Speech On Self Awareness In Hindi सजगता क्या है अर्थ परिभाषा : प्रिय मित्रों आज हम सजगता पर निबंध भाषण और self awareness meaning में अवेयरनेस को विस्तार से समझेगे.
सेल्फ अवेयरनेस( आत्म-जागरुकता) के लिए यह भी जरुरी है कि व्यक्ति अपनी कमजोरियों तथा क्षमताओं से परिचित हो. यदि वह अपनी क्षमता को नहीं पहचान पाते हैं तो कोई सरल से भी सरल कार्य को नहीं कर पाते हैं. चलिए अब हम self awareness Speech & meaning in hindi को जानते हैं.
Speech On Self Awareness In Hindi

सजगता या जागरूकता से अभिप्रायः है कि अध्यापक को अपने आस पास के वातावरण तथा उनमें होने वाली घटनाओं के अतिरिक्त सम्पूर्ण जगत में होने वाली नई घटनाओं तकनीकियों ज्ञान खोज इत्यादि से परिचित होना चाहिए.
सजगता पर निबंध : Essay on awareness In Hindi: सजगता और जागरूकता व्यक्ति की ये दो भीतरी चीजे हैं जो न सिर्फ जीना सिखाती हैं बल्कि अच्छी तरह से जीवन जीने की कला भी दिखाती हैं.
यदि हम जीवन के हर पल को सजगता के साथ जीए तो जीवन में असीम आनन्द हैं. हरेक इन्सान को अपने जीवन में तथा अपने आस-पास घटित समस्त घटनाओं के प्रति बेहद सजग रहने की आवश्यकता हैं आज हम बच्चों के लिए सजगता के बारे में निबंध बता रहे हैं.
इससे वो छात्रों के समक्ष प्राचीनतम ज्ञान को नए रूप में तथा वर्तमान मूल्यों /सन्दर्भ के अनुसार व नवीन ज्ञान को सम्मिलित कर प्रस्तुत कर सकें.
अध्यापक के लिए सजग होना अत्यंत ही आवश्यक भी हो जाता हैं. क्योंकि वो ज्ञान के नये नये दीप प्रज्वलित करता हैं. तथा कोई भी दीपक तक जब स्वयं नहीं जलता वो दूसरों को भी प्रज्वलित नहीं कर सकता हैं.
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Self awareness Meaning in Hindi, Definition of Self awareness
अतः छात्रों को ज्ञान देने के लिए अध्यापक का ज्ञानी होना आवश्यक है तथा इसके लिए उसे निरंतर अध्ययनशील होना आवश्यक हैं. एक अध्यापक को अपने विषय के अतिरिक्त शिक्षण विधियाँ, नवाचारों, वैज्ञानिक आविष्कारों, समाज की बुराइयों, अंधविश्वासों आदि के प्रति भी सजग होना पड़ेगा.
तब ही वह छात्रों को समाज में विपरीत परिस्थितियां आने पर उनका कुशलतापूर्वक मुकाबला करने के लिए तैयार कर सकेगा. एक अध्यापक को सजग रहने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए.
आत्म सजगता क्या है
आत्म जागरूकता में प्रथम शब्द आत्म है जिसका अर्थ आत्मा से है. हमे आत्मा के विषय में थोड़ा जान लेना चाहिए. गीता के अनुसार आत्मा अजर, अमर और अविनाशी हैं. जबकि इसके उल्ट हमारा शरीर विनाशी हैं. मगर शरीर और आत्मा को कई बार एक ही समझ लिया जाता हैं.
दोनों में अंतर है जो चीज अर्थात शरीर एक दिन समाप्त हो जाने वाली वस्तु है अतः उसके खोने का भय बना रहता हैं. जबकि शक्तिशाली आत्मा हमारे कार रूपी शरीर को चलाने वाली ड्राईवर हैं. भले इसे नग्न आँखों से देखा नहीं जा सकता मगर उसका अहसास किया जा सकता है.
आत्मा को जाना और समझा जा सकता हैं. आत्मा को जानने के प्रयास को ही हम आत्म जागरूकता कहते हैं. दूसरे रूप में अपने निजी गुणों रुचियों तथा कौशलों की पहचान करना भी आत्म जागरूकता है क्योंकि ये पहलू हमारे नश्वर शरीर से सम्बन्धित न होकर हमारी रूह अर्थात आत्मा का प्रतिनिधित्व करती हैं.
Self awareness के लिए जरुरी बातें
- उसे नित्य समाचार पत्र पढ़ने चाहिए.
- समाज की विभिन्न गतिविधियों में भाग लेना चाहिए.
- ज्ञानवृद्धक पुस्तकों व विषय से सम्बन्धित नये ज्ञान हेतु सन्दर्भ पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए.
- सामाजिक सर्वेक्षण कर समाज की आवश्यकता व समाज में व्याप्त बुराइयों इत्यादि का पता लगाना चाहिए व उसके संभावित समाधान ढूढने चाहिए.
- विद्यालय में सहगामी क्रियाओं में बढ़ चढ़कर भाग लेना चाहिए.
- स्वयं आदर्श उदहारण बनकर छात्रों को प्रेरित करना चाहिए.
- छात्रों के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति सजग रहना चाहिए.
- विद्यालय के अतिरिक्त पड़ौस कस्बे गाँव इत्यादि में सक्रिय रहना चाहिए.
- शिक्षण से सम्बन्धित नई खोजों, सेमिनार, वर्कशॉप इत्यादि में भाग लेकर नवीनतम विधियाँ, सहायक सामग्री का ध्यान रखना चाहिए.
- छात्रों को क्षेत्रीय भ्रमण व सामाजिक सर्वेक्षण हेतु ले जाना चाहिए.
इस प्रकार अध्यापक विभिन्न तथ्यों के प्रति सजग रहकर संस्कृति की सुरक्षा, हस्तांतरण, परिमार्जन करने में सहयोग देता हैं.
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