते है स्टूडेंट्स को ये दिवाली की कविता बहुत पसंद आएगी.

दिवाली पर कविता 2024 Poem On Diwali In Hindi

दिवाली पर कविता 2024 Poem On Diwali In Hindi

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हिंदुओ के इस मुख्य त्यौहार दिवाली जिन्हें दीपावली व दीपों का पर्व भी कहा जाता है. विद्यार्थियों के लिए hindi BHASHA में छोटी कविताएँ लेकर आए है.

इसमे यह पर्व कब क्यों और कैसे मनाया जाता है इसके इतिहास और महत्व पर जानकारी इनके द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं.

Poem on diwali in hindi आयी है दीवाली देखो–

आयी है दीवाली देखो,
आयी है दिवाली।

ले के जीवन में खुशहाली,
आयी है दिवाली।

घर-आँगन में है रौनक,
और चारों ओर रंगोली से सजावट।

दियो से सज गयी है चौखटे,
रंगीन हो गयी हैं झालरों से दीवारें।

मन में हर्ष और उल्लास फैलाने,
आयी है दिवाली।

ख़ुशियों ने दी है आहटें,
रौशनी से रौशन है सब।

चारों ओर फैली है जगमगाहट
पटाखों की गूँज से।

आसमाँ भी हो गया है रौशन
आयी है दिवाली देखो,
आयी है दिवाली।

प्रिय मित्रों 1 नवम्बर को हमारा प्रिय त्यौहार दिवाली आ रहा हैं, इस मौके पर hihindi पर अपनी लिखी हिंदी कविताएँ आप प्रकाशित करवा सकते हैं. आप हमें कमेंट के जरिये रचना भेजकर इस लेख का हिस्सा बना सकते हैं.

Short Poem On Diwali 2024 In Hindi

दीपशिखाओ तुम जलने का
थोड़ा सा उन्माद जगाओ
स्वयं के तन को स्वाहा कर
उज्जवल सा आह्लाद जगाओ.

शेष उजास अवशेष उजास हो
निशा के आचल में प्रकाश हो
दिवस दीप का ऋणी हो जाए
अमावस्या में दीप्त आकाश हो

दीप दीपिका की अंजुरी में
अँधेरी रात का तर्पण हो
रोम-रोम पुलकित हो सबका
ह्रद्य ह्रद्य भी अर्पण हो

गोधुली वेला तिलक लगाकर
रजनी का अभिवंदन कर दो
दिनकर अपने नयन झुकाकर
इस त्यौहार का वन्दन कर दो

इस अंधियारी पगडंडी पर
पग-पग पर कोई शूल लगा हो
दीप प्रदीप से प्रदीप्त पद पर
चलकर तुम भी भाग्य जगाओ

कलियुग में कोई रामावतार हो
सबरी के जो झूठे बेर खाए
न्याय प्रत्यचा को खीचकर
रावण पर जो तीर चलाएं

हर दीपावली हर दशहरा

हर कोई विशवास जगाओ

ह्रद्य का रावण जल जाए

पुतले को अब आग लगाओ

माँ तू नाराज न होना
इस दिवाली पर भी मैं नहीं आ पाउंगा
तेरी मिठाई भी मैं नहीं खा पाउंगा
दिवाली हैं तुझे खुश दिखना होगा
शुभ लाभ तुझे खुद लिखना होगा
तू जानती हैं यह पूरे देश का त्यौहार हैं
और यह भी माँ कि तेरा बेटा थानेदार हैं
मैं जानता हूँ
पड़ोसी बच्चे पटाखे जलाते होगें
तोरण से अपना घर सजाते होगें
तू मुझे बेतहाशा याद करती होगी
मेरे आने की फरियाद करती होगी
मैं जहॉ रहूं मेरे साथ तेरा प्यार हैं
तू जानती हैं न मॉ तेरा बेटा थानेदार हैं
भोली मॉ मैं जानता हूँ
तुझे मिठाईयो में फरक नहीं आता है
मोलभाव करने का तर्क नहीं आता हैं
बाज़ार भी तुम्हें लेकर कौन जाता होगा
पूजा में दरवाज़ा तकने कौन आता होगा
तेरी सीख से हर घर मेरा परिवार हैं
तू समझती हैं न मॉ तेरा बेटा थानेदार हैं
मैं समझता हूँ
मॉ बुआ दीदी के घर प्रसाद कौन छोड़गा
अब कठोर नारियल घर में कौन तोड़ेगा
तू फक्र कर माँ
कि लोगों की दिवाली अपनी अबकी होगी
तेरे बेटे के डयुटी की दिवाली सबकी होगी
लोगों की खुशी में खुशी मेरा व्यवहार हैं
तू जानती हैं मॉ तेरा बेटा थानेदार हैं….

(by-देवेश तिवारी अमोरा)

दीपावली शुभकामना कविता

चीनी मधुर पर अभिशाप, ह्रदय की धड़कन की खातिर ,
“मधु’ बूंद टपका ताप में, ज्यों-हँसे ! “मेह” कुटिल-शातिर ।
ऊर्जा-पुरज़ा कचकारे में भरे विद्धुत-अनल,
बन तमहर चकमक करता,षडयंत्री दावानल।
दावग्नि कब हो सकती ?,कही ज्योत उत्तम असली ,
असली होती मिट्टी की दीपों की ही दीपावली।
जब नापाक ह्रदय से कृत्रिम दीप जले, तम दूर कहाँ ?
जोत अनीति की बाती से, अँधियारा मजबूर कहाँ ?
कुदरती मिट्टी की,हाथों से,बने दीप में जय-ज्योति ,
स्व का वरण करती मिट्टी ,अक्सर ही विजयी होती ।
स्वदेशी सम्मान, सतरंगी रंगोली चित्रावली,
असली होती मिट्टी की दीपोंसे ही दीपावली।
कुंभकार के हाथ में सनती मिट्टी की लोई ,
आनन्दित मिट्टी पा जाती खुशहाली खोयी ।
तृण-तिनका त्यागी- उत्सर्गी हर्षित पा कर अग्नि,
जलती कुक्षि से निकालती दीप मृगनयनी ।
जलती अवली तमहरी ,तम पर भारी प्रश्नावली,
असली होती मिट्टी की दीपों से ही दीपावली ।
पंकज वसंत

दीपावली पर कविता-3

गीत
चढो अटारी धीरे-धीरे, रखना दीप संभालकर।
एक शिकनभी रह ना जाए, उजियारेके भाल पर।।
पहन घाघरा, चूड़ी-बिछिया
छनके घुंघरू पांव के
झिलमिल-झिलमिल दीप सजाकर
अपने तन के गाँव के
चढो अटारी धीरे-धीरे, रखना दीप संभालकर।
जैसे तुम बेंदी रखती हो, अपने गोरे भाल पर।।
करके माँग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपनी सोने की मूरत को
और प्यार से माँजकर
चढो अटारी धीरे-धीरे, रखना दीप सँभालकर।
ज्यों मेंहदीके फूल काढ़ती हो, मन के रूमाल पर।।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देंना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे रखना दीप सँभालकर।
ज्यों तुम विमल चांदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।।
— कुँअर बेचैन–

दीपावली पर कविता-4

जमाने की चाह है कि मैं हिन्दू या मुसलमान हो जाऊं
पर मेरा ज़मीर कहता है कि मैं इक भला इंसान हो जाऊं
मन्दिर-मस्जिद जाकर कमाऊं आरती-नमाज की दौलतें
या फिर गिरे हुए बंदे को उठाऊं और धनवान हो जाऊं
मेरी तकदीर में बस इतना सा लिख दे दुनिया के मालिक
मुल्क की मिट्टी को चुमूँ और मुल्क पर कुरबान हो जाऊं
मुझे पसीना बनाकर बहा दे ख़ुदा खेतों में, खलिहानों में
मुझसे इतना काम ले कि जीता जागता राष्ट्रगान हो जाऊं
दीपावली पर दीप जले और ईद पर उबले सेवइयां ‘मधु’
कुरआन पढूं तो गीता और गीता पढूं तो कुरआन हो जाऊं
डॉ. मधुसूदन चौबे

दिवाली पर कविता Diwali Hindi Kavita

दिल से सारे वैर भुलाकर
एक दुजे को गले लगाकर
सब शिकवे दुर भगाएगे
आइ दिवाली खुशी से मनाएगें.


दिवाली पर छोटी सी कविता

दिवाली आई दिवाली आई
सब बच्चो के मन को भाई
किसी ने छोड़े खूब फटाखे
किसी ने खाई खूब मिठाई.

दीवाली आई, दिवाली आई
गम के अंधेरो से घबराना मत
ज्ञान का दीपक जलाए रखना
उम्मीद की किरण दिल में जगाए रखना
अँधेरे से घबराना मत.

ज्ञान का दीप जलाए रखना
अँधेरे पर उजाले का पैगाम लाइ है
दीवाली आई दीवाली आई
बच्चो घर को साफ़ रखो
गंदगी न रहने पाए आस-पास
स्वच्छता में ही महालक्ष्मी करती निवास
दीपावली की सबकों हार्दिक है बधाई
दीवाली आई दीवाली आई
सब बच्चो के मन को भाई
-नरेंद्र कुमार

दीपावली पर कविता कैसे लिखें?

दीपावली पर कविता लिखना काफी सरल है। दीपावली की कविता लिखने के दरमियान हमें उसके अंदर दीपावली से संबंधित बातों को शामिल करना होता है, तभी जाकर के एक सही दीपावली की कविता बनती है।

दीपावली की कविता में आप दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार हर साल कब मनाया जाता है।

दीपावली के दिन क्या किया जाता है। दीपावली से पहले क्या किया जाता है। दीपावली पर किसकी पूजा की जाती है। इन सभी बातों को अगर शामिल कर लेते हैं तो आप बेहतरीन दीपावली पर कविता बना सकते हैं

जिसे सुनाने पर लोगों को अवश्य ही आप की दीपावली पर लिखी गई कविता पसंद आएगी। इसके अलावा दीपावली से संबंधित अगर अन्य कोई बात आपको पता है तो आपको उसे भी दीपावली की कविता में जरूर शामिल करना चाहिए

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