Childhood Shayari In Hindi | बचपन की शायरी | Bachpan Shayari

Childhood Shayari In Hindi बचपन पर शायरी- बचपन का बिता लम्हा हर किसी को गहरी यादों में डाल देता है, ऐसा लगता है मानों स्वर्ग को खो दिया है.

बच्चें के जन्म से 14-15 यानि    किशोरावस्था तक की आयु को बचपन Bachpan (Childhood) माना जाता है. इसकी तीन अवस्थाएं आरम्भिक, मध्य एवं प्रारम्भिक किशोरावस्था.

पूर्ण आजादी का जीवन और पांचवी आठवी तक स्कूल का सफर बचपन का हिस्सा होता है. Childhood Shayari (Bachpan Shayari) के जरिये हम आपकी पुरानी यादों को एक बार फिर तरोताजा करने का प्रयास रहेगा.

बचपन की शायरी Childhood Shayari In Hindi

Childhood Shayari In Hindi | बचपन की शायरी | Bachpan Shayari

हम सभी के जीवन में बचपन के दिनों का बड़ा ही महत्व हैं जीवन के इस दौर की यादें आजीवन बनी रहती हैं. आज की शायरी, कोट्स स्टेटस हमारे बचपन के दिनों की याद के लिए यहाँ दिए गये हैं. उम्मीद करते है आपको ये पसंद आएगा.

झुठ बोलतें थें फ़िर भी कितने सच्चें थें हम
बात ऊन दिनों की है जब बच्चें थे, हम !!


बचपन में किसी के पास घड़ी नही थी.
मगर टाइम सभी के पास था,
अब घड़ी हर एक के पास है.
मगर टाइम नही है !!


मेरे बचपन की शायरी …….
सोने की कड़ा , कोने मे पड़ा …..
यारा तेरी याद मे ,
रोना पड़ा ……


कितना पवित्र था वो बचपन का प्यार
ना भूख थी जिस्म की न था सम्पति का लालच
थी तो बस एक दूजे के साथ की चाहत
(mera bachpan shayari)

childhood shayari hindi

कागद की कस्ती थी, जो पानी का किनारा था
गजब की मस्ती थी, ये मन आवारा था
कितने घस गये इस समझदारी के कीचड़ में
वो आवारा बचपन कितना प्यारा था !!
(bachpan ka pyar shayari)


बचपन तोह बचपन होता
मन करता मेरा दोबारा बच्चा बन जाऊ


बालपन में सभी पूछा करते थे,
बेटे बड़े होके क्या बनना है
जिसका उत्तर अब मिला है
फिर से बच्चा बनना है !!
(bachpan ka pyar quotes in hindi)

shayari on childhood memories in hindi

कितनी भूखी होती है गरीब की ज़िन्दगी
उसके हिस्से का बचपन भी खा जाती है..


भूख चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चें
बेचतें फिरते हैं गलियो में गुब्बारे बच्चें
(shayari on bachpan ki yaadein)


कॉश … मुड़ के पहुच जाउ
बचपन की वादी में
न ही कोई जरुरत थी
ना हो कोंई जरूरि था


वो बचपन भी कितना ख़ास था
उस वक्त एक शाम भी हुआ करती थी
आज तो सुबह के पश्चात्
सीधी रात ही होती है !!
(Missing Childhood Shayari)


Childhood Shayari In Hindi For Boy & Girlfriend

लौटा दों कोई मुझे वो मेरें बालपन का सावन
वो कागद की किश्ती वो भादो की बारिश का पानी !!


वो बचपन का समय था
हसतें खेलते जमी पर या बरामदे
में सोए
पर आँख तो बेड पर ही खुलती थी !!


हे ईश्वर अब तुम एक ऐसी कहानी रचना,
बचपन में ही हो मरण ऐसी जिंदगानी लिखना !!


जब कभी हसने का कारण ढूँढना पड़े
तो समझ लेना, बचपन खत्म समझदारी की उम्रः
आ गई है !!


कौन कहता नही आती बचपन की बरखा
शायद तुम भुल गये नाव बनानी कागद की !!


kitne khubsurat hua karte the,
wo din bachpan ke,
sirf do ungliyan judne se
dosti shuru ho jati thi !!


संसार में कुछ अच्छा रहने दो।।बच्चें को बच्चा रहने दो|


abhi bhi yaad hai hume
har pal us bachpan ke andaj ka
vo yaad hi rahta hai bachpan ka
khilkhilana
dosto se ruthna, jhgdna aur mnaana

MY Childhood Shayari In Hindi

वो क्‍या दिन थे… मम्‍मी की गोद और पापा के कंधे, न पैसे की सोच और न लाइफ के फंडे, न कल की चिंता और न


ना मुझे किसी का दिल चाहिए
ना मुझे जमाने से कोई आस है
जो अपनी गर्लफ्रेंड से मेरी सेटिंग करवा दे
मुझे उस सच्चे दोस्त की तलाश है !!

बचपन की शायरी स्टेटस इन हिंदी

मेरे दिल के किसी कोने में,
एक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देख कर दुनिया,
बड़ा होने से डरता है


हज़ारों शेर मेरे सो गये काग़ज़ की क़ब्रों में
अजब माँ हूं कोई बच्चा मेरा ज़िन्दा नहीं रहता


मेरा बचपन भी साथ ले आया
गांव से जब भी आ गया कोई


कोई स्कूल की घंटी बजा दे
ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है


बचपन का हर नन्हा सपना
थक कर बूढ़ा हो कर लौटा


अपने बच्चों को मैं बातों में लगा लेता हूं
जब भी आवाज़ लगाता है खिलौने वाला


दूर मुझसे हो गया बचपन मगर
मुझमें बच्चे सा मचलता कौन है


जिसने मेरे बचपन की पदचाप सुनी
अपने घर का ऐसा कोना हाथ लगा


खिलौनों के लिए बच्चे अभी तक जागते होंगे
तुझे ऐ मुफ़लिसी बहाना ढूंढ लेना है


जब भी मुझको अपना बचपन याद आता है
बचपन के इक प्यार का बचपन याद आता है


भूख चेहरों पे लिए चांद से प्यारे बच्चे
बेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुब्बारे बच्चे

बचपन की याद पर कहे गए शेर शायरी Shayari On Childhood In Hindi

उडनें दो परिन्दो को अभी शोख हवा मे
फ़िर लौंट के बचपन कें जमानें नही आतें

बशीर बद्र

मेरा बचपन भीं साथ लें आया
गांव से ज़ब भी आ ग़या कोईं

कैफ़ी आज़मी

मेरें रोनें का ज़िस मे किस्सा हैं
उम्र क़ा ब़ेहतरीन हिस्सा हैं

जोश मलीहाबादी

फरिश्तें आक़र ऊन क़े ज़िस्म पर खूश्बू लगातें है
वो बच्चें रेल के डिब्बो मे जो झ़ाड़ू लगातें है

मुनव्वर राना

किताबो से निक़ल कर तितलियां ग़जले सुनाती है
टिफीन रख़ती है मेरी माँ तो ब़स्ता मुस्कराता हैं

सिराज फ़ैसल ख़ान

दूर मुझ़से हो ग़या बचपन मग़र
मुझ़मे बच्चें सा मचलता कौंन हैं

राजेन्द्र कलकल

मेरें दिल क़े क़िसी कोनें मे, एक़ मासूम सा ब़च्चा
बड़ो की देख़ क़र दुनियां, बडा होनें से डरता हैं

राजेश रेड्डी

झ़ूठ बोलतें थे फ़िर भी कितनें सच्चें थे हम
यें उन दिनो की ब़ात हैं ज़ब बच्चें थे

अज्ञात

कोईं स्कूल की घन्टी बज़ा दे
ये ब़च्चा मुस्कराना चाहता हैं

शकील जमाली

बचपन में आकाश को छूता सा लगता था
इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं

मुज़फ़्फ़र हनफ़ी

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