लालू प्रसाद यादव की जीवनी Lalu Prasad Yadav Biography In Hindi लालू प्रसाद यादव केन्द्रीय और बिहार राजनीती का प्रसिद्ध चेहरा हैं| केन्द्रीय रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष रह चुके हैं|
लालू यादव के भाषण और जोक्स कॉमेडी बेहद चर्चित रहती हैं| 29 वर्ष की आयु में लोकसभा सदस्य बनने वाले लालू प्रसाद यादव का राजनितिक करियर अब अंतिम पड़ाव हैं|
60 के दशक से वर्ष 2002 तक आप राजनीती की धुरी में रह चुके हैं| 74 वर्षीय लालू के जीवन में कई उतार-चढाव आते रहे कभी शिखर पर रहने वाले लालू को काफी समय जेल में हैं एक नजर लालू प्रसाद यादव की जीवनी पर.
लालू प्रसाद यादव की जीवनी Lalu Prasad Yadav Biography In Hindi
7 वर्षो तक बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं| वर्तमान मुख्यमंत्री नितीश कुमार के सहयोगी और अच्छे मित्र हैं| लालू यादव का जन्म 11 जून 1948 को बिहार के गोपालगंज जिले में हुआ था| कृषक यादव परिवार में जन्मे लालू के माता-पिता का नाम कुंदन राय, मरछीया देवी
हैं|
लालू प्रसाद यादव को बचपन से राजनीती में गहरी रूचि थी| 1977 में जब जयप्रकाश नारायण ने देशव्यापी हड़ताल और आन्दोलन आरम्भ किया तब लालू यादव कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे| जेपी आन्दोलन से प्रेरित होकर लालू यादव राजनीती में आए|
लालू प्रसाद यादव का बचपन और शिक्षा (Lalu Prasad Yadav’s Childhood and Education)
लालू ने अपनी स्कूली शिक्षा गोपालगंज के एक सरकारी विद्यालय से प्राप्त की| स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद आगे की पढाई के लिए राजधानी पटना आ गये|
पटना के बीएन महाविध्यालय से लालू यादव ने कानून और पोलिटिकल विषय में ग्रेजुएशन किया| कॉलेज की राजनीती में लालू काफी सक्रिय रहा करते थे| यही से उनके राजनितिक कैरियर की शुरुआत भी हुई|
25 वर्ष की आयु में 1973 को लालू प्रसाद यादव का विवाह राबड़ी देवी के साथ हुआ था तब वह मात्र 14 वर्ष की थी| आज लालू प्रसाद यादव के 9 सन्तान हैं जिनमे से 2 बेटे और 7 बेटिया हैं|
जिनके नाम इस प्रकार हैं- तेजश्वी यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती, रागिनी यादव, हेमा यादव, रोहिनी यादव, चंदा यादव, धनु यादव, लक्ष्मी यादव| उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं|
पटना युनिवर्सिटी से लालू यादव 1970 में स्टूडेंट यूनियन के महासचिव रह चुके हैं| सत्येन्द्र नारायण सिन्हा जो बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके थे| इनके सहयोग से लालू ने राजनीती में कदम रखा| सारण चुनावी क्षेत्र से लोकसभा सदस्य चुने गये|
लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक करियर (Lalu Prasad Yadav’s political career)
लालू यादव ने कॉलेज के दिनों से ही राजनीती में सक्रियता दिखाई| उन्ही के द्वारा पटना विश्वविध्यालय विद्यार्थी संघ का गठन हुआ| इसके बाद वे इस सगठन के अध्यक्ष भी चुने गये|
लालू यादव जेपी के नेतृत्व में विद्यार्थियों का आन्दोलन आरम्भ किया| देश की जड़ समस्याओ को लेकर वर्तमान सरकार के खिलाफ किये गये इस आन्दोलन में लालू प्रसाद यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| उन्हें पता था राजनीती में एंट्री करने का इससे बेहतर अवसर नही हो सकता|
सफलतापूर्वक किये गये आंदोलनों के उपरांत लालू प्रसाद यादव को 1977 के लोकसभा चुनावों में चुनावी टिकट दिया गया| लालू यादव यहाँ से जीतकर 29 वर्ष की आयु में उस समय के सबसे युवा नेता बन चुके थे| मगर तीन वर्ष तक जनता पार्टी का शासन चलने के बाद फिर से लोकसभा चुनाव करवाने पड़े|
लालू यादव दूसरी बार जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े. मगर इस बार उन्हें हार का मुह देखना पड़ा| अब इन्हे केन्द्रीय सता की बजाय बिहार विधानसभा से चुनाव लड़ने का सुझाव दिया गया|
1985 में पहली बार लालू यादव बिहार विधानसभा से विधायक बने| उसी समय विपक्ष नेता कर्पूरी ठाकुर का देहांत हो चूका था| अत: उन्हें मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में नेता घोषित किये| 1990 में फिर से लालू प्रसाद यादव लोकसभा का चुनाव लड़े और विजयी बन गये|
लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में (Lalu Prasad Yadav as Chief Minister of Bihar)
यादव को सबसे ज्यादा ख्याति उस समय मिली जब वे बिहार के मुख्यमंत्री बने| लालू ने यादव समाज के बिच अपना सुरक्षित वोट बैंक बनाया और लोकसभा में चले गये| 1990 में ही बिहार के अगले मुख्यमंत्री को लेकर जनता दल में खीचतान चल रही थी|
इसके समाधान के लिए भारत के तत्कालीन उप प्रधानमन्त्री और किसान नेता से देवीलाल चौटाला को ने लालू प्रसाद यादव को बेहतर विकल्प बताया| इस पर पार्टी के सभी उम्मीदवारों के बिच मतदान करवाया जिनमे लालू यादव ने बाजी मार ली और पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गये|
1990 से 1999 तक लालू यादव ही मुख्यमंत्री पद पर बने रहे| हालाँकि 1997 में विख्यात चारा घोटाले में उनकी सजा होने के कारण इन्हे इस पद से इस्तीफा देना पड़ा|
अब लालू की जगह उनकी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाया गया| जो 2 वर्षो तक इस पद पर कार्य करती रही|
राष्ट्रीय जनता दल का गठन (Constitution of Rashtriya Janata Dal)
- जब लालू यादव पर चारा घोटाले में लिप्त होने का आरोप लगा
- और फिर जेल हुई तो जनता पार्टी में अंदरूनी कलह का दौर शुरू हो गया.
- दो खेमो में बटी इस पार्टी में एक समूह लालू को इस दल से बाहर निकालने पर तुला था
- दुसरे लालू यादव के समर्थन में थे
- इस अंदरूनी खीचतान से निकलने के लिए जनता दल का विघटन करना पड़ा|
- 5 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद यादव ने एक नईं पार्टी राष्ट्रिय जनता दल RJD का गठन किया|
- लालू पर प्रतिबन्ध लगने के बाद नितीश कुमार इसके अध्यक्ष बनाए गये|
- जिन्होंने JDU के साथ गठजोड़ कर बिहार में सरकार बनाई|
- लालटेन चुनावी चिह्न वाले RJD के अध्यक्ष लालू यादव ही हैं
- वर्तमान में राज्यसभा में एक सीट और लोकसभा की चार सीट पर कब्जा हैं|
- यादव अब तक विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे थे|
- राज्यसभा में उनकी अब तक की यात्रा इस प्रकार रही|
लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेलवे मंत्री (Lalu Prasad Yadav Union Railway Minister)
वर्ष 2000 के बाद की राजनीती में लालू यादव पहले से अधिक प्रभावी नजर आए| वर्ष 2002 में इन्होने पहली दफा राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ा और जीत गये|
2004 के लोकसभा चुनाव में इन्होने दो स्थानों से चुनाव लड़े और विजयी हुए| लोकसभा चुनावों के बाद यूपीए की गठबंधन सरकार अस्तित्व में आई| जिनमे सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी लालू यादव की RJD थी|
शायद इसी वजह से केन्द्रीय रेल प्रभार लालू प्रसाद यादव को सौपा गया| अपने सम्पूर्ण जीवनकाल का अनुभव और हुनर उन्होंने रेलवे के उत्थान में लगाया|
रेलवे की प्रणाली में किराए से लेकर कई बड़े फैसले लिए गये| उनके कार्यकाल में बताया जाता हैं, आजादी के बाद रेलवे को सबसे बड़ा मुनाफा मिला|
इसके बाद इन्हे कई वैश्विक मंचो पर आमंत्रित किया गया| जहा उन्होंने अपने कॉमेडी अंदाज में भारतीय रेलवे के कायाकल्प की कहानी दुनिया के सामने रखी|
चाहे कोई भी कारण रहा हो रेलवे को हुए इस मुनाफे का श्रेय लालू यादव को दिया गया| जिनके वो हकदार भी थे|
लालू प्रसाद यादव पर आरोप (Allegations against Lalu Prasad Yadav)
- कॉमेडीमैंन लालू यादव उन नेताओ में शुमार हैं|
- जिन्होंने अपने कार्यकाल में पद पर रहते हुए उसका दरुपयोग किया
- और उन पर गंभीर आरोप लगे| चारा घोटाला उनमे से एक हैं|
- 1996 में पशुपालन विभाग में रहते हुए इन्होने कई हेराफेरी की |
- सितम्बर 2013 में लालू पर आरोप सत्यापित हो चुके हैं|
- कोर्ट ने इन्हे 5 वर्ष की कठोर कारावास और 25 लाख का जुरमाना लगाकर हिरासत में ले लिया था|
- मगर कुछ ही समय बाद लालू प्रसाद यादव जमानत पर बाहर आ गए थे|
- इसके अतिरिक्त आय से अधिक सम्पति रखने के बाबत भी इन पर मुकदमा चल चूका हैं|
- लालू यादव के समय में हमेशा उन पर जातिवाद का आरोप लगता रहा हैं|
- उन्होंने प्रशासन पर अधिक ध्यान नही दिया
- इस वजह से इनके कार्यकाल में बिहार में अपराधिक मामलों की संख्या में उतरोतर वृद्दि हुई|
जेल यात्रा
बहुचर्चित चारा घोटाले में रांची सीबीआई अदालत ने वर्ष 2013 में लालू यादव को पांच वर्ष की कारावास की सजा सुनाई थी, उन्हें बिरसा मुंडा कारागार रांची में रखा गया. 3 अक्टूबर 2013 को कोर्ट ने अपने आदेश में लालू को पांच वर्ष की कैद और 25 लाख रूपये की जुर्माने के तौर पर सजा सुनाई.
हालांकि दो महीने तक जेल में रहने के पश्चात 13 दिसम्बर को लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने के बाद जमानत पर बाहर आ जाते हैं. चारा घोटाले में दोषी पाए जाने पर यादव को लोकसभा के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया.
कानून के अनुसार अगले 11 वर्षों तक लालू प्रसाद यादव चुनाव नहीं लड़ पाएगे. भारत के इतिहास में लोकसभा की सदस्यता गंवाने वाले पहले सासंद बन गये हैं.
लालू प्रसाद यादव का जेल के बाद का राजनीतिक जीवन
2014 के आम चुनावों में लालू यादव ने चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उन्होंने अपने पार्टी राष्ट्रीय लोक दल उम्मीदवारों के लिए बड़ा अभियान किया,लेकिन उनकी पार्टी ने केवल 4 लोकसभा सीटें जीतीं थी।
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव लालू यादव की राजद पार्टी बिहार में 81 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई। उनकी पार्टी ने बिहार में जेडीयू के साथ पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, लेकिन जुलाई 2017 में यह गठबंधन टूट गया, और नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गए।
2017 में एबी निर्यात, 40 करोड़ बेनामी आय से अधिक संपत्ति और कर चोरी के मामलों में प्रवर्तन निदेशालय ED द्वारा लालू परिवार से पूछताछ की गई ।
पटना चिड़ियाघर मिट्टी घोटाला में लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के खिलाफ सामने आया था।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लडा और राजद को 75 सीटों पर चुनाव जीतकर बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन बीजेपी और नीतीश कुमार के गठबंधन ने बहुमत हासिल किया और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।
अगस्त 2022 में नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो गए है और उन्होंने आरजेडी के साथ गठबंधन कर लिया है। इस प्रकार लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री है।
लालू यादव जेल से बाहर कब आएंगे
लालू प्रसाद यादव पर कई घोटालों का आरोप लगे हुए है,जिसके चलते वे इस समय जेल में हैं. हाल ही में फरवरी 2022 में लालू प्रसाद यादव को झारखंड के रांची में एक विशेष सीबीआई अदालत द्वारा डोरंडा ट्रेज़री से 139.35 करोड़ रूपये की अवैध निकासी का दोषी ठहराया गया है।
फरवरी 2022 में सीबीआई की एक अदालत ने लालू प्रसाद यादव पर 5 वें मामले में पांच साल जेल की सजा सुनाई हैं और साथ ही 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसलिए इनके जेल से निकलने की अभी कोई भी तारीख तय नहीं है।