गणितीय संक्रियाएं (Mathematical Operations In Hindi)

Mathematical Operations In Hindi: नमस्कार दोस्तों आज हम गणितीय संक्रियाएं Mathematical Operations के बारे में जानेगे. गणित की भाषा अर्थात प्रकृति संक्रियाओं पर आधारित हैं. जिन्हें हम जोड़ बाकी गुणा व भाग के रूप में पढ़ते हैं. इन्ही चार गणनाओं पर आधारित गणित की इस भाषा की अवधारणा को सरल भाषा में यहाँ दिया गया हैं.

गणितीय संक्रियाएं (Mathematical Operations In Hindi)

गणितीय संक्रियाएं (Mathematical Operations In Hindi)

गणितीय संक्रियाएं: संख्याओं की गणितीय संक्रियाओं में संख्याओं के योग/ जोड करना, घटाना/ बाकी निकालना, गुणा करना एवं भाग करना शामिल हैं. ये संक्रियाएं निम्न प्रकार की जाती है.

संकलन, योग अथवा जोड़ (Addition operations in hindi)

जिस संक्रिया से दो या अधिक संख्याओं के समान एक संख्या प्राप्त करते हैं, उसे योग, जोड़ या संकलन कहते हैं. तथा इन दो या अधिक संख्याओं के जोड़ने से जो संख्या प्राप्त होती है उसे योगफल कहते हैं. जब दो या अधिक संख्याओ को संकलित कर एक संख्या प्राप्त की जाती है. तो योग कहलाता है.

जोड़ का चिह्न + है और इसे धन चिह्न कहते हैं. जब किसी संख्या के पहले लिखा जाता है तो प्रकट करता है कि उस संख्या का योग करना हैं. 15+9 का अर्थ है कि 15 में 9 जोड़ना हैं.

उदाहरण: 9325, 309, 2384, 90157, 109, 40259 एवं 13011 को जोड़ो.

09325
00309
02384
90157
00109
40259

13011

15554

उदाहरण 2: योग करो 357.9, 5011.11, 203. 305, 1.59 एवं 0.253

हल: दशमलव की संख्याओं को जोड़ करते समय दशमलव चिह्न के नीचे दशमलव का चिह्न आता है तथा दशमलव से पहले की संख्याएं इकाई के नीचे इकाई, दहाई के नीचे दहाई का अंक, सैकड़े के अंक के नीचे सैंकड़े के अंक और आगे इसी प्रकार लिखते हैं. दशमलव के दायीं ओर यदि संख्याएं एक से अधिक हो तो उनमें से एक या अधिक संख्याओं के बाद में सुविधा के अनुसार शून्य लगा सकते हैं. इसके कुल योग में फर्क नहीं पड़ता हैं.

5011.110
0357.900
0203.305
0001.590

0000.253

5574. 158

उदाहरण: 3. निम्न संख्याओं के योग ज्ञात करें,

2+ 201.111+ 2009.103+ 4106.357+ 10111.09+ 0.93+ 0.931+ 0.00532+ 1.3

हल:

00002.000
00201.111
02009.103
04106.357
10111.090
00000.930
00000.931
00000.00532

00001.300

16432.82732

उदाहरण 4: रामेश्वर के पास पांच हजार छः सौ इक्कीस रूपये चालीस पैसे, सुरेश के पास ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रूपये इक्कीस पैसे, कोमल के पास दो सौ तीन रूपये नौ पैसे तथा विमल के पास ग्यारह रूपये सात पैसे हैं तो बताओं इन चारों के पास कुल कितना धन हैं.

रूपये     पैसे
5621    40   रामेश्वर के पास
11111  21   सुरेश के पास
0203    09   कोमल के पास
0011   07   विमल के पास


16946   77


चारों के पास कुल 16946 रूपये 77 पैसे हैं.

बाकी, व्यवकलन, अंतर ज्ञात करना या घटाना (Subtract operations in hindi)

बड़ी संख्या में से छोटी संख्या घटाने की क्रिया को बाकी करना, घटाना या व्यवकलन कहते है, बड़ी संख्या को वियोज्य और छोटी संख्या को वियोजक कहते हैं. बड़ी संख्या में से छोटी संख्या घटाने पर जो शेष बचता है उसे शेष, अंतर अथवा व्यवकलन फल कहते हैं. घटाने का चिह्न – है इसे ऋण चिह्न भी कहते हैं. 16-8 से अभिप्रायः यह है कि 16 में से 8 घटाना हैं.

उदाहरण 5: 19827 में से 11035 को घटाओं

हल: छोटी संख्या को बड़ी संख्या के नीचे इस प्रकार लिखे कि इकाई की संख्या के नीचे इकाई की संख्या, दहाई के नीचे दहाई की, इत्यादि हों, इसे इकाई ओर से चलते हुए घटाते हैं.

19827 वियोज्य

11035 वियोजक

8792 शेष 

उदाहरण 6: सात हजार सात सौ सतहतर रूपये सतहतर पैसे में से चार हजार नौ सौ अट्ठासी रूपये निनानवें पैसे घटाएं.

हल:

7777.77

4988.99

2788.78

उदाहरण 7: निम्न को हल करें

30703.012

17806.039

12896.973

उदाहरण 8: सात अंकों की सबसे बड़ी संख्या एवं छः अंकों की सबसे छोटी संख्या के बीच अंतर क्या होगा.

सात अंकों की सबसे बड़ी संख्या- 9999999
छः अंकों की सबसे छोटी संख्या- 100000
अंतर 9999999-100000= 9899999

उदाहरण 9: 47908093 में 8 के स्थानीय मान में से उसका जातीय मान घटाने पर क्या शेष बचेगा.

हल: 8 का स्थानीय मान = 8000
8 का जातीय मान= 8
दोनों का अंतर 7992

गुणन अथवा गुणा (Multiplication operations in hindi)

जब एक संख्या बार बार जोड़ी जाए तो जिस संक्षिप्त रीती से यह जोड़ ज्ञात किया जाता है उसे गुणन अथवा गुणा कहते हैं. जिस संख्या को जोड़ना हो उसे गुण्य कहते है और उस संख्या को जिससे प्रकट हो कि किसी संख्या को कितनी बार जोड़ना है उसे गुणक कहते हैं.

  • गुणा का चिह्न × है इसे गुणा पढ़ते हैं, जब यह संख्याओं के बीच आता है तो भाव यह है कि दोनों संख्याओं का गुणा करना हैं.
  • दो या अधिक संख्याओं को गुणा करने पर प्राप्त मान को गुणनफल कहते हैं. जिन संख्याओं को आपस में गुणा करते है उन्हें गुणन फल के गुणनखंड कहते है जैसे 3 और 5 संख्या 15 के गुणनखंड हैं.
  • यदि एक गुणनखंड शून्य हो तो गुणनफल भी शून्यही होगा. किसी संख्या के गुणनखंड ज्ञात करने पर ऐसा कोई सा भी गुणनखंड शून्य नहीं हो सकता.

गणितीय संक्रियाओं के सवाल को हल करने के लिए BODMAS RULE के अनुसार ही सोल्व किया जाता है जो इस तरह हैं.

  1. B = Bracket (कोष्ठक)
  2. O = Of (का)
  3. D = Division (भाग)
  4. M = Multiplication (गुणा)
  5. A = Addition (जोड़)
  6. S = Subtraction (घटाव)

महत्वपूर्ण तथ्य

  1. गुण्य: जिस संख्या को गुणा किया जाता है उसे गुण्य कहते हैं.
  2. गुणक: जिस संख्या से गुणा किया जाता है उसे गुणक कहा जाता हैं.
  3. गुणनफल: गुणा करने पर प्राप्त परिणाम को गुणनफल कहते है, उदाहरण के लिए 15 को 3 से गुणा करे तो 15 गुण्य, 3 गुणक तथा 45 गुणनफल होगा.
  4. शुन्य अंत वाली संख्याओं को गुणा करने पर उनके अंकों के गुणनफल के दायीं ओर दोनों संख्याओं के अंत में जितने शून्य हो उतने शुन्य और लगा देने पर उनका गुणनफल प्राप्त हो जाता हैं. जैसे 290*300 ज्ञात करने हेतु 29*3=87 ज्ञात कर उसमें 290 का एक शुन्य तथा 300 के दो शुन्य लगा देते हैं. गुणा भाग करने हेतु 20 तक की संख्याओं के पहाड़े याद करने से बहुत सुविधा हो जाती हैं.
  5. गुणन प्रतिलोम: किसी संख्या का व्युत्क्रम उसका गुणन प्रतिलोम कहलाता हैं. संख्या एवं उसके गुणन प्रतिलोम का गुणन फल सदैव 1 होता है. अर्थात संख्या * संख्या का गुणन प्रतिलोम एक होता हैं.

भाग संक्रियाएं division operations in hindi

भाग उस संक्रिया को कहते है जिसके द्वारा हम को यह ज्ञान होता है कि एक दी हुई संख्या जिसे भाजक कहते हैं एक दूसरे दी हुई संख्या जिसे भाज्य कहते हैं में कितनी बार सम्मिलित हैं. उस संख्या को जो यह बतलाती है कि भाजक भाज्य में कितनी बार सम्मिलित हैं भागफल कहते हैं.

भाग का चिह्न ÷ है, जब यह दो संख्याओं के बीच में आता है तो इस बात का सूचक है कि बाई ओर की संख्या में दाई ओर की संख्या का भाग दो जैसे 75 ÷ 5 का अर्थ है कि 75 में 5 का भाग दो.

  • भाज्य: जिस संख्या में भाग दिया जाता है उसे भाज्य कहते हैं.
  • भाजक: जिस संख्या का भाग दिया जाता है उसे भाजक कहते हैं.
  • भागफल: एक संख्या में दूसरी संख्या का भाग देने पर जो परिणाम प्राप्त होता है उसे भागफल कहते हैं.
  • शेषफल: भाग देने पर जो संख्या शेष रह जाती हैं उसे शेषफल कहते हैं.
  • भाग की क्रिया में यदि शेषफल शुन्य प्राप्त हो तो भाज्य में भाजक का भाग पूरा पूरा जाता हैं.
  • शेषफल शुन्य होने पर भागफल एवं भाजक का गुणनफल सदैव भाज्य के बराबर होता हैं. यदि शेषफल शुन्य नहीं हो तो भागफल एवं भाजक के गुणनफल एवं शेषफल का योग भाज्य के बराबर होता हैं.

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