संयुक्त परिवार में विघटन परिवर्तन के कारण Causes Of Disintegration Of Joint Family System In Hindi: आज के दौर में संयुक्त परिवार तेजी से टूट रहे हैं.
विघटित इन परिवारों का नया स्वरूप एकल परिवार के रूप में सामने आया हैं. यहाँ हम हिन्दू संयुक्त परिवार प्रणाली में परिवर्तन के उतरदायी कारक जानेगे.
संयुक्त परिवार में विघटन Disintegration Of Joint Family In Hindi
संयुक्त परिवार के विघटित होने के या परिवर्तन के लिए अनेक कारक उत्तरदायी है जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित हैं.
औद्योगीकरण– अंग्रेजों के समय भारत में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ, जिसके फलस्वरूप ग्रामीण उद्योगों पर बुरा प्रभाव पड़ा. गाँवों के लोग शहरों में उद्योग में रोजगार प्राप्त करने के उद्देश्य से आने लगे और संयुक्त परिवार प्रथा टूटने लगी.
इधर नगरों में बाहर से आने वाले लोगों की संख्या अधिक हो गई जिससे वहां मकानों की कमी आई तथा संयुक्त परिवार प्रथा विघटित हुई.
कृषि में यंत्रीकरण के कारण कृषि में लगे अन्य सदस्य बेकार हो गये और वे उद्योगों में रोजगार की तलाश के लिए नगरों की ओर आकर्षित हुए, जिससे संयुक्त परिवार प्रथा में ढिलाई आई.
औद्योगीकरण ने रोजगार के अवसरों में वृद्धि की जिससे भी संयुक्त परिवार विघटित होने लगे.
नगरीकरण- 18 वीं शताब्दी के बाद बड़ी तीव्र गति से औद्योगीकरण ने नगरों व महानगरों को जन्म दिया. नगरीकरण के कारण शहरों में जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही हैं.
जिससे आवास की समस्या उत्पन्न हुई और संयुक्त परिवार प्रथा का बने रहना कठिन हो गया, परिणामस्वरूप संयुक्त परिवार विघटित होने लगे.
इसके अलावा ग्रामीण लोग रोजगार की तलाश में अपने परिवार को छोड़कर यहाँ आते हैं और शहरों में अच्छा रोजगार मिल जाने के कारण वे यहीं बस जाते हैं और अपने बच्चों व पत्नी के साथ छोटे छोटे परिवारों में रहने लगते हैं.
शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्ति का जीवन गतिशील रहता है और वह अधिकतर परिवार से दूर रहने के कारण स्वतंत्र रहना अधिक पसंद करता हैं.
स्त्रियाँ भी स्वतंत्रताप्रिय हो जाती हैं और एकाकी परिवार में रहना पसंद करती हैं. अतः स्पष्ट हैं कि नगरीकरण भी संयुक्त परिवार प्रथा के विघटन के लिए उत्तरदायी हैं.
कानूनों का प्रभाव– संयुक्त परिवार प्रथा के विघटन के लिए अनेक कानून भी उत्तरदायी कारक हैं. पहले संयुक्त परिवार के किसी भी सदस्य को अलग से सम्पति रखने का अधिकार प्रदान नहीं किया जाता था,
परन्तु हिन्दू उतराधिकार अधिनियम 1929 के अंतर्गत उन व्यक्तियों को सम्पति के उतराधिकार का अधिकार दिया गया हैं, जो संयुक्त परिवार से अलग रहना चाहता हैं.
बुद्धिलब्धि अधिनियम 1930 के अंतर्गत व्यक्ति की स्वयं द्वारा कमाई गई सम्पति की सीमा में वृद्धि कर दी गई. सम्पति के अधिकार अधिनियम 1939 के अंतर्गत हिन्दू स्त्रियों को भी परिवार में सम्पति का अधिकार प्रदान किया गया हैं जिससे परिवार की सम्पति व परिवार दोनों का विभाजन होने लगा.
विशेष विवाह अधिनियम 1954 ने भी संयुक्त परिवार प्रथा के विघटन में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं. हिन्दू विवाह विच्छेद अधिनियम 1955 ने भी संयुक्त परिवार प्रथा पर कुठाराघात किया हैं.
हिन्दू उतराधिकार अधिनियम 1955 के अंतर्गत पुत्रियों व स्त्रियों को भी परिवार की सम्पति में उतराधिकारी बना दिया गया हैं. ये सभी कानून संयुक्त परिवार के विघटन में सहायक बने.
पाश्चात्य शिक्षा एवं संस्कृति का प्रभाव– भारत में अंग्रेजों के आगमन से भारतवासियों पर वहां की शिक्षा एवं संस्कृति का प्रभाव पड़ा.
जिससे भारतीयों के दृष्टिकोण बदले और भारतीयों ने पाश्चात्य शिक्षा एवं संस्कृति के सामाजिक मूल्यों को अपनाना आरंभ कर दिया. इसके अलावा पाश्चात्य साहित्य में वर्णित समानता तथा लोकतंत्र के विचारों का भी भारतीयों पर काफी प्रभाव पड़ा और संयुक्त परिवार प्रथा का विघटन शुरू हो गया.
महिला आंदोलनों का प्रभाव– स्त्रियों में शिक्षा के प्रसार एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता के कारण उनमें जागृति आई हैं. वे अब संयुक्त परिवार के शोषण से मुक्ति का प्रयास करने लगी हैं तथा एकाकी परिवारों की पक्षधर बनी हैं.
स्त्रियों की इस नवीन प्रवृति ने एक आंदोलन का रूप धारण कर लिया है. इस प्रवृत्ति के कारण भी संयुक्त परिवार विघटित हुए हैं.
पारिवारिक झगड़े- संयुक्त परिवार में अनेक सदस्य साथ साथ रहते है. उनमें परस्पर झगड़े होते रहते हैं. भाइयों में सम्पति को लेकर तथा स्त्रियों में अनेक छोटी छोटी बातों पर मन मुटाव कहासुनी तथा झगड़े होते रहते हैं.
संयुक्त परिवार के ऐसे आए दिन होने वाले झगड़ों से बचने का एक ही समाधान हैं एकाकी परिवार. फलतः पारिवारिक झगड़ों से बचने के लिए लोग अलग घर बसाकर रहना पसंद करते हैं.
नवीन सामाजिक सुरक्षाएं– पहले केवल संयुक्त परिवार ही सगे सम्बन्धियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता था. लेकिन वर्तमान में राजकीय एवं केन्द्रीय संस्थाए, इंश्योरेंस कम्पनियों तथा भिन्न भिन्न संस्थाओं ने आज मानव को अनेक सुविधाएं व सुरक्षाएं प्रदान की हैं.
इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव संयुक्त परिवारों पर पड़ा हैं. उनका संयुक्त परिवार में विश्वास कम होता जा रहा हैं.
यातायात एवं संचार के साधनों की उन्नति- वर्तमान में देश में यातायात के साधनों की उन्नति हो जाने से व्यक्ति का एक स्थान से दूसरे स्थान पर आना जाना सुगम हो गया और व्यापार वाणिज्य और उद्योग धंधे तेजी से पनपने लगे.
अब उद्योग, व्यापार व वाणिज्य के लिए देश के एक कोने से दूसरे कोने तक जाना सम्भव हो गया हैं. इसी कारण सभी अलग अलग स्थानों में बसने लगे तथा उनके सम्बन्ध पत्रों एवं मनीआर्डर तक ही सीमित हो गये हैं.
इससे संयुक्त परिवार विभाजित होकर नाभिक परिवारों में परिवर्तित हो रहे हैं.
परिवार के कार्यों का हस्तांतरण- वर्तमान समय में संयुक्त परिवार के कार्यों को अन्य संघों एवं संस्थाओं ने ग्रहण कर लिया हैं. अतः उनकी उपयोगिता घट गई हैं. शिक्षा का कार्य शिक्षण संस्थाओं द्वारा किया जाता हैं.
संयुक्त परिवार में मनोरंजन का स्थान मनोरंजन संस्थानों, क्लबों एवं सिनेमाघरों ने ले लिया हैं. कपड़े धोने का कार्य लान्ड्रियों द्वारा, अनाज कूटने पीसने का कार्य फ्लोर मिलो द्वारा होने लगा हैं.
सिलाई के कार्य टेलरिंग हाउस द्वारा होने लगे हैं. जिसका परिवार प्रथा पर गहरा प्रभाव पड़ा हैं. क्योंकि आधुनिक युग में प्रत्येक कार्य मशीनों से होने लगा हैं. अतः संयुक्त परिवार में व्यक्ति का महत्व घटा हैं.
परिवर्तित मनोवृत्तियाँ– संयुक्त परिवार के सदस्यों में परस्पर प्रेम एवं सहयोग की भावना विद्यमान थी. परन्तु आज लोगों में स्वार्थ भावना में वृद्धि हुई हैं.
अतः आज लोग केवल अपने परिवार के सदस्यों के सम्बन्ध में ही सोचते हैं. परिवार के अन्य सदस्यों के सम्बन्ध में लोग अब जरा भी नहीं सोचते.