प्रिय साथियो आपका स्वागत है Essay on Himalaya in Hindi में आज हम आपके साथ हिमालय पर निबंध साझा कर रहे हैं.
कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 तक के बच्चों को हिमालय पर्वतराज पर निबंध कहा जाता हैं, तो आप सरल भाषा में लिखे गये इस हिन्दी निबंध को परीक्षा के लिहाज से याद कर लिख सकते हैं.
हिमालय पर निबंध Essay on Himalaya in Hindi
”मेरे नगपति! मेरे विशाल, साकार दिव्य गौरव विराट ।
पौरुष के पूँजीभूत ज्वाल, मेरी जननी के हिम किरीट ।
मेरे भारत के दिव्य भाल । मेरे नगपति मेरे विशाल।”
पर्वतों का सिरमौर भारत का मुकुट हिमालय की प्रशंसा रामधारी सिंह दिनकर जी ने अपने शब्दों में इस प्रकार व्यक्त की हैं. हर भारत वासी को उत्तर के विषाद विराट हिम पर्वत पर अभिमान हैं.
सदियों से हिमालय की गोदी में भारत की सभ्यताएं फली फूली हैं. हर भाषा के कलमकारों ने अपनी रचनाओं में इनको स्थान अवश्य दिया हैं.
भारत की प्राचीन सभ्यता सिन्धु घाटी सिविलाइजेशन में अहम योगदान था. भारत की जलवायु को हिमालय प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करता हैं. हिम पर्वत से निकली सैकड़ों नदियों एवं हिमालय के वन एवं वनस्पति का मुख्य योगदान हैं.
नगराज हिमालय शब्द का अर्थ समझा जाए तो यह दो शब्दों हिम और आलय से बना हैं. हिम का अर्थ बर्फ व आलय का अर्थ घर होता हैं. इस तरह बर्फ के घर को हिमालय कहा जाता हैं.
पर्वत उन्हें कहते हैं जिनका आधार विस्तृत एवं शिखर छोटे होते हैं. दुनियां के समस्त पर्वतों में आकार के लिहाज से हिमालय पर्वत श्रेणी सबसे बड़ी हैं. प्राकृतिक उपभागों के अनुसार हिमालय को चार भागों में विभक्त किया गया हैं.
भारत जम्मू कश्मीर राज्य से आरम्भ होकर अरुणाचल प्रदेश तक हिमालय की सीमा 2400 किलोमीटर हैं. इसकी चौड़ाई असमान रूप से फैली हैं अपने उत्तरी छोर जम्मू कश्मीर में इसकी चौड़ाई 400 किमी तो अरुणाचल में घटकर 150 किमी हो जाती हैं.
हिमालय को देशांतर विस्तार में तीन भागों में विभक्त किया गया हैं. इसके उत्तर वाले भाग को हिमाद्री कहते हैं जिसकी उंचाई 6 हजार मीटर तक हैं.
दुनियां की सर्वोच्च चोटी माउंड एवरेस्ट इसी पर्वत श्रेणी में स्थित हैं जिसकी उंचाई 8848 हैं. हिमालय का यह भाग अधिकतर समय बर्फ से ढका रहता हैं.
हिमालय का दूसरा भाग हिमाचल के रूप में जाना जाता हैं इसकी औसत उंचाई 3700 मीटर से 4500 मीटर के मध्य हैं. तथा इसकी चौड़ाई 50 किमी तक हैं. इस श्रेणी में कश्मीर की घाटी तथा हिमालच प्रदेश की दो मुख्य घाटियाँ कागड़ा व कुल्लू स्थित हैं.
हिम पर्वत की सबसे निचली श्रेणी को शिवालिका कहा जाता हैं जिसकी ऊंचाई 1000 मीटर के आस पास व चौड़ाई 10 से 50 किमी की हैं. इस श्रेणी का निर्माण हिमालय की नदियों के साथ आई चट्टानों से हुआ हैं.
जलोढ़ मिट्टी तथा बजरी से इनका निर्माण हुआ हैं. लम्बी भूआकृति में फैली घाटियाँ इस श्रेणी की विशेषता हैं जिन्हें दून कहा जाता हैं. देहरादून तथा पाटलीदून इसके प्रमाण हैं.
हिमालय पर्वत की सीमाएं दक्षिणी पूर्वी एशिया के छः देशों को स्पर्श करती हैं जो भारत, नेपाल, भूटान, तिब्बत, पाकिस्तान व अफगानिस्तान तक फैली हैं. इस पर्वत श्रंखला में 100 से अधिक छोटे बड़े पर्वत हैं. भारत में बहने वाली सिन्धु, गंगा, ब्रह्मपुत्र आदि हिमालय से निकलती हैं.
इस पर्वतमाला के 12 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में लगभग 15 हजार ग्लेशियर फैले हैं. सम्पूर्ण हिमालय का कुल क्षेत्रफल पांच लाख वर्ग किमी हैं. कहा जाता हैं प्राचीनकाल में हिमालय के स्थान पर विशाल टेथिस सागर हुआ करता था, उसी से हिमालय का निर्माण हुआ हैं.
हिमालय की अवधि सात करोड़ वर्ष मानी गई हैं. इसकी श्रंखला को चार मुख्य भागों में बांटा हैं पंजाब हिमालय, कुमायूं हिमालय, नेपाल हिमालय एवं असम हिमालय आदि. हिमालय का पश्चिम छोर पामीर के पठार से मिलता हैं.
भारत के लिए हिमालय बेहद लाभदायक हैं. भारत की सम्पूर्ण उत्तरी सीमा पर पहरेदार की भूमिका में अटल खड़ा हैं. हमारे देश को हरा भरा बनाने वाली सभी नदियों का स्रोत हिमालय ही हैं. नदियों के बहाव से बनी नदी घाटी व उपजाऊ मिट्टी कृषि के लिए बेहद उपयोगी होती हैं.
एक तरफ हिमालय एक अच्छा जल स्रोत है वही सघन वनस्पति से अच्छादित वन एवं वन्य जीव प्राकृतिक जैव विविधता के संरक्षण में विशेष उपयोगी हैं. हिमालयी वनों से इंधन, चारा, लकड़ी एवं जीवन उपयोगी औषधि के विस्तृत भंडार हैं.
हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र पर्यटन को ख़ासा आकर्षित करते हैं. इनकी मौलिक सुन्दरता देखते ही बनती हैं. हिमालय में स्थित क्षेत्रों में पैराग्लाइडिंग, हैंग ग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग एवं स्कीइंग जैसे खेल खेले जाते हैं. हिमालय की भूमि हमारी ऋषि मुनि परम्परा की तपोभूमि रही हैं.
हिन्दुओं के अधिकतर तीर्थ स्थल कैलाश मानसरोवर, बद्रीनाथ, हरिद्वार, केदारनाथ और ऋषिकेश हिमालय की गोदी में ही बसे हैं. इस तरह हमें अपने देश के गौरवमयी मुकुट हिमालय पर गर्व हैं.