आंवला नवमी 2024 व्रत कथा महत्व पूजा विधि | Amla Navami Vrat Katha In Hindi

आंवला नवमी 2024 व्रत कथा महत्व पूजा विधि | Amla Navami Vrat Katha In Hindi: आंवला नवमी का व्रत कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन किया जाता हैं.

कहा जाता हैं कि सतयुग की शुरुआत इसी दिन से हुई थी. आंवला नवमी की तिथि को गौ, सुवर्ण वस्त्र आदि दान देने से ब्रह्मा हत्या जैसे महापाप से भी छुटकारा मिल जाता हैं. 

अक्षय या आंवला नवमी 2024 की डेट 10 नवम्बर बुधवार के दिन किया जाना हैं. यहाँ आपकों अक्षय नवमी की कथा कहानी स्टोरी पूजन विधि तथा आंवला नवमी व्रत के महत्व के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

आंवला नवमी 2024 व्रत कथा महत्व पूजा विधि Amla Navami Vrat Katha In Hindi

आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती हैं. पूजन विधान में प्रातः स्नान करके शुद्धात्मा से आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व की ओर उन्मुख होकर शोषडोपचार पूजन करना चाहिए. 

फिर उसकी जड़ में दुग्ध धारा गिराकर चारों ओर कच्चा सूत लपेटें तथा कर्पुर वर्तिका से आरती करते समय सात बार परिक्रमा करें. आंवला वृक्ष के नीचे ब्राह्मण भोजन तथा दान देने का विशेष महत्व हैं.

आंवला नवमी व्रत कथा हिंदी में (Amla Navami Vrat Katha In Hindi)

काशी नगरी में बहुत धर्मात्मा, दानी तथा निसंतान एक वणिक था. वे पति पत्नी दोनों सन्तान के अभाव में दिनों दिन कातर तथा मलिन होते जाते थे.

कुछ समय पश्चात वैश्य की पत्नी से एक स्त्री ने कहा कि- यदि तुम किसी पराये लड़के की बलि भैरव के नाम कर दो तो पुत्र कामना अवश्य ही पूरी हो जायेगी.

यह बात वैश्य के पास पहुची, मगर उसने अस्वीकार कर लिया. लेकिन सखी की बात वैश्य की पत्नी भूली नही. मौके की तलाश करती रही.

एक दिन एक लड़की को भैरो देवता के नाम पर कुँए में गिरा कर बलि दे दी गई. इस हत्या का परिणाम बड़ा उल्टा हुआ. लाभ की जगह उसके सारे बदन में कोढ़ बहने लगा तथा लड़की की प्रेतात्मा उसे सताने लगी.

ऐसी परेशानी देखकर वैश्य ने इसका कारण अपनी पत्नी से पूछा तब उसने सारी कहानी शुरू से आखिरी तक कह सुनाई.

ऐसा जानकार वैश्य ने हत्यारिन, पापिन आदि शब्दों से उसे काफी मर्माहत किया तथा बताया कि गोवध, ब्राह्मण वध तथा बाल वध करने वाले के लिए इस संसार में कोई ठिकाना नही हैं. इसलिए तू गंगा तट पर जाकर स्नान, बंदन कर. तभी तू इस कष्ट से छुटकारा पा सकती हैं.

वैश्य पत्नी से ऐसा ही किया. गंगा किनारे रहने लगी. थोड़े ही दिन बीते थे कि एक दिन गंगा जी वृद्धा स्त्री का रूप बनकर आई और कहने लगी, हे दुखिया, तू मथुरा नगरी में जाकर कार्तिक नवमी का व्रत करना तथा आंवला वृक्ष की परिक्रमा करते हुए पूजन करना. यह व्रत करने से तुम्हारा सब पाप नष्ट हो जाएगा.

घर आकर अपने पति से उसने सब बात बताई और आज्ञा लेकर मथुरा जाकर विधिवत व्रत रखकर पूजन किया. ऐसा करने से भगवान की कृपा से दिव्य शरीर वाली हो गई और पुत्र लाभ कर, जन्म में गोलोक को प्रस्थान किया.

आंवला नवमी पूजा विधि (Amla Navami Puja Vidhi)

इस दिन व्रत रखने वाली स्त्री को सवेरे जल्दी उठकर नहा धोकर आंवले के पेड़ की पूजा करने के बाद उस वृक्ष की छाँव में बैठकर ही भोजन ग्रहण किया जाता हैं.

कई स्थानों पर इस तरह के घने वृक्षों के स्थानो को पिकनिक के लिए भी चुना जाता हैं. परिवार अथवा बसती के कई सारे लोग मिलकर पूरा दिन वहा व्यतीत करते हैं.

आंवला अथवा अक्षय नवमी का व्रत तभी पूर्ण माना जाता हैं जब आंवले के पेड़ की पूजा कर उसी स्थान पर भोजन किया जाए, इस दिन पूजा के बाद वृक्ष की परिक्रमा भी की जानी चाहिए.

विधि विधान के अनुसार आंवला नवमी की पूजा के लिए आँवले का पौधा पत्ते एवम फल, तुलसी के पत्ते एवम पौधा, कलश एवम जल, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, चावल, नारियल, सूत का धागा, दुप, दीप, माचिस, श्रृंगार का सामान, साड़ी ब्लाउज, दान के लिए अनाज इत्यादि सामग्री काम में ली जाती हैं. इस दिन आंवले के पेड़ को दूध चढाने तथा गरीबों को दान देने का भी विशेष महत्व हैं.

आँवला नवमी 2024 कब मनाई जाती हैं (Amla Navami 2024 Date and Muhurt)

आँवला नवमी हर साल भारतीय कलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल नवमी तिथि के दिन दिवाली के नौवे दिन मनाई जाती हैं. वर्ष 2024 में आंवला नवमी का व्रत 10 नवम्बर बुधवार के दिन मनाया जाता हैं.

भारत के लगभग सभी राज्यों में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता हैं. इस दिन का सही पूजा समय व मुहूर्त टाइम 06:34 पूर्वाह्न से 12:04 अपराह्न  तक 5 घंटे की अवधि तक रहेगा. इस अवधि में पूजा सम्पन्न करवाना श्रेयस्कर माना गया हैं.

पूजन विधि- Amla Navami Puja Vidhi

आंवला नवमी को कई अन्य नामों जैसे ‘अक्षय नवमी’ ‘धात्री नवमी और कूष्मांड नवमी’ भी कहते हैं. इस दिन बंगाल में जगन्नाथ पूजा का उत्सव मनाया जाता हैं.

ऐसी मान्यता हैं कि अक्षय नवमी के दिन किया गया प्रत्येक कार्य शुभ होता है तथा उसके अक्षय फल की प्राप्ति होती हैं. हिन्दू मान्यताओं में इस दिन से द्वापर युग की शुरुआत मानी जाती हैं, भगवान श्री कृष्ण ने भी इसी दिन जन्म लिया था.

आंवला नवमी की पूजा विधि इस प्रकार हैं.

  1. इस दिन दैनिक कार्यों से निवृत होकर नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण करे एवं सभी पूजा सामग्री इकट्ठी कर लेवे.
  2. नवमी की पूजा अर्चना आंवला के वृक्ष के नीचे बैठकर की जाती हैं, अतः आंवला वृक्ष के नीचे जाएं.
  3. आस पास की सफाई करके जड़ में कच्चा दूध डाले.
  4. अब पूजा सामग्री से आंवले के पेड़ की पूजा करें,
  5. तत्पश्चात तने पर सूत और मौली लेकर आठ परिक्रमा करें और मौली को लपेटे.
  6. घी एवं कपूर का दिया जलाकर आरती उतारें.
  7. आंवला नवमी की कथा का वाचन करें.
  8. अपनी मनोइच्छा का मन में दोहरान कर वृक्ष तले की भोजन करें.

FAQ

2024 में आंवला नवमी कब हैं?

10 नवम्बर 2024 को

हिन्दू कलैंडर के अनुसार आंवला नवमी की तिथि क्या हैं?

कार्तिक शुक्ल नवमी

इस नवमी के दिन क्या करना अति शुभ कार्य माना जाता हैं?

दान पुण्य और नयें कार्य का शुभारम्भ श्रेष्ठ माना जाता हैं

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