मुहणौत नैणसी का जीवन परिचय Biography Of Muhnot Nainsi In Hindi: आपका स्वागत है आज की जीवनी राजस्थान के प्रथम इतिहासकार मुहणौत नैणसी की हैं.
जसंवतसिंह के समकालीन ये जोधपुर के रहने वाले थे. इन्होने पहली बार व्यवस्थित रूप से राजस्थान का अध्ययन किया था. मारवाड़ रा परगना री विगत और नैणसी री ख्यात इनके दो सुप्रसिद्ध ग्रन्थ हैं.
मुहणौत नैणसी जीवन परिचय Biography Of Muhnot Nainsi In Hindi
राजस्थान के क्रमबद्ध इतिहास लेखन के प्रथम इतिहासकार मुहणौत नैणसी का जन्म १६१० ई में हुआ. २२ वर्ष की आयु में ही नैणसी जोधपुर महाराजा गजसिंह एवं बाद में राजा जसवंतसिंह (1638-78 ई) की सेवा में रहा.
सैनिक, नायक, थानेदार, आमिल, हाकिम आदि पदों पर कार्य करता हुआ वह 1658 ई में जोधपुर राज्य का देश दीवान बन गया.
देश दीवान के पद पर रहते हुए नैणसी ने चारणों, बडवा भाटों आदि से विभिन्न वंशों एवं राज्यों का इतिहास संग्रहित किया. शासकीय दस्तावेज भी उसके अधिकार में थे.
इन सब स्रोतों के आधार पर उसने ख्यात की रचना की. जिसकी तुलना अबुल फजल के अकबरनामा से की जाती हैं.
नैणसी की ख्यात
नैणसी ने अपनी ख्यात में मध्यकालीन राजस्थान के सभी राज्यों के अतिरिक्त गुजरात, काठियावाड़, कच्छ, बघेलखंड, बुंदेलखंड आदि राज्यों का इतिहास तथा मुगल राजपूत सम्बन्धों का वर्णन दिया हैं.
नैणसी ने मध्यकालीन राजस्थानी समाज और संस्कृति के साथ साथ मन्दिरों, मठों, दुर्गों आदि के निर्माण भेंट, पूजा, बलि इत्यादि प्रकार तीर्थ यात्राओं तथा उनके महत्व का विवेचन, सगाई विवाह आदि रस्मों का वर्णन, रीती रिवाज पर्व त्योहारों आदि का भी उल्लेख किया हैं.
नैणसी की ख्यात में नगर कस्बों एवं गाँवों के इतिहास वर्णन के साथ साथ वहां की भौगोलिक स्थिति एवं स्थापत्य का वर्णन भी मिलता हैं.
नैणसी की दूसरी रचना मारवाड़ रा परगना री विगत हैं, जिसमें मारवाड़ राज्य के परगनों की राजस्व व्यवस्था एवं राज्य की आय के विभिन्न स्रोतों का वर्णन हैं, नैणसी के ग्रंथ राजस्थानी भाषा, साहित्य, व्याकरण, खगोलशास्त्र के साथ साथ राजस्थान के इतिहास के अपूर्व संग्रह हैं.
मुंशी देवीप्रसाद ने मुहणौत नैणसी को राजपूताने का अबुल फजल कहा हैं. अबुल फजल ने अकबर की सेवा में रहते हुए अकबरनामा की रचना की,
उसी प्रकार मुहणौत नैणसी ने भी जोधपुर के महाराजा की सेवा में रहते हुए ख्यात लिखी. दोनों ही विद्वानों के ग्रंथों की रचना शैली में साम्य हैं.
दोनों ने ही बडवा भाटों के ग्रंथों के साथ प्रशासकीय दस्तावेजों का प्रयोग किया हैं. मुहणौत नैणसी की मारवाड़ रा परगना री विगत अबुल फजल के आइने अकबरी के समान एक प्रशासनिक ग्रंथ हैं. अतः नैणसी को अबुल फजल की संज्ञा देना अतिशयोक्ति नहीं हैं.
मुहणौत नैणसी कुशल शासन प्रबन्धक भी था. उसने परगनों की राजस्व व्यवस्था में सुधार कर उनकी आय बढ़ाने के प्रयास किये.
नैणसी महाराजा जसवंतसिंह का विश्वासपात्र था. इसी कारण राजकुमार पृथ्वीसिंह की शिक्षा दीक्षा का जिम्मा भी नैणसी को सौपा गया.
ऐसी जनश्रुति हैं कि नैणसी ने दीवान रहते हुए राज्य के उच्च पदों पर अपने रिश्तेदारों की नियुक्तियां कर दी थी. जिन्होंने प्रजा पर अत्याचार किये.
जिससे महाराजा जसवंतसिंह नाराज होकर नैणसी को कैद कर दिया और एक लाख का जुर्माना लगाया गया. अतः नैणसी ने 3 अगस्त 1670 को जेल में आत्म हत्या कर ली.