संविधान दिवस पर भाषण 2023 Constitution Day Speech In Hindi: नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत हैं. आज हम संविधान दिवस पर भाषण लेकर आए हैं.
26 नवम्बर को हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ था, अतः इस दिन को कानून / विधि दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता हैं.
संविधान दिवस भाषण, अनुच्छेद, निबंध, लेख, इतिहास में आज हम इस दिवस के बारें में विस्तार व शोर्ट स्पीच स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं.
संविधान दिवस पर भाषण 2023 Constitution Day Speech In Hindi
नमस्कार सभी को सुप्रभात, आदरणीय मुख्य अतिथि महोदय, प्रधानाचार्य महोदय समस्त विद्वान् गुरुजनों में मेरे साथ पढ़ने वाले भाइयों एवं बहिनों.
आज संविधान दिवस हैं, इस उपलक्ष्य पर मुझे भाषण के लिए अवसर दिया हैं. यह सुअवसर प्रदान करने के लिए आयोजकों एवं कार्यक्रम संचालकों को धन्यवाद.
हमारा भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो भारतीय संविधान के अनुसार चलता हैं. देश में कानून को सभी सभी धर्मों की पवित्र पुस्तकों से प्रमुख दर्जा दिया जाता हैं. अतः संविधान को सर्वोच्च माना जाता हैं.
भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जो लचीला भी है और कठोर भी. आज 26 नवम्बर हैं इस दिन को भारत के संविधान के निर्माण का कार्य पूर्ण हुआ था, अतः इसे हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं.
एक लम्बे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ था, तब देश में अंतरिम सरकार बनाई गई. अब राष्ट्र के बुद्धिजीवियों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या यह थी कि देश का शासन किस विधि से चलाया जाए, कानून व्यवस्था कैसी होगी,
नागरिकों के क्या अधिकार व कर्तव्य होंगे. हालांकि ये कानून कायदे उस समय चलन में थे, मगर इन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा अपने हितों के अनुकूल बनाया गया था.
अतः भारत के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक संविधान बनाने की आवश्यकता महसूस हुई. 390 सदस्यों का निर्वाचन किया गया, 9 दिसम्बर 1946 को पहली संविधान बैठक बुलाई गई.
इसके अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद थे. प्रारूप समिति के अध्यक्ष बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर थे, इन्हें भारतीय संविधान का जनक/ पिता/ निर्माता भी कहा जाता हैं.
2 वर्ष 11 माह और 18 दिनों की अथक मेहनत एवं खोजबीन के बाद 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ, जिसे 26 जनवरी 1950 को पूरे भारत में लागू कर दिया गया.
भारत के संविधान निर्माण में जिन लोगों का बहुमूल्य योगदान रहा, उनमें एक थे भीमराव अम्बेडकर. जिन्होंने विश्व के सभी देशों के संविधानो एवं कानूनों का अध्ययन कर भारत के अनुकूल व्यवस्थाओं को आयात कर संविधान का हिस्सा बनाया,
देश में अम्बेडकर समर्थक कई दशकों से 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की मांग कर रहे थे. अन्तोगत्वा 26 नव. 2015 को अम्बेडकर की 125 वीं जयंती पर देश में पहली बार संविधान दिवस मनाया गया,
तब से लेकर आज तक हर साल इसे सभी सरकारी संस्थानों विद्यालयों, महाविद्यालयों में मनाया जाता हैं. तथा इस अवसर पर विद्यार्थियों को भारतीय संविधान के निर्माण, उपयोगिता, महत्व एवं प्रासंगिकता के बारें में अवगत कराया जाता हैं.
किसी देश व समाज की तरक्की तभी सम्भव है जब वहां कानून व्यवस्था हो. कानून कैसा होगा, किस प्रकार क्रियान्वित होगा इसका निर्धारण संविधान करता हैं.
7 दशकों के बाद भारत का संविधान आज भी उतना ही महत्वपूर्ण एवं समयानुकूल है जितना कि उस समय था. समय समय पर इसमें बदलाव किये गये और आगे भी होते रहेगे.
विश्व के कई देश जो भारत के साथ आजाद हुए और संवैधानिक व्यवस्थाएं बनी. वे या तो असफल रही अथवा उन्हें कई बार बदला गया. मगर यदि भारत में आज लोकतंत्र फल फूल रहा है तो इसमें हमारे संविधान का महत्वपूर्ण योगदान हैं.
संविधान दिवस के अवसर पर हम उस यात्रा को समझे उन प्रयासों को सम्मान दे जिसके द्वारा संविधान बनाया गया, देश के सभी नागरिकों में संविधान के प्रति सम्मान के भाव हो.
वे उसका आदर करे तथा सर्वोच्च माने, तभी हमारे देश में कानून व्यवस्था को अधिक समय तक मजबूत बनाया जा सकता हैं. इसी संदेश के साथ मैं अपने संविधान दिवस भाषण को समाप्त करना चाहूँगा, धन्यवाद.