नमस्कार आज का निबंध, गुटनिरपेक्षता पर निबंध Non Aligned Movement NAM Essay In Hindi पर दिया गया हैं.
यूएन के बाद सबसे बड़े वैश्विक मंच के रूप में नॉन अलाइन कंट्री के ग्रुप को माना जाता हैं. संगठन की स्थापना इतिहास सम्मेलन और वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता व भारत की भूमिका के बारे में जानेगे.
गुटनिरपेक्षता पर निबंध Non Aligned Movement Essay In Hindi
दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद विश्व दो धड़ो में विभाजित हो गया था. एक खेमे का नेतृत्व पूंजीवादी अमेरिका के हाथों में था,
दूसरी तरफ साम्यवादी रूस तथा उनके पक्षधर देश थे. शीत युद्ध (cold war) के समयकाल के दौरान दोनों खेमो के मध्य वैर भाव के चलते तीसरा विश्वयुद्ध होने का भय हर किसी को था.
कोई भी छोटी गलती अथवा कारण विश्व को एक बार फिर तबाही की राह पर धकेल सकता था. ऐसे में तीसरी शक्ति के रूप में भारत के नेतृत्व में गुटनिरपेक्षता का प्रादुभाव हुआ,
जिसने दोनों शक्तियों से नव स्वतंत्र देशों को बचाकर किसी पक्ष के साथ सम्मिलित होने की बजाय पृथकता की निति अपनाई, जिसे गुटनिरपेक्ष आन्दोलन (non aligned Movement) के रूप में जाना जाता हैं.
एक तरह से गुटनिरपेक्षता उन गुटनिरपेक्ष देशों की विदेश निति का हिस्सा हैं जिन देशों ने न तो रूस का साथ दिया न अमेरिकी खेमे का. जिनका एकमात्र उदेश्य आपसी सहयोग तथा सामूहिक सहभागिता से अपने देश के विकास व आधारभूत सुविधाओं के विकास पर जोर दिया गया.
गुटनिरपेक्षता आंदोलन के जनक भारत के पंडित जवाहरलाल नेहरु, युगोस्लाविया के मार्शल टीटो, मिस्त्र के गमाल अब्दुल नासिर, इंडोनेशिया के सुकर्णो तथा घाना के क्वामे क्रुमाह की भूमिका महत्वपूर्ण थी.
इन प्रयासों से 1961 में 25 सदस्यीय गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों का पहला शिखर सम्मेलन युगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में आयोजित किया गया. गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों का शिखर सम्मेलन हर तीन साल के बाद आयोजित किया जाता हैं.
आरम्भ में में गुटनिरपेक्ष देशों की कुल आबादी विश्व की कुल जनसंख्या की लगभग एक तिहाई थी. इसलिए इसे तीसरे मौर्चे एवं थर्ड वर्ल्ड की संज्ञा दी गईं. आरम्भ के समय गुटनिरपेक्षता के सदस्य राष्ट्रों की संख्या 25 थी,
वही आज विश्व के १२० से अधिक देश इसके सदस्य राष्ट्र हैं, जिनकी आबादी विश्व की कुल जनसंख्या का 51 प्रतिशत हैं, इसके अतिरिक्त यह संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय मंच हैं.
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का पहला शिखर सम्मेलन 1 सितम्बर 1961 को युगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में हुआ था, जिसमें सभी 25 सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
इस पहले सम्मेलन में 27 मांगों का प्रस्ताव किया गया, जिनमें प्रमुख रूप से उपनिवेशवाद तथा सम्राज्यवाद की कड़े शब्दों में भर्त्सना की गईं थी. गुटनिरपेक्ष आंदोलन का दूसरा शिखर सम्मेलन अक्टूबर 1964 में मिस्त्र की राजधानी काहिरा में हुआ था.
दूसरे शिखर सम्मेलन में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भाग लेने गये थे, जिन्होंने पांच सूत्रीय मांगों को सदस्य देशों के मध्य रखा.
इन पांच मांगों के प्रस्ताव में परमाणु निशस्त्रीकरण, आपसी विवादों का शांतिपूर्ण हल, प्रभूत्वादी विचारधारा का अंत करना, आपसी सहयोग से आर्थिक विकास पर बल तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रमों को समर्थन देने जैसे विषय रखे गये थे.
गुटनिरपेक्ष देशों का तीसरा शिखर सम्मेलन 1970 में जाम्बिया की राजधानी लुसाका में आयोजित किया गया था. इसका चौथा सम्मेलन 1973 में अल्जीरिया की राजधानी अल्जिर्यस में हुआ था.
यह शिखर सम्मेलन विशेष तौर पर यादगार था, जिसकी वह यूएनओ के तत्कालीन महासचिव डॉ कुर्त वाल्दहीम का मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना था.
पांचवें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन का आयोजन 1976 में श्रीलंका में हुआ था. एशिया के किसी भी देश में आयोजित यह पहला शिखर सम्मेलन था.
गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों का छठा शिखर सम्मेलन 1979 को क्यूबा की राजधानी हवाना में हुआ था, इसके बाद 1983 का सांतवा शिखर सम्मेलन ईराक में तय तथा मगर इरान ईराक युद्ध के चलते इसका आयोजन भारत में हुआ था.
इस सम्मेलन में शस्त्रों की होड़ पर काबू पाने के साथ ही सुरक्षा पर बजट कम करने के प्रस्तावों पर विचार किया गया, वही विज्ञान व तकनीकी विकास के लिए दिल्ली में प्रोद्योगिकी केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव पास किया.
1986 में जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे में शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था. जिसमें रंगभेद तथा उपनिवेशवाद के मुद्दों पर चर्चा हुई, अब तक हुए गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन लिस्ट एवं विवरण इस प्रकार हैं.
गुट निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलनों की सूची 1961 से अब तक: (List of Non Aligned Movement Summits in Hindi)
गुट निरपेक्ष देशों का संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद दूसरा सबसे बड़ा संगठन हैं. वर्ष 2012 तक इसमें 120 सदस्य देश थे. इसमें गुटनिरपेक्ष आंदोलन में अफ्रीका से 53, एशिया से 39, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन से 26 और यूरोप (बेलारूस, अज़रबैजान) से 2 देश सदस्य हैं.
सम्मेलन | वर्ष | स्थान |
पहला | 01 से 06 सितम्बर 1961 | बेलग्रेड, यूगोस्लाविया |
दूसरा | 05 से 10 अक्टूबर 1964 | काइरो, संयुक्त अरब गणराज्य |
तीसरा | 08 से 10 सितम्बर 1970 | ल्यूसाका, जाम्बिया |
चौथा | 05 से 09 सितम्बर 1973 | आल्जियर्स, अल्जीरिया |
पांचवा | 16 से 19 अगस्त 1976 | कोलंबो, श्री लंका |
छठा | 03 से 09 सितम्बर 1979 | हवाना, क्यूबा |
सातवाँ | 07 से 12 मार्च 1983 | नयी दिल्ली, भारत |
आठवां | 01 से 06 सितम्बर 1986 | हरारे, जिम्बाब्वे |
नवाँ | 04 से 07 सितम्बर 1989 | बेलग्रेड, यूगोस्लाविया |
दसवां | 01 से 06 सितम्बर 1992 | जकार्ता, इंडोनेशिया |
ग्यारहवां | 18 से 20 अक्टूबर 1995 | कार्टेजीना दे इंडियास, |
बाहरवा | 02 से 03 सितम्बर 1998 | डर्बन, दक्षिण अफ्रीका |
तेहरवां | 20 से 25 फरवरी 2003 | कुआला लंपुर, मलेशिया |
चौदसवां | 15 से 16 सितम्बर 2006 | हवाना, क्यूबा |
पन्द्रहवां | 11 से 16 जुलाई 2009 | शर्म एल शीक, मिस्र |
सौलहवां | 26 से 31 अगस्त 2012 | तेहरान, ईरान |
सत्रहवां | 13 से 18 सितम्बर 2016 | कराकस, वेनेजुएला |
अठारहवां | 25 से 26 अक्टूबर 2019 | अज़रबैजान |
उन्नीसवां | 2020 | वर्चुअल |
इस तरह गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत तीसरी दुनिया के रूप में उन देशो के एक साथ आने से हुई, जो अभी उपनिवेशवाद के चंगुल से स्वतंत्र हुए थे.
हालांकि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ दो धुर्वीय विश्व का अंत होने के साथ ही शीत युद्ध की समाप्ति ही गईं हैं. आज अमेरिका एकमात्र सुपरपॉवर हैं
मगर जिन हालातों में इस संगठन की स्थापना की गईं थी, आज के शिखर सम्मेलनों को देखते हुए अभी भी इसका बड़ा महत्व हैं.
बहुत सुन्दर।