राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रम | National Rural Health Mission Program NRHM in hindi

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रम | National Rural Health Mission Program NRHM in hindi: इसमें कोई दो राय नही है कि स्वास्थ्य ही सम्पति है, अर्थात हेल्थ इज वेल्थ. यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा नही है तो उसके लिए चैन, आनन्द, पैसा दौलत सब बेकार है.

व्यक्ति संसार के सभी सुखों से जीवन काटना चाहता है, तो इसकी पहली शर्त उसका स्वास्थ्य है. विश्व का कोई भी देश बीमार व अस्वस्थ लोगों को लेकर प्रगति की राह पर नही बढ़ सकता है.

इसलिए हर देश की सर्वोच्च सता की यह पहली जिम्मेदारी बनती है, कि वो अपने नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य की सभी व्यवस्थाएं दे, उनकी सेहत की दिशा में कल्याणकारी कार्यक्रम चलाएं.

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रम | NRHM in hindi

nrhm in hindi pdf-वाकई में जब देश में स्वस्थ जनसंख्या कार्यशील होगी, तभी उस देश में खुशहाली आ सकेगी, यदि लोग ही स्वयं स्वस्थ न रह पाएगे तो वो देश को क्या योगदान कर पाएगे,

तथा वह राष्ट्र क्या प्रगति कर सकेगा. हमारे भारत देश में नागरिकों के स्वास्थ्य स्तर में सुधार के लिए ही भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का श्री गणेश किया गया.

श्रेणीकेंद्र प्रवर्तित योजना
मिशन का नामRashtriya Gramin Swasthya Mission
आरम्भ तिथि12 अप्रैल 2005
लाभार्थीसम्पूर्ण राष्ट्रीय ग्रामीण नागरिक
उद्देश्यस्वास्थ्य एवं देखभाल सेवा प्रदान करना
आधिकारिक वेबसाइटnhm.gov.in

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन क्या हैं

कहते है यदि व्यक्ति शरीर से स्वस्थ नही हो तो उनके लिए दुनिया के सारे सुख और संपदा बेकार है. जब व्यक्ति शरीर से स्वस्थ और तन्दुरस्त होगा तभी इन सांसारिक आनंद की अनुभूति कर सकता है.

चाहे कोई भी देश हो उसकी प्रगति वहां के नागरिकों के स्वास्थ्य पर टिकी रहती है. स्वास्थ्य ही धन है अर्थात हेल्थ इज वेल्थ.

भारत ने अपने इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन 2005  की शुरुआत की जिससे अपने नागरिकों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाए.

भारत सरकार द्वारा पिछड़े तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य उपलब्ध करवाने के लिए एन.आर.एच.एम.की शुरुआत बिहार, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ओडीशा और राजस्थान तथा पूर्व के आठ राज्यों में 2005 से की गई.

मलेरिया, दृष्टिहीनता, आयोडीन की कमी, फाइलेरिया, कालाज़ार, टी.बी., कुष्ठ रोग जैसे घातक रोगों को इस मिशन में शामिल करने के अतिरिक्त प्रसूता के लिए डिलीवरी सेवा की शुरुआत भी की गई.

वैसे इस स्कीम को 12 अप्रैल 2005 को सम्पूर्ण भारत में लागू कर दिया. मगर स्वास्थ्य की द्रष्टि से पिछड़े 18 राज्यों को इसमे मुख्य रूप से वरीयता दी गई. 

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए देशभर में 7 लाख सामाजिक कार्यकर्ताओं को लगाया गया जिन्हें आशा कहा जाता है.

इन आशा सहयोगिनियों के द्वारा सफल तथा सुरक्षित प्रसव, मात्र तथा शिशु सुरक्षा के प्रबंध के साथ ही संक्रामक रोगों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना, तथा खुले में शौच मुक्त भारत के लिए घर घर शौचालय तथा उनके उपयोग सुनिश्चित करवाने की जिम्मेदारी भी सरकार द्वारा इन आशा कार्यकर्ताओं को दी गई.

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत सफाई, पोषाहार, शुद्ध पेयजल, प्राथमिक शिक्षा, पंचायती राज तथा ग्रामीण विकास जैसे कार्यो को भी इनसे जोड़ने का कार्य किया गया है.

यूनिसेफ द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को लेकर जारी आंकड़ो में यह बात स्पष्ट है कि भारत के अधिकतर राज्यों में मातृ तथा शिशु मृत्यु दर में गिरावट के साथ ही सामान्य रोगों पर लोगों का अस्पताल तथा सुरक्षित प्रसव की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी इस मिशन की सफलता के संकेत दे रही है.

सरकार द्वारा भी उतरोतर कार्यक्रम में विस्तार करते हुए इसमे आंगनवाडी, अस्पताल संस्थाओं तथा गैर लाभकारी संस्थाओ को इससे जोड़ा जा रहा है. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन संसाधन केंद्र द्वारा इस मिशन के कार्यो की निगरानी की जाती है.

कई वर्षो पूर्व तक हमारे देश में मातृ शिशु मृत्यु दर के आंकड़े चिंतनीय थे. मगर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत के बाद वास्तविक धरातल पर इसमे सुधार देखा जा रहा है.

अभी तक के आरम्भिक इस दशक में इस मिशन की सफलताओं को देखते हुए लगता है, यह निरंतर अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है, संभव है स्वस्थ भारत सम्रद्ध भारत का सपना ऐसी जनकल्याणकारी स्वास्थ्य योजनाओं से संभव है.

नेशनल रूरल हेल्थ मिशन 12 अप्रैल 2005 को भारत के गाँवों में बसने वाली 70 फीसदी निम्नवर्गीय आबादी को मूलभूत चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आरम्भ किया गया है.

जम्मू कश्मीर को छोड़कर भारत के 29 राज्यों में 2005 से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन क्रियान्वित किया जा रहा है. स्वास्थ्य सेवाओं में पिछले 18 राज्यों में इस स्वास्थ्य योजना के तहत विशेष ध्यान दिया जा रहा है, भारत के ये राज्य निम्न है.

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रम राज्य (nrhm programme list)

बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, उत्तरप्रदेश, उतराखंड, उड़ीसा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और अब इस सूची में जम्मू कश्मीर प्रान्त को भी शामिल किया गया है.

प्रत्येक ग्राम और वार्ड स्तर पर एक सामाजिक एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता जिन्हें आम बोलचाल में आशा कहा जाता है, को लगाया गया है.

आशा कार्यकर्ताओं को इस कार्य के लिए समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत आशा को निम्न कार्य सौपें गये है.

  • सरकारी चिकित्सालय में सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करना
  • नवजात शिशु की देखभाल एवं सरकारी सहायता राशि का लाभार्थी तक पहुच सुलभ कराना
  • जल जनित एवं संक्रामक रोगों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना
  • लोगों में संतुलित भोजन के महत्व को बताना
  • घर घर शौचालय निर्माण व उपयोग को प्रोत्साहन देना

अपने आवंटित क्षेत्र में कई सामाजिक कार्य इन आशा कार्यकर्ताओं द्वारा करवाएं जाते है, इन्हें प्राथमिक उपचार सहायिका के तौर पर एक मेडिकल कीट भी उपलब्ध करवाया जाता है, जिनमें सामान्य बीमारियों के तुरंत ईलाज व राहत की सामग्री होती है.

उपरोक्त सरकारी मापदंडों के अतिरिक्त महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्रालय द्वारा मानवीय विकास सूचकांक से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्य भी इन्हें सौपें गये है, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के मुख्य उद्देश्य ये है.

  • शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी लाना
  • महिला स्वास्थ्य सेवा
  • बाल स्वास्थ्य
  • जल स्वच्छता व सफाई
  • रोग प्रतिरक्षण
  • सुपोषण & पोषाहार वितरण व सभी तक पहुच सुनिश्चित करना
  • स्थानीय महामारी व संक्रामक रोगों की रोकथाम की दिशा कार्य करना
  • लोगों में अच्छे स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता
  • जनसंख्या वृद्धि में रोकथाम व परिवार नियोजन को बढ़ावा देना
  • बालक बालिका की संख्या के असंतुलन को कम करने की दिशा में विशेष प्रयास
  • लोगों में स्वस्थ जीवनचर्या के बारे में समय समय पर जानकारी उपलब्ध करवाना.

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लाभार्थी (Beneficiaries of National Rural Health Mission)

विशेष रूप से भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीब व वंचित वर्ग के लोगों तक न्यूनतम स्वास्थ्य सेवाएं पहुचाना, कई प्राथमिक श्रेणी के रोग जिनमे मलेरिया, गलगंड, अन्धता, फाइलेरिया, कालाजार बुखार्म टीबी, कैंसर जैसे रोगों की स्थति में चिकित्सकीय सहायता व देखभाल के लिए सरकार द्वारा अतिरिक्त सहायता उपलब्ध करवाई जाती है.

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत बच्चों व महिलाओं के स्वास्थ्य विकास, आहार, स्वच्छ जल, प्रारम्भिक शिक्षा, पंचायत व ग्रामीण क्षेत्र में संचालित स्वास्थ्य कार्यक्रम व योजनाओं के विषय में उनकी ओर विशेष ध्यान दिया जाता है.

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की सफलता (Success of National Rural Health Mission)

पिछले कई वर्षों में विभिन्न राज्यों की स्वास्थ्य स्तर व सुविधाओं की रिपोर्टों के अनुसार भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है. सरकार की इस पहल के बदौलत मातृ व शिशु मृत्यु दर, कुपोषण, स्वास्थ्य जागरूकता में सुधार आया है.

हालांकि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का उद्देश्य इन मानदंडों को शून्य स्तर तक लाना है. इस लिहाज से अभी तक बहुत काम किये जाने की आवश्यकता है.

ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक चिकित्सालयों में हर वर्ष आने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे है.

तथा सुरक्षित प्रसव की दिशा में भी महत्वपूर्ण सुधार आया है. सरकार द्वारा अस्पताल में प्रसव कराने पर निशुल्क दवाई व सहायता राशि भी प्रदान किये जाने का भी प्रावधान है.

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राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत कई राज्यों में निशुल्क दवाई वितरण व सरकारी चिकित्सालयों में समय समय पर लगाए जाने वाले टीकों के लिए भी विशेष प्रबंध किये है.

uno के यूनिसेफ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार व झारखंड राज्य जहाँ स्वास्थ्य सेवाएं मुरझाई हुई हुआ करती है,

अब विशेष सुधार आया है. सरकार द्वारा शुरू की जारी स्वास्थ्य योजनाओं व आंगनवाडी केन्द्रों पर दवाई वितरण को निरंतर प्रोत्साहन मिल रहा है.

इस दिशा में सरकार द्वारा देश भर में तेरह हजार से अधिक रोग कल्याण कमेटियां व चिकित्सालय विकास कमेटियों की स्थापना की जा चुकी है.

भारत के सभी राज्यों में कई ngo के द्वारा भी लाभकारी भागीदारी के प्रयास किये जा रहे है. इन्हें स्वास्थ्य सेवाओं के आधार पर सरकारी चिकित्सालयों द्वारा भुगतान भी किया जाता है.

आज आशा व सामुदायिक चिकित्सालय कर्मियों की क्षमता विकास के सामूहिक प्रयास के साथ संस्थागत सुधारों के लिए देश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विकेंद्रीकरण की आवश्यकता को देखते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन केंद्र की स्थापना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

हर देश के धरातलीय विकास के लिए प्रत्येक नागरिक के अच्छे स्वास्थ्य का होना अनिवार्य माना जाता है. आजादी के बाद से हमारे देश में बाल एवं मातृ स्वास्थ्य की दिशा में बहुत कुछ करने की आवश्यकता थी.

क्योंकि इस विषय पर विभिन्न आकंड़ो द्वारा भारत में नागरिकों की स्वास्थ्य हालात के बारे में सवाल खड़े होना वाजिब था.

मगर 2005 से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत के बाद न सिर्फ मातृ व शिशु मृत्यु व स्वास्थ्य में सुधार आया है, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में भी सुधार देखने को मिले है.

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