गिनती पर कविता | Counting Poems In Hindi For Kids

एक से दस (1- 10) एक से तीस (1-30) गिनती पर कविता | Counting Poems In Hindi For Kids Class 1 & 2: आप सभी का बहुत बहुत स्वागत हैं. छोटे बच्चों को बाल गीत और कविता के माध्यम से अंकों की गिनती आसानी से सिखाई जा सकती हैं. तुकबंदी लाइनों से बच्चे बहुत जल्दी गिनती गिनना सीख सकते हैं. LKG & UKG और कक्षा एक व दो के छात्र छात्राओं के लिए यहाँ कुछ आसान बोलने योग्य कविताएँ आपके साथ शेयर कर रहे हैं.

गिनती पर कविता | Counting Poems In Hindi For Kids

गिनती पर कविता | Counting Poems In Hindi For Kids

आओ गिनती सीखें Counting Poems

आओं तुम्हे गिनती सुनाऊ,
एक-एक करके इन्हे गिनाऊ
सबसे पहले आता एक,
एक हैं सूरज़ ,चंदा एक,
सब़के शरीर में मुख़ भी एक
एक के बाद आता दो,
हाथ है दो और पैंर भी दो,
आँखे दो है क़ान भी दो
दो के बाद अब बोलों तीन,
आया सपेरा बजाई बीन
तीन के आगें बैंठा चार,
नहीं पढ़े तो पडेगी मार
चार के बाद बोलों पांच,
सांच पर कभीं नही आती आंच
सब मिलक़र अब बोलों छ,
कभीं किसी से झ़ूठ ना कह
छ के बाद आता सात,
सात है सूर वार भी सात
सात के आगे देख़ो आठ,
हरियाणा के अनोखें ठाठ
बोलो बच्चो अब तुम नो,
नो ग्रहो की चाल देख़ो
अंत मे अब तुम बोलों दस,
दस तक गिनती हो गई बस।।

बाल कविता एक से दस तक गिनती

एक बडे राजा का बेटा,
दो दिन से मुर्दां सा लेटा।
तीन महात्मा सुनक़र आये,
चार दवा के वे टुकडे लाये।
पांच मिनट घिस गर्मं कराई
छः छः घंटें बाद दवा पिलाई।
सातवें दिन कुछ नैंना खोले,
आठवे दिन रानी से बोलें।
नवें दिन कुछ हिम्मत आयी,
दसवें दिन उसने दौड़ लगाई।
राज़ा रानी की कहानी सुनायी,
एक से दस तक गिनती सुनायी।
आर के रस्तोगी

काउंटिंग कविता

एक एक एक
छोटा बच्चा एक
खा रहा है सेब

दो दो दो
छोटे बच्चे दो
पहुचे चिड़ियाघर को

तीन तीन तीन
नन्हे तोते तीन
उड़कर गये चीन

चार चार चार
छोटे पिल्ले चार
खाए अपना आहार

पांच पांच पांच
मधुमक्खियाँ पांच
छत्ते के पास रही है नांच

छः छः छः
सुनीता के पास कीले छः
ठोक रही है ठक ठक ठक

सात सात सात
छोटे बौने सात
जाते साथ साथ

आठ आठ आठ
मोटे चूहे आठ
भगाए बिल्ली साथ साथ

नौ नौ नौ
लाल चीटियाँ नौ
खाना आजा रही है वो

Counting Hindi Rhymes for kids Nursery Rhymes and LKG Rhymes

एक दो तीन चार
आज शनि है कल इतवार
पांच छः सात आठ
याद करूंगा सारा पाठ
इसके आगे नौ और दस
हो गई गिनती पूरी बस

गिनती पर कविता

एक छोटी चिड़ियाँ, गई पेड़ पर सो

एक और आ गई हो गई वो दो

दो छोटी चिड़ियाँ, बजा रही थी बीन
एक और आ गई हो गई वो तीन

तीन छोटी चिड़ियाँ, जा रही थी बाजार
एक और आ गई हो गई चार

चार छोटी चिड़ियाँ, रही थी नांच
एक और आ गई हो गई वो पांच

पांच छोटी चिड़ियाँ कर रही थी जप
एक और आ गई हो गई वो छः

छः छोटी चिड़ियाँ, खा रही थी भात
एक और आ गई, हो गई वो सात

सात छोटी चिड़ियाँ बुन रही थी खाट
एक और आ गई हो गई वो आठ

आठ छोटी चिड़ियाँ, चुग रही थी जौ
एक और आ गई हो गई वो नौ

नौ छोटी चिड़ियाँ, पी रही थी रस
एक और आ गई, हो गई वो दस

खेल-खेल में सीखो गिनती

सबसे पहले आता है एक
काम करेगे हम सब नेक
एक के बाद आता है दो
बच्चों रात को जल्दी सोओ

दो के बाद आता है तीन
दूजे के पैसे कभी मत छीन
तीन के बाद आता है चार
डर कर कभी ना मानो हार

चार के बाद आता है पांच
सच को कभी ना आती आंच
पांच के बाद आता है छह
करके कसरत फिट तू रह

छः के बाद आता सात
झगड़ा ना करो किसी के साथ
सात के बाद है आता आठ
मिलकर सबके सुख दुःख बाँट

आठ के बाद है आता नौ
मुन्ने राजा कभी ना रो
नौ के बाद है आता दस
सबके साथ तू मिलकर हंस

दस तक की गिनती

एक है मुर्गी,
दो है अंडे
तीन तितलियाँ
चार है झंडे
पांच उँगलियाँ
छः है घोड़े
सात सिपाही
आठ पकौड़े
नौ है कलियाँ
तारे दस
हो गई गिनती
आ गई बस

गिनती कविता

एक एक एक
पिंकी खाए केक
दो दो दो
पिंकी जाकर सो

तीन, तीन, तीन
पिंकी बजाए बीन
चार चार चार
पिंकी खाए अचार

पांच पांच पांच
पिंकी नाचे नाच
छह छह छह
पिंकी बोलो जय

सात सात सात
पिंकी करे बात
आठ आठ आठ
पिंकी पढ़े पाठ

नौ नौ नौ
पिंकी कहे नो
दस, दस, दस
पिंकी कहे बस

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