नमस्कार दोस्तों, विश्व साक्षरता दिवस पर निबंध 2024 Essay On World Literacy Day In Hindi में आपका स्वागत हैं.
आज हम अंतर्राष्ट्रीय लिटरेसी डे अर्थात विश्व साक्षरता दिवस के बारे में आर्टिकल लेकर आए हैं. इस लेख में हम जानेगे कि साक्षरता दिवस कब क्यों और कैसे मनाया जाता हैं.
विश्व साक्षरता दिवस पर निबंध Essay On World Literacy Day In Hindi
माना जाता हैं कि अधिकतर सामाजिक समस्याओं की जड़ अशिक्षा हैं. साक्षरता के अभाव में किसी भी देश की तरक्की संभव नही हैं. चाहे स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, कौशल विकास, आर्थिक और तकनीकी विकास के क्षेत्रों में साक्षरता अहम भूमिका निभाती हैं.
पश्चिम एशिया तथा कुछ अफ़्रीकी राष्ट्र जो 20 सदी में आजाद हुए, उनकी साक्षरता दर खासकर महिला साक्षरता दर 50% के आस-पास हैं. जो बेहद चिंताजनक हैं. भारत के पिछड़े तथा आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की स्थति भी इस तरह ही हैं.
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो शिक्षा के मायने आज अन्य कार्यो से कहीं अधिक है. ऐसे में क्यों न सभी नागरिको को शिक्षा की ओर अग्रसर कर उन्हें अधिक महत्वता वाले कार्य की ओर धकेला जाए.
7 नवंबर 1965 के दिन सयुक्त राष्ट्र संघ ने शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा विश्व भर के लोगों का इस तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिवर्ष 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय/ विश्व साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. जो 1966 से शुरू होकर 2023 विभिन्न कार्यक्रमों को लेकर आयोजित किया जाता रहा हैं.
आज के नागरिको में शिक्षा के प्रति बढती जागरूकता के परिणामस्वरूप हमारा विकसित भारत अपने चरम पर है. हमें शिक्षा के क्षेत्र में इसी सिलसिले को आगे भी बरकरार रखने की आवश्यकता है. क्यों न भारत दुनिया का सबसे शिक्षित देश घोषित हो और भारत पुनः विश्व गुरु की उपाधि वापस पा लें.
विश्व साक्षरता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है (When and why is World Literacy Day celebrated)
8 सितम्बर को इस वर्ष 2024 में भी अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा. इस दिन को मनाने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य यह हैं कि समाज के सभी लोगों तबको तक शिक्षा का प्रचार-प्रचार किया जाए.
इस दिन को एक कार्यक्रम के रूप में मनाना भी पर्याप्त नही हैं. स्थानीय, निकायी और राष्ट्रिय सरकारों को भी साक्षरता दर में बढ़ोतरी हेतु सकारात्मक कदम और योजनाएं बनानी होगी. भारत में सर्व शिक्षा अभियान इस दिशा में उत्कृष्ट कदम हैं.
शिक्षा के क्षेत्र में यदि हम वैश्विक परिद्रश्य को देखे तो करीब 80 करोड़ से अधिक युवा अभी तक शिक्षा से नही जुड़ जाए हैं. इतनी बड़ी आबादी में अशिक्षित रहने वाले लोगों में सबसे अधिक संख्या महिलाओं की हैं.
यानि प्रति 3 में से 2 महिलाएं या तो पूर्ण रूप से अशिक्षित हैं अथवा वो नियमित रूप से शिक्षा ग्रहण नही कर पाई हैं. अक्सर प्राथमिक या उच्च प्राथमिक स्तर तक आते आते लड़कियों को स्कुल भेजना बंद कर दिया जाता हैं.
समाज की यह सोच चिंता का विषय हैं. दूसरी तरफ 6 से 14 वर्ष की आयु के 8 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जो शिक्षा से पूर्ण रूप से कटे हुए हैं. या तो वे बाल मजदूरी करते है अथवा उन्हें घर के काम में ही लगा दिया जाता हैं.
इस प्रकार की स्थति से कैसे निकला जाए, कैसे अधिक से अधिक लोगों तक शिक्षा के संदेश को पहुचाया जाए. इस दिशा में विश्व साक्षरता दिवस स्वागत योग्य पहल हैं.
Saksharta Essay In Hindi 2024 World Literacy Day Speech Essay For Students
8 सितम्बर को हर साल विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता हैं. साक्षरता को अन्य अर्थ में Education भी कहा जा सकता हैं. आज के समय में असाक्षर होना एक अभिशाप हैं.
हर देश अशिक्षा की सामाजिक परेशानी से परेशान हैं. इसी दिशा में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा साक्षरता दिवस हर साल मनाकर लोगों को जागरूक करने का कार्य किया जाता हैं.
साक्षरता का शाब्दिक अर्थ होता है शिक्षित होना अर्थात् अक्षर ज्ञान होना. सरल शब्दों में कहे तो साक्षरता का आशय पढने लिखने की क्षमता का होना हैं.
आज के संसार में हर व्यक्ति का साक्षर होना परिहार्य हैं. बिना शिक्षा के कोई भी मुकाम बिना असम्भव हैं. आज के समय में ज्ञान के माध्यम इतने हो गये हैं कि व्यक्ति घर बैठे भी अध्ययन कर सकता हैं.
अनपढ़ व्यक्ति इन सब सुविधाओं से वंचित रह जाता हैं. कूपमंदुप की भांति वह अपनी छोटी सी दुनियां में ही मशगुल रहता हैं. वह वास्तविक संसार से पूर्णतया कटा हुआ रहता हैं.
वह न तो अपने लोकतान्त्रिक अधिकारों का उपयोग कर पाता है और ना ही सुविधाओं का उपयोग कर पाता हैं. आज व्यक्ति का साक्षर होना अनिवार्य हो गया हैं. निरक्षरता एक दुर्गुण बन गया हैं.
इसलिए आजकल हर कोई पढ़ना लिखना चाहता हैं. सरकार और समाज दोनों की ओर से हर तरह के प्रयास किए जाते है. ताकि आज के समय में सुविधाओं के अभाव में कोई नागरिक शिक्षा से वंचित ना रहे.
हर बस्ती मोहल्ले में विद्यालय खोले गये हैं. समाज के उस अंतिम बालक तक शिक्षा मुहैया कराने के प्रयत्न किए जा रहे हैं. भारत में निरक्षरता के अभिशाप को तभी मिटाया जा सकता है.
जब सभी लोग आगे आए तथा शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाएं. यदि साक्षरता दिवस के इन कार्यक्रमों के जरिये इक्कसवी सदी में हर भारतीय शिक्षा से जुड़ पाया तो इस अभियान की यह महान उपलब्धी होगी.
किसी भी देश के नागरिकों का साक्षर ना होना उस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होता हैं. उन्नत विकास के लिए आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए. इसके दूसरी तरफ यदि लोग अक्षर ज्ञान से भी दूर है तो उस देश एवं समाज के बारे में कुछ नही कहा जा सकता हैं.
शिक्षा का सीधा असर राष्ट्र की विकास दर पर पड़ता है. जिस देश के अधिकतर नागरिक पढ़े लिखे होते है वह देश उन्नति के मार्ग पर तेजी से अग्रसर होता हैं.
विश्व में साक्षरता के महत्व को मध्यनजर रखते हुए यूएनओ की शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन यूनेस्कों ने 17 नवम्बर 1965 को हर साल 8 सितम्बर के दिन विश्व साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था. पहली बार वर्ष 1966 में ही विश्व साक्षरता दिवस का आयोजन किया गया था.
असल मायनों में देखे तो शिक्षा का अर्थ सिर्फ पढ़ा लिखा होने भर से नही है. बल्कि शिक्षा का अर्थ जागरूकता से भी जुड़ा हुआ हैं. हम पढ़ लिखकर अपने समाज देश के विकास कार्यों में योगदान देवे तभी सही मायनों में हमारे शिक्षित होने का मूल्य हैं.
आज हमारा देश गरीबी, अंधविश्वास, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही जैसी तमाम परेशानियों से गुजर रहा हैं. जिसका एक ही समाधान शिक्षा हैं. हम साक्षरता को बढ़ावा देकर इस प्रकार की कुरीतियों को समाज से निकाल सकते हैं.
साक्षरता के आंकड़ों में आजादी के 74 साल बाद भी स्त्री शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था, अति पिछड़े समाजों (मुस्लिम समुदाय) में शिक्षा का बेहद निम्न स्तर आज भी देखा जा सकता हैं. नतीजेजन इसका खामियाजा सम्पूर्ण भारतीय समाज एवं देश को उठाना पड़ रहा हैं.
विश्व साक्षरता दिवस थीम (World Literacy Day Theme)
वे सभी लोग शिक्षा के प्रति जागरूक हो जो अभी तक इससे नही जुड़ पाए हैं. उचित तरीके से प्राप्त की गई शिक्षा व्यक्ति को न ज्ञान देती हैं बल्कि उन्हें नौकरी व् व्यवसाय को अच्छे तरीके से करने के योग्य भी बनाती हैं.
सरकारों ने हर वर्ष आयोजित साक्षरता दिवस पर आकर्षक थीम के जरिये लोगों का ध्यान इस तरफ आकर्षित करने का प्रयत्न किया हैं. पिछले कुछ वर्षो में साक्षरता दिवस की थीम इस प्रकार रखी गई.
- साक्षरता एवं सतत सोसायटी
- साक्षरता और सतत विकास
- स्वास्थ्य और साक्षरता
- साक्षरता और शांति
- शिक्षा से सामाजिक सुधार, आर्थिक वृद्धि और पर्यावरण सुरक्षा
- सशक्तीकरण और साक्षरता
- साक्षरता और लैगिक समानता
- 21वीं सदी के लिये साक्षरता
Slogan In Hindi On Education Day (शिक्षा पर नारे)
*****Slogans 1*****
जन जन का यही हैं कहना अब अशिक्षित बनके नही है रहना.(jan-jan ka yahee hai kahana,ab ashikshit banakar nahin hai rahana.)
*****Slogans 2*****
सब को है शिक्षा का अधिकार, कोई पीछे न रहे इस बार.(sab ko hai shiksha ka adhikaar, koee peechhe na rahe is baar.)
*****Slogans 3*****
दीपक से दीपक जलाएगे, देश को साक्षर बनाएगे.(deepak se deepak jalaege, desh ko saakshar banaege.)
*****Slogans 4*****
सब जगे देश के नर नारी, करे शिक्षित होने की तैयारी. (sab jage desh ke nar naaree, ke shikshit hone kee taiyaaree.)
*****Slogans 5*****
शिक्षा तो वह बत्ती हैं, जहाँ जलती हैं अँधेरा कभी नही रहता.(shiksha to vah battee hain, jahaan jalatee hain andhera kabhee nahee rahata.)
*****Slogans 6*****
जो अशिक्षित रह जाता हैं, जीवन भर पछताता हैं.(jo ashikshit rah jaata hain, jeevan bhar pachhataata hain.)
*****Slogans 7*****
उठो स्कूल चले,
देश की प्रगति में भागीदार बने.(utho skool chale,
desh kee pragati mein bhaageedaar bane.)
*****Slogans 8*****
हमेशा रखे ये सपना,
पढ़ना, लिखना एवं पढ़ाना.(hamesha rakhe ye sapana,
padhana, likhana evan padhaana.)
*****Slogans 9*****
जब पाना हैं ज्ञान तो, किताबों को बनाना है आधार.(jab paana hain gyaan to, kitaabon ko banaana hai aadhaar)
*****Slogans 10*****
कहते है रोटी कपड़ा और मकान, मगर साक्षरता से ही बनेगा भारत महान.(kahate hai rotee kapada aur makaan, magar saaksharata se hee banega bhaarat mahaan.)
भारत में साक्षरता अभियान (literacy campaign In India Hindi)
कई बार सोचने में आता हैं, क्या सभी लोगों को शिक्षित किया जा सकता हैं? जी हाँ, सरकार द्वारा साक्षरता कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चला रखी हैं.
जिनमे सर्व शिक्षा अभियान, प्रोढ़ शिक्षा, दोपहर में स्कूली बच्चों के भोजन के लिए मिड डे मिल, विभिन्न छात्रवृति योजना, राजीव गाँधी शिक्षा मिशन.
मगर इन योजनाओं की शुरुआत के कई दशक बीत जाने पर भी अपेक्षित परिणाम मिलते नजर नही आ रहे हैं. इसकी वजह सही क्रियान्वयन और निरिक्षण में कमी हो सकती हैं.
यदि हम साक्षरता दर में वृद्दि के एक अन्य उपाय की तरफ नजर डाले तो शिक्षा की परिभाषा को आज लोग गलत तरीके से ले रहे हैं. शिक्षा का मतलब जीविकापार्जन और नौकरी भर ही सही नही हैं.
शिक्षा प्राप्त कर जरुरी नही हर कोई सरकारी नौकरी ही करे. खुद का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं. एक आकड़े के मुताबिक़ हर साल भारत में 40 लाख लोग ग्रेजुएशन करते हैं.
यदि उन्हें शिक्षा का वाहक बनाया जाए तो देश के सुदूर इलाकों तक शिक्षा की अलख जगाना पूर्ण संभव हैं. यदि एक शिक्षक और एक ग्रेजुएशन के स्टूडेंट को एक अशिक्षित व्यक्ति को शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य दिया जाए तो हर साल 1 लाख से अधिक वे लोग शिक्षा से जुड़ पाएगे, जो अब तक इससे दूर रहे.