धर्मनिरपेक्षता पर निबंध Secularism Essay In Hindi

नमस्कार आज के निबंध, धर्मनिरपेक्षता पर निबंध Secularism Essay In Hindi में आपका स्वागत हैं. आज हम भारत में सेक्युलरिज्म पर स्टूडेंट्स के लिए आसान भाषा में निबंध लेकर आए हैं.

यहाँ हम 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए धर्मनिरपेक्षता पर दिए निबंध में जानेगे कि पंथनिरपेक्षता क्या है अर्थ परिभाषा महत्व राजनीति आदि को जानेगे.

धर्मनिरपेक्षता पर निबंध Secularism Essay In Hindi

धर्मनिरपेक्षता पर निबंध Secularism Essay In Hindi

धर्मनिरपेक्षता हमारी संवैधानिक व्यवस्था की सामाजिक चेतना और मानवता का सार तत्व हैं. हमारा स्वराज आंदोलन, छोटे मोटे भटकावों के बावजूद मूलतः धर्मनिरपेक्ष था.

हमारे राष्ट्रीय नेताओं और जनता ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध धर्मनिरपेक्षता की तलवार से लड़ाई लड़ी. 1895 से लेकर संविधान निर्माण में किये गये अनेक प्रयोगों में धर्म, लिंग या अन्य बातों के भेदभाव से मुक्त समाज में मानव अधिकारों के मूल्य पर जोर दिया जाता रहा. 

पंडित जवाहरलाल नेहरु द्वारा 15 सितम्बर 1946 को संविधान सभा में रखे गये उद्देश्य प्रस्ताव में धर्मनिरपेक्ष समाज में अंतभुर्त समाज के सर्वोच्च मूल्य तथा मानव अधिकारों पर जोर दिया गया.

अंत में संविधान की मूल प्रस्तावना, मूलभूत अधिकारों एवं नीति निदेशक सिद्धांतों के अध्यायों में भारत की कानून व्यवस्था के सर्वोपरि तत्वों के रूप में धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद और सामाजिक न्याय को रेखांकित किया गया.

एक व्यक्ति एक मूल्य चाहे व धार्मिक हो या अधार्मिक. फिर भी इस सम्बन्ध में सारे संदेह दूर करने के लिए संविधान के 42 वें संशोधन के अंतर्गत जीवन का तानाबाद हैं क्योंकि यह मात्र एक अभूत सिद्धांत, दार्शनिक मत अथवा सांस्कृतिक विलास नहीं हैं बल्कि यह हमारी मिली जुली विरासत के सूक्ष्म तन्तुओं का प्राण हैं.

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ (meaning of secularism in hindi)

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य या सरकार का कोई धर्म नहीं हैं. उनके राज्य में सभी निवासी अपना धर्म मानने के लिए स्वतंत्र हैं. राज्य या शासन किसी को धर्म मानने को विवश नहीं कर सकता.

इसके लिए हर व्यक्ति स्वतंत्र हैं. सरकार या राज्य किसी धर्म में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था. उसमें धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत को स्वीकार किया गया था.

संविधान की इस धारा या नियम के अनुसार भारत का प्रत्येक नागरिक धार्मिक विश्वास के सम्बन्ध में स्वतंत्र हैं. सभी नागरिकों को सामाजिक आर्थिक एवं राजनैतिक अधिकार प्राप्त हैं.

भारत एक प्रजातांत्रिक देश हैं. प्रजातंत्र में प्रजा या जनता को सर्वोपरि स्वीकार किया गया हैं. व्यक्ति की श्रेष्ठता तथा सम्मान को महत्व दिया जाता हैं. उसके व्यक्तिगत विचारों को आदर की दृष्टि से देखा जाता हैं. राज्य की दृष्टि में सभी नागरिक एक समान हैं.

भारत में धर्मनिरपेक्षता का इतिहास (History of secularism in India)

मनुष्य जाति के प्रारम्भिक इतिहास में ऐसा नहीं था. पहले धर्म को श्रेष्ठ समझा जाता था तथा मनुष्य को राज्य के धर्म का पालन करना अनिवार्य था. राजा इश्वर का प्रतिनिधि समझा जाता था. उसे दैवी अधिकार प्राप्त थे.

धार्मिक गुरु की सलाह ही सब कुछ थी. कोई भी नागरिक राज्य या धर्म का विरोध करने पर दंड का भागी होता था. धर्म के नाम पर सारे संसार का इतिहास रक्त से सना हुआ था.

अपना धर्म श्रेष्ठ मानते हुए राजाओं तथा उनके समर्थकों ने दूसरे धर्म के लोगों पर भयानक अत्याचार किये. लोग धार्मिक अंधविश्वासों का पालन करते थे. हर जगह धर्म का हस्तक्षेप था.

भारत में भी मनुष्यता व्यक्तिगत जीवन के अतिरिक्त उसके राजनैतिक जीवन पर धर्म का पूर्ण प्रभुत्व था. समय समय पर हमारे देश में कभी हिन्दू धर्म, कभी बौद्ध धर्म कभी इस्लाम धर्म तथा कभी इसाई धर्म का बोलबाला रहा.

धर्मनिरपेक्षता की विशेषताएं dharmnirpekshta kya hai (Characteristics of secularism)

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रजातंत्र की लहरों ने धर्म को उसके स्थान से गिरा दिया. परिवर्तन ने व्यक्ति तथा इसकी स्वतंत्रता को सबसे ऊँचा स्थान दिया हैं. अब धर्म एक व्यक्तिगत वस्तु समझी जाती हैं.

हमारे विचारकों ने स्वीकार किया हैं कि धर्म का राज्य से कोई सम्बन्ध नहीं हैं. धर्म तो मनुष्य की अपनी विचारधारा या सम्पति हैं. वह इस मामले में स्वतंत्र है.

वह चाहे धर्म का पालन करे या न करे अथवा किसी धर्म को बदलकर नया धर्म ग्रहण करे यह उसकी इच्छा पर निर्भर करता हैं. राज्य को धर्म या धार्मिक बातों से दूर रहना चाहिए.

धर्मनिरपेक्ष भारत में सभी धर्म तथा उनके मानने वाले एक समान हैं. हमारे संविधान निर्माताओं ने धार्मिक पाखंड को हटा दिया हैं. धर्मनिरपेक्ष भारत संसार का एक महान राष्ट्र हैं.

इस सिद्धांत ने पुरानी सड़ी गली मान्यताओं को समाप्त कर दिया हैं. इससे सभी देशों में हमारा सम्मान बढ़ा हैं आज का भारत अनेकता में एकता का श्रेष्ठ उदाहरण हैं. इस देश में सभी धर्मों तथा उनके मानने वालों का एक समान सम्मान हैं. यह हमारे लोकतंत्र की सफलता हैं.

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