गुरु पूर्णिमा पर निबंध 2024 – Essay On Guru Purnima in Hindi

नमस्कार मित्रों आप सभी को हमारी ओर से गुरु पूर्णिमा 2024 की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते है. Essay On Guru Purnima in Hindi का लेख हमारे स्टूडेंट्स के लिए हैं.

जो कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 वीं के बच्चों के लिए शोर्ट और सरल भाषा में गुरु पूर्णिमा का निबंध भाषण अनुच्छेद पैराग्राफ शेयर कर रहे हैं. हम उम्मीद करते है आपकों हमारी यह रचना पसंद आएगी.

गुरु पूर्णिमा पर निबंध 2024 – Essay On Guru Purnima in Hindi

गुरु पूर्णिमा पर निबंध 2022 - Essay On Guru Purnima in Hindi

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गुरु पूर्णिमा पर निबंध (250 शब्द)

विद्यार्थी अपने जीवन काल के दरमियान जो कुछ भी सीखता है और जो कुछ भी ज्ञान हासिल करता है वह अक्सर इसी बात पर डिपेंड करता है कि उसका गुरु कितना पढ़ा लिखा है अथवा धैर्यवान है। 

गुरु पूर्णिमा के पर्व का नाम सूरज भगवान के प्रकाश से पढ़ा है, जोकि चंद्रमा को चमकाने का काम करता है। कहने का मतलब है कि एक विद्यार्थी तभी तक चमक सकता है जब तक उसे सही शिक्षक का प्रकाश मिलता होता है।

हर साल जुलाई के महीने में गुरु पूर्णिमा का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है और हर साल जुलाई के महीने में गुरु पूर्णिमा की तारीख अलग-अलग होती है।

साल 2024 में गुरु पूर्णिमा जुलाई के महीने में 21 जुलाई को मनाया जाएगा। सामान्य तौर पर पूर्णिमा के दिन ही गुरु पूर्णिमा पड़ती है और इसीलिए हर साल गुरु पूर्णिमा की तारीख बदलती रहती है। 

गुरु पूर्णिमा का महत्व सिर्फ शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए ही नहीं होता है बल्कि तंत्र के क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षकों और गुरु के लिए भी इसका काफी महत्व होता है। 

इस दिन विभिन्न प्रकार के शिविर का आयोजन किया जाता है जिसमें गुरु और शिष्य की मुलाकात होती है और वह इस दिन अलग-अलग बातों पर चर्चा करते हैं, साथ ही विद्यालय में इस दिन भाषण का आयोजन भी किया जाता है जिसमें शिष्य अपने गुरु के प्रति अपनी राय को प्रकट करते हैं।

गुरु ही वह व्यक्ति होता है जो हमारी जिंदगी के अंधेरे को हटाता है और हमें सही रास्ते पर चलने की सीख देता है। महाभारत ग्रंथ को लिखने वाले वेदव्यास जी को सम्मान देने के लिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

300 Words Hindi Essay On Guru Purnima festival 2024

मुख्य रूप से गुरु पूर्णिमा भारत की संस्कृति से जुड़ा पर्व है. इस धरती से उपजे चार बड़े धर्म हिन्दू, सिख, बौद्ध एवं जैन धर्म को मानने वालों द्वारा गुरुपूर्णिमा को विशेष रूप से मनाया जाता हैं. हमारी संस्कृति में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश इन त्रिदेव से ऊपर का दर्जा दिया जाता हैं.

इसका कारण यह है कि वह गुरु ही होता है जो हमें अपने बारे में संसार के बारे में तथा प्रत्येक जीव के बारे में ज्ञान देता हैं वही हमें ईश्वर का ज्ञान कराता हैं तथा उसे प्राप्त करने के तरीके भी बताता हैं.

एक सभ्य और शिक्षित समाज के निर्माण में यदि सर्वाधिक योगदान किसी इन्सान जाति का होता है तो वे हमारे शिक्षक ही हैं हमें उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए, सदैव उनका सम्मान एवं सत्कार करना चाहिए. गुरु पूर्णिमा का पर्व एक इसी तरह का अवसर हैं जब हम गुरु दक्षिण देकर अपने प्रिय गुरु के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट कर सके.

गुरु का आशीर्वाद चन्द्रगुप्त मौर्य को मिला, जिससे एक साधारण बालक भारतवर्ष का महान सम्राट बन गया जिसे हम आज भी याद करते है, वही चाणक्य गुरु का कोप घनानन्द ने भुगता. गुरु के अपमान की सजा उसे अपने कुल के नाश के रूप में मिली थी.

हमें इतिहास के ऐसे पक्षों का अवलोकन कर जीवन में शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए. साथ ही आपके जीवन में एक इन्सान तो ऐसा होना ही चाहिए जिसके चरणों में शीश सदैव झुका रहे, विपदा के समय उनकी चरण मिले तथा जीवन की हर पहेली को सुलझाने में उनका आशीर्वाद मिलता रहे.

Guru Purnima 500 Words Short Essay Paragraph Speech For Students In Hindi

21 जुलाई 2024 इस साल का बहुत बड़ा दिन, जी हाँ इस आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व भारत में मनाया जा रहा हैं. भारतीय संस्कृति के इतिहास को उठाकर देख लीजिए,

हर युग में अनेक आदर्श गुरुओं ने मार्गदर्शन दिया हैं. महाभारत के रचयिता एवं आदि गुरु वेद व्यास जी की जयंती को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता हैं.

यह न केवल हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए अहम दिन हैं बल्कि बौद्ध एवं जैन धर्म के लोगों का भी यह महत्वपूर्ण दिन हैं. गुरुपूर्णिमा के दिन विद्यार्थी  अपने गुरुजनों, अध्यापकों अथवा आदर्श व्यक्ति का सम्मान कर इस दिन उनके मंगल जीवन की कामना करते हैं.

भारतीय आध्यात्म जगत में गुरु का विशेष महत्व हैं, इसी लिहाज से उनके आदर सत्कार करने का यह पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं, ठीक ही कहा गया हैं गुरु बिन ज्ञान नहीं रे,

अंधकार बस तब तक ही है, जब तक है दिनमान नहीं रे. जब तक आपकों एक सच्चे गुरु का सानिध्य प्राप्त नही हैं तब तक आप सच्चा ज्ञान नही प्राप्त कर सकते, भले ही आप रात दिन किताबों के महल में बैठे रहे.

गुरु की महानता का परिचायक उनका त्याग हैं. सबसे बड़ा त्याग तथा सेवाभाव आप एक गुरु के जीवन में देख सकते हैं. वह विकट से विकट परिस्थतियों में भी अपने विद्यार्थियों को नियमित रूप से प्रमाणित व सच्चा ज्ञान प्रदान करता हैं,

यह सच हैं जो अध्यापक अर्थात गुरु स्वयं किसी बड़े ओहदे तक भले ही नही पहुच पाए हो, मगर अध्ययनचित अपने हजारों छात्रों को वह प्रशिक्षण देकर प्रशासन व अन्य सेवाओं के योग्य बनाता हैं.

वह अपने अनुभव तथा वर्तमान परिस्थतियों के बिच तालमेल बिठाकर अपने शिष्य को अधिक से अधिक ज्ञान रुपी दान देने का यत्न करता हैं.

बहुत से लोग आज के समय में शिक्षा को बाजारू बनाने अपने ग्राहक या स्ट्रेथ बढ़ाने के चक्कर में ट्रिक्स, फोर्मुले, व अध्ययन की सीमा से आगे बढ़ते हुए विद्यार्थियों को दिन रात रटाने पर लगे रहते हैं.

ऐसे लोग हमारी शिक्षा प्रणाली को आगे ले जाने का दावा करते हैं, मगर परिणामस्वरूप उनके पढ़ाएं शिष्य मात्र एक रटंत प्राणी बनकर रह जाते हैं. दूसरी तरह योग्य एवं प्रशिक्षित गुरु अपने अनुभव का पूरा लाभ अपने शिष्यों को देते हैं.

एक आदर्श शिक्षक के पास अपने विषय पर पूर्ण नियंत्रण उनकी पहली खूबी होती हैं, जो आज के इन फेकू गुरुओं में बहुत कम देखने को मिलती हैं. ऐसा नही हैं कि सारा शिक्षक जगत ज्ञान को बेचने का साधन बना रहा हैं. लगनशील शिक्षक आज भी अपने विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा देकर विभिन्न क्षेत्रों में देश का गौरव बढ़ा रहे हैं.

गुरु पूर्णिमा पर निबंध, guru purnima essay in hindi (750 शब्द)

जमाना कोई भी रहा हो समाज ने गुरु को सदैव उच्च स्थान दिया हैं. हिन्दू धर्म के ग्रंथों में गुरु की महिमा का बखान इसी तरह किया गया हैं. उन्हें ईश्वर से ऊँचा दर्जा प्रदान किया हैं. संत कबीर दास जी ने भी ऐसी ही बात कही हैं.

हमारी यह गुरु सम्मान की परम्परा हजारो सालों से चलती हुई आज तक जीवित हैं. गुरु पूर्णिमा के रूप में हमारे पूज्य गुरुजनों का पूजन करना उनका मान सम्मान करना इस दिवस के विशिष्ट उद्देश्य हैं.

इतिहास में हमें कई आदि गुरुओं का उल्लेख मिलता है अर्जुन के गुरु द्रोण, चन्द्रगुप्त के गुरु चाणक्य, एकलव्य जैसे शिष्य, गुरु नानक देव, महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, शंकराचार्य तथा मुनि व्यास के बारे में अवश्य पढ़ा होगा.

क्या आप जानते गुरु पूर्णिमा किस महापुरुष की स्मृति में मनाते हैं. भारत के आदि गुरु कहे जाने वाले मुनि वेदव्यास के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता हैं. उन्होंने महाभारत जैसे ग्रन्थ की रचना की थी.

आज भी खेल जगत में अच्छा प्रशिक्षण देने वाले कोच को द्रोणाचार्य सम्मान प्रदान किया जाता हैं. महान क्रिकेटर सचिन रमेश तेंदुलकर के नाम से सभी परिचित हैं. इनके गुरु का नाम रमाकांत आचरेकर था.

दसवीं कक्षा में फिसड्डी साबित होने वाले सचिन की प्रतिभा क्रिकेट में अद्भुत थी, जिसे आज पूरी दुनिया क्रिकेट का भगवान कहती हैं. मगर उस नन्हे से बच्चें में क्रिकेट की प्रतिभा को पहचानने वाले आचरेकर सर ही थे. उन्होंने ही बालक सचिन को महान सचिन तेंदुलकर बनाया था.

बालक कितना गुणी और ज्ञानवान बनेगा यह हमारे शिक्षकों पर निर्भर करता हैं. बच्चें में छिपी प्रतिभा की पहचान एक गुरु ही कर सकता हैं. वही उसे जीवन जीने का सही तरीका बनाता हैं. किसी सभ्यता के श्रेष्ठ बनने या समाप्त हो जाने में वहां की शिक्षा एवं शिक्षकों का बड़ा योगदान रहता हैं.

भारत इसलिए विश्व गुरु कहलाता था क्योंकि यहाँ की शिक्षा व्यवस्था व संस्थान उच्च कोटि के थे. तक्षशिला नालंदा जैसे संस्थानों में पढ़ने के लिए विदेशों से छात्र आते थे.

अतः स्पष्ट है यदि हमें अपने समाज देश व सभ्यता को अधिक श्रेष्ठ बनाना चाहते है तो हमें अपनी पुरातन गुरु शिष्य परम्परा तथा शिक्षा प्रणाली को अपनाना होगा. जीवन में सफलता की सीढियाँ  तभी चढ़ा जा सकता हैं जब हमें गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त हो.

उनके पथप्रदर्शन के बिना मानव भ्रमित हो जाएगा.  अपने इच्छित लक्ष्य से भटक जाएगा. बदले में गुरु हमसे धन दौलत कुछ नहीं चाहता बस उन्हें सम्मान देने की आवश्यकता हैं.

हमारे समाज में कई लोगों द्वारा गुरु पद की भूमिका का निर्वहन किया जाता हैं. हमारे शिक्षक, बुजुर्ग सदस्य, माता पिता, संत महापुरुष आदि हमे जीवन उपयोगी ज्ञान देते है तथा सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं. समय के साथ शिक्षा का स्वरूप बदला हैं. पहले गुरुकुलों में शिक्षा दी जाती थी वे आज विद्यालयों का स्वरूप ले चुके हैं.

आज भी देहात में शिक्षक को उसी प्रकार का सम्मान दिया जाता हैं, जो हमारी प्राचीन गुरु शिष्य सम्बन्धों में देखने को मिलता हैं. गाँव का प्रत्येक व्यक्ति अध्यापक को देखते ही नमस्कार गुरूजी कहकर उन्हें सम्मान देता हैं. यह शेष भारतीय खासकर शहरी समाज के लिए ग्रहण करने योग्य बात हैं.

विद्वान् कहते है यदि जीवन में कामयाब होना है तो गुरु की चरण में चले जाइए. उनके बिना जीवन में एक अच्छा इन्सान भी नहीं बना जा सकता हैं.

जीवन के विभिन्न क्षेत्र जैसे खेल, शिक्षा, चिकित्सा, सिनेमा, साहित्य, आध्यात्म आदि में हम प्रवेश तो कर सकते हैं मगर हमारा सफर कितनी दूर जाएगा यह हमारे गुरु और उनके प्रशिक्षण पर ही निर्भर करता हैं.

गुरु पूर्णिमा पर निबंध (1000 शब्द)

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल गुरु पूर्णिमा का त्यौहार जुलाई के महीने में मनाया जाता है परंतु हर साल इसकी तारीख बदलती रहती है। साल 2024 में जुलाई के महीने में पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाएगा और साल 2024 में पूर्णिमा 21 जुलाई, बुधवार के दिन पड़ रही है। 

गुरु पूर्णिमा त्योहार हिंदू धर्म के लिए तो बहुत ही महत्वपूर्ण होता ही है साथ ही इसका काफी अधिक महत्व बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए भी होता है क्योंकि इन सभी धर्मों में प्राचीन काल से ही गुरु और शिष्य की परंपरा चली आ रही है।

मुख्य तौर पर यह त्यौहार गुरु, शिक्षक को समर्पित होता है फिर चाहे वह तंत्र के गुरु हो,शिक्षा के गुरु हो या किसी अन्य चीज के गुरु हो।

इस दिन गुरु, शिक्षक को सम्मान दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर मौसम काफी सुहावना होता है क्योंकि मौसम में ना तो ज्यादा गर्मी होती है ना ही ज्यादा सर्दी होती है।

गुरु पूर्णिमा के मौके पर विभिन्न गुरु अपने आश्रम में सानिध्य शिविर का आयोजन करवाते हैं जहां पर उनसे मुलाकात करने के लिए अलग-अलग जगह से उनके शिष्य इकट्ठा होते हैं और ज्ञान पर काफी चर्चा होती है। इस दिन हर शिष्य अपने गुरु से मिलने के लिए बेताब रहता है।

महाभारत जैसे महान ग्रंथ को लिखने वाले महरिशी वेद व्यास जी के जन्मदिन के मौके पर भी इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है और इसीलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते और पहचानते हैं। महर्षि वेदव्यास को पूरी मानव जाति का गुरू कहा जाता है। 

इसके अलावा इसी पावन दिन में संत कबीर जी के शिष्य संत घासीदास का भी जन्म हुआ था, साथ ही गुरु पूर्णिमा के मौके पर ही सारनाथ में भगवान गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश जनकल्याण के लिए दिया था। इसके अलावा सप्तऋषियो को भी योग का ज्ञान इसी दिन भगवान भोलेनाथ के द्वारा दिया गया था।

गुरु ही वह व्यक्ति होता है जो हमें अंधकार से निकाल कर के प्रकाश की ओर लेकर के जाता है। जिस प्रकार से हमारे द्वारा देवी देवता की पूजा की जाती है, उसी प्रकार हमें गुरु की भी पूजा करनी चाहिए, क्योंकि गुरु ही हमें ईश्वर से जोड़ने का काम करता है। अगर जिंदगी में सही गुरु नहीं होता है तो हम अपने रास्ते से भटक जाते हैं। 

स्कूल और कॉलेज में गुरु के द्वारा ही हमें पढ़ना, लिखना और सही व्यवहार करना सिखाया जाता है। मनु के द्वारा विद्या को माता और गुरु को पिता बताया गया है और इन दोनों के द्वारा हमें जन्म दिया जाता है परंतु गुरु के द्वारा हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है और बिना ज्ञान के हमारे विकास नहीं हो सकता।

गुरु का महत्व हमारी पूरी जिंदगी में होता है। देवताओं के गुरु बृहस्पति थे वही असुरों के गुरु शुक्राचार्य थे। इसी प्रकार समाज के जितने भी लोग हैं उन्हें गुरु की आवश्यकता पड़ती ही है।

सिख मजहब में भी गुरु को काफी महत्व दिया गया है। अभी तक सिख मजहब के टोटल 10 गुरु हुए हैं जिनकी पूजा सिख मजहब के लोगों के द्वारा की जाती है।

पहले के समय में वर्तमान की तरह ना तो स्कूल थे ना ही कॉलेज थे क्योंकि उस समय गुरु के द्वारा गुरुकुल चलाया जाता था और वहीं पर विद्यार्थियों को जाकर के शिक्षा ग्रहण करनी होती थी। गुरु के द्वारा चलाए जाने वाले गुरुकुल में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता था। 

उनके गुरुकुल में राजा के पुत्र भी पढ़ते थे साथ ही प्रजा के पुत्र भी पढ़ते थे। इस प्रकार से गुरु लोगों को यह संदेश देता है कि गुरु की नजर में हर व्यक्ति एक समान ही होता है। उनकी नजर में ऊंच-नीच का कोई भी भेदभाव नहीं होता है।

गुरु पूर्णिमा का सबसे ज्यादा महत्व अगर किसी देश में है तो वह हमारा पावन देश भारत ही है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर भारत देश के विभिन्न स्कूल और कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी में गुरु और शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है और लोग गुरु के बारे में अपने विचार को भी प्रकट करते हैं। 

गुरु पूर्णिमा के मौके पर गायन, नाटक, चित्र और दूसरे कंपटीशन का आयोजन करवाया जाता है। इस मौके पर स्कूल अथवा कॉलेज के पुराने विद्यार्थी स्कूल में आते हैं और उन्होंने जिन गुरु से शिक्षा ली होती है उनका सम्मान करते हैं साथ ही उन्हें कुछ ना कुछ उपहार भी अवश्य देते हैं।

भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी हिंदू आबादी अधिक होने के कारण गुरु पूर्णिमा का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। नेपाल में गुरु पूर्णिमा का त्योहार थोड़े अलग तरीके से मनाया जाता है। 

इस दिन शिष्य अपने गुरु को टेस्टी भोजन खिलाते हैं साथ ही फूल माला पहनाकर के उनका सम्मान करते हैं। इसके अलावा उन्हें विशेष प्रकार की टोपी भी पहनाते हैं।

गुरु पूर्णिमा के मौके पर नेपाल के स्कूलों में गुरु को सम्मान देने के लिए और उनकी मेहनत को प्रदर्शित करने के लिए मेले का आयोजन में करवाया जाता है।

वर्तमान की भाग दौड़ भरी जिंदगी में समाज को गुरु की काफी ज्यादा आवश्यकता आन पड़ी है। सिर्फ एजुकेशन की फील्ड में गुरु का महत्व नहीं होता है बल्कि गुरु का महत्व अन्य कई क्षेत्र में भी होता है। वर्तमान के समय में तो लोग मन की शांति के लिए किसी ने किसी आश्रम के साथ जुड़ जा रहे हैं और मन की शांति प्राप्त कर रहे हैं।

विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले ही सिर्फ गुरु नहीं होते हैं बल्कि मानसिक शांति के लिए तथा स्वास्थ्य फायदे के लिए जिन लोगों के द्वारा योगा सिखाया जाता है, उन्हें भी योग गुरु कहा जाता है।

कहते हैं कि जब किसी व्यक्ति को जिंदगी में उल्टे सीधे ख्याल आए या फिर वह जिंदगी से निराश हो जाए तो उसे दो ही लोगों पर आस्था रखनी चाहिए। 

एक तो भगवान या फिर गुरु। भगवान को पाने के लिए व्यक्ति को तपस्या करनी पड़ती है परंतु थोड़ी सी मेहनत करके व्यक्ति आसानी से गुरु को प्राप्त कर सकता है और जिंदगी की उलझनों को थोड़ा सा सुलझा सकता है।

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