बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 2023 Beti Bachao Beti Padhao Essay In Hindi देश में लम्बे समय से सरकारी स्तर से समाज तक बेटी को बचाने और पढ़ाने की एक आवाज उठती रही हैं.
बेटियां हमारे समाज के एक स्तम्भ हैं. यदि वे शिक्षित और आत्मनिर्भर नहीं होगी तो समाज भी लडखडा जाएगा. बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान 2023 पर स्कूल स्टूडेंट्स के लिए यहाँ 1000 शब्दों में सरल निबंध, भाषण, अनुच्छेद पैराग्राफ दिया गया हैं.
2023 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध
केंद्र सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या रोकने तथा बेटियों के जीवन को बचाने और उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की.
नेशनल हेल्थ एंड फॅमिली सर्वे 2021 के नतीजे बेहद आश्चर्यजनक है, विभाग के दो चरणों में करीब 6 लाख परिवारों पर किये इस सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप यह बात सामने आई है कि भारत में पहली बार महिलाओं की तादाद पुरुषों की तुलना में अधिक हैं.
यह सुखद आंकड़े वर्षों से चले आ रहे महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमों की सफलता को सूचित करते हैं. इंदिरा गांधी के दौर से शुरू हुए परिवार नियोजन के इन कार्यक्रमों को अब फलीभूत होते देखा जा सकता है.
स्कूल स्टूडेंट्स भी इस सरकारी अभियान से परिचित हो तथा उन्हें जब बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का भाषण निबंध अनुच्छेद आदि शोर्ट या लॉन्ग लेंथ में लिखने को कहे तो आप हमारे इस आर्टिकल की मदद से एक सुंदर और स्मार्ट निबंध रचना कर सकते हैं.
योजना से जुड़े सभी पहलू तथ्य और जानकारी यहाँ दिए गये हैं. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 2022 का निबंध आरम्भ करते हैं. प्रस्तावना के साथ.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध (100 शब्द)
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ टैग लाइन का मतलब है कि लोग अब बेटियों को भी लड़कों के समान अधिकार दें और उन्हें पैदा होते ही पेट में ना मार डाले,
बल्कि उन्हें पैदा करें और उन्हें अच्छी शिक्षा लड़कों की तरह ही प्रदान करें, क्योंकि अब लड़का लड़की में भेद करने का समय चला गया है क्योंकि लड़कियां भी अब लड़कों को हर फील्ड में टक्कर दे रही हैं।
इंडिया के हर इंसान का यह कर्तव्य बनता है कि वह समाज में हो रहे लड़का और लड़की के बीच के भेदभाव का विरोध करें और खुद भी अपनी संतानों में बिना कोई फर्क करते हुए सब को एक समान माने।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध (200 शब्द)
लड़का है दीपक तो बाकी है बेटियां, कहने का मतलब यह है कि अगर बेटियों को आगे बढ़ने का मौका दिया जाए तो वह भी अपनी काबिलियत को साबित कर सकती हैं और इसलिए यह आवश्यक है कि लोग अपनी सोच में बदलाव करें क्योंकि जब लोगों की सोच में बदलाव आएगा तभी वह बेटियों के महत्व को जानेंगे।
लोगों को यह समझना चाहिए कि जब बेटियां ही नहीं होंगी तो लड़के कहां से पैदा होंगे और उनके लड़कों की शादी कैसे होगी। लड़का और लड़की में आज के समय में कोई भी फर्क नहीं है.
क्योंकि जिस प्रकार लड़के अब अपने परिवार और अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं उसी प्रकार लड़कियां भी अपने देश और अपनी फैमिली का नाम रोशन कर रही है।
भारत की बेटियां में वह शक्ति है जो उन्हें आगे बढ़ने का हौसला देती है, बस उन्हें चाहिए अपने परिवार का समर्थन और लोगों का साथ क्योंकि बेटियों में भी वह काबिलियत है जो बेटों में होती है। इसलिए अगर आप एक माता पिता है तो अपनी बेटियों को आगे बढ़ने का मौका अवश्य दें, उन्हें पढ़ाई लिखाए।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर निबंध 2023
प्रस्तावना
विधाता की इस अनोखी स्रष्टि में नर और नारी इस जीवन के ऐसे दो पहिये है, जो दाम्पत्य बंधन में बधकर स्रष्टि प्रक्रिया को आगे बढ़ाते है.
परन्तु वर्तमान समय में अनेक कारणों से लिंग भेद का घ्रणित रूप सामने आ रहा है जो पुरुष सतात्मक समाज में कन्या भ्रूण हत्या का पर्याय बनकर बालक-बालिकाओ का समान अनुपात बिगाड़ रहा है.
जिसके कारण आज बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ जैसी समस्या का नारा देना हमारे लिए शोचनीय है. यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ऐसी श्रेष्ट परम्परा वाले देश के लिए यह नारा कलंक है.
वर्तमान में समाज की मानसिकता
वर्तमान में मध्यमवर्गीय समाज बालिकाओं को पढ़ाने की द्रष्टि से अपनी परम्परा वादी सोच को ही महत्व देता चला आ रहा है, क्युकि वह बेटी को पराया धन ही मानता है.
वही बेटे को कुल की परम्परा बढ़ाने वाला व वृद्धावस्था का सहारा मानते है. इसलिए बेटी को पालना पोषना, पढ़ाना लिखाना, उसकी शादी में दहेज़ देना आदि बेवजह भार मानता है.
इस तरह कुछ स्वार्थी सोच वाले कन्या के जन्म को ही नही चाहते है. इसलिए वे चिकित्सकीय साधनों द्वारा गर्भाव्यवस्था में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या जन्म को रोक देते है.
परिणामस्वरूप जनसंख्या में बालक-बालिकाओं के अनुपात में बहुत अंतर स्पष्ट रूप से परिलक्षित होने लगता है. जो भारी दाम्पत्य जीवन के लिए एक बड़ी बाधा बन रहा है.
लिंगानुपात में बढ़ता अंतर
आज के समाज की बदली मानसिकता के कारण लिंगानुपात घटने का कारण बन रहा है. विभिन्न दशकों में हुई जनगणना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है.
सन 2011 की जनगणना के आधार पर बालक और बालिकाओं का अनुपात एक हजार पर 900 के आस-पास पहुच गया है. इस लिंगानुपात के बढ़ते अंतर को देखकर भविष्य में वैवाहिक जीवन में आने वाली कठिनाइयो के प्रति समाज ही नही सरकार की चिंता भी बढ़ गई है.
इस चिंता से मुक्त होने होने की दिशा में सरकार ने बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ का नारा दिया है.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान एवं उद्देश्य
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के सम्बन्ध में हमारे राष्ट्रपति ने सबसे पहले दोनों सदनों के सयुक्त अधिवेशन के समय जून 2014 को संबोधित किया,
जिससे इस आवश्यकता पर बल दिया गया कि बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ उनका सरक्षण और सशक्तिकरण किया जाए. इसके बाद यह निश्चय किया गया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस अभियान का मुख्य मंत्रालय रहेगा.
जो कि परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ मिलकर इस कार्य को आगे बढ़ाएगे. इस अभियान के अंतर्गत लिंग परीक्षण के आधार पर बालिका भ्रूण हत्याओं को रोकने के साथ बालिकाओं को पूर्ण सरक्षण तथा उनके विकास के लिए शिक्षा से सम्बन्धित उनकी सभी गतिविधियों में पूर्ण भागीदारी होगी.
उनको शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और कौशल विकास के कार्यक्रमों में मिडिया के माध्यम से हर तरह से प्रोत्साहित किया जाएगा. संविधान के माध्यम से लिंगाधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नही किया जाएगा. साथ ही लिंग परीक्षण प्रतिबंधित होगा.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम पर आधारित एक कविता.
ये तो तय है कि बेटी नहीं बेटों से कम है,
बेटें भर लेंगे उड़ाने ऊँची तो बेटियों के होसलों में भी दम हैं।
कर नहीं पाई सपने साकार अपने तो क्या गम है
मेरी बेटी करेगी हासिल वो मुक़ाम ये क्या कम है
ये तो तय है कि बेटी नहीं बेटों से कम है…
ये जीवन है एक दंगल जहाँ एक तरफ़ मुसीबतो की आँधियाँ और एक ओर हम है,
आँधियों को कहो कि औक़ात में रहे क्योंकि पंखों से नहीं होसलों से उड़ते हम हैं।
ये तो तय है कि बेटी नहीं बेटों से कम है….
दिल में विश्वास,आँखों में मुस्कान, जज़्बा और लगन ये बातें अहम है,
छोरी है छोरों से कम, इस बात का दुनिया को वहम है।
ये तो तय है कि बेटी नहीं बेटों से कम है….
देखा कैसे गीता-बबीता ने छोरों के छक्के है छुड़ाये, फिर नहीं किया रहम है,
देश के लिए जीता गोल्ड मेडल तो हो गये भाव विभोर हम है,
दूर है तो क्या मातृभूमि से जुड़े हुये तो हम है।
ये तो तय है कि बेटी नहीं बेटों से कम है,
बेटें भर लेंगे उड़ाने ऊँची तो बेटियों के होसलों में भी दम हैं।
अपनी लेखनी से
Varsha Baid
उपसंहार
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को कई चरणों के साथ पूरा किया जाने का लक्ष्य रखा गया है. भारत सरकार ने इसके लिए सर्वप्रथम सम्पूर्ण भारत के ऐसे 100 शहरों का चयन किया है जहाँ लिंगानुपात सबसे न्यूनतम स्तर पर है.
इन स्थानों पर सरकार की सम्पूर्ण मशीनरी सहित गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से पूरा ध्यान केन्द्रित कर कुछ त्वरित परिणाम प्राप्त करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है.
इसमे कन्या भ्रूण हत्या पर पूर्ण पाबंदी, ऐसा करने वालों के खिलाफ कठोरतम सजा की व्यवस्था, बेटियों का शिक्षा द्वारा सशक्तिकरण कर उन्हें समाज के सभी विकास कार्यो में समान भागीदारी प्रदान करने का प्रावधान किया गया है.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे समस्यात्मक अभियान आज हमारे देश के सामने एक बहुत बड़ी सामजिक समस्या के रूप में आकर खड़ा हो गया है.
इस समस्या के निदान के लिए हमे रुढ़िवादी सोच का परित्याग करना चाहिए. ईश्वर के प्रति आस्था वक्त करते हुए, सन्तान उसी की देन है. और लड़का लड़की एक समान है हम किसी के भी भाग्य विधाता नही है.
ईश्वर द्वारा ही सब कुछ निर्धारित होता है. इसलिए ईश्वर ही कर्ता है हम नही. इस प्रकार की परिवर्तित सोच से ही बिगड़ते लिंगानुपात में सुधार होगा और बेटियों को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त होगा. हम समझ जाएगे कि बेटी घर का भार नही है, घर की रौशनी होती है.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 2023 निबंध 2
यहाँ हम 500 शब्दों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर शोर्ट निबंध स्कूल स्टूडेंट्स के लिए बता रहे हैं. परीक्षा के लिए आपसे जितनी शब्द सीमा में निबंध लिखने को कहा जाए उसी शब्द सीमा में लिखा जाना चाहिए. यहाँ आपकों हैडिग के साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर सरल निबंध का प्रारूप दिया गया हैं.
प्रस्तावना
हमारी भारतीय संस्कृति में कन्या को देवी का स्वरूप माना गया है, नवरात्रि और देवी जागरण के समय कन्या पूजन की परम्परा से सब परिचित हैं. हमारे धर्मग्रंथ में भी नारी की महिमा का गुणगान करते हैं.
आज उसी भारत में कन्या को गर्भ में ही समाप्त कर देने की लज्जाजनक परम्परा चल रही हैं. इस घोर पाप ने सभ्य जगत के सामने हमारे मस्तक को झुका दिया हैं.
कन्या भ्रूण हत्या के कारण
कन्या भ्रूण हत्या को समाप्त करा देने के पीछे अनेक कारण हैं. कुछ राजवंशों और सामंत परिवारों में विवाह के समय वर वधु के सामने न झूकने के झूठे अहंकार ने कन्याओं की बलि ली.
पुत्री की अपेक्षा पुत्र को अधिक महत्व दिया जाना, धन लोलुपता, दहेज प्रथा तथा कन्या के लालन पोषण और सुरक्षा में आ रही समस्याओं ने भी इस निंदनीय कार्य को बढ़ावा दिया हैं.
दहेज़ लोभियों ने इस समस्या को विकट बना दिया हैं. झूठी शान के प्रदर्शन के कारण कन्या का विवाह सामान्य परिवारों के लिए बोझ बन गया हैं.
कन्या भ्रूण हत्या के दुष्परिणाम
इस निंदनीय आचरण के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. देश के अनेक राज्यों में लड़कियों और लड़को का अनुपात में चिंताजनक गिरावट आ रही हैं.
लड़कियों की कमी हो जाने से अनेक युवक कुवारे घूम रहे हैं. अगर सभी लोग पुत्र ही पुत्र चाहेगे तो पुत्रियाँ कहा से आएगी. इस महापाप में नारियों का सहमत होना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण हैं.
कन्या भ्रूण हत्या रोकने के उपाय
कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए जनता और सरकार ने लिंग परीक्षण को अपराध घोषित करके कठोर दंड का प्रावधान किया हैं. फिर भी चोरी छिपे यह काम चल रहा हैं. इसमें डॉक्टरों तथा परिवारजनों का सहयोग रहता हैं.
इस समस्या का हल तभी संभव हैं जब लोगों में लड़कियों के लिए हीन भावना समाप्त हो, पुत्री और पुत्र में कोई भेद न किया जाए.
कन्या भ्रूण हत्या भारतीय समाज के मस्तक पर कलंक हैं. इस महापाप में किसी तरह के सहयोग करने वालों को समाज से बाहर कर देना चाहिए और कठोर कानून बनाकर दंडित किया जाना चाहिए, कन्या भ्रूण हत्या मानवता के विरुद्ध अपराध हैं.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान 2023
बेटियां देश की सम्पति हैं इनको बचाना सभी भारतवासियों का कर्तव्य हैं. वे बेटों से कम महत्वपूर्ण नही हैं. परिवार तथा देश के उत्थान में उनका योगदान बेटों से अधिक हैं.
उसके लिए उनकी सुरक्षा के साथ ही उनको सुशिक्षित बनाना भी जरुरी हैं. हमारे प्रधानमंत्री ने यह सोचकर ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया.
Beti Bachao Beti Padhao Essay In Hindi Pdf Download
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध 2023 हिंदी में: बेटी इस दुनिया में सबसे बहुमूल्य उपहार हैं. वे लोग खुशनसीब होते हैं जिनके घर बेटी जन्म लेती हैं. इंसान को बेटे की प्राप्ति भाग्य से और बेटी सौभाग्य से मिलती हैं.
मगर कुछ लोग बेटे के मोह में गर्भ में पल रही बेटी की हत्या करवा देते हैं. हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या जधन्य अपराध हैं इसकी रोकथाम के लिए कई कड़े कानून भी हैं.
मगर पैसो की लालच की खातिर कुछ लोग अभी भी बेखौफ होकर भ्रूण हत्या को अंजाम दे देते हैं. आज के समय में घटता लिंगानुपात और कन्या भ्रूण हत्या की बढ़ रही घटनाओं के प्रति हमे जागरूक होना होगा.
यदि बेटी ही नही होगी तो बहु कहाँ से आएगी, यह संसार आगे कैसे चलेगा. यह सवाल बेहद गंभीर हैं. भयानक स्थति उत्पन्न हो इससे पूर्व हमे जाग्रत होकर हमारे समाज में बेटी कों सुरक्षित करना होगा.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
॰कन्यादान हुआ जब पूरा,
आया समय विदाई का ॥
॰हँसी ख़ुशी सब काम हुआ था,
सारी रस्म अदाई का ।
॰बेटी के उस कातर स्वर ने,
बाबुल को झकझोर दिया ॥
॰पूछ रही थी पापा तुमने,
क्या सचमुच में छोड़ दिया ।
॰अपने आँगन की फुलवारी,
मुझको सदा कहा तुमने ॥
॰मेरे रोने को पल भर भी ,
बिल्कुल नहीं सहा तुमने ।
॰क्या इस आँगन के कोने में,
मेरा कुछ स्थान नहीं ॥
॰अब मेरे रोने का पापा,
तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं ।
॰देखो अन्तिम बार देहरी,
लोग मुझे पुजवाते हैं ॥
॰आकर के पापा क्यों इनको,
आप नहीं धमकाते हैं ।
॰नहीं रोकते चाचा ताऊ,
भैया से भी आस नहीं ॥
॰ऐसी भी क्या निष्ठुरता है,
कोई आता पास नहीं ।
॰बेटी की बातों को सुन के ,
पिता नहीं रह सका खड़ा ॥
॰उमड़ पड़े आँखों से आँसू,
बदहवास सा दौड़ पड़ा ।
॰कातर बछिया सी वह बेटी,
लिपट पिता से रोती थी ॥
॰जैसे यादों के अक्षर वह,
अश्रु बिंदु से धोती थी ।
॰माँ को लगा गोद से कोई,
मानो सब कुछ छीन चला ॥
॰फूल सभी घर की फुलवारी से कोई ज्यों बीन चला ।
॰छोटा भाई भी कोने में,
बैठा बैठा सुबक रहा ॥
॰उसको कौन करेगा चुप अब,
वह कोने में दुबक रहा ।
॰बेटी के जाने पर घर ने,
जाने क्या क्या खोया है ॥
॰कभी न रोने वाला बापू,
फूट फूट कर रोया है ॥
बेटी बचाओ आगे बढ़ाओ
-राधा रानी शर्मा
हमारी इस प्रकृति में सभी जीवो और वस्तुओं के प्रति गजब का संतुलन हैं, इसी संतुलन के कारण संसार स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ रहा हैं.
मनुष्य के स्वार्थी स्वभाव के कारण वनों, वन्य जीवो और प्राकृतिक संसाधनो का दरुपयोग कर असंतुलन की स्थति का माहौल तैयार कर दिया हैं.
व्यक्ति ने स्त्री जाति के साथ अन्याय करते हुए आज प्रति 1000 पुरुषो पर 600-700 स्त्रियों की संख्या जैसे भयानक वातावरण का निर्माण कर दिया हैं.
गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग परीक्षण करवाकर बेटी होने की स्थति में उन्हें दुनिया में आने से पूर्व ही मार देना कन्या भ्रूण हत्या कहलाती हैं.
नवीनतम आकड़ो के मुताबिक यदि केरल को छोड़ दिया जाए तो हर राज्य में स्त्रियों की संख्या पुरुषो से कम है, और यह अनुपात निरंतर गिर रहा हैं. हरियाणा जैसे सम्पन्न राज्य में प्रति हजार पुरुषो पर 700 से कम स्त्रियों की संख्या निश्चय ही आने वाले बड़े खतरे की सूचक हैं.
राह देखता तेरी बेटी, जल्दी से तू आना ।
किलकारी से घर भर देना, सदा ही तू मुस्काना ॥
ना चाहूं मैं धन और वैभव, बस चाहूं मैं तुझको ।
तू ही लक्ष्मी, तू ही शारदा, मिल जाएगी मुझको ॥
सारी दुनिया है एक गुलशन, तू इसको महकाना ।
किलकारी से घर भर देना, सदा ही तू मुस्काना ॥
बन कर रहना तू गुड़िया सी, थोड़ा सा इठलाना ।
ठुमक-ठुमक कर चलना घर में, पैंजनिया खनकाना ॥
चेहरा देख के तू शीशे में, कभी-कभी शरमाना ।
किलकारी से घर भर देना, सदा ही तू मुस्काना ॥
उंगली पकड कर चलना मेरी, कांधे पर चढ़ जाना ।
आंचल में छुप जाना मां के, उसका दिल बहलाना ॥
जनम-जनम से रही ये इच्छा, बेटी तुझको पाना ।
किलकारी से घर भर देना, सदा ही तू मुस्काना ॥
बेटी बचाओ बेटी का सम्मान करो
Beti Bachao Beti Padhao Par Nibandh Paragraph 2023
आज भी हम अठारहवी सदी में जी रहे हैं. पहले जब बेटी को दूध में मार दिया जाता था. हम तो उनसे भी गये गुजरे निकले हैं. उस समय कम से कसम बेटी जन्म तो लेती थी. लेकिन अब तो बेटी का चेहरा भी देखने नही देते, दो पल सास भी नही लेने देते.
दुनियाँ का अहसास भी नही होने देते उन्हें गर्भ में ही समाप्त कर दिया जाता हैं. जरा इससे बड़ा पाप क्या हो सकता हैं. निश्चित रूप से आज हमे इस स्थति से निकलने की आवश्यकता हैं.
बेटी बचाओ अभियान 2023
बेटी के प्रति भेदभाव और देश में बढ़ते लैगिक असंतुलन जैसे व्यापक समस्या पर विचार करते हुए माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ शुरुआत की.
बेटी बचाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य बेटी की भ्रूण हत्या पर रोक और समाज में उन्हें पुरुष के बराबर दर्जा दिलाने का उद्देश्य रखा गया.
हरियाणा के पानीपत से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के शुभारम्भ अवसर पर बोलते हुए पीएम मोदी ने देश की जनता से भावुक शब्दों में निवेदन किया था.
यदि हम बेटियों का जन्म ही नही होने देगे तो बहुए कहा से आएगी. हम में से किसी को यह अधिकार नही हैं. कि किसी बेटी के जन्म से पूर्व ही उनकी जीवन लीला समाप्त कर दे.
हम लोगों समाज में एक नई मानसिकता को जन्म देना होगा. यदि हम चाहे कि हमारी बहु पढ़ी-लिखी और समझदार हो तो इसके लिए अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाना भी जरुरी बनता हैं. एक शिक्षित बेटी दुसरे घर में जाकर भी आपका नाम रोशन कर सके.
हमारी सोच बेटे को अधिक महत्व देती हैं. ये हमारी गलत मानसिकता हैं, जिसमे बेटे को बेटी से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता हैं. तथा बेटी को पराया धन समझकर हमेशा उनकी उपेक्षा की जाती हैं.
आज देश भर की शिक्षित और जागरूक बेटियों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम कमाया हैं. न सिर्फ देश में बल्कि विदेशो में भी हमारी बेटियाँ निरंतर आगे बढ़ रही हैं.
इन बेटियों ने किया नाम रोशन
कल्पना चावला- कल्पना चावला मार्च 1995 में नासा के अन्तरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुई. वर्ष 1998 चावला को पहली उड़ान के लिए चुना गया.
कल्पना का पहला अन्तरिक्ष कार्यक्रम 19 नवम्बर 1997 को छ अन्तरिक्ष यात्री के समूह के साथ शटल कोलम्बिया की उड़ान एसटीएस 87 के साथ आरम्भ हुआ.
इस तरफ कल्पना चावला अन्तरिक्ष में उड़ने वाली पहली भारतीय महिला के साथ-साथ अन्तरिक्ष में कदम रखने वाली दूसरी मूल भारतीय बनी.
सानिया मिर्जा सानिया भारत के लिए टेनिस खेलती हैं. जब वह मात्र १८ साल की थी, तो टेनिस में भारत का प्रतिनिधित्व करना शुरू किया. बेहद कम समय में मिर्जा ने दुनियाभर में खासी लोकप्रियता प्राप्त की.
बेहतरीन खेल प्रदर्शन के लिए सानिया को वर्ष 2006 में पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया. इसके साथ ही सबसे कम उम्र में यह खिलाब पाने वाली महिला के रूप में अपना नाम दर्ज कराया.
किरण मजूमदार शां मजूमदार बहुप्रतिभाशाली भारतीय उद्योग पति, टेक्नोकेट, अन्वेषक, बिओकान और जैव प्रोद्योगिकी संस्थान बैगलोर की संस्थापक हैं.
वर्तमान में शां बायोकान लिमिटेड की प्रबन्धक और निदेशक भी हैं. इसके अतिरिक्त ये सिनजिंग इंटरनेशनल लिमिटेड और क्लानिजिन इंटरनेशनल कंपनी की अध्यक्ष भी हैं.
चंदा कोचर वर्तमान में आईसीआई बैंक की सीईओ और डायरेक्टर चंदा कोचर राजस्थान राज्य के जोधपुर की रहने वाली हैं. 2005 से लगातार ये विश्व की सबसे ताकतवर महिलाओं में गिनी जाती हैं. फ़ोर्ब्स और फोर्च्यून पत्रिकओं ने इन्हे वर्ल्ड की टॉप पावरफुल लेडी में सम्मलित किया है.
वसुंधरा राजे सिधिया राजस्थान राज्य की वर्तमान मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेत्री श्रीमती वसुंधरा राजे को राज्य की पहली महिला सीएम होने का गौरव प्राप्त हैं.
1984 की बीजेपी की राष्ट्रिय कार्यकारिणी में सम्मलित राजे भाजपा युवा मौर्चा और राज्य भाजपा की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. 1998-99 की अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्री रहते राजे को विदेश राज्य मंत्री बनाया भी बनाया गया था. वर्ष 2008 और 2013 में सिधिया लगातार दूसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनी.
छवि राजावत टोक जिले की रहने वाली छवि बेहतर लोक प्रशासक हैं. टोंक के सोड़ा गाँव की सरपंच के रूप में इन्होने देश के संभवतया पहली महिला जो एमबीए पास सबसे कम उम्र की महिला प्रत्याशी बनने का सम्मान प्राप्त हैं.
इसके अतिरिक्त विगत वर्षो में स्थापित इन्डियन वीमेन बैंक की डायरेक्टर भी हैं, पुणे से एमबीए करने वाली छवि के नाम कई कॉर्पोरेट कम्पनी भी हैं.
साइना नेहवाल भारत की शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी नेहवाल भारत सरकार की और से सर्वोच्च खेल रत्न राजीव गाँधी खेल पुरूस्कार और पद्म श्री खिताब से नवाजा गया. वर्ष 2012 को लन्दन में आयोजित ओलम्पिक खेलों की सिंगल स्पर्धा में कास्य पदक अपने नाम कर इतिहास रचा था.
इस तरह के हजारों उदहारण हमे अपने आस-पास देखने को मिलते हैं, जिससे किसी भी क्षेत्र में बेटियाँ अपने कौशल जीवट और मेहनत के दम पर ऊँचा मुकाम प्राप्त कर सकती हैं.
आज के समय में आवश्यकता इस बात की हैं. बेटियों को सही दर्जा दिलाने के लिए भेदभाव को जड़ से समाप्त कर समाज से कन्या भूर्ण हत्या पर पूर्णत रोक लगाई जाए.