Communist Party of India History In Hindi भारतीय साम्यवादी दल का इतिहास: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिन्हें संक्षेप में सीपीआई अथवा भाकपा भी कहा जाता हैं. साम्यवादी विचारधारा पर बनी पार्टी लेनिन और मार्क्स के विचारों से अत्यधिक प्रभावित हैं.
वर्तमान लोकसभा में कम्युनिस्ट पार्टी के लोकसभा में नौ सांसद हैं. मजदूर वर्गों जैसे श्रमिकों, किसानों को केंद्र में रखकर उन्ही के मुद्दों पर सीपीआई चुनाव लडती हैं. आज हम सीपीआई दल के इतिहास, पार्टी के कार्यक्रम व उद्देश्यों को जानेगे.
Communist Party of India History In Hindi साम्यवादी दल का इतिहास
संस्थापक | मानवेन्द्रनाथ राय, चारू मुजुमदार |
स्थापना | 26 दिसंबर 1925 |
शाखा | अखिल भारतीय युवा संघ |
गठबंधन | वाममोर्चा |
समाचारपत्र | न्यू एज (अंग्रेजी), मुक्ति संघर्ष (हिन्दी) |
मुख्यालय | नई दिल्ली, भारत |
Communist Party of India History
भारत में साम्यवादी दल की स्थापना 1924 में हुई. इसकी स्थापना में मानवेन्द्रनाथ राय की विशेष भूमिका रही. 1934 में इस दल को प्रतिबंधित कर दिया गया. 1943 तक प्रतिबंधित रहा, परन्तु 1943 के बाद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपनाई गई नीति के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने इस पर से प्रतिबंध हटा दिया.
1952 से 1962 के तृतीय चुनाव तक साम्यवादी दल को प्राप्त सीटों का ग्राफ बढ़ा लेकिन 1967 के लोकसभा चुनावों के बाद इसकी सीटों की संख्या में कमी आई.
वर्ष 1964 में चीन के विषय पर भारतीय साम्यवादी दल टूटकर दो भागों में विभक्त हो गया, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई एम) इन दो गुटों का जन्म हुआ, जो आज भी विद्यमान हैं.
भारतीय साम्यवादी दल की स्थापना एम एन रॉय ने की, पार्टी के संस्थापक सदस्यों में एवलिन ट्रेंट रॉय, अबनी मुखर्जी, अबनी की पत्नी रोजा फिंगोफ, मोहम्मद अली, मोहम्मद शफीक सिद्दीकी, हसरत मोहानी, भोपाल के रफीक अहमद और एमपीटी आचार्य और सुल्तान अहमद खान मुख्य थे. आजादी के बाद भारतीय चुनाव आयोग द्वारा सीपीआई को हथोड़े तथा हंसिये को क्रोस करते हुए लाल रंग का चुनाव चिह्न दिया.
कम्युनिस्ट पहली पार्टी हैं जिन्होंने आज तक के सभी चुनाव एक ही चुनाव चिह्न पर लड़ा. वर्ष 2014 के आम चुनाव में सीपी आई का सबसे शर्मसार प्रदर्शन था पार्टी केवल एक ही सांसद को विधायिका में भेज पाई.
सीपीआई के चुनावी प्रदर्शन पर चुनाव आयोग ने साफ़ कहा कि यदि कम्युनिस्ट अगले चुनाव में अपने प्रदर्शन को नहीं सुधारती हैं तो उससे राष्ट्रीय दल का दर्जा छीन लिया जाएगा.
भारतीय साम्यवादी दल की नीतियाँ एवं कार्यक्रम
भारतीय साम्यवादी दल की नीतियाँ एवं कार्यक्रमों का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता हैं.
राजनीतिक कार्यक्रम– पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रम एवं नीतियाँ निम्नलिखित हैं.
- पार्टी राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए वचनबद्ध हैं.
- पार्टी साम्प्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने के पक्ष में हैं.
- पार्टी केंद्र राज्य सम्बन्धों का पुनर्गठन करके राज्यों को आर्थिक शक्तियाँ देने के पक्ष में हैं.
- सीपीआई जम्मू कश्मीर में धारा 370 की रक्षा के पक्ष में हैं.
- पार्टी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लोकपाल विधेयक का समर्थन करती हैं.
- पार्टी अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए वचनबद्ध हैं.
- पार्टी चुनाव प्रणाली में व्यापक सुधारों के पक्ष में हैं.
- अनुच्छेद 356 को समाप्त किये जाने के पक्ष में हैं.
- पार्टी का मत हैं कि पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत किया जाएं.
आर्थिक कार्यक्रम– भारतीय साम्यवादी दल के आर्थिक कार्यक्रम एवं नीतियाँ निम्न हैं.
- सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण रोका जाए, दूर संचार बिजली आदि की नीतियों को बदला जाए. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को चुस्त दुरस्त किया जाए.
- मौजूदा औद्योगिक नीति को बदला जाए. अंधाधुंध उदारीकरण की नीतियों को बदला जाए तो देश की सम्प्रभुता को कमजोर कर रही हैं.
- बजट का 50 प्रतिशत कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन आदि के विकास के लिए आवंटित किया जाए और सिंचाई की सुनिश्चित व्यवस्था की जाए.
- देशभर में फसल तथा पशु बीमा का विस्तार किया जाए
- अनुसन्धान एवं विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
- बेरोजगारी की समस्या का समाधान किया जाए.
- प्रेस, रेडियो, दूरदर्शन पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए.
सामाजिक कार्यक्रम– भारतीय साम्यवादी दल की नीतियाँ एवं कार्यक्रम निम्नलिखित हैं.
- महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाए तथा विश्व महिला सम्मेलन बीजिंग द्वारा स्वीकृत बीजिंग 1995 को लागू किया जाए.
- पार्टी लोगों के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए काम करेगी, आंगनबाड़ी और ग्रामीण स्वास्थ्य निरीक्षणों को अपने कर्तव्य के निर्वहन के लिए उचित वेतन दिया जाएगा.
- शिक्षा तथा जन साक्षरता का प्रसार किया जाए, शिक्षा के निजीकरण को रोका जाए.
- काम के अधिकार को संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया जाना चाहिए तथा बेकारी भत्ता दिया जाना चाहिए.
- सभी गांवों तथा शहरी इलाकों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की जानी चाहिए.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भारतीय राजनीतिक दल का इतिहास
1920 के दशक के शुरूआती सालों में भारत के विभिन्न हिस्सों में साम्यवादी समूह उभरे. ये रूस की बोल्शेविक क्रांति से प्रेरित थे और देश की समस्याओं के समाधान के लिए साम्यवाद की राह अपनाने की तरफदारी कर रहे थे.
1935 से साम्यवादियों में मुख्यतया भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दायरे में रहकर काम किया. कांग्रेस से साम्यवादी 1941 के दिसम्बर से अलग हुए.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की शुरुआत 17 अक्टूबर, 1920 को ताशकंद से मानी जाती हैं मगर कानपुर षड्यंत्र केस से रिहाई के बाद कई दिग्गज कम्युनिस्ट नेताओं ने दिसम्बर 1925 में कानपुर में बैठक की तथा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का नये सिरे से गठन किया.
सिंगारावेल चेट्टियार को पार्टी का अध्यक्ष और सच्चिदानंद विष्णु घाटे को पार्टी सचिव बनाया गया. पार्टी ने अपने कैडर का विस्तार करते हुए इसमें किसानों और श्रमिकों को बड़े स्तर पर शामिल करना शुरू किया. भगत सिंह भी उनमें से एक थे जिनका झुकाव साम्यवाद की ओर था.
मेरठ षड्यंत्र मामले में रिहाई के बाद कम्यूनिस्ट नेताओं की कलकत्ता में 1934 में एक अहम बैठक हुई तथा पार्टी के बेस को बढ़ाने पर विचार किया गया.
इसी समय ब्रिटिश सरकार ने भारतीय साम्यवादी दल पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके बाद कांग्रेस की एक सोशलिस्ट विंग के रूप में कम्युनिस्टों ने भारतीय राजनीति में अपने आप को बनाए रखा.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेताओं के ए के गोपालन, एस ए डांगे, ई एम एस नम्बूदरीपाद, पी सी जोशी, अजय घोष और पी सुन्दरैया के नाम प्रमुख हैं.
चीन और सोवियत संघ के बीच विचारधारात्मक अंतर आने के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 1964 में एक बड़ी टूट का शिकार हुई. सोवियत संघ की विचारधारा को ठीक मानने वाले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में रहे.
जबकि इसके विरोध में राय रखने वालों ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी या सी पी आई एम नाम से अलग दल बनाया. ये दोनों दल आज तक कायम हैं.
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