जैव विविधता का संरक्षण क्या है Biodiversity Conservation Meaning In Hindi: किसी भौतिक प्रदेश में जीव जन्तु, पेड़ पौधे तथा जैविक घटकों की संख्या से जैव विविधता (BIO Biodiversity) का जन्म होता है.कहा जाता है. भारत जैव विविधता की दृष्टि से दुनिया का सम्पन्न देश है.
जैव विविधता का संरक्षण क्या है Biodiversity Conservation Meaning In Hindi
किसी भी प्राकृतिक प्रदेश में मिलने वाली जीव जन्तुओं तथा वनस्पति की विभिन्नता की बहुलता को जैव विविधता कहा जाता है. हमारा देश बायोडायवर्सिटी की दृष्टि से समर्द्ध देश है.
विश्व में मिलने वाले कुल 15 लाख जैव विविधताओं में से 40 प्रतिशत भारत में पाई जाती है. भारत में अभी तक लगभग 81,000 जीव जन्तु तथा 45,000 वनस्पतियों को पहचाना जा चुका है.
आर्थिक दृष्टि से जीव जन्तु व वनस्पतियाँ बहुत ही उपयोगी है, जो जैव विविधता का मुख्य आधार है.
जैव विविधता का संरक्षण
प्रकृति के निर्माण व उसको बनाये रखने में जैव विविधता की अहम भूमिका रहती है. प्रकृति में किसी भी प्रकार के जीव तथा वनस्पति का विनाश प्रकृति तथा पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकता है.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अब तक प्रमुखत बड़े बाँधो का निर्माण, औद्योगीकरण, सघन खेती, बढ़ती आबादी हेतु आवास व भोजन की आवश्यकता से जैव विविधता का खूब विनाश हुआ है.
जीव जन्तु तथा वनस्पति पर्यावरण का संतुलन बनाए रखते है, जैव विविधता biodiversity का विनाश ओजोन परत में छिद्र, हरित गृह प्रभाव के कारण वातावरण में गर्मी का बढ़ना इत्यादि पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ती जा रही है.
इस हेतु प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संगठन (IUCN) बना हुआ है. इसका मुख्यालय स्विटजरलैंड में है. इस दिशा में विश्व प्रकृति निधि (WWF) द्वारा भी कार्य किया जा रहा है.
भारत में बायोडायवर्सिटी को सतत विकास की दृष्टि से बचाया जाना चाहिए, उनको संरक्षण प्रदान करना समय की आवश्यकता है. भारत में जैव विविधता संरक्षण हेतु विभिन्न राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य, जैव मंडलीय सुरक्षित क्षेत्र की स्थापना तथा बाघ परियोजनाएं आदि चल रही है.
इस हेतु देश के कुछ शोध संस्थान भी कार्य कर रहे है, जिनमे प्रमुख है- भारतीय वन अनुसंधान देहरादून, भारतीय वनस्पति उद्यान कोलकाता, पारिस्थतिकी अनुसंधान संस्थान बैंगलोर, राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान नागपुर आदि.
जैव विविधता क्या है (What is biodiversity)
बायोडायवर्सिटी शब्द पृथ्वी पर रहने वाली समस्त जैविक प्रजातियों को अपने में समाहित किये हुए है. इसमे समस्त प्रकार के स्तनधारी, पक्षी प्रजातियाँ, सरीसर्प, उभयचर, मछली प्रजातियाँ, कीडेमकोडे एवं अन्य गैर केशुरुकीय जीव, पेड़ पौधे, शैवाल कवक तथा प्रोटोजोआ, बैक्टीरिया, वायरस इत्यादि सूक्ष्म जीव सम्मिलित है.
संयुक्त राज्य अमेरिका में 1987 में प्रकाशित टेक्नालजी असेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार जीव जन्तुओं में पाई जाने वाली विविधता, विषमता तथा पारिस्थतिकी जटिलता ही जैव विविधता कहलाती है.
बायोडायवर्सिटी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग एडवर्ड ओ विल्सन द्वारा 1986 में किया गया था. इन्हें जैव विविधता का जनक (Father of biodiversity) कहा जाता है.
जैव विविधता के स्तर (Biodiversity Levels And Types)
बायोडायवर्सिटी का संबंध जैव मंडल में प्रकृति की विविधता की मात्रा से है, इस विविधता को तीन स्तरों पर देखा जा सकता है.
- एक प्रजाति के अंदर ही जीनों का अंतर अर्थात आनुवांशिक जैव विविधता (Genetic biodiversity)
- एक समुदाय के अंदर प्रजातियों के अंदर की विविधता अर्थात प्रजातीय विविधता (Species biodiversity)
- पौधे और प्राणियों से सुस्पष्ट समुदायों में किसी क्षेत्र की प्रजातियों का संगठन अर्थात परितंत्रीय विविधता (Ecological biodiversity)
विश्व की जैव विविधता (World Biodiversity And Major Hotspot In Hindi)
हमारी पृथ्वी पर जीवों की 50 से 300 लाख प्रजातियाँ पाई जाती है, इनमे से वैज्ञानिक 17 से 20 लाख प्रजातियों को ही पहचान पाए है, पृथ्वी पर पाई जाने वाली जैव विविधता समान रूप से वितरित नही है.
धुर्वो पर बायोडायवर्सिटी कम है. जैसे जैसे भू मध्य रेखा की ओर जाते है जैव विविधता बढ़ती है. उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है.
ब्राजील में जैव विविधता का स्तर विश्व में सर्वाधिक है, ब्राजील के बाद विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता भारत में पाई जाती है. विश्व में सर्वाधिक विविधता प्रवाल भित्तियाँ, नम प्रदेश, मेग्रोव पारिस्थतिकी तन्त्र एवं उष्ण कटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्र में उपस्थित होती है.
भारत में जैव विविधता और हॉटस्पॉट (Biodiversity and hotspot in India)
भारत बायोडायवर्सिटी की दृष्टि से काफी समर्द्ध है तथा विश्व के 17 बड़े विविधता वाले देशों में से एक है. विश्व के बड़े 17 जैव विविधता वाले देशों में मेक्सिकों, कोलम्बिया, इक्वाडोर, कोंगों, इंडोनेशिया, पेरू, चीन, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, मलेशिया, मेडागास्कर, पापुआ न्यू गिनी, फिलिपींस, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, वेनेजुएला तथा भारत.
इन 17 देशों में विश्व की लगभग 70 प्रतिशत बायोडायवर्सिटी पाई जाती है. विश्व प्रकृति संरक्षण संघ IUCN की रेड डाटा बुक के अनुसार विश्व में आज लगभग 4000 जन्तु प्रजातियाँ तथा 60 हजार वनस्पति प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर है.
भारत की संकटग्रस्त एवं लुप्तप्राय प्रजातियां (Endangered and Endangered Species in the INDIA)
भारतीय मगर, भारतीय सारस, बाघ, हॉर्न बिल्स, भारतीय गैंडा, स्लोथ भालू, गंगा डाल्फिन, भारतीय जंगली गधा, साइबेरियन क्रेन, सोंन कुत्ता, एशियाई शेर, पांडा, हरा समुद्री कछुआ, चिंकारा, सुनहरा लंगूर, हंगुल, हरी छिपकली, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण), ब्रो एंटलर्ड हिरण
जैव विविधता के हॉटस्पॉट (Biodiversity hotspots)
ऐसें क्षेत्र जहाँ जैव विविधता अत्यंत सघन रूप में होती है तथा वहां विलुप्ति की कगार पहुचने वाली दुर्लभ प्रजातियों की अधिकता होती है, बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट कहलाते है. इसकी अवधारणा सबसे पहले सन 1988 में ब्रिटिश पारिस्थितिकीविद नोर्मन मेयर्स ने दी थी.
वर्तमान में विश्व में ऐसें 25 क्षेत्र है. विश्व के कुछ बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट है- अटलाटिक वन, पूर्वी मलेशियाई द्वीप, दक्षिण पश्चिम चीन के पर्वत, मेडागास्कर के द्वीप समूह मध्य अमेरिका, कोलंबिया, चोको, मध्य चिली,पूर्वी हिमालय, पश्चिमी घाट, श्रीलंका, इंडो वर्मा आदि.
भारत के बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट (Biodiversity hotspot of india)
दो बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट पूर्वी हिमालय तथा पश्चिमी घात पूर्ण रूप से भारतीय भूमि से सम्बन्धित है. जबकि इंडो बर्मा बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट में भी कुछ भारतीय क्षेत्र सम्मिलित है.
- पूर्वी हिमालय बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट- इसके अंतर्गत पूर्वी हिमालय का असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल राज्यों का क्षेत्र आता है. हिमालय पर्वत श्रंखला असीम जैव विविधता से सम्पन्न है. इस क्षेत्र में पाए जाने वाले कुछ जीवों के नाम है- हिमालयी थार, पिग्मी होंग, उडन गिलहरी, हिम तेंदुआ, ताकिन, गांगेय डाल्फिन आदि.
- पश्चिम घाट बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट- भारत के पश्चिम घाट विश्व का प्रमुख बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट है. इस क्षेत्र में एक लाख 60 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमे केरल राज्य शामिल है. यहाँ पाये जाने वाले मुख्य जीव है- मालाबार गंध बिलाव, एशियाई हाथी,मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, निलगिरी थार मैकांक बंदर.
- इंडो बर्मा बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट- यह उष्णकटिबंधीय पूर्वी एशिया में चीन, भारत, म्यांमार, वियतनाम, थाईलैंड, कम्बोडिया तथा मलेशिया के लगभग 23,73000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है.
बायोडायवर्सिटी के विलुप्त होने के कारण (Due to extinction of biodiversity)
- प्राकृतिक आवासों की कमी
- जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण प्रदूषण
- प्राकृतिक संसाधनो का अनियंत्रित विदोहन
- अंधविश्वास एवं अज्ञानता
- कृषि व वानिकी में व्यवसायिक प्रवृति
- विदेशी प्रजातियों का आक्रमण
बायोडायवर्सिटी का संरक्षण क्यों आवश्यक है
IUCN की जानकारी के अनुसार अब तक विश्व में कुल 15 लाख प्रजाति (मनुष्य, पेड़ पौधे, जीव जन्तु) का पता चल पाया है, जिसका 40 प्रतिशत निवास भारत में ही है. इससे अंदाज लगाया जा सकता है, विश्व की सभी जीवों में हर दूसरा भारत के किसी न कोने में पाया जाता है.
प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के साथ ही जैव विविधता द्वारा विभिन्न आर्थिक सहयोग भी मिलता है. अब तक ज्ञात जानकारी के अनुसार भारत में 81 हजार जीव जन्तु और तक़रीबन 45 हजार जाति के पेड़ पौधों का पता लगाया जा चूका है. कई पर्यावरणीय कारणों के चलते कुछ का अस्तित्व खतरे में है, जिन्हें IUCN की रेड डाटा बुक में सम्मिलित किया गया है.
प्रकृति के निर्माण व उसको बनाए रखने में जैव विविधता की अहम भूमिका रहती है. प्रकृति में किसी भी प्रकार के जीव अथवा वनस्पति का विनाश प्रकृति तथा पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकता है.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अब तक प्रमुखतः हेतु आवास व भोजन की आवश्यकता आदि से बायोडायवर्सिटी का खूब विनाश हुआ है. जीव जन्तु व वनस्पतियाँ पर्यावरण संतुलन बनाए रखती है.
बायोडायवर्सिटी संरक्षण के उपाय
तेजी से लुप्त हो रहे प्राणियों की जाति एवं वनस्पति बड़े भौतिक परिवर्तन का संकेत देते है. बड़े बाँधो का निर्माण, औद्योगिकीकरण, सघन खेती, बढ़ती आबादी के लिए घरों के निर्माण के कारण भी बड़ी संख्या में वनों की कटाई तथा वन्य जीवों के आवास को बड़ी मात्रा में उजाड़ा जाता है. इस तरह वनस्पति व जीवों का विनाश हमारे पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकता है.
भारत बायोडायवर्सिटी से समर्द्ध देश है, सरकार द्वरा भी लुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के पर्यावरण संरक्षण एवं वन्य जीव संरक्षण के कार्यक्रम चलाए जा रहे है.
अपने स्वार्थ के लिए जैव विविधता का विनाश मानव समुदाय को बहुत महंगा पड़ सकता है. इसके कुछ नतीजे हाल ही के वर्षों में देखने को मिले है.
पृथ्वी पर आने वाली पैराबैगनी किरणों से बचाने वाली ओजोन परत में छिद्र, हरित गृह प्रभाव के कारण वातावरण में गर्मी बढ़ना इत्यादि पर्यावरणीय मुशिबतों का सामना आज सारा संसार जार रहा है.
विश्व की बायोडायवर्सिटी संपदा को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संगठन (iucn) की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है.
भारत को अपनी विकास यात्रा के साथ साथ पर्यावरण को भी बचाए रखना है, राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभ्यारण्य, जैव मंडलीय सुरक्षित क्षेत्र की स्थापना तथा बाघ परियोजनाएं की स्थापना के द्वारा लुप्तप्राय प्राणियों को बचाया जाना नितांत आवश्यक है.
आज के समय की यह महती आवश्यकता है, कि हम अपने निजी स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संसाधनो का दोहन न करते हुए जैव विविधता के सरंक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाए. भारत सरकार द्वारा इस दिशा में कई महत्वपूर्ण प्रयास किये जा रहे है.
इस दिशा में कार्य करने वाली कुछ संस्थाओं में भारतीय वन अनुसंधान देहरादून, भारतीय वनस्पति उद्यान कोलकाता, पारिस्थितिकी अनुसंधान संस्थान बैगलोर, राष्ट्रीय पर्यावरण अभियन्त्रिकी संस्थान नागपुर आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
जैव विविधता संरक्षण अधिनियम 2002
जैव विविधता के लिहाज से विश्व के अग्रणी देशों में भारत की गिनती की जाती हैं. भारत में लगभग 45000 पेड-पौधों व 81000 जानवरों की प्रजातियां पाई जाती है जो विश्व की लगभग 7.1 प्रतिशत वनस्पतियों तथा 6.5 प्रतिशत जीवों का भाग हैं.
वर्ष 2002 के बायोडायवर्सिटी संरक्षण अधिनियम के द्वारा सरकार ने अपने इस अभियान में गैर सरकारी संगठनों, वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों तथा आम जनता को भी सम्मिलित किया गया हैं.
इस कानून के तहत सरकार सर्वप्रथम उन स्थानों पर ध्यान देगी जहाँ जैव विविधता को विशिष्ट खतरा हैं. साथ ही आधुनिक तकनीक तथा यंत्रों से वन्य जीवों तथा मानव के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के प्रयास होगे.
तथा आम जन को परम्परागत विधियों से बायोडायवर्सिटी की ओर प्रेरित करने हेतु उपयुक्त कदम उठाएं जाएगे.